नयी पड़ोसन और उसकी कमसिन बेटियां-2
(Nayi Padosan Aur Uski Betiyan- Part 2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left नयी पड़ोसन और उसकी कमसिन बेटियां-1
-
keyboard_arrow_right नयी पड़ोसन और उसकी कमसिन बेटियां-3
-
View all stories in series
कमसिन कॉलेज गर्ल के साथ मेरी सेक्स कहानी में अभी तक आपने पढ़ा कि डॉली को चोदने के बाद हम दोनों नंगे ही लिपटकर सो गये.
अब आगे:
रात को तीन बजे पेशाब लगी तो मेरी नींद खुल गई. पेशाब करके आया, दो घूंट पानी पिया और आकर लेट गया. एसी बहुत ठंडा कर रहा था, टेम्परेचर सेट किया. डॉली गहरी नींद में सो रही थी. मैंने उसकी चूचियां सहलानी शुरू कीं तो उसकी नींद खुल गई. डॉली मेरे सीने से चिपक गई और यहां वहां चूमने लगी.
मैंने अपनी दिशा बदली और अपना मुंह उसकी चूत के पास ले जाकर चूत के लबों पर जीभ फेरना शुरू किया. थोड़ी देर में ही वो कसमसाने लगी. मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रखा तो सहलाने लगी.
उसका सिर पकड़कर मैं उसका मुंह अपने लण्ड पर ले आया, वो मेरा इशारा समझ गई और लण्ड पर जीभ फेरकर चाटने लगी. चाटते चाटते उसने लण्ड चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर में ही लण्ड टाइट होकर मूसल बन गया, इधर चूत भी लण्ड लेने को तैयार हो चुकी थी.
मैं पीठ के बल लेट गया और उसको अपने ऊपर लिटा लिया और उसकी चूची चूसने लगा. मैं तो चूचियों से मजा ले रहा था और वो बार बार अपने चूतड़ पीछे खिसकाकर चूत को लण्ड से छुआना चाहती थी.
मैंने उसकी चूचियां छोड़ीं तो थोड़ा सा पीछे खिसकी और अपनी चूत को लण्ड पर रगड़ने लगी. मैंने हाथ बढ़ाकर क्रीम की शीशी उठाई और डॉली को देते हुए कहा- ये लो, राजा रानी को लगा दो. उसने हथेली पर क्रीम लेकर लण्ड की मालिश शुरू कर दी. लण्ड टनटनाकर चूत में जाने के लिए फड़फड़ाने लगा.
मैंने उसके हाथ से क्रीम की शीशी लेकर लण्ड पर क्रीम चुपड़ी, डॉली को कमर से पकड़कर उठाया और अपने लण्ड पर बैठा दिया. चूत के लबों को फैलाकर लण्ड का सुपारा रखा और डॉली को कमर से पकड़कर नीचे दबाया, सुपारा अन्दर चला गया तो मैंने उससे कहा- और नीचे दबो.
वो जैसे जैसे बैठती जा रही थी लण्ड गुफा में समाता जा रहा था.
जब पूरा लण्ड अन्दर हो गया तो मैंने उससे उचकने को कहा. अब वो धीरे धीरे उचकने लगी. ऊपर उठती तो आधा लण्ड चूत से बाहर निकल आता, नीचे जाती तो लण्ड का सुपारा उसकी नाभि से टकराता. जन्नत के मजे आ रहे थे.
मैंने उससे कहा- कब तक पैसेन्जर ट्रेन चलाओगी, राजधानी एक्सप्रेस चलाओ.
उसने धकाधक उछलना शुरू कर दिया लेकिन थोड़ी देर में ही रुक गई और बोली- बस अब मैं थक गई हूँ.
मैंने कहा- अच्छा! ऐसी बात है तो उतरो और घोड़ी बन जाओ.
बोली- घोड़ी बन जाऊं? मतलब?
मैंने उसको कमर से पकड़कर घोड़ी बनाते हुए कहा- ऐसे.
अब मैंने अपने लण्ड पर कॉण्डोम चढ़ाया और डॉली के पीछे आ गया. लण्ड का सुपारा चूत के मुंह पर रखा और अन्दर धकेला लेकिन इस पोजीशन में उसकी चूत और भी टाइट हो गई थी. जैसे तैसे लण्ड महाराज को अन्दर किया और पैसेन्जर ट्रेन चला दी.
धीरे धीरे रफ्तार बढ़ने लगी. जब लण्ड अन्दर जाता तो आह आह करती जिससे जोश और बढ़ने लगा.
राजधानी पूरी रफ्तार में थी, तभी डॉली बोली- सुनिये, अपने राजा से कहिये दो मिनट रुक जाये.
मैं रुका, अपना लण्ड बाहर निकाला और पूछा- क्या हुआ?
वो सीधी हो गई और लेटते हुए बोली- थक गई.
मैंने उसका चेहरा थपथपाते हुए कहा- कोई बात नहीं, तुम ऐसे ही लेटो.
उसके चूतड़ उठाकर मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया रखा और लण्ड उसकी चूत में डालकर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियां मलते हुए होठों का रसपान करने लगा.
थोड़ी देर में ही डॉली की थकावट दूर हो गई तो मैंने लेटे लेटे ही ट्रेन स्टार्ट की. होठों से रसपान, हाथों से चूचीमर्दन तो जारी था ही.
लेटे लेटे ट्रेन चलाने में मजा नहीं आ रहा था, मैं उठा, एक एक करके अपनी टांगें सीधी कीं और डॉली को उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया और उससे कहा- अब तुम करो.
वो गोद में बैठे हुए उचकने लगी.
वो उचक तो रही थी लेकिन मजा नहीं आ रहा था क्योंकि वो ज्यादा ऊंचा नहीं उचकती थी.
मैंने उससे पंजों के बल बैठने को कहा. लम्बी टांगें होने के कारण इस तरह बैठने से वो ज्यादा उचक सकती थी. अब जब वो उचकती तो सिर्फ सुपारा अन्दर रह जाता था. मेरे कहने पर उसने स्पीड बढ़ाई जिससे दोनों लोग जोश में आ गये लेकिन वो ज्यादा देर तक स्पीड मेन्टेन नहीं कर पाई.
तो मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया रखकर उसको लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आकर चोदने लगा. चुदाई का यह सबसे आसान और प्रचलित आसन है. कुछ लोग इस आसन में चोदते समय चूतड़ों के नीचे तकिया नहीं रखते इसलिये ज्यादा आनन्द नहीं ले पाते. इसी आसन में चोदते समय यदि लड़की की टांगें अपने कंधे पर रख ली जायें तो क्या कहने.
बस यही याद आते ही मैंने डॉली की टांगें उठाकर अपने कंधों पर रखीं और अपने हाथों से उसके कंधे पकड़ लिए और राजधानी एक्सप्रेस दौड़ा दी. अब मैं सीधे मंजिल पर पहुंच कर ही रुकना चाहता था. हर धक्के के साथ लण्ड का फूलना जारी था, फूलता जा रहा था और टाइट होता जा रहा था.
आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊह, उफ उफ, बस करो, यह आवाजें रुकने के बजाय और तेज करने का काम कर रही थीं. दौड़ते दौड़ते मंजिल करीब आ गई और लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी लेकिन मैं ट्रेन रोकना नहीं चाहता था. मेरा वीर्य स्खलन हो चुका था लेकिन लण्ड ढीला नहीं हुआ था.
मैंने एक एक करके उसकी टांगें अपने कंधों से उतारीं और ट्रेन चलाता रहा. ट्रेन की रफ्तार राजधानी एक्सप्रेस से घटते घटते पैसेन्जर ट्रेन पर आ गई तो ट्रेन रोक दी लेकिन प्लेटफार्म पर खड़ी रही, मतलब चोदना बंद कर दिया लेकिन लण्ड चूत में ही पड़ा रहा.
मैं पसीने से तरबतर हो चुका था और निढाल होकर डॉली पर लेट गया. उसने टॉवल से मेरा पसीना पोंछा तो मैंने उसे चूम लिया और दोनों ओर से चुम्बन की झड़ी लग गई.
रात भर चुदाई करके सुबह पांच बजे सोये थे. जब नींद खुली तो देखा साढ़े नौ बज रहे थे. मैं बाथरूम गया, फ्रेश हुआ और नहाकर आया. कपड़े पहनकर तैयार हुआ तो देखा दस बज गये हैं.
मैंने डॉली को जगाया और कहा- तैयार हो जाओ, दस बज गये हैं.
“अरे बाप रे …” कहते हुए वो बाथरूम में घुस गई और जल्दी से तैयार होकर आ गई.
मैंने तब तक नाश्ता आर्डर कर दिया था, हमने जल्दी से नाश्ता किया. मैंने नोटिस किया कि उसकी चाल में कुछ बदलाव है. मैंने पूछा तो बोली- दर्द हो रहा है.
मैंने पूछा- कहाँ?
तो अपनी चूत पर हाथ रखकर बोली- यहां.
मैं बेड पर बैठा हुआ था, उसे अपने पास बुलाया तो मेरे सामने आकर खड़ी हो गई. मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला, सलवार नीचे गिर गई. उसकी पैन्टी उतारकर मैंने घुटनों से नीचे तक कर दी और उसकी चूत देखने लगा. उसकी चूत फूलकर डबल रोटी हो गई थी और एकदम लाल थी.
कमसिन जवान कॉलेज गर्ल की नंगी चूत देखकर लण्ड फिर खड़ा हो गया था लेकिन ऐसी हालत में चोदना मुनासिब नहीं था. मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और कोल्ड क्रीम से उसकी चूत की हल्की हल्की मालिश करने लगा.
इस बीच मैंने अपनी पैन्ट की चेन खोलकर लण्ड बाहर निकाल कर उससे कहा- अब राजा रानी का मिलन मुनासिब नहीं इसलिये तुम मुंह से और हाथ से मेरा डिस्चार्ज करा दो.
उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया, जब वो रुकी तो मैंने उसके हाथ में पकड़ाकर कहा- इसकी खाल इस तरह ऊपर नीचे करती रहो. थक जाना तो मुंह में ले लेना और मुंह से थक जाओ तो हाथ से करने लगना.
मैं हल्के हाथों से चूत की मसाज कर ही रहा था जिससे उसे आराम भी मिल रहा था और आनन्द भी. कभी हाथ से कभी मुंह से वो मुझे मेरी मंजिल के करीब ले आई थी. मैंने उससे हाथ की स्पीड बढ़ाने और मुंह खोलने के लिए तैयार रहने को कहा.
उसने स्पीड बढ़ाई तो मैंने कहा- बीच बीच में मुंह लगाकर गीला कर लिया करो और जब मैं कहूँ मुंह में ले लेना, मैं तुम्हारे मुंह में डिस्चार्ज करुंगा, उसे गटक जाना, यह सबसे अच्छा पेनकिलर है, कानपुर पहुंचते पहुंचते ठीक हो जाओगी.
कभी हाथ कभी मुंह से होते होते वो समय आ आ गया कि मैंने उससे मुंह खोलने को कहा और कहा- जब तक मैं न रोकूं, तुम चूसती रहना और जो जीवन अमृत निकले गटकती जाना.
अब मैंने अपना लण्ड उसके मुंह में दे दिया, वो चूस रही थी लेकिन मेरी उत्तेजनाओं को काबू में नहीं कर पा रही थी तो मैंने दोनों हाथों से उसका सिर पकड़ लिया और उसके मुंह को चूत समझकर चोदने लगा.
कुछ ही देर में मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा छूटा और उसका मुंह मक्खन मलाई से भर जिसे वो गटक गई. वो अब भी चूस रही थी और मैं उसकी चूत की मसाज कर रहा था. मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरते हुए पूछा- रानी साहिबा को कुछ आराम मिला?
मेरा लण्ड मुंह से निकाल कर डॉली बोली- हाँ, अब काफी आराम है.
मैंने उससे कहा- कपड़े पहन लो और कुल्ला कर लो.
मैं बाथरूम गया, अपना लण्ड धोया, हाथ मुंह धोया और कमरे में आकर रिसेप्शन पर फोन किया कि मुझे कानपुर तक ड्राप करने के लिए एक ड्राइवर चाहिए.
कुछ ही देर में रिसेप्शन से फोन आया कि एक ड्राइवर है लेकिन आठ सौ रुपये मांग रहा है.
मैंने कहा- नो प्राब्लम, बुलाइये उसको.
ड्राइवर आ गया तो हम लोग गाड़ी में बैठ गये. ड्राइवर गाड़ी चला रहा था, हम दोनों पीछे की सीट पर थे, डॉली मेरी गोद में सिर रखकर सो गई.
जैसे ही गाड़ी कानपुर की सीमा में पहुंची तो मैंने ड्राइवर को छोड़ दिया और थोड़ी देर बाद घर पहुंच गये.
कहानी जारी है.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments