मेरी फुद्दी को लंड की आदत पड़ गई
(Meri Fuddi Ko Lund Ki Aadat Pad Gai)
मेरा नाम प्रीति है.. मैं अपने साथ हुई सबसे पहले चुदाई की कहानी लिख रही हूँ।
यह कहानी कुछ पुरानी है.. बात तब की है.. जब मैं 12 वीं पास करके सी.ए की कोचिंग के लिए दिल्ली गई थी। उस समय मेरी उम्र 18 की ही हुई थी और उस समय मेरे चुचे उभरना शुरू हुए थे लेकिन फुद्दी पर रेशमी झांटों अच्छा खासा जंगल उग आया था।
उन दिनों मैं दिखने में पतली-दुबली थी और काफी गोरी भी थी। स्कूल में 12 वीं क्लास में काफी लड़के मुझे पसंद करते थे व एक ने मुझे किस भी किया था। मैं अपने शहर से दिल्ली अकेले गई और शुरुआत में पीजी में रह रही थी। मेरे घर वालों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी.. सो वो ज्यादा पैसे नहीं भेज पाते थे।
एक दिन अचानक मेरी मुलाकात मेरी दूर की दीदी के बेटे से हुई। मैं पहले उससे एक-दो बार मिली थी और हमारी उम्र भी एक जैसी थी.. तो अच्छी बातचीत होने लगी थी। लेकिन मुझे नहीं पता था कि वो दिल्ली में ही रहता है। मैंने उसका नंबर लिया और अपना दे दिया ताकि आगे अगर कोई काम हो तो हम एक-दूसरे से संपर्क कर सकें।
कुछ दिन पीजी में रहने के बाद मुझे पीजी काफी महंगा लग रहा था तो मैंने सोचा कि क्यों न अलग रूम लेकर रहूँ।
ये सोच कर मैंने सनी (दीदी का बेटा) को कॉल किया तो उसने बताया कि दिल्ली में सिंगल रूम वो भी लड़की के लिए मिलना थोड़ा मुश्किल होता है। मैंने उससे कोई उपाय पूछा तो उसने कहा वो अकेला रहता है और मैं उसके साथ रहना चाहूं तो रह सकती हूँ.. किराया वो दे देगा मुझे बस खाने के पैसे देने थे। उसका मकान मालिक उधर नहीं रहता था इसलिए उसने मुझे ऑफर दिया था। मैंने पहले अपने घर पर बात की तो मेरे माँ-बाप मान गए क्योंकि सभी उसे जानते थे। अब मैं उसके साथ शिफ्ट हो गई। वो एक कंपनी में इंटर्न था। उसका कमरा छोटा था.. मगर बहुत साफ-सुथरा रहता था।
उसके पास एक ही बेड था तो उसने कहा- हमें दो-तीन महीने इसी एक से एडजस्ट करना होगा.. जब मकान मालिक आएगा तो दूसरा बेड मिल जाएगा।
मैंने सोचा दो-तीन महीने की बात है तो काम किसी तरह चल जाएगा। वो सितम्बर का महीना था और अभी उमस और गर्मी पड़ रही थी। गर्मी में सनी नीचे सोता था और मैं बेड पर सोती थी। हम दोनों रात में ढेर सारी बातें करते थे जिसकी वजह से हम और करीब हो गए। बहुत जल्द एक महीना बीत गया और ठंड दस्तक देने लगी।
सनी को नीचे ठंड में सोते देख मैंने उसे बोला- तुम भी ऊपर आ जाओ.. नीचे ठंड लगेगी।
चूँकि रूम में एक ही रजाई थी। मैं सोते वक्त ट्राउजर व टॉप पहन कर सोती थी। कुछ दिन ऐसे ही बीते.. फिर जब ठंड बढ़ी.. तब हमलोग एक-दूसरे से चिपक कर सोने लगे।
उन दिनों मैं अपनी झांटें साफ नहीं करती थी.. क्योंकि मैं सोचती थी कि ये मेरे अंग का प्राइवेट पार्ट है.. इसे कौन देखेगा.. क्योंकि उस वक्त तक मुझे चुदाई की उतनी समझ नहीं थी।
एक रात की बात है.. ठंड काफी बढ़ गई थी और रजाई में भी ठंड लग रही थी। उस रात मैं वन पीस फ्रॉक में सोई हुई थी और मैंने अन्दर पैंटी भी नहीं पहनी थी। कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि सनी मेरी फुद्दी पर हाथ डाल कर सहला रहा था।
मैंने पूछा- ये क्या कर रहे हो?
उसने कहा- मैं तुम्हें प्यार कर रहा हूँ।
मैंने कहा- अब हो गया हो तो रहने दो.. मुझे बहुत शर्म आ रही है।
तो उसने कहा- शर्म किस बात की.. हम दोनों अच्छे दोस्त हैं.. तुम मुझसे क्यूं शर्मा रही हो.. लो पहले मैं ही अपना खोल लेता हूँ।
ये करके वो पूरा नंगा हो गया। मैं उसके लंड की चुभन को महसूस कर पा रही थी।
मैंने कहा- रूको.. मुझे बहुत शर्म आ रही है.. मेरी फुद्दी पर बहुत बाल हैं।
उसने कहा- ये तो सबसे खूबसूरत बात है.. अगर किसी लड़की की फुद्दी पे ढेर सारे बाल होते हैं.. तो वो लड़की उतनी ही शरीफ मानी जाती है।
उसकी ये बात मेरे मन को छू गई.. क्योंकि ये बात सही थी।
उसने उसी वक्त झट से मेरे कपड़े उतार दिए। अब मैं पूरी नंगी उसके साथ लेटी हुई थी।
मुझे बहुत अजीब लग रहा था.. पहली बार किसी लड़के ने मेरी फुद्दी देखी थी।
वो मुझे पूरी नंगी देख कर बोलने लगा- अरे वाह तुम्हारा शरीर तो काफी खूबसूरत है.. हर लड़का ऐसे शरीर से प्यार करना चाहेगा।
मैंने कहा- क्या तुम भी मुझसे प्यार करना चाहते हो?
उसने कहा- कौन तुम्हें प्यार नहीं करना चाहेगा.. तुम हो ही इतनी खूबसूरत।
मैंने कहा- तुम कैसे प्यार करोगे मुझे? उसने कहा- मैं तुम्हें खाना चाहता हूँ.. तुम्हें अन्दर तक प्यार करना चाहता हूँ।
मैंने कहा- वो कैसे?
तो उसने मेरा हाथ अपने लंड पे डाल दिया और बोलने लगा- मैं इससे तुम्हारी फुद्दी के अन्दर जाकर चूमना चाहता हूँ। मैंने पहली बार लंड छुआ था.. बेहद अजीब सा लग रहा था।
मैंने कहा- ठीक है.. मैं भी देखती हूँ कैसे करोगे।
इतना कहते ही उसने कहा- पहले चख कर तो देखूं.. कि तेरी फुद्दी को खाने में कितना मजा आएगा।
मैंने कहा- चख लो।
इतना कहने के बाद उसने झट से मेरी टांगें फैलाईं और मेरी फुद्दी पर अपना मुँह लगा कर चाटने लगा।
वो कभी मेरी फुद्दी चाटता तो कभी मेरी झांटें चाटता। साथ ही कहता जाता कि वाह यार तुम तो बहुत टेस्टी हो।
अब मेरा शरीर अकड़ने लगा और उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे बेहद अच्छा भी महसूस हो रहा था।
वो तो मेरी फुद्दी ऐसे चाट रहा था जैसे कोई आइसक्रीम हो। कोई दस मिनट फुद्दी चाटने के बाद वो मेरे ऊपर आ गया और उसने मेरी फुद्दी पर अपना लंड टिका कर कहा- क्या तुम इसे लेने के लिए तैयार हो?
मैंने पूछा- इसमें कोई दर्द तो नहीं होगा ना?
उसने कहा- नहीं होगा।
तो मैंने कहा- ठीक है फिर डालो।
वो मेरी झांटों पर अपना लंड रगड़ने लगा और जबरदस्त धक्के के साथ ही चर्र की आवाज के साथ मेरी फुद्दी फट गई।
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मेरी चीख निकल गई.. मैंने उससे कहा- उई माँ मर गई.. साले तूने बोला था.. दर्द नहीं होगा और तूने तो मेरी फुद्दी ही फाड़ दी.. देख कितना खून निकल रहा है।
उसने कहा- पहली बार जब सील टूटती है तो ऐसा होता है.. अब कभी नहीं होगा।
मैंने कहा- तू कभी नहीं होगा की बात कर रहा है.. मुझे अभी ही नहीं करना है.. बहुत दर्द हो रहा है.. जल्दी से निकाल बाहर।
लेकिन उसने अपना लंड नहीं निकाला। कुछ देर बाद उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया। अब मुझे भी मजा आने लगा तो मैं उसे और जोर से करने को बोलने लगी। मुझे वो चुदाई जन्नत की सैर लग रही थी।
उसने मेरी फुद्दी चोदने की रफ्तार तेज कर दी और कहने लगा- मुझे लगा तू पहले से चुदी होगी.. लेकिन तू तो पक्की शरीफ निकली। इन झांटों को मत काटना, वरना लोग तुझे रण्डी समझेंगे।
वो फुद्दी के लिए काफी भूखा लग रहा था.. और मुझे बेहद तेज-तेज झटके मार रहा था।
कुछ देर बाद हम दोनों बिस्तर से नीचे आकर खड़े हो गए और उसने मेरा हाथ ऊपर करके एक रॉड पर बॉध कर मेरी एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली। अब मेरी फुद्दी बिल्कुल सीधी खुली हुई थी। उसने एक ही झटके में अपना लंड मेरी फुद्दी में पेल दिया।
इस पोजिशन में मुझे चुदवाना बहुत अच्छा लगा क्योंकि इसमें उसका पूरा लंड मेरी फुद्दी में काफी अन्दर तक जा रहा था.. जिससे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैंने उससे कहा- तू मुझे रोज ऐसे प्यार किया कर.. मेरी फुद्दी अब तेरे लिए ही है।
करीब बीस मिनट तक मुझे धकापेल चोदने के बाद वो मेरी फुद्दी के अन्दर ही झड़ गया।
मैं उसके गर्मागर्म वीर्य को महसूस कर पा रही थी।
वो झड़ने के बाद मुझसे लिपट गया और मुझे चूमते हुए कहने लगा- तुम बहुत टेस्टी हो।
मैंने कहा- मुझे रोज ऐसे ही प्यार करना।
अब भी मेरा मन नहीं भरा था.. मैं कहने लगी- थोड़ी देर और करते तुम।
उसने कहा- कुछ देर आराम करने के बाद फिर से करते हैं।
मैंने खुद को साफ किया क्योंकि उसका माल मेरी जाँघों से रिस रहा था।
फिर मैंने अपनी वनपीस फ्रॉक पहनी और रजाई में घुस कर लेट गई।
कुछ देर मैं वैसे ही पड़ी रही.. तब तक वो भी रजाई में आ गया। उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था.. और फुंफकार मार रहा था।
वो मुझे अपना लंड पकड़ा कर बोलने लगा- देखो ये तुम्हारे अन्दर जाने के लिए कितना बेताब है.. लगता है इसको तुम्हारी फुद्दी बहुत पसंद आ गई।
मैंने कहा- मुझे भी तुम्हारा लंड बहुत पसंद आया.. कल से ये मुझे रोज अपनी फुद्दी में चाहिए।
इतना कहते ही उसने मेरी फ्रॉक को पेट तक ऊपर उठाया और मेर ऊपर चढ़ गया।
अब उसने एक और बार अपना लंड मेरी फुद्दी के मुँह पर रख कर एक झटके में लंड अन्दर पेल दिया। झटके के समय कुछ दर्द हुआ, पर अबकी बार फुद्दी खुल जाने के कारण मेरा दर्द बहुत कम हो चुका था।
अब मैं भी उससे बोलने लगी- तेजी से करो.. फाड़ दो मेरी फुद्दी.. अह.. जितना खाना है.. खाओ इसे।
इस बार उसने कई मिनट तक मेरी फुद्दी चोदी और दुबारा अन्दर ही झड़ गया।
वो अपना लंड निकालने लगा था तो मैंने कहा- अभी अन्दर ही पड़ा रहने दो।
हम दोनों काफी गर्म हो गए थे तो एक-दूसरे से ऐसे ही लिपट कर सो गए।
इसके बाद मैं 8 महीने उसके साथ रही और रोज हम लोग बेहद चुदाई करते थे।
बाद में तो मुझे उसके सामने बिल्कुल शर्म नहीं आती थी और हम लोग एक-दूसरे के सामने नंगे ही रहते थे।
मुझे उसके लंड की और उसे मेरी फुद्दी की लत लग चुकी थी। तब से मैं रोज रात होने का इंतजार करती थी ताकि सनी मुझे रोज चोदे।
उससे चुदाई के बाद मेरे चूचे काफी बड़े हो गए और तब से लेके आज तक मैं 28 लंडों से चुदाई का मजा ले चुकी हूँ।
अब मेरा एक ही सपना है कि किसी काले अफीकन हब्शी के मूसल टाइप के लंड से अपनी फुद्दी चुदवाई जाए। मैं चाहती हूँ कि मुझे कोई बहुत बेरहमी के साथ चोदे, ताकि मैं फुद्दी की भूख को शांत करवा सकूँ।
आपको मेरी फुद्दी की चुदाई की कहानी कैसी लगी.. मुझे लिखिएगा।
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