साक्षी संग रंगरेलियाँ-5
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left साक्षी संग रंगरेलियाँ-4
-
keyboard_arrow_right साक्षी संग रंगरेलियाँ-6
-
View all stories in series
अभी तक :
वेटर काफी लेकर आया। इसे पीते तक हम लोग यूँ ही सामान्य बातें करते रहे। काफी खत्म करके कप भिजवाने के बाद साक्षी खड़े होकर बोली- चल मंजू, नंगी हो जल्दी से।
मंजू अपने कपड़े उतारने लगी। मैं यूरिनल गया। वहीं अपना पैन्ट व अंड़रवियर उतारकर रखा। फिर लौड़े को धोकर आया। मुझे लगा कि मंजू पहली बार चुदवा रही हैं सो उसकी चूत में जाने वाला लौड़ा भले ही नया ना हो पर किसी के रज से सना हुआ भी नहीं होना चाहिए। मैं उसे अच्छे से साफ करने लगा।
अब आगे:
साक्षी संग रंगरेलियाँ मनाने का मेरा दौर अभी चल ही रहा है। साक्षी की सहेली मंजू, जिसे साक्षी अपने साथ ही चुदवाने के लिए लाई है, की चुदाई भी होनी है। साक्षी एक बार चुदा चुकी है, अब मंजू का नंबर है। बाथरूम में ही मैं अपने कपड़े उतार चुका था, बाहर नंगा ही आया, मंजू नंगी ही थी। जबकि साक्षी ने अभी अपने कपड़े नहीं उतारे थे। मंजू की यह पहली चुदाई थी तो साक्षी उसे ध्याने रखने योग्य जरूरी बातें बता रही थी।
दोनों को बात करते देखकर मैं बोला- क्या प्लानिंग चल रही है अकेले- अकेले डीयर, हमें नहीं बताओगी?
साक्षी बोली- इसे चुदवाना कैसे है, यही बता रही हूँ, आपको भी जानना है तो आ जाइए।
मैं बोला- नहीं, ये मेरे काम की बातें नहीं हैं, पर जल्दी करो, नहीं तो फिर जाने का टाइम हो गया है, बोलकर निकल लोगी।
वह बोली- हाँ जल्दी ही आ रहे हैं।
थोड़ी देर और उनमें बात हुई फिर साक्षी बोली- ओके आइए।
मैं पलंग पर इनके पास पहुँचा और साक्षी के वक्ष पर हाथ रखा, साक्षी बोली- मंजू तू वाशरूम से जल्दी आ। तब तक मैं हूँ यहाँ !
मंजू वाशरूम गई। तब तक साक्षी और मैं लिपटकर किसिंग करते रहे। तभी मंजू वाशरूम से बाहर निकलकर आई।
साक्षी ने उसे बुलाई और बोली- अब तू लग, मैं मूत कर आती हूँ।
मंजू मेरे पास आई, मैंने देखा कि वह अपनी चूत को धोकर आई थी।
मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वह भी मुझसे चिपक गई। उसके ऊपर व नीचे के होंठों को अलग- अलग चूसने के बाद मैं उसके मुँह में जीभ घुमाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने उसके होंठों को छोड़ा और उसके माथे, फिर आँखें, गाल व कान को चूमने के बाद छाती पर आया। मंजू के उभार छोटे, पर टाइट व मस्त थे, इसके एक स्तन को मैंने अपने मुँह में पूरा डाल लिया और भीतर जीभ से उसके निप्पल को सहलाने लगा।
मुझे देहरादून का यह सफर हमेशा याद रहेगा क्योंकि यहाँ ही मुझे अपने जीवन में सबसे बड़े बूब्स वाली साक्षी और सबसे छोटे बूब्स वाली मंजू मिली हैं। उसके बूब्स उत्तेजना के कारण और ज्यादा कड़े हो रहे थे, एक के बाद दूसरे बूब को मैंने मुँह में लेकर यूँ ही सहलाया।
साक्षी भी आ गई, उसने मंजू की कमर के पिछले भाग यानि गाण्ड के उभार सहलाना शुरू किया। मैंने देखा वह बहुत हल्के हाथ से सहला रही थी।
इधर चूचियों के बाद मैं नीचे बढ़ा। उसके पेट व नाभि पर चुम्बन करके मैं उसकी चूत पर आया। उसने बिस्तर पर सीधे लेटकर अपने दोनों पैर फैला दिए ताकि उसकी चूत को मेरी जीभ का पूरा आनन्द मिल सके। मैंने भी पहले उसकी फली फिर छिद्र में जीभ डालकर अच्छे से चाटा। साक्षी अब उसके वक्ष को चाट रही थी।
कुछ ही देर में मंजू के मुँह से निकला- अरे लंड क्या होता है? वह डालो ना इसमें ! कहते हैं उससे इससे भी ज्यादा मजा आता है?
साक्षी उसका बूब छोड़कर उठी और हंसते हुए बोली- हाँ, तेरी चूत में जस्सू का लंड बस अभी थोड़ी देर में ही जाएगा। पहले तेरी चूत को बढ़िया से बिना चुदे ही पनिया तो लेने दे।
वह बोली- पनिया गई, डलवा दे बस अब।
साक्षी बोली- चलिए जवाहरजी, लग जाइए अब काम पर !
मैंने साक्षी से कहा- हाँ मैं तो लग रहा हूँ। पर कमरे में जब हम दोनों नंगे हैं तो तुम अपने कपड़े क्यों पहने हो? उतारो इन्हें !
वह बोली- यार चुदेगी मेरी सहेली मंजू और चोदोगे मेरे यार तुम ! फिर कपड़े मैं क्यूँ उतारूँ?
मैं बोला- वो ठीक है पर तुम्हारे नंगी रहने से चूत या बूब को चाट तो सकेंगे हम दोनों।
वह बोली- असल में कपड़े उतारने पर मुझे भी उत्तेजना होती है। इसलिए अभी मुझे छोड़कर मंजू को ही चुदने दो ना। नहीं तो बीच में ही मैं तुम्हारा लौड़ा उसकी चूत से निकालकर अपनी चूत में ले लूँगी।
मैं बोला- क्या यार मंजू, जब इसकी चुदाई हुई तब तो तू नंगी थी, अब ये कपड़े क्यूं पहने हैं, बोल न इसे।
मंजू कुछ कहती, इससे पहले ही साक्षी बोली- ले भोसड़ी के, ले कुतिया ! दोनों देख लो साक्षी का भोसड़ा चुदते और चुदाते हुए !
यह बोलकर साक्षी अपने कपड़े उतारने लगी। अब मैं अपने लण्ड को मंजू की चूत पर रख कर रगड़ने लगा। मंजू की चूत से रज का स्त्राव अविरत हो रहा रहा था। साक्षी भी कपड़े उतारकर हमारे पास ही पहुँच गई थी। उसे देख मैंने कहा- डालूँ?
वह बोली- बस 1 मिनट !
यह बोलकर वह अपना बैग उठाकर लाई, मुझे लग रहा था कि इसकी चूत अब अंदर तक गीली है ही, फिर भी यदि लौड़ा डालने में दिक्कत हुई तो फिर वेसलिन है ही, वह लगा लूँगा।
फिर मुझे ध्यान आया कि इसने अभी तक चुदवाई नहीं है इसलिए चिकनाई तो लगानी ही पड़ेगी, मैं पलंग से उतरकर अपने बैग तक गया और वेसलिन का ट्यूब लेकर आया।
साक्षी ने बैग से एक चादर निकालकर रखी, मुझे देखकर वह बोली- कहाँ?
मैंने उसे वह ट्यूब दिखाते हुए कहा- यह लेने गया था।
साक्षी बोली- नहीं उसकी जरूरत नहीं है। मैं बोला- अबे बहनचोद, छप्पन लौड़ों को लेने के बाद भी तुझे चोदते समय मुझे ये लगानी पड़ी थी, तब ले पाई थी तू मेरा लौड़ा अंदर। इस बेचारी ने तो अभी तक किसी का लौड़ा नहीं लिया है, फिर इसे कैसे इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
साक्षी बोली- रे भोसड़ी के, कर दी ना तूने जनरल लोगों सी बात। याद रख गांडू, तू हमारे मेडीकल कैंपस में है, और जो तुझसे चुदवाने को फड़फड़ा रही हैं वो कल की डाक्टर है। इसलिए अपनी इस क्रीम को अपनी गांड में लगा ले ताकि मेरा लौड़ा उसमें घुसे, पर अपने लौड़े व उसकी चूत में इसे लगा !
यह बोलकर उसने लाल रंग की ट्यूब मेरी ओर फेंकी। इसका नाम कोन्टम था, इस ट्यूब में सिर्फ मेडीकल यूज के लिए लिखा हुआ था। मैं बोला- क्या है यह। मुझे बताओ तभी लगाऊँगा, नहीं तो पता चला कि चुदाई करते हुए मेरा लौड़ा ही इसकी चूत में छूट गया है और मुझे बिना लण्ड के ही लौटना पड़ा है।
साक्षी हंसने लगी और बोली- इस क्रीम का यूज सोनोग्राफी करते समय किया जाता है। किसी सोनोग्राफर के पास जाएँगे तब आपको पता चलेगा कि कई बार किसी महिला का गर्भ चेक करने के लिए उनके पास की राऊँड स्टिक को महिला के चूत के भीतर डालकर वह अंदर की फिल्म लेता है, जिससे यह पता चलता है कि गर्भ में क्या चल रहा है। तो वह उस स्टिक में इस क्रीम को लगाकर ही चूत में डालता है ताकि स्टिक आराम से पेशेंट की चूत में चले जाए। उस स्टिक को मैंने देखा है, आपके लण्ड से तो मोटी रहती है।
मैं बोला- ओके, पर यह मुझ पर कोई रिएक्शन तो नहीं करेगी ना?
वह हंसते हुए बोली- हम हैं ना यार यहाँ। तुम्हारे लण्ड को मैं एक दो नहीं अपनी कई सहेलियों से मिलवाऊँगी। इसलिए चिंता मत करो, जल्दी से लगा लो। अपनी लैब से मारकर लाई हूँ इस बहन की लौड़ी फ्यूचर की डाक्टर मंजू के लिए।
मैं उस क्रीम को निकाल कर अपने लौड़े फिर मंजू की चूत में अच्छे से लगाया। अब साक्षी ने अपने साथ लाई हुई चादर मंजू की गाण्ड के नीचे वाले हिस्से में बिछा दी। मैं समझ गया कि सील टूटने पर यदि मंजू की चूत से खून आया तो इससे होटल की चादर पर दाग नहीं आएगा।
मैं साक्षी के मैंनेजमेंट का कायल हो गया, मैं मंजू से बोला- तुम्हारी चुदाई का बहुत ध्यान रख रही है साक्षी !
वह बोली- इसीलिए तो हम लोगों ने कालेज में इसे अपनी सीआर बनाया है।
वह बोली- चलिए, अब चुदाई पर ध्यान लगाइए, नहीं तो फिर होस्टल का टाइम हो जाएगा।
मैं बोला- ओके !
क्रीम का असर देखने के लिए मैंने मंजू की चूत में उंगली घुसाई तो आभास हुआ कि क्रीम बहुत अच्छी है। इसके कारण उंगली ऐसे जा रही थी मानो पके केले में सुई जा रही हो। अब मैं उंगली निकालकर वहाँ थोड़ी क्रीम और लगाई और लौड़े को उसकी चूत में पूरा रगड़ने के बाद छेद में रखा।
साक्षी मंजू की छाती पर झुककर उसके स्तन को चूसने लगी। मैंने तय किया कि लौडे का सुपाड़ा ही अंदर करता हूँ, नहीं तो दर्द के कारण यह चिल्लाने लगेगी, तो गड़बड़ हो जाएगी। यह सोचकर मैं उस पर थोड़ा सा झुका, मंजू के चेहरे में दर्द की लकीर सी आई। उसने अपने दांतो को भींच रखा था ताकि दर्द की वजह से चीख मुँह से न निकल जाए। अब साक्षी उसकी चूत की ओर गई, और बोली- आधा लौड़ा बाहर है, डाल दो पूरा !
यह सुनकर मैं उस पर पूरा झुका और कमर को हिलाकर पूरा लौड़ा घुसेड़ दिया। मंजू थोड़ा सी चिँहुक उठी बस। साक्षी हम दोनों के बीच झांककर देख कर बोली- हाँ पूरा गया। अब शॉट मारिए।
मैं लौड़े को आगे पीछे कर मंजू के चेहरे को देख रहा था कि कहीं उसे दर्द तो नहीं हो रहा हैं। पर उसके चेहरे पर उत्तेजना की चमक दौड़ रही थी। यह देखकर मैंने अब खुलकर चुदाई करना शुरु कर दिया। मैं बमुश्किल 4-5 शॉट ही मार पाया था कि नीचे से वह भी उछाल मारने लगी। इससे मेरा उत्साह बढ़ा, अब मैंने मंजू को अपनी बाहों में समेट कर खुद से चिपकाया और लौड़े को उसकी चूत में अंदर बाहर करने की गति को बढ़ा दिया। वह भी उछलकर चुदाई में मुझे सहयोग देने लगी।
साक्षी मंजू के बाजू में थी, वह मंजू की ओर करवट किए थी, तथा अपने सिर को हाथ के सहारे ऊपर उठाए थी।
यानि चुदाई में मंजू और मेरे चेहरे का इंप्रेशन वह आराम से देख सकती थी। हम लोग की चुदाई अभी चल ही रही थी, तभी मेरा माल निकलने का समय आ गया। अब मैंने साक्षी को ओर देखा और पूछा- कहाँ निकालूँ बाहर या अंदर?
वह बोली- अंदर ही छोड़ दो।
मैंने मंजू से पूछा- रूक रही हो क्या?
वह बोली- नहीं…ये…मेरा…गया…
और उधर मंजू, इधर मैं ठण्डे पड़ गए। थोड़ी देर हम यूँ ही पस्त से पड़े रहे, फिर साक्षी मंजू को हिलाकर बोली- हो गया ना तेरा काम? अब तक मैं मंजू से हटकर बिस्तर पर आ चुका था। मंजू ने सहमति में अपना सिर हिलाया।
साक्षी बोली- तो मुझे थैंक्स नहीं बोलेगी?
मंजू अपना सिर हिलाकर नहीं बोली। उसका नकारात्मक जवाब सुन साक्षी बोली- अरे थैंक्स भी नहीं देगी। बहुत मादरचोद है तू। पहली बार मेरे सामने चुदी है और थैंक्स भी नहीं?
मंजू उठी और हाथ से उसे सीधा करते हुए बोली- अब थैंक्स नहीं कहूंगी। बल्कि जब तू बोलेगी चूत चाटकर तेरी आग को ठण्डी करूँगी। यह बोलकर वह उससे लिपट गई।
साक्षी बोली- अब रूलाएगी क्या पगली !
उसके बोलने के स्टाइल से हम दोनों को हंसी आ गई और वहाँ खिलखिलाहट गूंज उठी।
साक्षी बोली- मंजू तेरा सब काम ठीक हुआ ना? मजा आया ना?
मंजू बोली- मजा आया, इतना मजा आया कि यह अंदर था तब तक ठीक लगा, अब चूत दुख रही है।
साक्षी बोली- यहाँ आ, चलकर दिखा तो?
मंजू बैड़ से उतरकर चलने से पहले थोड़ा सा लड़खड़ाई, फिर दोनों पैर अलग कर हल्के से चलने लगी। वह लंगड़ा कर चल रही थी। साक्षी बोली- ठीक है, अब तू दोनों घुटने मोड़कर बैठ जा।
मंजू को ऐसे बैठने में दिक्कत हो रही थी, पर थोड़े से प्रयास से वह बैठ गई।
साक्षी बोली- जवाहरजी मुझे आपने नंगी कराया था ना, अब चलिए मुझे चोदिए।
मैं बोला- क्या यार, मुझे लग रहा है कि परायों के बीच हूँ, अपनों के नहीं।
साक्षी बोली- क्यों, ऐसा क्या कर दिया हमने?
मैं बोला- तुमने अपनी सहेली से तो पूछ लिया कि ठीक हैं कि नहीं। पर मुझसे नहीं पूछा कि आप कैसे हैं।
कहानी जारी रहेगी, यह भाग कैसा लगा, कृपया बताएँ !
What did you think of this story??
Comments