जानम की मचलती जवानी

दोस्तो, मैं मानश फिर हाजिर हूँ नई कहानी के साथ। मैं सेक्स का बहत शौक़ीन हूँ। मेरे लण्ड आकार 6 इंच, 2 इंच मोटा है जो हर लड़की को अच्छी तरह से संतुष्ट कर देता है।

यह कहानी आज़ से 10 साल पहले की है। जब मैं एक साल मुम्बई रह कर वापस अपने शहर लौटा था।
मेरी एक आंटी की सेक्सी लड़की जानम को देख कर मुझे कुछ कुछ होने लगता था। उनके परिवार का मेरे परिवार से काफी घरेलू सम्बन्ध थे। लगातार दो साल फ़ेल होने के बाद अब 12वीं में पढ़ने वाली जानम एकदम गोरा रंग, कसम से क्या लगती थी।32-24-36 का फिगर उसके उरोज इतने कसे हुए थे जिनको देखकर हर कोई पागल हो जाए।

जानम का शरीर उसकी उम्र के हिसाब से काफी ज्यादा विकसित था। मैं उसके गोल गोल स्तनों और चूतड़ों को देख कर फ़िदा था।
मैं जब भी उससे मिलता अक्सर अश्लील शायरी लिख कर देता था, वो हर बार पढ़ कर हंस देती।

एक दिन उसने मुझे सहेली को देने के नाम से पोर्न फिल्म मांगी थी तो मैंने उसे कुवारी चूतों की चुदाई की दस पोर्न मूवी की सीडी दे दी थी उसने और उसकी 5 सहेलियों ने एक सहेली के फार्म पर वो देखी थी।मैंने सीडी वापस लेते समय पूछा- मजा आय़ा? हम कब करेंगे?
वो थेंक्स बोल कर फिर हंस दी।

वो भी यह बात समझ चुकी थी, मैं उसे चोदने की फ़िराक में हूँ। वो इसीलिए मेरे साथ कहीं जाने को तैयार नहीं थी। इसलिए मुझे भी किसी ऐसे मौके की तलाश थी जब मैं उसे उसी के घर में चोद सकूँ।

और एक दिन मुझे मौका मिल गया।
मेरी माँ एक दिन ने कहा कि शिमाला आंटी का परिवार कुल देवता पूजने आठ दिन के लिए हिमाचल जा रहा है।
लेकिन जानम और उसके छोटे भाई अर्नव की परीक्षा है इसलिए वो अपनी दादी के साथ यही रुकेंगे।
तुम रात को उन के घर जाकर सो जाना।

मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और उसके घर पर ठीक दस बजे पहुँच गया।
जानम ने जींस और टॉप पहन रखा था। हम सोफ़े पर बैठे थे, मैंने पूछा- दादी सो गई क्या?
उसने कहा- हाँ, दादी और अर्नव दोनों साथ में सो रहे हैं। अब सुबह सात बजे दूध वाले की आवाज से ही उठेंगे।

हमने बहुत देर तक इधर उधर की बातें की फ़िर सेक्सी बातें करते हुए मैं उसके करीब आ गया।
बातें करते करते मैने अपना हाथ जानम की जाँघ पर रख दिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया, अब मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा उठाया और उसके गालों पर चूम लिया।
उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं। अब मैंने उसके होंठों पर चूमा, उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे धीरे उसके साथ मस्ती करने लगा।
तभी वो मेरे गले से लग गई।

जैसे ही मैंने उसे पकड़ा, जानम अपने आपको छुड़ाने लगी लेकिन मैंने उसे कस कर पकड़ लिया क्योंकि मैं यह मौका नहीं खोना चाहता था।
मैं उसके गले पर चूमने लगा। अब जानम भी मुझ से चिपक गई। फ़िर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और एक हाथ से उसके चूचे दबाने लगा।

वो कहने लगी- डार्लिंग ! कुछ हो गया तो?
मैंने कहा- तुम डरो मत ! मैं कन्डोम का दस का पैकेट साथ लाया हूँ, कुछ नहीं होगा।
फ़िर मैंने उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने अपने कपड़े उतार दिए। वो चुदने के नाम काफ़ी डरी हुई थी।

मैंने उसे प्यार से चूमा और उसके ऊपर आ कर उसके गले और होंठों पर चूमने लगा। क्या गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ थे।
मैं धीरे धीरे अपने हाथ उसके शरीर पर चलाने लगा। उसकी साँसें तेज होने लगी। मैंने उसके उरोजों पर हाथ रखा और उनको दबाने लगा उसके मुँह से सी… सी… की अवाजें निकलने लगी। अब उसे भी मज़ा आने लगा था।

वो भी गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी स्कर्ट और टॉप दोनों उतार दिए। अब वो सिर्फ़ लाल रंग की ब्रा और पैन्टी में थी। उसको इस तरह से देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। उफ़ ! क्या गजब का बदन था उसका ! दूध की तरह सफ़ेद बदन और उसके ऊपर लाल रंग की ब्रा और पैन्टी ! जानम बिल्कुल अप्सरा की तरह लग रही थी।

उसका दूध जैसा गोरा और चिकना बदन देख कर मेरा लण्ड और सख्त हो गया। क्या गज़ब का फ़िगर था 36-28-34, मैंने उसकी ब्रा से उसके बूब्स को आजाद कर दिया, अब मैंने उसकी पैन्टी को भी उतार दिया।
क्या चूत थी उसकी ! एकदम गुलाबी ! एक भी बाल नहीं था ! उसकी चूत की दोनों फांकें फड़क रही थी।

अब हम दोनों नंगे थे।
मैंने पागलों की तरह उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। उसने अपनी दोनों टाँगों को उठा कर मेरे कन्धों पर रख दिया और मेरा सर अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा दिया।

मैं पागलों की तरह उसके बूब्स चूस रहा था और वो सिसकारियाँ भर रही थी।
फिर मैंने उसकी चूत में उंगली की, चूत पहले से बहुत गीली हो चुकी थी। मैंने नीचे आकर उसकी चूत को चूमा, वो तड़प उठी, मैंने उसकी चूत का दाना अपने मुंह में ले लिया।

मैंने अपना 6 इन्च लम्बा और 2 इन्च मोटा लंड उसके हाथ में दे दिया। उसने मेरे लंड को देखा और कहा- इतना मोटा लंड मेरी चूत के अन्दर कैसे घुसेगा?
मैंने कहा- जानेमन घुसेगा तो बाद में, पहले इसका स्वाद तो लो !
मैंने भी अपना लण्ड उसके मुंह के पास कर दिया।

थोड़ी बहुत ना नुकुर के बाद आखिर उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी। उसने मेरे लंड की चमड़ी को अलग किया और मेरे लंड के सुपाड़े को चूसने लगी। उसके इस तरह से लंड चूसने से मैं पागल हो गया।

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अब हम 69 की अवस्था में थे, मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट रहा था और वो मेरा लण्ड चूस और उत्तेजित हो गई उसके इस तरह चूसने से मेरे लंड वीर्य उगलने ही वाला था कि उसने लंड बाहर निकाल कर सारा वीर्य बाहर गिरा दिया।

20 मिनट तक हम फिर फोरप्ले में जुटे रहे, उसके लगातार सहलाने से मेरा लंड फिर खड़ा हो गया था।
वो बोली- प्लीज़ डार्लिंग ! अब नहीं रहा जाता ! कुछ करो !
मैंने उसके नीचे एक तकिया लगाया और लंड पर क्लाईमेक्स स्प्रे किया इससे मेरा लण्ड और सख्त हो गया।

अब में कंडोम लगा कर लण्ड उसकी कुंवारी चूत पर रगड़ने लगा वो सिहर उठी और खुद ही मेरा लंड पकड़ कर अन्दर करने की कोशिश करने लगी।
मैंने उसकी दोनों टाँगों को चौड़ा कर अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर लगा कर धक्का दिया।
उसके मुँह से आह निकल गई। उसकी चूत बहुत टाईट थी जिसकी वजह से मेरा लंड अन्दर नहीं जा पाया था।

मैंने उसकी पानी छोड़ कर चिकनी हो चुकी चूत के मुख पर दोबारा लण्ड रख कर जैसे ही अन्दर किया, वो चिल्लाई लेकिन मैंने उसके होंठ अपने होंठों में दबा लिए।
फिर मैंने एक और झटका दिया, अबकी बार मेरा लण्ड उसकी हायमन फाड़ता हुआ पूरा अन्दर समा गया और उसकी आँखों में आँसू आ गए।

अब मैंने अपने लंड और उसकी चूत को साफ़ किया और उसको उठा कर बैड पर चित लिटा दिया।
मैंने कहा- थोड़ा तो दर्द होगा ही ! अब मैंने दो बारा लण्ड उसकी चूत के मुख पर रख कर जेसे ही अन्दर किया जानम ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी।
मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा, फिर धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु किये।

उसका भी दर्द अब थोड़ा कम हो गया था, अब वो भी चुदाई में साथ देने लगी। मेरे भी धक्के तेज होने लगे थे। पूरे कमरे में बस सी… सी… आह… आह… की आवाजें सुनाई दे रही थी।
अब मैंने जानम को अपने ऊपर लिया और उसकी चूत में अपने लंड को डाल दिया। अब वो मुझे चोद रही थी।

मैं भी उसके चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे से धक्के लगा रहा था। करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा, मुझे पता चल गया कि अब वो झड़ने वाली है।

मैं झटके से उसके ऊपर आ गया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। उसने मेरे सारे बदन को जकड़ लिया।
अब मैंने और ज़ोर से धक्के लगाने शुरु कर दिये। करीब दस मिनट तक मैं उसको चोदता रहा अब मैं भी झड़ने के करीब आ रहा था। मैंने उसके दोनों ऊरोज़ों को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्के लगाते हुए झड़ गया।

जानम बोली- क्या पूरी रात तुम मुझे ऐसे ही चोदोगे? मैं थक गई हूँ…
मैं बोला- जानेमन अभी चुदाइ पूरी कहाँ हुई है, अभी तो पूरी रात पड़ी है।
वो बोली- नहीं, अब कल करना मुझे नींद आ रही है।

मैंने कहा- नहीं, अभी तो तुम्हारी गांड भी मारनी है। तुम्हारे चूतड़ों ने तो मुझे पागल कर दिया है। जब तक तुम्हारी गांड नहीं मारूंगा रात का मज़ा ही कहाँ पूरा होगा।
उसने कहा- नहीं, अब जो होगा कल ही होगा…
वो मुझसे चिपक गई।

रात के एक बज गए थे। तीन घंटे कब बीत गए पता ही नहीं चला। सुबह 5 बजे का अलार्म लगा कर हम सो गए।
पाँच बजे में उठ आकर दादी के बगल वाले कमरे में जाकर सो गया।
दादी ने अर्नव को भेज कर सात बजे मुझे उठवाया।

शेष कहानी फ़िर कभी…
कहानी अच्छी लगी या बुरी, प्लीज मुझे अपनी प्रतिक्रिया जरूर मेल कीजिये!
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