जवान लड़की के पहले चुम्बन का अहसास-2

(Jawan Ladki Ke Pahle Chumban Ka Ahsas- Part 2)

नीतू पाटिल 2019-03-27 Comments

This story is part of a series:

मेरी कमसिन जवानी की कहानी में अभी तक आपने पढ़ा कि मेरे अंग्रेजी वाले टयूटर अंकल ने मुझे अपने जाल में फंसा लिया था और मुझे भी उनके इस जाल में फंसने में मजा आ रहा था.

अब आगे:

दूसरे दिन अंकल सुबह नौ बजे घर पर आए, उन्होंने बताया कि उनके कॉलेज में एक्स्ट्रा लेक्चर्स है, इसलिए वह लंच पर नहीं आएंगे. जाते वक्त वह मुझे दो बजे अपने रूम में आने को बोले.

दिन भर मेरा किसी काम में मन नहीं लगा. खुद पर कंट्रोल नहीं हो रहा था, तो मैं पंद्रह मिनट पहले ही उनके रूम के पास गई और दरवाजा खटखटाया.
अंकल ने दरवाजा खोला, उनके गाल पर शेविंग क्रीम का फोम लगा हुआ था- बैठो नीतू, तब तक मैं शेविंग कर लेता हूँ.
मैं अन्दर आ कर बेड पर बैठ गई, अंकल ने मुझे टेबल पर रखी दो चॉकलेट खाने को बोला.

मैं चॉकलेट का कवर खोलते हुए बोली- अंकल आप नहीं खाते चॉकलेट?
अंकल ने जवाब दिया- मैं शेविंग कर रहा हूँ ना, शेविंग के बाद खा लूंगा.

मैं टेबल पर पड़ी मैगज़ीन पढ़ने लगी, थोड़ी देर बाद अंकल मेरे पास आ गए, उनसे आफ्टर शेव लोशन की सुगंध आ रही थी.

अंकल थोड़ा टेंशन में आकर बोले- नीतू, कल जो कुछ हमने किया यह तुमने किसी को बताया तो नहीं ना?
मैं शर्माते हुए बोली- मैं कैसे बता सकती हूं? ये भी क्या बताने वाली बात है?
“आज का अभ्यास करने से पहले हम कल के अभ्यास का रिवीजन कर लेते हैं.”

उनके हमारे खेल को अभ्यास बोलना मुझे बड़ा मजाकिया लगा, आज अंकल कल की तरह डर नहीं रहे थे और बहुत ही कॉन्फिडेंस में बात कर रहे थे. मुझे बांहों में पकड़कर उन्होंने मेरे चेहरे पर किस की बारिश शुरू कर दी. पर मेरे नाजुक पिंक होंठों पर उनकी खास नजर थी. मेरे होंठ उनकी चुसाई से अब दुखने लगे थे.

“अंकल, बस अब … मेरे होंठ दुखने लगे है.” मैंने खुद ही उनको बताया, तो अंकल ने मुझे अपने से अलग कर दिया.
अंकल बोले- अरे हां, नहीं तो आज का पीरियड रिवीजन में ही खत्म हो जाएगा … नीतू तुम बेड पर लेट जाओ, हमें अब आगे बढ़ना होगा.

अब मेरे चेहरे पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया था.

“कल मैंने तुम्हारी गर्दन तक किस ली … आज गर्दन से पेट तक के हिस्से की किस लेनी है.”
“गर्दन से पेट तक?” मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था.
अंकल बोले- हां, गर्दन से लेकर पेट तक हर एक अंग पर किस लेना है.
उनके मुँह से ‘हर एक अंग..’ सुनकर मैं रोमांचित हो गयी.

अंकल ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे बेड पर लिटाया- नीतू … तुम्हारा बदन गर्म लग रहा है, तुम्हारी तबियत ठीक है ना?
अब अंकल को कैसे बताऊं कि मेरे बदन की गर्मी उन्हीं की वजह से बढ़ी है. मैं ठीक से लेट गयी और स्कर्ट को ठीक किया. मैंने अपनी जांघें एक दूसरे पर रख कर टाइट पकड़ी हुई थी. अंकल ने भी इस बात को नोटिस किया.

“नीतू … अपने शरीर को ढीला छोड़ दो, रिलैक्स करो और एन्जॉय भी करो. इधर तुम्हें खाने के लिए कोई शेर नहीं आने वाला है.”

उनके कहने पर मैंने अपने मसल्स और पैर ढीले छोड़ दिए. अब अंकल बेड पर चढ़कर मेरे नजदीक बैठ गये- नीतू … अब मुझे तुम्हारी शर्ट को खोलना पड़ेगा.
वो कुछ ऐसा बोलेंगे, इसी की मैं अपेक्षा कर रही थी.
“पर क्यों अंकल?” मैं नासमझ बन कर बोली.
“नहीं तो मैं किस कैसे लूंगा, तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है ना?”
मैंने ना में सिर हिलाया.

“गुड..” बोलते हुए अंकल मेरी शर्ट के बटन खोलने लगे. कल उन्होंने मेरे स्तन को छुआ था, तो अंकल बोले थे कि गलती से हुआ. पर आज शर्ट के बटन खोलते वक्त वह खुल कर मेरे उभारों को छू रहे थे.

अभी अभी किये हुए किस और अभी स्तनों को हो रहे अंकल के स्पर्श से मैं गर्म होने लगी थी. सब बटन खोलने के बाद उन्होंने शर्ट के आगे की साइड को मेरी छाती से अलग किया.
मेरे ब्रा में कैद स्तन, उनके बीच की घाटी, मेरा सपाट पेट और उसके बीच की नाजुक नाभि को देख अंकल पागल हो गए थे- ओहहह ब्यूटीफुल … नीतू क्या नजारा है … वाह!
मेरी कामुक तारीफ सुनकर मुझे बहुत शर्म महसूस हो रही थी, मेरी आंखें अपने आप बंद हो गई थीं.

“अंकल … मैं क्या इतनी सुंदर हूँ?” मैं आंखें आधी खोलते हुए बोली.
“तुम्हें क्या पता कि तुम कितनी सुंदर हो, कभी खुद को आईने में देखो, आईने को भी तुम्हें निहारने का सौभाग्य दो.”

अंकल की बातों से मैं पिघलने लगी थी.

“शर्ट निकाल रही हो ना?” उनके कहने पर मैं होश में आई.
“अंकल पूरा मत उतारो ना, मुझे शर्म आती है.”
“पूरा मतलब..?” अंकल को तो सब पता था, फिर भी अनजान बनने का नाटक कर रहे थे, शायद उनको मेरे ही मुँह से सब बुलवाने में मजा आ रहा था.
“ब्रा … मत निकालो न…” मैं शर्माते हुए बोली.
“ठीक है मैं ऊपर से ही मैनेज कर लूंगा. अब शर्ट तो उतारो.”

मैं लेटे लेटे ही शर्ट उतारने लगी, शर्ट उतारने के लिए हाथ ऊपर करते ही मेरे स्तन ऊपर तन गए, तब अंकल ने लपक कर उनको अपने हाथों में पकड़ लिया.

“आहहहह … अंकल, शर्ट तो उतारने दो ना, कुछ तो सब्र करो.”
“नीतू … तुम्हारे जैसी सुंदर लड़की इस अवस्था में हो, तो ऋषिमुनि भी सब्र खो दें.”
“अंकल … मत सताओ न … कुछ कुछ होता है.”
“नीतू शर्ट उतार दिया ना … अब अपने हाथ अपने सिर के नीचे रखो.”

अंकल बड़े ही बदमाश निकले, शायद उनको मेरे तने हुए स्तन बहुत अच्छे लग रहे थे.
“मुझे तुम्हारी कांख को किस करना है, कोई भी पार्ट छूटना नहीं चाहिए.”

अच्छा तो अंकल का ये प्लान था. मेरे कांख वाली त्वचा, एकदम कोमल है, वहां पर हाथ लगते ही मुझे गुदगुदी होने लगती थी. वहां पर अंकल किस करने वाले थे और मुझे कौन कौन से प्रकार से तंग करने वाले थे, क्या पता. वैसे मुझे भी यही सब चाहिए था, खाली अंकल को क्यों दोष देना.

अंकल के कहने पर मैंने अपने हाथ मेरे सिर के पीछे रखे, तो मेरी कांख उनके सामने आ गयी. अंकल ने मुँह से हल्की सी सीटी बजायी- नीतू … तुम्हारी कांख में हल्के हल्के बाल हैं … हाऊ स्वीट.
अंकल बड़े शैतान हैं, मेरी प्राइवेट बातें खुलकर मुझे ही बता रहे थे. उन्होंने अपना मुँह मेरी एक कांख पर रख दिया और दूसरी पर अपना हाथ घुमाने लगे. मैंने उत्तेजना में अपनी जांघों को भींच लिया.

“नीतू … आहहहह … क्या मस्त खुशबू आ रही है, कौन सा परफ्यूम लगाती हो?”
मैं बोली- कुछ खास नहीं, पर नहाने के बाद डीओ लगती हूँ.
मेरी आंखें अभी भी बंद थीं.
“अच्छा तो ये तुम्हारी और डीओ की मिली-जुली खुशबू है, बहुत ही मादक है ”

अंकल ने मेरी दोनों कांखों पर किस किया और दोनों जगह पर जीभ भी घुमाई. उनके जीभ के स्पर्श से अलग ही सरसराहट पैदा हुई, उन्होंने मेरी नाजुक त्वचा पर हल्के से काटना भी शुरू कर दिया. मेरा दिमाग उन्हें रोकने को कह रहा था, पर मेरा शरीर दिमाग की बात नहीं सुन रहा था. मैं बड़ी मुश्किल से अपनी उत्तेजना को काबू करने की कोशिश कर रही थी, पर मेरी चुत?? उसको तो आज बहुत ही जोश चढ़ा था, पूरी गीली होकर मुझे और उकसा रही थी.

“नीतू … तुम्हें कब से यहां पर बाल आने शुरू हुए?”
अंकल के इस सवाल पर मैं बहुत शर्मा गयी- मैं नहीं बताऊंगी, अंकल … तंग मत करो … आप अपनी रिसर्च छोड़ कर यह क्या सवाल पूछ रहे हो?
“ओह सॉरी, इतना सुंदर दृश्य देख कर खुद पर कंट्रोल नहीं रहा, अब नहीं पूछूँगा.”
अंकल थोड़ा शर्मिंदा हुए.

अंकल ने ब्रा के कप पर अपना मुँह रखा, मेरे स्तनों पर उनके मुँह का दबाव महसूस हुआ. अंकल अब क्या करेंगे उसकी मैं अधीरता से राह देख रही थी. अंकल ने अपने दोनों हाथ मेरे पीठ के पीछे ले गए और चतुराई से मेरी ब्रा का हुक को खोल दिया. मैंने अपने हाथ मेरे सिर के पीछे रखे थे, इसलिए मेरे स्तन तने हुए थे, उस पर कस कर बैठी मेरी ब्रा अब खुल गई थी.

“अंकल … बेईमानी नहीं, आप ने वादा किया था कि ब्रा नहीं निकालेंगे.”
“नीतू निकाल नहीं रहा हूँ. सिर्फ थोड़ी ऊपर सरकाऊँगा … नहीं तो तुम्हारे आमों की चुम्मी कैसे ले पाऊंगा?”

अंकल ने मुझे निरुत्तर कर दिया और ऊपर से उन्होंने मेरे स्तनों को आम कहा था. मेरे विरोध की परवाह न करते हुए उन्होंने ब्रा को मेरे स्तनों से हटाकर मेरे उभारों को नंगा कर दिया था, शर्माकर मैंने अपनी आंखें बंद कर दीं.

कुछ पल कमरे में पूरा सन्नाटा था, थोड़ी देर बाद मैंने अपनी आंखें थोड़ी खोलीं, तो अंकल मेरे उभारों को बिना पलक झपकाए लगातार देखे जा रहे थे- सुंदर, अति सुंदर … नीतू सच में मैं बहुत भाग्यशाली हूँ, जो मुझे तुम्हारा यह हुस्न देखने को मिला है.
उन्होंने हल्के से मेरे वक्ष को छुआ, मेरे पूरे शरीर में सनसनी दौड़ गई. किसी बिजली की तार को गलती से छुआ हो, ऐसा आभास हुआ.

“अंकल … नहीं, मत करो..”
पर मुझे नहीं लगता कि अंकल के कानों में मेरी बातें गयी होंगी. अंकल ने मेरे दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों से सहलाना शुरू कर दिया था.

“नीतू तुमने पूछा था ना मैं चॉकलेट खाता हूं कि नहीं, अब देखो मैं ये दो चॉकलेट खाने वाला हूँ. अंकल ने मेरी दोनों चॉकलेटी रंग के निप्पल्स को अपने उंगलियों में पकड़ कर हल्के से दबाया. अंकल की कामुक बातों से मेरी चुत में खुजली होने लगी थी. चुत से पानी बहना शुरू हो गया. तो मैंने अपनी जांघें और कस कर भींच लीं.

अंकल का स्पर्श सह पाना मेरे लिए मुश्किल होने लगा था. मैंने अपने हाथों को अपने सिर के नीचे से हटाया और उनके हाथों को स्तनों से दूर धकेलने की कोशिश करने लगी. पर उनके अन्दर का जानवर जाग गया था, वो मेरे से हिल भी नहीं रहे थे. किसी भूखे शेर की तरह वो मुझ पर झपट पड़े, मेरी छाती पर किस करने लगे, मेरे निप्पल्स को चूसने लगे. मेरे एक स्तन को मुँह में लेकर चूसते, तो दूसरा स्तन हाथ में पकड़कर गेंद की तरह दबाते.

जैसा तय किया था, उस तरह से किस करने के बजाए अपने आप पर से आपा खोने लगे थे. वह सब भले ही मुझे अच्छा लग रहा था, पर उन्हें रोकना जरूरी था- अंकल … रुको, ऐसा मत करो.
मैं थोड़ा ऊंची आवाज में बोली.
अंकल अब होश में आ गए थे- ठीक है, रुक जाता हूं. तुम कहती हो तो नहीं खाता चॉकलेट … पर थोड़ा रिसर्च अब भी बचा है, उसको तो पूरा करने दो.
अंकल की मस्ती अभी भी कम नहीं हो रही थी.

“अब क्या बचा है?”
“तुम देखो तो सही..”
मेरे हां बोलने से पहले ही अंकल ने अपना मुँह मेरे पेट पर रखा, उनकी मूंछें मेरे पेट पर गुदगुदी करने लगी थी; तो मैं हिलने लगी.

“नीतू थोड़ी देर ठीक से लेटो, ज्यादा हिलो मत.”

उनका पूरा ध्यान अब मेरी नाभि पर था, नाभि पर एक किस करने के बाद उसके इर्द गिर्द हल्के से काटने लगे. अंकल मुझे सताने के लिए नई नई ट्रिक ढूंढ निकाल रहे थे. उन्होंने अपनी जीभ मेरी नाभि में घुसा दी.
मुझसे उनका टॉर्चर सहन नहीं हो रहा था, मैं उनसे कसमसाते हुए बोली- बस अंकल, रुको अब..मुझे घर जाना है.

“बस और दो मिनट … प्रॉमिस..” ये कहकर उन्होंने फिर से अपनी जीभ मेरी नाभि में घुसाई और अपना दायां हाथ मेरी त्रिकोणीय घाटी पर रख दिया. उनकी इस हरकत से मैं चकित हो गई, अब अंकल धीरे धीरे मेरी चुत सहलाने लगे.

मैं झटके से उठकर बैठ गई, अंकल के हाथ पर एक चपत लगाकर उनको बोली- अंकल बस हो गया … अब मैं जा रही हूँ.
“ओके नीतू बेटा, जैसी तुम्हारी मर्जी मैं तुम्हें रोकूंगा नहीं. पर कल आ रही हो ना? कल आखिरी पार्ट बचा है.

मैं थोड़ी देर सोचने लगी, पल भर मुझे ऐसा लगा कि ना बोल दूँ, पर आखिरी पार्ट क्या होगा, मुझे इसी बात का कौतूहल था, मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अंकल से पूछ लिया- आखिरी पार्ट मतलब क्या?
“कल हम नाभि के नीचे किस कर कर देखेंगे, तुम तैयार हो ना?”
“ठीक है अंकल, कल आती हूँ.”

मेरा जवाब सुनकर वह बहुत खुश हुए, कल की तरह उन्होंने मुझे एक बड़ी सी कैडबरी दी- नीतू एक बात पूछूँ, तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?
अंकल की बातों से ही मुझे लगा कि कुछ नॉटी सवाल पूछेंगे. मैंने भी हां में सिर हिलाया.
“नीतू तुम्हारी जांघों के बीच में हाथ रखा था, तब मुझे महसूस हुआ था, इसलिए पूछ रहा हूँ, तुम्हारी पैंटी गीली हो गई है क्या?”

अंकल की बेशर्मी की हद हो गई थी. अब मैंने भी बेशर्म होने की सोची और खड़े खड़े ही स्कर्ट के अन्दर हाथ डालकर मेरी पैंटी उतारकर अंकल के हाथ में थमा दी.
“अंकल मैं चलती हूँ, अब आप ही चैक करते रहो कि मेरी पेंटी गीली है या नहीं.”

अंकल ने अगले ही पल मेरी पेंटी को अपनी नाक से लगा लिया. मुझे एकदम से शर्म आ गई और मैं दबी सी मुस्कराहट लिए वहां से चली आई.

रात को मुझे वही सब याद आ रहा था, किस तरह अंकल ने मेरे बदन को सहलाया था, छेड़ा था. आंखें बंद करते ही वही सब आंखों के सामने किसी फिल्म की तरह दिखने लगा था. रात को मुझे झड़ने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. बार बार मुझे उनके शब्द याद आ रहे थे कि नाभि के नीचे का बाकी रह गया है.

मैं सोच रही थी कि अंकल मेरी चुत की भी चुम्मी लेंगे क्या. इसी ख्याल से ही मैं रोमांचित हो गई, इसीलिए चुत पर सिर्फ हाथ रखने से ही चुत ने पानी छोड़ दिया.

दूसरे दिन सुबह चुत को अच्छे से साबुन लगाकर साफ किया और उस पर भी डीओ लगाया, अंकल को अच्छी खुशबू आए इसलिए.

अब अंकल के घर जाने का टाइम हो गया था, मैंने हल्का सा मेकअप किया, होंठों को मम्मी की लिपस्टिक लगाई और अंकल के रूम की तरफ जाने लगी. मेरे आने की खबर अंकल को पहले ही लग गयी, मेरा दरवाजा खटखटाने से पहले ही उन्होंने दरवाजा खोला. मेरी तरह वो भी आगे का पार्ट पूरा करने के लिए उत्सुक थे. आज उन्होंने सिर्फ टी-शर्ट और लुंगी पहनी हुई थी.

आज उनका ये रूप देख कर मेरी चूत में चींटियां रेंगने लगी थीं. अब आगे क्या होता है, उसको मैं अगले पार्ट में लिखूँगी.

आपको मेरी जवानी कैसी लग रही है, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.
[email protected]
कहानी जारी है.

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