गर्लफ्रेंड ने खुद आकर चूत चुदवा ली-3

(Girlfriend Ne Khud Aakar Chut Chudwa Li- Part 3)

संदीप साहू 2017-02-16 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..
भावना की सहेली काव्या अपने चूचे और चूतड़ों को उभारने के लिए क्रीम से मालिश की बात कर रही थी। जिससे मुझे उसको चोदने की जुगाड़ दिखने लगी।
अब आगे..

मैंने कहा- इशारा तो करो तुम्हारी भी किस्मत बना देंगे।
उसने ‘मजाक बंद करो..’ कह कर फोन रख दिया।

पर उसकी बातों ने मेरे लंड में आग लगा दी थी, मैंने मुठ मार के पानी निकाला।
तभी मेरे दिमाग में एक तरकीब सूझी कि क्यों ना दोनों को एक साथ चोदा जाए।

जब मैं दूसरे दिन भावना से मिला तो कहा- क्यों ना हम काव्या से रूम के लिए बात करें?
तो उसकी आंखें खुशी से बड़ी हो गईं, उसने कहा- अभी तो उसकी पार्टनर भी एक हफ्ते के लिए घर गई है, अच्छा मौका है.. मैं उससे तुरंत बात करती हूँ।

पर मैंने उसे रोका और कहा- थोड़ा सुन तो लो.. फिर बात कर लेना। पहली बात तो ये कि वो मानेगी या नहीं.. और दूसरी बात ये कि वो मान भी गई तो कहीं एक-दो बार के बाद वैभव जैसे ही नौटंकी करने लगी, तो फिर हमारे पास और कोई ठिकाना नहीं रहेगा। इसलिए मैं चाहता हूँ कि काव्या को ऐसे पटाया जाए कि वो हमें कभी मना नहीं करे।

भावना ने कहा- फिर तुम्हीं बताओ कि कैसे पटाया जाए?
मैंने थोड़ा झिझकते हुए काव्या की चिट्ठी और उसके साथ हुई बातों को बताते हुए कहा- अगर तुम्हें एतराज ना हो तो हम थ्री-सम चुदाई कर सकते हैं। इससे काव्या हम लोगों को कभी रूम के लिए मना नहीं करेगी और उसकी समस्या भी हल हो जाएगी।

भावना मेरे मुँह से ये सब सुन कर नाराज हो गई।

फिर मैंने अपना दांव फेंका, मैंने उसे हाथ पकड़ कर खड़ा किया और उसके गालों को पकड़ कर उसकी आंखों में आंखें डालीं, मैंने कहा- जान मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ। मैंने सारी बातें सिर्फ तुम्हारे साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के लिए कही हैं। मुझे काव्या से कोई मतलब नहीं.. अगर तुम्हें कोई एतराज है तो मैं उसकी तरफ देखूँगा भी नहीं।

उसकी आँखों में आंसू आ गए और उसने कहा- मैं अपना प्यार नहीं बांट सकती।
मैंने कहा- हट पागल.. चुदाई करने से प्यार थोड़ी न होता है.. मैं तो तुम्हारा था और तुम्हारा ही रहूँगा।
इतना सुनते ही भावना ने कहा- सच जान..! ऐसी बात है तो मुझे भी कोई एतराज नहीं।

इतना सुनते ही मैं तो खुशी से पागल हो गया, अगर मैं चाहता तो काव्या को भावना को बिना बताए भी चोद सकता था। मगर मेरे मन में भावना के जान लेने का डर बना रहता और कभी ना कभी राज खुल ही जाता।

मैंने भावना को एक प्लान बताया और दो घंटे बाद पहुंच जाने की बोल कर मैं काव्या के घर चला गया।
मेरा प्लान यह था कि मैं काव्या को पटा कर चोदते रहूँ, उसी टाइम भावना पहुंचे और नाराज होने का नाटक करे, फिर मैं दोनों को एक साथ चोद सकूँ।

मैं भावना को प्लान बता कर और काव्या के घर चला गया। उसके घर पहुँचा तो उससे बात शुरू हुई- हाय काव्या कैसी हो?
मेरे अचानक पहुंचने से उसके चेहरे पर खुशी, आश्चर्य और डर के भाव एक साथ उभर आए।
‘अरे संदीप कैसे आना हुआ..?’ कहते हुए काव्या ने मुझे बिठाया।

मैंने कहा- बस ऐसे ही तुमसे मिलने और तुम्हारे हाथों की चाय पीने का मन किया।
‘ओह.. तो आप कैसी चाय पीते हैं.. बताइए.. मैं बनाती हूँ।’
उसने कहा और चाय बनाने लगी।

चूंकि उसका भी रूम किराए का था इसलिए एक ही रूम और अटैच लेटबाथ वाला ही था। रूम के एक किनारे बिस्तर और एक किनारे गैस आदि सामान रखा हुआ था। जिधर काव्या चाय बना रही थी।

काव्या ने लोवर और टॉप पहन रखा था.. जो लगभग शरीर से चिपका हुआ था।

चाय बनाते हुए वो मुझसे बात कर रही थी और मैं उसे पीछे से निहार रहा था। वो बहुत ही कामुक लग रही थी। उसके कूल्हे छोटे थे.. मगर घुटने मोड़ कर जमीन में बैठने से उनके आकार स्पष्ट हो रहे थे।

मेरे लौड़े में सुरसुराहट शुरू हो गई। मेरी नजरें उसके चिपके हुए कपड़ों के ऊपर से उसकी ब्रा-पेंटी का उभार महसूस कर पा रही थीं। चिपकी टी-शर्ट में उसकी नाजुक पतली कमर मुझे रिझा रही थी।

मैंने काव्या से कहा- मेरी दवाई ने असर किया या नहीं?
काव्या ने कहा- तुम्हें क्या लगता है तुम ही देख कर बताओ।
मैंने कहा- कपड़ों के ऊपर से पता नहीं चलता.. जरा कपड़े उतार कर दिखाओ.. तो बताऊँ।
‘अच्छा.. अकेली लड़की देख कर पटाने की कोशिश कर रहे हो?’ कहते हुए चाय लेकर मेरे सामने आ गई।

मैंने चाय लेते वक्त उसके हाथ को छुआ और कहा- तुम्हें पटाने की क्या जरूरत.. तुम तो पहले से पटी हुई हो।
वो मुस्कुरा कर मेरे सामने बैठ गई और चाय पीने लगी।

मैंने बड़ी बेशर्मी से उसके अंग-अंग को घूर कर देखा। मेरा ऐसा करने से जरूर उसकी चूत में भी पानी आ गया होगा।

मैंने कहा- लगता है.. दवाई असर कर रही है.. लेकिन मालिश और बढ़ाने की जरूरत है। बोलो तो आज मौका है अच्छे से मालिश कर दूँ?
उसने नजरें नीची कर लीं।

मैं इसे मौन स्वीकृत समझा और उठ कर दरवाजे को बंद कर आया।
असल में मैंने दरवाजे में कुण्डी नहीं लगाई थी.. क्योंकि मुझे पता था अभी भावना आने वाली है।

काव्या ने कहा- ये सब मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।
मैंने उसे हक से कहा- क्रीम कहाँ है? वो बताओ, बाकी बातें मत सोचो।

उसने क्रीम उठा कर दी, मैंने जैसे ही उसकी टी-शर्ट को उठाने के लिए छुआ.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। उसकी सांसें तेज हो गई थीं।
उसने कहा- मैं खुद निकालती हूँ।
उसने ना-नुकुर करते हुए अपनी टी-शर्ट को शरीर से अलग कर दिया।

उसके दूध जैसे सफेद शरीर को देखते ही मेरा लौड़ा सलामी देने लगा।

उसकी पतली कमर.. सच में गजब ढा रही थी.. मगर ब्रा छोटे उरोजों की वजह से भरी हुई नहीं थी.. इसलिए अच्छी नहीं लग रही थी।

मुझे थोड़ी हँसी भी आई.. पर वो मैंने मन में ही रोक ली और उसे ब्रा भी उतारने और मालिश के लिए लेटने को कहा।

वो शरमाते हुए ब्रा उतार कर लेटी, लेकिन शर्म के मारे लाल हो चुके अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से ढक लिया। मैं उसके बहुत ही खूबसूरत छोटे गोरे उरोजों के बीच गुलाबी निप्पल देख कर अपने आपको छूने से नहीं रोक पाया, मैंने उनके उरोजों पर हाथ फिराते हुए कहा- काव्या तुम्हारे उरोज छोटे भले हैं.. पर बहुत ही आकर्षक और मदहोश करने वाले हैं।

मेरे शब्द सुनकर और मेरे हाथों का स्पर्श पाकर वो बेचैन सी होकर कसमसाने लगी।

जैसे ही मैंने क्रीम लगाना शुरू किया.. काव्या ने आँखें बंद कर लीं और अपने हाथों से बिस्तर को कसके पकड़ लिया।
मैंने भी अपने कपड़े गंदे होने का बहाना करके उतार दिए।
अब मैं सिर्फ चड्डी बनियान में था।

मैं काव्या के छोटे उरोजों को मालिश के बहाने गूँथे जा रहा था। मेरे लौड़े ने चड्डी को तंबू बना दिया था। काव्या को दर्द भी हो रहा होगा.. पर उसकी बेचैनी साफ झलक रही थी।

मैंने अपना हाथ काव्या के लोवर में घुसाना चाहा तो काव्या ने आँखें खोली और मेरा हाथ पकड़ कर कहा- सिर्फ दवाई लगाओ और कुछ करने की इजाजत नहीं है।
मैंने उसकी आँखों में आँखें डालकर कहा- क्या कुछ और नहीं?
उसने कहा- कुछ नहीं.. मतलब कुछ नहीं।
मैंने कहा- तुम्हारा मतलब चुदाई से है क्या?

तो वो शरमा गई और मुस्कुरा कर आँखें बंद कर लीं।
मैं फिर उसका लोवर उतारने लगा.. पर उसने मेरा हाथ फिर पकड़ लिया।
मैंने कहा- ठीक है बाबा.. मैं सिर्फ कूल्हों में दवाई लगा देता हूँ.. फिर कुछ नहीं करूँगा।
उसने कहा- पक्का ना?
मेरे ‘पक्का..’ कहते ही वह उलट गई और मैंने उसका लोवर उतार दिया।

अब तो मैं पागल हुए जा रहा था। उसके कूल्हों का बिल्कुल नर्म रुई सा अहसास और चिकनी चमकदार त्वचा थी। मैंने खुद पर काबू रख कर दवाई से मालिश शुरू की। उसके कूल्हों में हो रहे कंपन और खड़े रोंएं देखकर मैं यकीन से कह सकता हूँ कि वो चुदाई के लिए तैयार और बेचैन थी।

मैंने मालिश करते-करते अपने हाथ उसकी चूत की ओर बढ़ाए और वो कसमसा कर सिमट गई।

उसने एक बार मेरा हाथ हटाने की कोशिश की.. पर मैं अब खुद पागल हो चुका था और उसे भी पागल बना रहा था।

मैंने अब दिमाग लगाया और अपनी चड्डी निकाल कर काव्या के सर की ओर खड़ा हो गया और झुक कर उसके कूल्हों की मालिश करने लगा। मेरा ऐसा करने से काव्या के सर से मेरा लंड टकरा रहा था।

काव्या ने मुझे देखने अपना सर उठाया और उसने जैसे ही ‘ये क्या है..!’ बोलने के लिए अपना मुँह खोला.. मेरा लौड़ा उसके मुँह में घुस गया।

मैंने उसके सर को वैसे ही एक-दो मिनट पकड़े रखा। वो छटपटाने लगी तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया। उसने मुझे गालियां दी और मुझे मारने लगी।

उसकी मार मुझे फूलों से सहलाने जैसी लगी। फिर वो रोने लगी और मुझसे चिपक गई।

मैंने उसे ‘सॉरी’ कहा और कपड़े उठाने लगा, उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोक दिया और कहा- मैं खुद ये सब चाहती थी.. पर तुमने जबरदस्ती की.. इसलिए रोना आ गया।

‘मेरी सोना..’ कह कर मैंने उसे चूम लिया और बिस्तर में बैठ कर आंखों से इशारा किया कि आओ.. अब बिना जबरदस्ती के लौड़ा चूस लो।

उसने भी थोड़ा मुँह बनाया और हँस कर घुटनों पर बैठ गई, उसने पहले थोड़ा आहिस्ते से चूसा.. फिर लंड को खा जाने का प्रयास करने लगी।

वो आंखें बंद करके बेसुध लंड चूस रही थी कि तभी भावना ने दरवाजा खोला और वो अचानक ही अन्दर आ गई।
ये सब इतना जल्दी हुआ कि काव्या तो अभी अपने मुँह से लंड निकाल भी नहीं पाई थी।

सब मेरे प्लान के मुताबिक़ ही हो रहा था.. पर वास्तविकता में क्या सब सम्भव हो पाया, इस सबको जानने के लिए आपको मेरे साथ इस हिंदी सेक्स स्टोरी को पढ़ते रहना होगा।

कहानी कैसी लग रही है.. मुझे मेल जरूर करें।
[email protected]
गर्लफ्रेंड की सहेली की चूत चुदाई की कहानी जारी है।

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