गर्लफ्रेंड और उसकी बड़ी बहन की चूत चुदाई

(Girlfriend Aur Uski Badi Bahen Ki Choot Chudai)

तरुण पटेल 2016-12-04 Comments

बात उस समय की है जब मैं 12 वीं में पढ़ता था, मेरी क्लास में एक स्वाति नाम की लड़की भी पढ़ती थी, उसका फिगर 28-32-36 का था.. जिसको देख कर क्लास का हर लड़का मुठ मारता था, वो भी सबको देखकर मुस्करा देती थी, मैं भी कई बार उसके नाम की मुठ मार चुका था, आए दिन मैं उसको सपने में चोदता था।
शायद वो मुझे पसंद करती थी.. क्योंकि मुझे देखकर हमेशा हँस देती थी।

एक दिन मैंने उससे कहा- तुम मुझे अपनी फिज़िक्स की कॉपी दे दो।
उसने तुरंत दे दी।
मैं खुश हो गया और मुस्करा कर बोला- थैंक यू।
वो ‘ओके’ बोल कर फिर मुस्कुरा दी।

मैं घर आकर सोचने लगा कि उसे मैं कैसे चोदूँ।

मैंने बहुत सोचने के बाद उसकी कॉपी में ‘आई लव यू’ लिख दिया और कॉपी उसको वापस कर दी। पर मुझे डर लग रहा था कि कहीं कल वो क्लास में शिकायत ना कर दे और मैं पेला जाऊँ।

अगले दिन वो स्कूल नहीं आई.. तो मैं और भी डर गया कि उसने कहीं अपने घर में ना बता दिया हो। अगले दिन रविवार था.. मेरी तो मारे डर के हालत खराब थी।

फिर जैसे-तैसे सोमवार को वो स्कूल आई और मुझे घूरने लगी.. मेरी तो इतने से ही मारे डर के फटी जा रही थी।

जब लंच हुआ तो वो मेरी सीट पर आकर बोली- क्यों क्या लिखा था मेरी कॉपी में?
मैंने कहा- कुछ भी तो नहीं..

मेरा दोस्त बोला- क्या हुआ स्वाति?
वो ‘कुछ नहीं’ कह कर चली गई।

फिर छुट्टी के बाद वो मुझे रास्ते में मिली और बोली- अक्षय, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।
मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई.. वो मेरे गाल पर किस करके चली गई।

मैं घर आकर बहुत खुश था.. मैं उसके सपने देखने लगा।

फिर उसने शाम को कॉल की और हम पूरी रात बात करते रहे.. सुबह दोनों ही स्कूल नहीं गए।

अगले दिन उसकी दीदी उसे स्कूल छोड़ने आईं, वो उससे भी ज़्यादा सुंदर थीं, उनको देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया।
तभी स्वाति मेरे पास आकर बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं.. आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो।
‘ठीक है ज्यादा तारीफ मत करो।’

ऐसे ही धीरे-धीरे हम लोग पास आने लगे, फिर चुम्बन का सिलसिला जारी रहा।

अब पेपर पास आ रहे थे।
एक दिन स्वाति का फोन आया और उसने मुझसे कहा- तुम मुझे केमिस्ट्री पढ़ा दो।
मैंने कहा- ठीक है मेरे घर आ जाया करो.. मैं पढ़ा दूँगा।
क्योंकि मेरी फैमिली में ये चीजें आम बात थीं।

लेकिन उसने बताया- मैं और मेरी दीदी किराए पर रहते हैं.. तुम मेरे घर आकर पढ़ा दिया करो।
मैंने कहा- ठीक है।

अगले दिन मैं उसके घर गया.. तो घर में वो अकेली थी और वो टॉप स्कर्ट पहने हुए थी.. जिसमें से उसके दूध निकलने को मचल रहे थे, वो बहुत ही सुंदर लग रही थी।

मैंने पूछा- दीदी कहाँ हैं?
तो वो बोली- वो तो बैंक गई हैं।
मैंने कहा- क्या रुपए निकालने?
तो वो बोली- नहीं वो बैंक में जॉब करती हैं।

फिर थोड़ी देर बाद उसने पानी वगैरह पिलाया और कैमिस्ट्री की बुक लेकर आ गई। उसकी स्कर्ट से उसकी गोरी जांघें देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था, मैं अपने खड़े लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था।

शायद उसने मुझे ऐसा करते देख लिया था। मैं उसे ऑर्गेनिक केमिस्ट्री का फर्स्ट चैप्टर पढ़ाने लगा। वो समझने का बहाना करते हुए धीरे-धीरे मेरे पास आकर चिपक कर बैठ जाती.. तो मेरी साँसें तेज हो जातीं।

फिर क्या था, मेरा मूड बन गया और मैंने किताब अलग रख दी, उसकी तरफ देखा और उसके होंठ चूसने लग गया।
उसके होंठ इतने मुलायम थे जैसे गुलाब की पँखुरियाँ हों।
वो आँख बंद करके मेरा साथ दे रही थी।

फिर मैंने हिम्मत करके अपने हाथ उसके दूध पर ले गया.. तो उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया।
बोली- बस अब बहुत हो गया।
मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं उसके चूचे दबाने लगा।

वो मना करती रही.. पर मैं नहीं माना, वो भी जोश में आ गई और मेरा साथ देने लगी।
बस अब क्या था.. एक-एक करके सारे कपड़े उतरते गए, वो मेरे सामने नंगी पड़ी थी, उसके दूध देख कर तो मैं पागल सा हो गया।

मैंने उसकी एक चूची को मुँह में ले लिया और दूसरी को हाथों से मसलने लगा। मैं छोटे बच्चे की तरह उसके दूध पीने लगा, वो सिसकारी भरने लगी, वो और ज़ोर से कहने लगी- आह्ह.. पियो राजा..

मैं पीता रहा… फिर वो गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।
थोड़ी देर में मैं पूरा नंगा हो गया, मेरा लंड हवा में झूल रहा था।
वो उसे देखकर हैरत से बोली- हाय.. कितना लंबा है तुम्हारा?
मैंने अंजान बनते हुए कहा- क्या?
वो मेरा लवड़ा पकड़ कर बोली- ये!

जैसे ही उसने मेरा लंड पकड़ा.. मेरे शरीर में तो करंट सा लग गया, फिर धीरे-धीरे वो मेरे लंड से खेलने लगी, अब वो उसे दबा रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.. वो एकदम से अलग हो गई और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई हो और मैं सिसकारियां लेने लगा।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली.. तो मेरी उंगली गीली हो गई और मैं उंगली आगे-पीछे करने लगा।

थोड़ी देर बाद मेरा लंड अजीब सा कड़क होने लगा.. मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैं उससे अलग हो गया और उसकी चूत में उंगली करता रहा।

मुझे लगा कि जैसे कुछ आहट सी हुई हो.. पर किसे डर था।
वो बोल रही थी- और अन्दर तक उंगली डालो।
मैं और तेज-तेज करने लगा।
फिर वो बोली- राजा, मेरी चूत फाड़ डालो।

इतना सुनते ही मैंने उसे लिटा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया। मैं लौड़ा डालने से पहले उसकी तरफ देखने लगा तो वो बोली- डालो न..

मैंने एक झटका मारा तो आधा लंड अन्दर चला गया।
वो दर्द के मार रोने लगी ‘निकालो.. निकालो..’
पर मुझे तो हवस चढ़ चुकी थी, मैं नहीं माना और उसे किस करने लगा।

थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुई तो मुझे मेरे लंड पर कुछ गरम-गरम सा महसूस हुआ.. तो मैंने देखा कि उसकी चूत से खून निकल रहा था।

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना जारी रखा। कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो गया और मैंने फिर ज़ोर से धक्का मारा.. तो पूरा लंड उसकी चूत में चला गया।

मेरा लौड़ा उसके गर्भाशय से जा टकराया था। वो फिर थोड़ा रोई.. फिर कुछ देर बाद सब सही हो गया।

अब मैंने उसकी देर तक जम कर चुदाई की। वो मुझे अपने सीने में दबाती जा रही थी।

तभी मेरा लंड झड़ गया और मैं उसी के ऊपर लेट गया।

जब चुदने के बाद उसने देखा कि दरवाजा खुला है तो वो डर गई और चुपके से दरवाजे के बाहर जा कर देखा.. तो उसकी दीदी अपनी चूचियों को खोले हुए स्कर्ट में उंगली कर रही थीं।

यह देखकर हम दोनों की फट गई कि अब क्या होगा।

मैंने प्लान बनाया और स्वाति से कहा- तुम्हारी दीदी बाद में मारेगी.. इससे अच्छा है कि दीदी भी मुझसे चुद जाएं.. इससे हम दोनों बच भी जाएँगे और आगे का रास्ता भी खुल जाएगा।

वो मान गई और बोली- मगर ये होगा कैसे?
मैंने कहा- तुम चुपके से जाओ और अपनी दीदी की चूत चाटने लगो।
उसने मना कर दिया।

काफ़ी मनाने के बाद वो मानी और चुपके से दीदी के पास गई।
दीदी अब भी आँखें बंद किए हुए मजा ले रही थीं, स्वाति ने उनकी चूत पर जीभ रख दी.. वो डर कर खड़ी हो गईं और बोलीं- ये क्या कर रही हो?

वो कुछ नहीं बोली और उनकी चूत चाटती रही।
तभी मैंने पीछे से जाकर दीदी के मम्मों को दबाना चालू कर दिया।

अब वो भी मुस्कुरा दीं और साथ देने लगीं, कुछ ही पलों में वो वहीं ज़मीन पर लेट गईं।
मैं उनके मम्मों को दबा रहा था तो मेरा लंड उनकी आँखों तक जा रहा था.. वो मेरा लौड़ा पकड़ कर चूसने लगीं।
उधर नीचे स्वाति उनकी चूत चाटे जा रही थी।

फिर मैंने अपनी पोज़िशन बदली और मैं नीचे आकर अपना लंड उनकी चूत में रगड़ने लगा।
वो बोल रही थीं- फाड़ दो.. अब रहा नहीं जाता।

वो स्वाति के मम्मों को बेरहमी से मसलती जा रही थीं। स्वाति भी सिसकारियां लेती हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने स्वाति को उसकी दीदी के बगल में लिटाया और उसकी चूत में उंगली डालने लगा।
उसकी दीदी मुझे बार-बार अपने ऊपर खींच रही थीं।
मैं उनके मम्मों को दबा देता तो सिसकारियां लेने लगतीं।

फिर मैं उठकर स्वाति की चूत में लंड डालने लगा.. तो उसकी दीदी उठीं और उसके मम्मों को काटने लगीं।
वो कह रही थीं- कुतिया अभी चुदकर आई है.. अब मुझे चुदने दे।

फिर वो मुझे किस करने लगी और फिर मुझे अपने ऊपर खींच कर अपनी चूत में मेरा लंड डलवा कर मज़ा लेने लगीं। थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरा झड़ने वाला है.. तो मैंने उनसे कहा- तुम दोनों पास-पास लेटो.. मैं आइसक्रीम खिलाता हूँ।

वो दोनों लेट गईं.. और मैं झटके ले-ले कर उनके मुँह और मम्मों पर झड़ने लगा। वो दोनों खुश लग रही थीं। फिर हम तीनों बाथरूम में साथ-साथ नहाने लगे और एक-दूसरे के अंगों को साफ करते हुए मजा लेने लगे। उन दोनों ने बारी-बारी से मेरे लंड को पहले चूसा फिर साबुन से धोया।

अब जब भी मेरा मन होता है उन्हें खूब चोदता हूँ लेकिन कभी मेरा मन नहीं होता है। फिर भी उनकी इच्छा के लिए चोदना पड़ता है।

आप सभी को कहानी कैसी लगी ज़रूर बताईएगा। मैं आपकी मेल का इंतजार करूँगा।

[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top