शाहीन की मदद और चुदाई
(Shaheen Ki Saheli Ki Madad aur Choot Chudai)
दोस्तो, आप मेरी कहानियाँ zolotayaribkaclub.ru पर पढ़ते हैं और सरहाते हैं उसके लिए धन्यवाद। आज फिर अपनी आपबीती बता रहा हूँ।
एक पूर्व कथा
जिम में चुदाई की शुरुआत
में मैं बता चुका हूँ कि कैसे मैंने मेरे दोस्त इमरान की गर्ल फ्रेंड शाहीन को पहली ही मुलाकात में चोदा।
उस चुदाई के बाद मैं और शाहीन अच्छे दोस्त बन गए। पैसों के लालच में इमरान अपनी मामू की लड़की से निक़ाह कर साउदी चला गया। इमरान से अलग होने के बाद शाहीन और मैं और करीब आ गए।
एक सवेरे दरवाजे की घण्टी बजी, खोला तो सामने शाहीन को खड़ा पाया। वैसे शाहीन बिना फोन किये आती नहीं थी।
साथ में एक और लड़की थी। दरवाजा खुलते ही शाहीन मुझे किनारे कर उस लड़की को मेरे घर में ले आई, मैं भी अन्दर आया तो ध्यान से देखा कि उस लड़की की आँखें सूजी हुई थी शायद रात को सोई नहीं थी और रोई भी होगी।
‘यह पूजा मल्होत्रा है, मेरी दोस्त है और ऑफिस में साथ में काम करती है।’ शाहीन ने शुरू किया।
फिर कुछ सोच कर मुझे हाथ पकड़ बेडरूम की बालकनी में ले गई, मेरी सिगरेट निकाल कर जलाई, सुट्टा मारा और बोली- पूजा, अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहती थी, हरामी इमरान की तरह शादी का वादा कर इसके बदन से खेल कर मज़े लूटता रहा। शादी को लेकर कल दोनों में झगड़ा हो गया तो रात को 4 बजे घर से निकल जाने को बोला। पूजा के पापा कनाडा में रहते हैं, 2-3 दिन में उसके लिए टिकट भेज रहे हैं। तब तक तुम्हारे यहाँ रहेगी, चलेगा ना?’
ऐशट्रे में रखी सिगरेट के धुएँ में शाहीन दोनों हाथों से मेरी बाहें पकड़े मेरे से उस फैसले पर मोहर लगवा रही थी जो वो ले चुकी थी। उसकी बड़ी बड़ी सुन्दर आँखें एक आशा भरा प्रश्न चिह्न लिए हुए थी।
‘मैं कौन सा शरीफ़ इंसान हूँ? कई लड़कियों के साथ सो चुका हूँ।’ मैंने सवाल दागा।
‘पर तुम झूठे वादे करके नहीं खेलते हो और ज़बरदस्ती नहीं करते हो, जैसे हो वैसा बिंदास बोल देते हो!’ शाहीन मेरे मुँह पर मेरी तारीफ़ कर रही थी या पूजा को रखने के लिए पटाने की कोशिश!
‘ठीक है, पर दो शर्तें हैं!’ मैंने कहा- एक मैं उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लूँगा, जैसे खाना खाया या नहीं, और उसकी मौजूदगी में अपने तौर तरीके नहीं बदलूँगा।’ शाहीन को दो टूक बोल दिया।
शाहीन ने कुछ नहीं कहा, बस मेरे से कस कर चिपट गई- तुम्हारे कुर्ते की एमरॉइडरी चुभ रही है!’
मैंने चुटकी लेते हुए कहा- निकाल दो।’
‘बिल्कुल कुत्ते हो!’ मुस्कुराते हुए शाहीन बोली और होंटों पर होंठ रख चूमने लगी।
चूमते हुए मैंने उसके कुर्ते के कुछ हुक खोल दिए और अन्दर हाथ डाल ब्रा के हुक भी। शाहीन भी मेरे बरमूडा में हाथ डाल मेरे लंड को उत्तेजित कर रही थी।
तभी हमें पूजा का ख्याल आया। उसी अवस्था में शाहीन ने पूजा को आवाज़ दे अन्दर बुलाया।
पूजा के आने पर शाहीन ने मेरी बरमूडा से हाथ निकल लिए लेकिन कंधे पर से सरके कुर्ते को ठीक नहीं किया। मेरे बाहुपाश में ही बोली- पूजा, जब तक तुम चाहो, यहाँ रह सकती हो।’
‘यह रवीश है, जिसके बारे में मैंने बताया था।’ शाहीन ने औपचारिक रूप से मिलाया तो पूजा और मैंने हाथ मिलाया।
‘तुम थक गई होगी, थोड़ा आराम कर लो, तब तक मैं नाश्ते का ऑर्डर करता हूँ!’ मैंने बात पूरी की।
‘थैंक्स रवीश, क्या एक सिगरेट ले सकती हूँ?’ पूजा पहली बार बोली।
मेरी हामी के साथ सिगरेट जलाई और टॉयलेट में चली गई।
मैंने शाहीन को वहीं बिस्तर पर लिटाया और चूमने लगा। फिर 69 की पोजीशन में वो मेरा लौड़ा चूसने लगी और मैं उसके सलवार में सर घुसा चूत चाटने लगा।
हम पूर्ण नग्न नहीं हुए थे क्यूँकि पूजा कभी भी टॉयलेट से बाहर आ सकती थी और नाश्ता वाला भी आने को था।
पूजा निकली और हमारी अवस्था देख जल्दी से बाहर हॉल में चली गई।
शाहीन की चूत ने कामरस छोड़ दिया जिसे मैंने पी लिया और उसके सुगंध में मेरी पिचकारी भी चल गई उसके मुँह में!
मैं उसके ऊपर से उठा और एक गहरे चुम्बन में दोनों के कामरस और थूक का मिलन हुआ।
बाहर आये तो पूजा निवृत हो और चेहरा धोकर कुछ शान्त लग रही थी, उसने कपड़े भी बदल लिए, टी-शर्ट और छोटे शॉर्ट्स में सेक्सी लग रही थी।
मैंने तीन गिलास में वाइन डाली और नाश्ता करने लगे। शाहीन क्यूँकि अपने घर पर कह कर नहीं आई थी ऑफिस खत्म होने के समय तक हम साथ ही थे।
थोड़ी देर बातें की फिर मैं बोला- यार, नाश्ता तो कर लिया पर दांत तो ब्रश किये ही नहीं?’
‘गन्दा बच्चा, चलो मैं ब्रश कराती हूँ!’ शाहीन प्यार से बोली- पूजा, तुम भी थोड़ा सो लो, फिर लंच के लिए चलेंगे!’
पूजा को हॉल में छोड़ हम कमरे में आ गये। आते ही शाहीन ने अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ ब्रा पेंटी में आ गई।
‘शाम को यही पहन घर जाना है, बहुत सलवटें पड़ जायेंगी तो अम्मी को शक हो जायेगा!’ उसने सफाई दी।
‘इसे भी निकाल दो!’ उसकी ब्रा में कैद मम्मे को मसलते हुए मैंने कहा- इसमें सिलवटें पड़ गई तो? अम्मी को क्या जवाब दोगी?’
‘गन्दा बच्चा, चलो ब्रश करा देती हूँ। वैसे भी तुम कितनी देर रहने दोगे इन्हें!’
शाहीन ने मेरे टूथ ब्रश पर पेस्ट लगाया और एक माँ की तरह ठुड्डी पकड़ मेरे दांतों पर रगड़ने लगी और झाग बनाने लगी।
मैं झाग भरे मुँह से ही बोला- तुमने भी तो इसको चूमा था? तुम्हें भी ब्रश करना चाहिए!’ बोलते हुए बहुत सा झाग शाहीन के मम्मों पर गिर गया जिसे देख हम हंस दिए और ब्रश साइड में फेंक वैसे ही चुम्बनरत हो गए।
ब्रश करते-कराते हम पर वासना हावी हो चुकी थी। दोनों आनन फानन कुल्ला कर फिर चुम्बनरत हो गये, कामाग्नि में जलते हमारे बदन पूर्ण नंगे हो गए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
चूमते चाटते आधे गीले आधे सूखे एक दूसरे के अंगों को छेड़ते हुए कमरे में आये।
शाहीन ने मुझे लिटा मेरी छाती पर उलटी बैठ गई और झुक कर लंड चूसने लगी।
मैं उसकी गांड चाट रहा था और चूतड़ों पर काट रहा था।
शाहीन पलटी और मेरे लंड को ऊपर से ही अपनी चूत के हवाले किया फिर धीरे धीरे नीचे सरक मेरा पूरा लौड़ा समा लिया। जब पूरी मोटाई लम्बाई समां गई तो उचक उचक कर चुदने लगी।
शाहीन के बोबे उछल उछल कर मेरी उत्तेजना को बढ़ा रहे थे। थोड़ी थक कर शाहीन स्खलित हो गई और झुक कर लिपट गई। पर मेरा लंड अभी भी कसाव लिए था इसलिए बिना चूत से निकाले लेट कर शाहीन के ऊपर आ गया, उसकी टांगें अपने कंधों पर रख लंड अन्दर बाहर करना शुरू किया।
शाहीन फिर गर्म हो गई और साथ देने लगी। एन वक़्त पर बाहर निकाल वीर्य शाहीन की नाभि और मम्मों पर निकाल दिया।
थोड़ी देर लेटे रहने के बाद शाहीन बाथरूम में सू सू करने गई। मैं भी उठा, देखा बाहर पूजा सो रही है, सिगरेट जलाई और बाथरूम में घुस गया।
शाहीन कमोड पर बैठी थी मैं गया और उसे अपने मूत से गीला कर दिया। मैं शाहीन की गोद में बैठ चूमने लगा और साथ साथ सुट्टा मारने लगे।
‘तुम बहुत उन्मुक्त सेक्स करते हो, बिल्कुल जानवर हो, बिना शर्म के। चलो अब मुझे नहलाओ!’ शाहीन ने आदेश दिया।
शाम को शाहीन अपने घर चली गई। पूजा को एक हफ्ते बाद का टिकट मिला।
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