अन्तर्वासना की प्रशंसिका की लेखक से मुलाकात-4

(Antarvasna Ki Prashansika Ki Lekhak Se Mulaqat- Part 4)

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मैं- मैंने हर्ष सर के साथ जो किया था, नादानी में किया था, मेरी भूल थी पर आज तो मैंने सोच समझ कर अपने दिल से किया है तभी शायद मैं दिल से खुद को तृप्त महसूस कर रही हूँ। थैंक्स यू राहुल!
कह कर मैंने उसके होंटों को चूम लिया, वो भी मुझे बाँहों में भर कर मेरे होंटों को चूमने लगा, मैंने भी उसका पूरा साथ दिया, मेरी भी आवाजें निकालनी शुरु हो गई- आह… आह… आ… उफ़… उफ़… ईइ… आह… आ अब बस भी करो… राहुल!

राहुल- सच में बस करूँ या?
मैं- नहीं, तुम मत रुको, मेरा और मन है।
कह कर मैं उससे लिपट गई।

हमारे बाथ रॉब अब हमारे साथ नहीं थे, एक बार फिर हम उसी बिस्तर पर प्राकृतिक अवस्था में थे। हम फिर आलिंगन बद्ध हो गये, मेरी गोरी चूची उसकी छाती पर गुदगुदी कर रही थी, राहुल के दोनों हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे।

फिर उसके हाथ चूतड़ों की ओर सरक गए, मैंने भी इस बार शर्म त्याग कर अपना एक हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी थी, मैं कभी आण्डों को मसल रही थी, दूसरा हाथ से उसके बालों में फेर कर उसके होटों से होंट लगा कर चूमने लगी, फिर मेरे मुंह में अपनी जुबान डाल दी उसका मस्त स्वाद वाला थूक मेरे मुँह में घुल गया। मैं जुबान को उसकी जुबान लपेट कर अपने मुँह में ले गई और लॉलीपॉप के जैसे चूसने लगी।

राहुल तो पागल हो गया था… उसने मुझे अलग करके मेरा मुँह नीचे की तरफ कर दिया, मैं समझ गई कि वो क्या चाहता है… मैंने उसके लंड को पकड़ कर उस पर हल्के से अपनी जीभ फिराई तो राहुल की सिसकारी छूट गई- आ आ आह आह!

फिर धीरे से मैं पूरे लंड को मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी, मेरे चूसने से पूरा लंड गीला हो गया और राहुल तो जोर जोर से सिसकारी भर रहा था- इइ इइ उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से.. इइ आह ओह्ह्ह ऋचा वाओ… ऐसे ही और जोर से.. आह्ह उफ्फ बस मेरी जान जान रुक जा!
पर मैं रुकने को तैयार नहीं थी, बहुत दिन बाद इतना प्यारा सा लंड मिला था।

राहुल भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरा मुँह चोदे जा रहा था, अचानक उसकी स्पीड बढ़ गई, मैं भी समझ गई कि वो रुक नहीं पायेगा, मैं लंड को मुँह से निकाल कर हाथ से हिलाने लगी, कुछ ही पलों में राहुल के लंड से गाढ़े रस की बौछार मेरे जिस्म पर होने लगी। मैं तब तक लंड हिलाती रही जब तक उसकी अंतिम बूँद भी न निकल गई।

राहुल की सांसें अनियंत्रित थी… वो बिस्तर पर गिर सा गया… मैं उसके लंड और अपनी जिस्म को टॉवल से साफ करके उसकी बगल में लेट कर प्यार से उसकी चौड़ी और बालों से भरी छाती सहलाने लगी।
थोड़ी देर में राहुल को कुछ होश आया तो उसने आँख खोल कर मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मुझे शुक्रिया अदा कर रहा हो… प्यार से मेरे होंटों को चूम लिया।

अब राहुल की बारी थी…

राहुल एक बार फिर मेरे ऊपर छा गया… मेरे होंटों को चूसने लगा, मेरे जिस्म ने फिर से जान आने लगी… कभी गर्दन तो कभी कान के लौ, तो कभी चूची… ऐसी ही वो चूसता रहा, चूमता रहा, काटता रहा मैं बस उन पलों का आनन्द ले रही थी, मेरी आंखें खुमारी से बंद थी- आह… उई आह्ह… सी.. सी उई आह.. ओह!

राहुल को मेरे यौवन भरे, मांसल, छरहरे और गदराये हुए स्तन बहुत मादक लगे। मेरे अहंकारी चुचूक उसको निमंत्रित भी कर रहे थे और चुनौती भी दे रहे थे।
मेरी बुर फड़कने लगी थी, लंड मांग रही थी पर मैं जानती थी कि राहुल अभी और कुछ चाहता है.. मैं चाहती थी कि वो मेरी बुर को चाटे!

वो धीरे धीरे नीचे आ रहा था, उसने मेरी चूची को प्यार से दबा कर अपने मुँह में भर लिया, किसी बच्चे की तरह उसको चूसने लगा।उसकी जीभ मेरे चूचुक पर गोल गोल घूम रही थी, वो चूचुक को जोर से काट रहा था और मैं सिर्फ दर्द से आनन्द से पूरा दम लगा कर चीख रही थी- उईई… माँ मर गई माँ! हाय… हाय… माँ, ये राहुल मेरी आज जान ले कर ही रहेगा!

मेरी बुर के अन्दर बहुत ही गुदगुदी और हलचल शुरू हो गई थी! मेरी इच्छा हो रही थी कि मैं अपनी बुर में कुछ डाल कर उस गुदगुदी और हलचल को शांत करूँ।

राहुल एक स्तन को चूसते हुए, अपने एक हाथ से उसके दूसरे स्तन को मसलने लगा तथा अपने दूसरे हाथ से मेरी बुर की मसलने लगा!
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पहले तो उसने बुर के होंठों को मसला फिर मेरी बुर की भगनासा को उँगलियों से रगड़ा और उसके बाद दो उंगलियाँ मेरी बुर के अंदर बाहर करते हुए मेरे जी स्पॉट को सहलाया!

जब उसकी उंगलियाँ बुर के अन्दर गई तब मुझे महसूस हुआ लेकिन जैसे ही जी-स्पॉट को सहलाना शुरू किया तो मैं बहुत अधिक उत्तेजित हो गई, अपने कूल्हे उठा उठा कर बहुत ही ऊँची आवाज़ में लम्बी लम्बी सिसकारियाँ लेने लगी- इइ इ इ आह्ह्ह… आआ… ह्ह्ह और जोर से.. इइ आह… आआह आ… आईईईईए… आईई!

फिर वो मेरे पैरों के बीच में आकर मेरी बुर को सहलाने लगा, कभी मेरी भगनासा सहलाता तो कभी मेरे दाने को मसल देता, मैं आनन्द से भर कर सिसकारी लेती- उफ़्फ़ आआआह्ह राहुल लल ओह्ह्ह आअह्ह!

वो कभी बुर में अपनी जीभ डालता तो कभी बुर अन्दरूनी होंठ चूसता लेकिन जब वह छोले पर जीभ चलाता तो मेरी बुर के अंदर अजीब सी गुदगदी होती और मुझे लगता कि मैं स्वर्ग में पहुँच गई हूँ।

हम दोनों इस चुसाई से उत्तेजित हो गए थे और हमारे दोनों के मुँह से उंहह्ह…. उंहह्ह्ह्… और आह.. आह्ह्ह… की आवाजें निकलने लगी थीं। मेरा तो यह हाल था कि मेरी बुर का पानी भी निकलने लगा था, जिसे वो बड़े मजे से पी रहे था।

‘ऊईई… मम्म्मीईइ… राहुल… ऊआह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है मैं मर गई… आह्ह्ह… ऊओईईइ… ह्हीईइ… य्याआया…! कहते हुए मेरा शरीर अकड़ गया, मैंने उसके सिर के बालों को नोच लिया, अपनी जाँघों को जोर से भींच लिया और जोर की किलकारी के साथ मैं ढीली पड़ती चली गई और उसके साथ ही मैंने सारा कामरस निकल दिया जिसे राहुल भला कैसे बेकार जाने देता, गटागट पी गया।

मैं थक सी गई थी पर राहुल अभी मेरी बुर को चाट रहा था, मेरे अन्दर फिर से ऊर्जा भरने लगी… अब मैंने भी उसको अपने ऊपर खींच लिया, अब हम दोनों ही 69 में थे और एक दूसरे को चूस लेना चाहते थे, पर मेरी बुर लंड चाह रही थी।

मैं राहुल को बिस्तर पर गिरा कर उस पर सवार हो गई और उसके लंड पर अपनी बुर रगड़ने लगी।
राहुल मजे से सिसकारी भर रहा था- ह्म्म्म आअह्ह ओह्ह जाआन आह्ह!

मैंने अपने को उसके लंड पर ठीक से लिया और एक बारगी उसपर बैठ गई… हम दोनों की एक आआ आआआ आ आ आह आह… की सिसकारी निकल, उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया कस कर, मैं उछलने लगी… राहुल के हाथ भी मेरे को उछाल रहे थे- इइ इ इ आह्ह्ह… आआ… ह्ह्ह और जोर से.. इइ आह…

राहुल थोड़ा उठ कर मेरी उछलती चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा।
‘आआह आ आआह…’ मैं हर बार सिसकारी भरती!

राहुल नीचे से धक्के लगा रहा था और मैं ऊपर से… उसका लंड मुझे अंदर तक महसूस हो रहा था।
मैं थक सी गई थी, मेरा बुर का रस कई बार निकल चुका था पर वो था कि निकलने को तैयार ही नहीं था।
मैं बोली- मैं थक सी गई हूँ!

राहुल ने मुझे वैसे ही लिपटा कर धीरे से मुझे लिटा दिया, अब राहुल मेरे ऊपर था और लंड बुर में अब राहुल ने धुंआधार स्पीड से मेरी बुर पर वार करना शुरू कर दिया था, उसके हाथ मेरी चूची को मसल रहे थे और लंड मेरी बुर को…

हम दोनों ही हार मानने को तैयार नहीं थे, दोनों पसीने में लथपथ हो गए थे पर जोर दोनों लगा रहे थे एक दूसरे पर विजय पाने की! ‘उऊऊँऊँ ..ऊँ…ऊँ… हहुहु हुँहुँ.. हुँ…हुँ… उउउउ.. उ…उ…ह…’ राहुल धक्के लगाते हुए मेरे होंठों को बुरी तरह चूस रहा था। मेरे होंठों को राहुल ने अपने मुँह में लेकर बंद कर रखा था मगर फिर भी उत्तेजना के कारण मेरे मुँह से उँहु…हुँ…हुँ.. उँह…हुँ…हुँ… उँह…हुँ…हुँ… की आवाज निकल रही थी।

मैंने अपने दोनों हाथों से राहुल के कंधों को पकड़ लिया और उत्तेजना के कारण मेरे मुँह से इईशश..श…श… अआआहहा.. हाँ…हाँ… इईशश..श…श… अआहहा.. हम्म…हाँ… की मादक सिसकारियाँ निकलने लगी, राहुल का जोश दोगुना हो गया और वो तेजी से धक्का लगाने लगा।

मेरी भी साँसें तेज हो गई और सिसकारियों की आवाज बढ़ गई, पूरा कमरा मेरी सिसकारियों और हम दोनों की साँसों की आवाजों से गूंजने लगा।

धीरे धीरे मेरा मजा बढ़ता गया और कुछ देर बाद मेरे पूरे शरीर में आनन्द की एक लहर दौड़ गई, मेरे हाथ पैर राहुल की कमर से लिपट गये और मेरे चूतड़ अपने आप ऊपर उठ गये, मेरे मुँह से इईशश..श…श… अआहह..ह…ह… की जोर से आवाज निकली और मैं अपनी बुर से ढेर सारा पानी छोड़ते हुए शांत हो गई।

कुछ देर राहुल भी चरम पर पहुँच गया, उसने मेरे शरीर को कस कर पकड़ लिया और अआह प..आ… य…अ…ल.. इईशशश.. श…श… मेरी ज.आ..न… कह कर लंड का ढेर सारा गर्म वीर्य मेरी बुर में उड़ेल दिया।

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी बुर में कोई गर्म लावा फ़ूट पड़ा हो जो मेरी बुर से रिस कर मेरी गांड छिद्र पर भी बहने लगा और राहुल भी शांत हो गया था।

काफी देर तक हम दोनों वैसे ही एक दूसरे की बाँहों में रहे, फिर न जाने कब आँख लग गई।

तभी मेरी आँख मेरे मोबाइल की रिंग से खुली, मेरे घर से फोन था, मेरी माँ ने कहा- देर बहुत हो गई है, तुम वहीं रुक जाओ, अब सुबह आना!
मेरा मन मयूर तो ख़ुशी से नाच उठा, मैंने राहुल को बाहों में लिया और चिपक कर सो गई।

फिर हमने सुबह करीब 5 बजे एक और दौर चुदाई का किया, खूब बातें की, फिर मैं नहा कर फ्रेश होकर ब्रेकफास्ट के बाद सुनहरी यादें ले कर अपने घर आ गई… सारा समय मैं यही सोचती रही कि इस मिलन में क्या ऐसा खास था कि मैं अंदर से तृप्त महसूस कर रही थी।

एक ही बात मेरे दिलोदिमाग में आ रही थी, वो था ‘प्यार’
सच कहूँ, अगर हम दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए प्यार नहीं होता तो यह भी मिलन भी हर्ष सर के साथ जैसा ही होता।

शाम को हम फिर मिले, साथ में रोमांटिक डिनर किया, राहुल को एयरपोर्ट ड्राप करते हुए मैं वापस घर आ गई।

करीब दो घंटे बाद ही राहुल का मैसेज आया ‘बहुत मिस कर रहा हूँ तुम्हारे साथ बिताये पल!’
मैंने भी उसको रिप्लाई किया ‘मेरा भी कुछ यही हाल है!’

दोस्तो, यह थी मेरी और ऋचा की एक छोटी सी मुलाकात!
आशा है आप सबको पसंद आई होगी और आप सबने बहुत एन्जॉय भी किया होगा।

आपके दिल में, कल्पना में कोई न कोई ऋचा या राहुल होगा, आप जिसको देखते हुए आप ऐसी ही कुछ कल्पना करते होंगे!

फिर भी आप के दिल में जो भी सुझाव या फिर आपकी कोई कल्पना हो जिसे आप बताना चाहते हो, मेरे ईमेल द्वारा आप संपर्क कर सकते है… फेस बुक, हैंगआउट, पर भी विचार प्रकट कर सकते हैं।

हर किसी को अपने तरीके से जीने का हक़ है.. अपनी इच्छाओं को दबाओ नहीं बल्कि भड़काओ क्योंकि आपका अपना अस्तित्व है, वज़ूद है।

आप सब का शुक्रिया मेरी कहानी पढ़ने के लिए।
आपके अमूल्य विचारों को जानने को उत्सुक हूँ मैं!
आप भी यदि कोई सीक्रेट कोई शेयर करना चाहते है या मेरे से कोई सहायता चाहते/चाहती हैं तो मेरे ईमेल पर आप संपर्क कर सकते/सकती हैं।
कृपा करके आप फालतू के मैसेज भेज का अपना और मेरा समय बर्बाद न करें।
rahu[email protected] मेरे प्रोफाइल से भी आपको मेरा डिटेल मिल जायेगा।

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