अन्तर्वासना की प्रशंसिका की लेखक से मुलाकात-2

(Antarvasna Ki Prashansika Ki Lekhak Se Mulaqat- Part 2)

This story is part of a series:

राहुल के कमरे में पहुँच कर मैं सीधे वाशरूम चली गई, इधर उसने वाइन और कुछ खाने को मंगवा लिया। मैं जब बाहर आई तो राहुल वाइन और खाने के सामान को टेबल पर लगा रहा था।
ऋचा- ये क्या है?
राहुल- कुछ नहीं, आज की शाम को और हसीन बनाने का इंतज़ाम!

फिर उसने कमरे की सारी लाइट बंद कर दी और कुछ कैंडल्स जला दी, 2 कैंडल वाइन की टेबल पर और 1-1 कैंडल बेड के दोनों सिरहाने पर, और 1 ड्रेसिंग टेबल पर.. मैं इस खुशनुमा माहौल के लिए तैयार नहीं थी.. पर जैसा आप सब जानते हैं कि राहुल कितना रोमांटिक है.. तो ऐसा तो होना ही था।

कमरे में कैंडल्स की हल्की पीली रोशनी में राहुल ने वाइन का गिलास मेरी तरफ बढ़ाया, सच कहूँ बिंदास तो मैं थी पर वाइन मैंने कभी नहीं पी थी, एक हिचकिचाहट के साथ गिलास हाथ में ले लिया।

तब उसने मेरा दूसरा हाथ पकड़ा और मुझे लेकर ड्रेसिंग टेबल के शीशे के सामने ले गया, फुल शीशे में मैं पूरी दिख रही थी, राहुल ने मुझे पीछे से बाँहों में लिया और बोला- यह शाम हमारी दोस्ती के नाम!
कह कर मेरे गिलास वाले हाथ को पकड़ कर अपने होंटों से लगा लिया और अपना गिलास मेरे होंटों को..

दोस्तो, आप सब कभी इस पोज़ को अज़माना… कितना रोमांटिक थे वो पल.. कैंडल लाइट में चमकता हमारा जिस्म एक दूसरे के हाथों ने वाइन पीते हुए!
वाइन का टेस्ट मुझे अच्छा लगा, कुछ एक सिप के बाद राहुल ने मेरे गर्दन में किस करना शुरू किया, उसके एक हाथ में गिलास था और दूसरा हाथ मेरे पेट पर था, एक तरह से मैं उसकी बाँहों में थी!
मैं आँखें बंद करके उस रोमांटिक माहौल का आनन्द उठाने लगी।

राहुल का स्पर्श एक ऐसा सुखद अहसास था कि मैं उसमें खो सी गई थी। राहुल एक प्रेमी की तरह मेरे जिस्म के हर कोने में अपने हाथों के स्पर्श की मौजदगी का अहसास करा रहा था, उसका हर स्पर्श मुझे एक नई दुनिया में ले जा रहा था, जो मुझे हर्ष सर के साथ अनुभव नहीं हुआ था।

वो मुझे वाइन पिला रहा था तो दूसरा हाथ धीरे धीरे मेरी चूची की तरफ बढ़ रहा था, उसके होंठ मेरी गर्दन पर थे, उसकी गर्म सांसें मैं महसूस कर रही थी।
मैं आंखें बंद करके उसके अगले मूव का इंतज़ार कर रही थी.. वो जानता था कि मैं पूर्ण समर्पण कर चुकी हूँ फिर भी वो आगे नहीं बढ़ रहा था… एक हद पे जाकर रुक जाता!

मैं बेचैन हो उठी… मैं धीरे से उसकी तरफ घूम गई उसका और अपना गिलास एक तरफ रख कर उसकी आँखों में देखा… ढेर सा प्यार, समर्पण दोनों की आँखों में था!
मैंने उसके पैर के पंजों पर खड़े होकर उसके नशीले होंटों को अपनी होंटों में कैद कर लिया।
‘आह…’ एक मादक आवाज़ दोनों के मुख से सुनाई दी और फिर- उफ्फ्फ राहुल ल ल ल लव मी!

हम दोनों का लिप लॉक काफी देर तक चला- आह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह्ह… चूस लो…. आअ राहुल… आह्ह… आआह्ह्ह मत करो… कुछ हो रहा है हमें… आअह्ह ह्ह राहुल क्या कर रहे हओ?
राहुल के हाथ अब मेरी चूची पर आकर सहलाते हुए हल्के हल्के मसल रहे थे ‘उफ्फ आह्ह…’
मैं चाहती थी कि वो और जोर से दबाए!

फिर राहुल ने मुझे उठा कर पलंग पर लिटाया और मेरे आधे जिस्म के ऊपर आकर लिप किस करने लगा। उसके होंठों को किस करते करते उसके हाथ मेरी रसीले मम्मों को दबाने लगा।
मैने आनन्द से भर कर उसको जकड़ लिया।

राहुल के दोनों हाथ मेरे बदन को सहला रहे थे, मेरी वन पीस ड्रेस को धीरे धीरे उसने ऊपर करना शुरू कर दिया और मेरी चिकनी जांघों पर उसका हाथ… मेरी मादक सिसकारी… ओह्ह्ह रॉ आ हु ल राहुल…
धीरे से मेरी कब वन पीस ऊपर की तरफ होकर मेरे जिस्म का साथ छोड़ गई, पता ही नहीं चला!

अचानक मुझे अहसास हुआ कि मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में हूँ.. मेरा गोरा बेदाग चिकन बदन अब बेपर्दा था… हर्ष सर के बाद राहुल मुझे ब्रा पेंटी में देख रहा था!
मेरे चेहरे पर शर्म की लाली आ गई, गोरा मुखड़ा लाल हो गया, मेरे जिस्म में वो आग फिर से भड़क गई जिसको पिछले 5 साल से मैंने दबा के रखा था।

राहुल फिर मेरे ऊपर छा गया और मुझे धीरे धीरे किस करना शुरू किया, मेरे पैरों को उठा कर मेरे पैरों की एक एक उंगली को चूसना चालू किया तो बदन में उत्तेज़ना की लहर दौड़ गई- उफ्फ आअह्ह राहुललल!
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चूमते चूमते वो ऊपर की ओर बढ़ा और मेरी जांघों को चाटने लगा, चूसने लगा।
‘राहुल लव मी.. ओ ओ ओ आहआह आह यय उफ़!’ मुझे इंतज़ार था कि वो कब मेरी बुर के पास आएगा।
पर वो शैतान बुर के आस पास चूम कर सीधे मेरी नाभि और मेरे सपाट पेट पर आ गया, मैं तड़प कर रह गई।

राहुल की जीभ मेरी नाभि के अंदर गोल गोल घूम रही थी, मेरी मादक सिसकारियां गूंज रही थी- ओह राहुल.. आह उफ्फ उफ्फ्फ उफ्फ य या या या आह्ह्ह!
मेरा जिस्म तड़प रहा था और वो शैतान मुझे तड़पा तड़पा कर मजा ले रहा था, मेरे हाथ उसकी बालों को सहला रहे थे, मेरी मादक सिसकारियां ‘आआआ आआऐईईई ईईईई… आआह्ह ऊऊ… ऊऊह्ह्ह ऊओफ…!

उसके हाथ मेरी ब्रा के ऊपर से ही चूची को सहला रहे थे, मेरे निप्पल उत्तेज़ना में खड़े हो गए.. उसका निप्पल को जोर से मसलना मेरे जिस्म में करेंट सा दौड़ा देता था- ओह्ह इ ई ई ई आह उफ्फ्फ! लगती है यार… धीरे से!
पर राहुल तो शैतान था, वो दर्द देता भी था तो प्यार से… इस दर्द में भी एक मजा था!

राहुल मेरे ऊपर छा गया, मेरे होंटों को चूसने लगा, कभी ऊपर का होंठ तो कभी नीचे का… मेरा पूरा सहयोग था, उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर आकर मुझे पागल कर रही थी तो मैं भी उस आनन्द में खोकर पूरा साथ दे रही थी।

न जाने कितनी देर हम उसी अवस्था में थे, एक दूसरे की लार से पूरा मुँह गीला गीला सा था। अचानक उसकी हाथ पीछे गए और मेरी ब्रा का हुक उसने खोल दिया, ब्रा को निकाल कर एक तरफ फ़ेंक दिया।

मेरी गोरी उजली चूची, गुलाबी चूचुक हल्का गुलाबी एरोला उसके सामने था, राहुल की नज़र उस पर थी, मैंने एक नज़र उसको देखा दोनों की नजरें मिली.. उसकी नॉटी स्माइल से मैंने शर्म से आँखें बंद करके खुद को उसके हवाले कर दिया।

मैं चाहती थी कि वो मेरी चूची को जोर जोर से चूसे, निप्पल को काटे!
पर ऐसा हुआ नहीं..

मैंने देखा तो राहुल अपनी शर्ट उतार रहा था, शर्ट के नीचे कुछ नहीं था, उसकी चौड़ी छाती बालों से भरी मेरे सामने थी… वो मेरे ऊपर झुका और मेरी चूची उसके मुँह में.. मेरी तो एक बारगी सिसकारी छूट गईं- आअह्ह ओह्ह्ह इ ई ई ई ई ह्ह… उईई… ईईई माआआ… माआआ!
मेरे हाथ उसके बालों में चले गए, मैंने सर को चूची पे दबा दिया, मेरी आँखें आनन्द से बंद हो गई, सिर्फ मेरी आवाज़ें और सिसकारी का शोर- आहः उई उई उई राहुल और जोर से चूसो… जान मेरी उफ्फ्फ इ ई ई ई ई मर गई!

कभी वो एक चूची को चूसता तो कभी दूसरी को… कभी निप्पल को काटता तो साथ में हाथ से दूसरे निप्पल को मसल देता। मैं चीख पड़ती दर्द भरे आनन्द से- ईईई लगती ई ई है यार… धीरे से ना… आई माँउफ्फ्फ्फ़ .. धीरे ओह्ह आह!
मेरी बुर से झरना बह रहा था, पेंटी पूरी गीली थी, ऐसा तब था जब उसने अभी तक मेरी बुर पे हाथ भी नहीं लगाया था।

मेरी उत्तेज़ना और मदहोशी का आलम यह था कि मेरा हाथ खुद ही उसकी ज़िप पर चला गया, मैंने ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ कर जोर से मसल दिया।
राहुल मेरी इस हरकत पर सिसकारी भर उठा- आअह्ह ओह्ह जान न न न!

मेरे हाथ खुद ही बिजी हो गए, पहले बेल्ट, फिर बटन खुल गए, मेरा हाथ अंदर चला गया, जॉकी के ऊपर से ही मैंने लंड को पकड़ लिया, उसकी गर्माहट ही ऐसी थी कि मेरे मुख से आअह्ह्ह निकल गई, मेरा अंदाज़ा था कि 6 इंच से बड़ा ही होगा!
दूसरा हाथ उसकी गांड को दबा रहा था धीरे से उसकी पैंट और जॉकी को मैंने उतार दिया, उसका नंगा जिस्म मेरे सामने था, उसके लंड के पास काले घुंघराले बाल थे। या यह कहो कि पूरे जिस्म में ही बाल थे पर सेक्सी था।

मैंने धीरे से उसको पलट दिया और उसके ऊपर आ गई और जांघों के दोनों तरफ पैर करके उसकी जांघो में बैठ कर उसकी ऊपर झुक गई और फिर… एक बार फिर मैं उसको और उसके होंटों को चूसने लगी।

उसका लंड मेरी पेंटी से रगड़ रहा था, मेरी बर्दाश्त से बाहर था, मैंने खुद ही अपनी पेंटी उतार दी और राहुल से चिपक गई। उसकी बॉडी की स्मेल और गर्मी से मैं पिघल गई… हम दोनों न जाने कितनी देर एक दूसरे के जिस्म को चूमते रहे थे, काटते रहे थे। जगह जगह मेरे जिस्म पर लाल निशान थे जो राहुल की शैतानी का नतीजा थे।

मैं- राहुल, अब बर्दाश्त नहीं होता! कुछ करो न! मुझे तुम चाहिए, आओ न मेरे ऊपर!

कहानी जारी रहेगी।
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