फ़ौजी आंटी का पाँच बार पानी निकाला
मेरे होंठ उसकी गाण्ड की तरफ गए और दोनों मटकों को मैं चाटने लगा। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.. लगता था जैसे उसके पति ने कभी वहाँ हाथ भी नहीं लगाया था।
ओरल सेक्स की हिंदी चुदाई कहानियों का मजा लें जिनमें लड़की द्वारा लंड चूसने और लड़के द्वारा चूत चाट के एक दूसरे को मजा देने का वर्णन है.
Oral Sex ki Hindi chudai kahani
मेरे होंठ उसकी गाण्ड की तरफ गए और दोनों मटकों को मैं चाटने लगा। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.. लगता था जैसे उसके पति ने कभी वहाँ हाथ भी नहीं लगाया था।
यह कहानी है एक लड़की की जो शादी से पहले अपने एक पड़ोसी लड़के से हर रोज रात को चूत चुदाई का मज़ा लेती रही। तो आप भी मज़ा लीजिए उसी लड़की के मुख से उसकी चुदाई भरी रातों का…
उर्वशी अपनी अन्तर्वासना में डुबकी लगते हुए आहें भरने लगी और सिसकारने लगी, मेरे सिर के बालों को दोनों हाथों से पकड़ अपनी ओर खींच कर मेरे होंठों को अपने होंठों में दबोच कर चूसने लगी।
मैं बाहर आई तो देखा- तीनों नंगे मेरे बिस्तर पर चूमा-चाटी में भिड़े थे। दोनों लड़के मुझे देखकर मेरी ओर लपके.. दो गैर मर्दों को एक साथ नंगा मैं पहली बार देख रही थी.
हमारी मुलाकात एक इंस्टिट्यूट में हुई थी और पहली नज़र में ही शाज़िया मुझे पसंद आ गई थी। बस मैंने देर ना करते हुए उसे प्रपोज कर ही दिया.. मगर उसकी तरफ से पहला जबाव नहीं आया।
उसका सर मेरे सीने पर था और बालों से उसका चेहरा ढका हुआ था। मैंने जैसे ही उसके बाल उसके चेहरे से हटाये तो उसने अपना चेहरा उठा कर मेरी तरफ किया, मेरे और उसके होंठ आमने सामने थे।
मेरे हाथ सोनाली के चूचों को मसल रहे थे और धीरे-धीरे उसके कपड़े भी उतार रहे थे। सोनाली इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उसको पता ही नहीं चला, मैंने कब उसको पूरी नंगी कर दिया।
भैया बोले- हाँ भाभी, वो आपके मुंह में जाने को बेताब है। मैं आपकी चूत चाटता हूँ, आप मेरे लंड को चूस डालिए, चलिए 69 में दोनों अपने अपने गुप्तांगों को परम सुख दें, हथियारों को थोड़ी धार देते हैं।
मेरी एक गर्ल फ्रेण्ड है सेजल… मस्त माल है.. उसने मुझको फोन किया, तुम मेरे घर आ जाओ.. मैं घर पर अकेली हूँ। मैं कुछ मिनट में उसके पास पहुँच गया। उस दिन वो बड़ी मस्त लग रही थी।
मेरे पति दफ़्तर चले गए, पीछे से देवर भाभी रह गये तो कुछ ना कुछ गुल खिलना ही था। इस भाग में बस यही है कि भाई के पीछे देवर भाभी के बीच क्या क्या हुआ!
मधु नीलेश के बालों को पुचकारते हुए बोली- भइया, आप बहुत अच्छी चुदाई करते हैं। आपका कड़क लंड ऐसा लग रहा है जैसे लोहे की रॉड अंदर डाल दी हो। आप तो... आह ओह्ह्ह आह… भर दो ओह्ह्ह आह आह मेरी चूत को!
मोटे होठों की खड़ी फाँक, बीच में गहरा भूरापन लिये- जैसे किसी ने पाव रोटी को बीच से काटकर अंदर चॉकलेट दबा दी हो। जेम्स होठों पर जीभ फेरने लगा। कल्पना आधी आँखें मूँदे पलकों की झिरी से देख रही थी।
सोनम भी दबे पाँव रोहन के कमरे के दरवाजे पर आ गई और कान लगा कर अन्दर की बातें सुनने लगी, अंदर से आती सिसकारियों की आवाज सुन कर सोनम की चूत में हलचल होने लगी
काफ़ी देर तक चूत को चूसने के बाद अपने मुँह में लेकर मेरे मम्मों को पीने लगा। अब मुझे भी मस्ती सी आ रही थी, वो मेरी चूत में उंगली भी कर रहा था।
चाची के बदन की अगन नहीं बुझती थी क्योंकि चाचा अकसर काम से बाहर रहते थे. मैं उनके घर रहने गया तो चाची ने मुझे अपनी अन्तर्वासना का शिकार बनाया! मज़ा मुझे भी बहुत आया..
मेरे पड़ोस में लड़की रहती थी, 12th में थी शायद! फिगर एकदम मस्त था। वो मुझे देखती तो रहती थी पर मुझे डर लगता था कि मैं बात कैसे शुरु करूँ। वो मुझसे कैसे चुद गई?
वो मेरे निप्पल सहलाने लगी। मैंने उसकी जांघों के जोड़ों को चाटना शुरू कर दिया, कभी हल्के दाँतों से काटता और कभी उसकी रेशम जैसी जांघों को चूसने लगता।
उसकी चूत एक उभार लेते हुए ऊपर को उठी हुई मुझको चूसने का लालच देने लगी। मैं जैसे ही उसकी पावरोटी सी फूली बुर को चूसने को हुआ.. तो कूलर के पास से कुछ गिरने की आवाज आई.. और मैं एकदम से रुक गया।
पूनम की भाभी को गर्भ नहीं ठहर रहा था तो कम्मो के कहे अनुसार भाभी को सन्तान देने के लिये उनकी चूत चुदाई का कार्यक्रम चल रहा थ कि पूनम के भैया आ गये।
पड़ोस में नई फैमिली आई, छोटी सी फैमिली थी। चाची सांवली थीं.. पर गजब की माल थीं, उनकी चूचियां बहुत बड़ी और आकर्षक थीं, मैं अक्सर उनकी रसभरी चूचियों को घूरता रहता था।