दीदी की चुदाई

दीदी की चुदाई की हिंदी सेक्स कहानी, बड़ी बहन, चचेरी, ममेरी, फुफेरी बहन की चूत की चुदाई का मजा लेने की सेक्सी स्टोरी यहाँ पर आपको मिलेंगी.
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जिस्मानी रिश्तों की चाह -39

मैं और फ़रहान अपनी बड़ी बहन के नंगे बदन से चिपके पड़े थे, वो उनकी गांड चाट रहा था और मैं चूत में उंगली कर रहा था। तभी आपी ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया।

जिस्मानी रिश्तों की चाह-38

आपी ने मेरी मुठ मार मुझे और फ़रहान ने आपी की चूत चाट उन्हें झड़वा दिया। उसके बाद वो चली गई और अगली रात गयारह बजे के बाद आपी हमारे कमरे में आई… तो क्या हुआ?

जिस्मानी रिश्तों की चाह -37

अब आपी अपने भाइयों यानि मेरे और फ़रहान से बिल्कुल बेपर्दा होकर अपना नंगा हुस्न नुमाया कर रही थी। मैं उन्हें चूम रहा था और फ़रहान उनके नंगे जिस्म से खेलने में लगा था।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -36

मैं अपनी ज़ुबान से चाटता हुआ रान से घुटने.. और फिर पिण्डलियों से हो कर पाँव तक पहुँचा और आपी की सलवार को उनके जिस्म से अलग करके पीछे फेंक दिया।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -35

मैंने आपी की टाँगों को खुलता महसूस कर लिया था और उनकी चूत से बहते पानी ने भी मुझे यह समझा दिया था कि अब आपी का दिमाग उनकी चूत के कंट्रोल में आ गया है..

मेरी आप-बीती : भैया ने भी मुझे चोद दिया -2

भैया अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे ऊपर लेट गए, मैं भी आँखें बन्द करके पड़ी रही और भैया के लिंग के प्रवेश कराने का इंतजार करने लगी। भैया ने एक हाथ से अपने लिंग को मेरी योनि के प्रवेश द्वार पर रख कर जोर का धक्का मारा..

जिस्मानी रिश्तों की चाह -34

मैंने अपनी बहन के हसीन उभारों को देखा और अपने दोनों हाथों में आपी के उभार पकड़ कर दबाए और निप्पल को सहलाने के फ़ौरन बाद ही अचानक से आगे बढ़ कर आपी का खूबसूरत गुलाबी निप्पल अपने मुँह में ले लिया।

मेरी आप-बीती : भैया ने भी मुझे चोद दिया -1

भाई बहन की चुदाई की यह कहानी शराब के नशे में भाई द्वारा अपनी छोटी बहन की चूत चुदाई की है जिसमें बहन ने भी मज़ा लेकर अपनी चूत चुदवाई क्योंकि बहन की यह पहली चुदाई नहीं थी.

जिस्मानी रिश्तों की चाह-33

मर्दों का तो कुछ नहीं जाता और ना ही कोई ऐसा सबूत होता है.. जो उनके कुंवारेपन को चैलेन्ज कर सके, जबकि लड़कियाँ अगर अपना कुंवारापन खो दें.. तो वे उसे कभी छुपा नहीं सकती हैं।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -32

मैंने अपनी उंगलियाँ आपी की चूत के दाने से उठाईं और चूत के अन्दर दाखिल करने के लिए नीचे दबाव दिया ही था कि आपी फ़ौरन बोलीं- सगीर.. रुको ना.. हाय प्लीज.. उईईई.. और ऊपर.. रगड़ो ना.. आआहह..

जिस्मानी रिश्तों की चाह -31

मेरे और आपी के जिस्म पर सिर्फ़ हमारी सलवारें ही थीं और आपी के सीने के उभारों पर उनकी खुली हुई ब्रा रखी हुई थी। मैंने अपने दोनों घुटने आपी की टाँगों के इर्द-गिर्द टिकाए और उनके सीने के उभारों पर अपना सीना रखते हो आपी के ऊपर लेट गया।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -30

आपी ने मेरे सख़्त हाथ को अपने नर्म और मुलायम उभार पर महसूस किया और एक 'अहह..' भरते हुए मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मेरे हाथ को हटाने के बजाए अपने हाथ से मेरे हाथ को दबाने लगीं।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -29

मैंने आपी के कूल्हों में अपने लण्ड को ज़रा और दबाया.. तो उन्होंने मेरे लण्ड के दबाव से बचने के लिए अपने कूल्हों को दायें बायें हरकत दी तो उसका असर उलटा ही हुआ और मेरा लण्ड आपी के कूल्हों की दरार में मुकम्मल फिट हो गया।

जिस्मानी रिश्तों की चाह-28

मैं खाना खाते-खाते नज़र उठा कर आपी के सीने के उभारों और पूरे जिस्म को भी देख लेता था। आपी ने मेरी नजरों को महसूस कर लिया था, लड़कियों की सिक्स सेंस्थ इस मामले में बहुत तेज होती है।

जिस्मानी रिश्तों की चाह-27

अपनी बहन के सीने के दोनों उभारों को अपने दोनों हाथों में दबोचा और आपी की चूत पर अपना मुँह रखते हुए उनकी चूत के दाने को पूरी ताक़त से अपने होंठों में दबा लिया और चूस लिया।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -23

सम्पादक जूजा हम भाइयों की जिद पर आपी ने अपनी कमीज उतार कर अपनी नंगी चूचियाँ हमें दिखाई और जब आपी क़मीज़ पहनने लगी तो हम उदास हो गए। तब आपी ने एक बार अपनी क़मीज़ ऊपर की और अपने खूबसूरत दूधों को नंगा करके दायें बायें हरकत देने लगीं। आह्ह.. 4-5 झटकों के बाद […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -22

उनके गुलाबी मम्मों पर हरी नीली रगों का जाल था और एक-एक रग साफ देखी और गिनी जा सकती थी। आपी ने अंगड़ाई लेने के अंदाज़ में अपनी टाँगें सीधी कीं और पाँव ज़मीन पर टिकाते हुए टाँगों को थोड़ा खोल लिया..

जिस्मानी रिश्तों की चाह -21

यह मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन तरीन नज़ारा था… मेरी आपी.. मेरी वो सगी बहन.. जिसकी हया.. जिसके पर्दे.. जिसकी पाकीज़गी.. की पूरा खानदान मिसालें देता था.. वो मेरे सामने बगैर क़मीज़ के खड़ी थीं… उसके मम्मे मेरी नजरों के सामने थे।

मेरा गुप्त जीवन- 178

मैं भी धड़ल्ले से बोली- वो मैं सम्भाल लूंगी, तुम बेफिक्र रहो! लेकिन उस रात भाभी को चोदने के बाद तुम मुझको आखिरी बार ज़रूर उसी कमरे में चोदोगे, वायदा करो??

जिस्मानी रिश्तों की चाह -18

'अब मुझे ये बताओ कि बाजी के जिस्म में ऐसी कौन सी चीज़ है.. जिसे देख कर तुम्हें बहुत मज़ा आता है और तुम्हारा जी चाहता है बार-बार देखने का?' आपी सवालिया नजरों से मुझे देखने लगीं।

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