अंदर से गीली और नर्म है

Antarvasna 2014-08-09 Comments

जब टिका देते हो इस जगह तुम अपनी जुबान
मेरे जिस्म में उठा देते हो तुम एक तूफ़ान
जी चाहता है बस यूँ ही तुम चूमते रहो प्यार से
चाट चाट के मेरी इसे हो जाओ हलकान
इसका इलाज बस यही है प्यार से खा जाओ इसे
यह तंग मुझे बहुत करती है, करती है मुझे परेशान
जब भी देख लेती है तुम्हें, यह फुदकने लगती है
तुम से मिल के कुछ करने का सोचने लगती है
चूमने चाटने के बाद जब यह हो जाय गीली और मस्त
इसकी आग बुझा दो मेरे साजन, यह तो है आतिश फ़िशाँ
चाट चाट के तुम बना दो इसको बदमस्त और दिवानी
फिर डाल के अंदर कर दो इसके पूरे सारे अरमान
भट्टी की तरह गर्म है अंदर से गीली और नर्म है
बहुत ही ज्यादा बेशर्म है बेहया है, है यह नादान
ढीठ है बहुत लाज आती नहीं मुझे तुम्हें सब कुछ देते हुए
तुमसे करवाने के लिए इसके लबों पे रहती है हमेशा हाँ…

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