मेरी सेक्स लाइफ के सेक्सी कारनामे

मेरे पति का ज्यादा समय अपने बिजनेस टूअर में ही निकलता है, मेरा एक बेटा है जो बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है।

मैं अकेली अपना समय कैसे बिताती हूँ, मेरे सिवा कौन जान सकता है! ऐसे में अपना अकेलापन काटने के लिए मैंने अपने पति की अनुमति से एक नवयौवना छात्रा को अपने घर में पेईंग गैस्ट रख लिया। अरे यह मैं भी क्या बातें करने लगी! ये बातें फ़िर कभी!

तो मैं अपने पूरे वस्त्र हटा कर दर्पण के सामने खड़ी सोच रही थी कि जो मैं करने जा रही हूँ वो मैं कर पाऊँगी? और यदि कर भी लिया तो यह क्या ठीक होगा?

मैं अपना समय बिताने के लिए इन्टर्नेट का प्रयोग करती हूँ, मेरी पेईंग गैस्ट लड़की श्रेया ने मेरा एक मित्र भी बनवा दिया था जिससे मैं अपना सुख दुख चैट पर सांझा कर लिया करती थी।

मेरे पति के आने से पहले श्रेया भी अपने घर चली गई थी तो अकेलापन काटने के लिए मैं अपने मित्र से कुछ कामुक सलाह मांग रही थी तो उन्होंने मुझसे यह करने को कहा:

रात को दस बजे या उसके बाद जब तुम्हें लगे कि तुम्हें कोई नहीं देखेगा, तुम अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी नंगी होकर एक जलती मोमबत्ती लेकर अपनी घर की छत का एक चक्कर लगा कर आओ। इसमें तुम्हें कैसा मजा आता है मुझे बताना!

तो यही साहसिक सेक्सी काम करने के लिए ही मैंने अपने कपड़े उतारे थे।

पर पुरुष समर्पण-4

वो मुझे पीछे से देखते ही रहे… धीरे से उन्होंने मुझे पीछे से ही अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरी नग्न पीठ पर एक चुम्बन लिया। मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ गई...

पर पुरुष समर्पण-3

ब्रा और ब्लाउज दोनों का साइज पहले से बड़ा था, वो जानते थे कि मान्या के जन्म के कारण मेरा वक्ष काफ़ी बढ़ गया है। असल में ही मैं मोटी हो गई हूँ। शचित जी और मैं खुद, हम दोनों बहुत उत्सुक थे यौनानन्द की नई पारी शुरु करने को… आपने मेरी कई कहानियाँ पढ़ी, […]

पर पुरुष समर्पण-2

मधुरेखा लेकिन उसने बिना कुछ बोले फ़िर से मेरे लबों को अपने लबों की गिरफ़्त में ले लिया। काफ़ी देर वो मुझे चूमता रहा। हम दोनों उत्तेजित हो चुके थे। मैंने अपना ब्लाऊज और ब्रा पूरी तरह से अपने बदन से अलग करते हुए कहा- इन्हें जोर जोर से चूसो शचित ! और मैं शचित […]

पर पुरुष समर्पण-1

मैं खुद ही हुक खोलने लगी। उसने मेरे हाथ हटाए और चट चट मेरे ब्लाऊज़ से सारे हुक खोल दिए, मेरी ब्रा को ऊपर सरका कए मेरे चुचूक को मुंह में लेकर किसी शिशु की तरह चूसने लगा।

पर-पुरुष सम्मोहन

On 2013-03-25 Category: पड़ोसी Tags:

मेरे मित्र ने जितना मुझे समझाया था, वो मैंने सफ़लतापूर्वक कार्यान्वित कर लिया था। अब मुझे प्रतीक्षा थी अपने मित्र से आगे के निर्देशों की ! मुझे पता नहीं था कि वे कब ऑनलाइन मिलेंगे मुझे तो मैं खुद ऑनलाइन होकर प्रतीक्षा में बैठ गई। आखिर मेरी मेहनत रंग लाई और मैंने अपने मित्र के […]

पर-पुरुष आकर्षण

On 2013-03-24 Category: पड़ोसी Tags:

दोस्तो, आपने मेरी पिछली कहानियों में मेरे कई सेक्सी कारनामे पढ़े ! वो सब मैंने अपने एक पुरुष मित्र से जिद कर कर के पूछे थे, मेरे वो मित्र विदेश में हैं तो वे दूर रह कर ही मेरी जिद पर मुझे निर्देश दे रहे थे। पर अब मैं इससे आगे जाना चाहती थी जिसमें […]

आम हारे, चीकू जीते

अपना पिछला करतब करने के बाद मेरी तबीयत नासाज हो गई थी, उसके दो कारण थे, पहला कि बर्फ़ के अपने बदन पर प्रयोग से मुझे ठण्ड लग गई थी, दूसरा यह कि मेरा मासिक धर्म शुरु हो गया था। लेकिन दिल बेचैन था कुछ नया करने के लिए ! तो मैंने अपने मित्र से […]

जो पहले कर ना सकी थी

मैंने चुपचाप आँखें मूंद ली... काफ़ी दर्द हो रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैं कोई गर्भवती थी, अभी मेरा प्रसव हुआ है और मेरा बच्चा मेरे दोनों निप्प्ल चूस रहा है...

कारनामा पूरा ना करने की सजा

उस गड़बड़ में जल्दी जल्दी में और डर के कारण मेरा बायां निप्पल अचानक पनीर की सब्जी में एकदम डूब कर बाहर निकल आया। ओह माँ... मेरे मुख से चीख निकल गई!

आसान काम नहीं है-2

मेरी चूत में अभी भी बर्फ़ का असर बरकरार था, मुझे लग रहा था कि अभी भी मेरी चूत में कुछ मोटा लण्ड जैसा फ़ंसा हुआ है, जैसे मैं अभी भी चुद रही हूँ।

आसान काम नहीं है-1

सुबह दूध वाले भैया को तड़पाने के बाद मैंने अपने मित्र को सारा घटनाक्रम बताया तो उन्होंने मुझे यह साहस भरा काम सफ़लतापूर्वक सम्पन्न करने पर बधाई दी। लेकिन अब तो मेरे ऊपर जैसे जुनून सवार हो गया था, मुझे कुछ और करना था, मैं अपने उस मित्र के पीछे ही पड़ गई कि कुछ […]

मैं किसे अपना बदन दिखाने जाऊँगी?

रात को मैं छत पर मोमबत्ती लेकर नग्न घूमने के बाद नीचे पहुँची और अपनी आप बीती लिख कर सबसे पहले इंटरनेट पर उन दोस्त को बताया कि मैंने कर दिखाया ! शायद वो मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे, वो मुझे ओनलाइन मिल गए और मैंने शुरू से आखिर तक पूरा घटनाक्रम बताया तो […]

डर और दर्द में भी मज़ा है

जब मैं एक एक करके अपने कपड़े उतार रही थी तब अजीब सी बेचैनी हो रही थी! पूरे कपड़े उतरे तो शीशे के सामने मैंने खुद को देखा! हे भगवान! पूरे बदन में बिजली सी दौड़ गई.. बता नहीं सकती कि क्या चल रहा था मेरे मन में! डर और रोमांच का मिलाजुला सा अनुभव […]

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