मौसी की चूत में गोता -10
मैंने कहा- अब इस दर्द को जाने में समय लगेगा.. क्योंकि जब तक मेरा लण्ड तेरी चूत को 8-10 बार चोद नहीं देगा.. और जब तक तुम्हारी चूत मेरे लण्ड के साइज़ की नहीं हो जाएगी.. तब तक दर्द होगा...
मैं अपनी मौसी के यहाँ रह कर 12वीं में पढ़ रहा हूँ।
मेरी मौसी गदराए हुए जिस्म वाली महिला हैं, उनके 36 साइज़ के दूध.. 32 इंच की कमर और 34 इंच के 3-3 किलो के रसीले तरबूज पिछवाड़े में सैट किए हुए हैं.. मतलब जबरदस्त उठी हुई गाण्ड है।
मौसा जी सुबह 5 बजे से टयूशन कोचिंग के चक्कर में निकल जाते थे और रात 8 बजे तक घर आते थे। उन्हें अक्सर हफ्ते में 1-2 दिन काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में भी रहना पड़ता था। तब मैं और मौसी ही घर पर अकेले होते थे।
मैं और मेरी मौसी दिन भर घर में अकेले रहते थे.. और दिनों-दिन मेरी चुदाई की तड़फ बढ़ती ही जा रही थी और ऐसे में मेरे लंड ने मेरी आँखों को मुझे अपने से कई साल बड़ी अपनी ही मौसी को हर समय देखते रहने पर मजबूर कर दिया.. और मैं भी मौसी को देखकर अकेले में ‘आहें..’ भरने लगा और अब तो हालत यह थी जब भी मेरी नदी में बाढ़ आती.. तो मेरी आँखों के सामने खुद ही मौसी का चेहरा आ जाता और मेरा लौड़ा कुछ ही देर में शांत हो जाता था।
मैंने कहा- अब इस दर्द को जाने में समय लगेगा.. क्योंकि जब तक मेरा लण्ड तेरी चूत को 8-10 बार चोद नहीं देगा.. और जब तक तुम्हारी चूत मेरे लण्ड के साइज़ की नहीं हो जाएगी.. तब तक दर्द होगा...
इस बार मैंने फ़ैसला कर लिया कि मौसी की गाण्ड मारनी है.. तो उनकी चीखों की परवाह ना करते हुए उनकी गाण्ड मारनी होगी.. चाहे वो कितना भी चीखें या चिल्लाएं..
तब मैंने अपनी आँखों में शरारत भरते हुए कहा- तुम्हारे पीछे का छेद तो कुंवारा है.. इसलिए आज मैं अपनी सुहागरात में अपनी पत्नी की गाण्ड मारूँगा।
जब से हमारी चुदाई हुई थी.. मौसी मुझसे और मेरे लौड़े से बहुत प्यार करने लगी थीं, मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थीं।
मोटा लण्ड जब मौसी की चूत की नाज़ुक मगर आती संवेदनशील त्वचा पर रगड़ता.. तो लाली मौसी सिसक उठतीं और अब वो वास्तव में अपने आपको आसमान में उड़ती हुई परी महसूस करने लगी थीं..
औरत की चूत के साथ ज़िंदगी में सिर्फ़ एक ही बार रहम किया जाता है और वो भी अगर चूत कुँवारी हो.. उसके बाद अगर रहम किया तो फिर चूत दूसरा लण्ड ढूँढने लगती है.. औरत की चूत तो बेरहमी से ही चोदी जाती है।
‘ऊई माँआ... आशीष.. ये छोड़ो मुझे..’ मौसी अपने आपको छुड़ाने का नाटक करती हुई बोलीं। ‘आशीष तुम तो बड़े खराब हो.. कोई अपनी मौसी को ऐसे नंगी करता है क्या?’
मैंने जब उनकी गाण्ड की दो फलकों को अलग करने वाली लकीर पर नज़र जमाई.. तो मेरी मति भ्रमित हो गई.. रिश्ते-नाते सब हवा हो गए.. याद था तो बस लंड और चूत की प्यास।
मौसा के आने के पहले मौसी नहाने चली गईं.. क्योंकि आज रात को चूत लंड की लड़ाई होने वाली थी। उसके बाद वो पूरी शिद्दत से चुदने के हिसाब से तैयार हुईं और नेट की हल्की और पारदर्शी साड़ी पहनकर मौसा का लंड लेने के लिए तैयार हो गईं।
मैं अपनी मौसी के भरे जवान और प्यासे जिस्म से बहुत आकर्षित हो गया था और उनके साथ कुछ शारीरिक सम्बन्ध बनाने का प्रयास करने लगा