काली टोपी लाल रुमाल

मैं अपने ट्यूशन मास्टर को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था. मगर उसके घर में मुझे कोई और इन्सान बहुत पसंद था. अपने गुजरे हुए दिनों को आप सब के साथ साझा कर रहा हूँ इस खूबसूरत कामुक कथा में.

काली टोपी लाल रुमाल-2

धीरे धीरे मेरे होंठ अपने आप उसके गले से होते उरोजों की घाटियों तक पहुँच गए। सिमरन ने मेरा सिर अपनी छाती से लगा कर भींच लिया। आह... उस गुदाज रस भरे उरोजों का स्पर्श पा कर मैं तो अपने होश ही जैसे खो बैठा।

काली टोपी लाल रुमाल-1

एक नटखट, नाज़ुक, चुलबुली और नादान कलि मेरे हाथों के खुरदरे स्पर्श और तपिश में डूब कर फूल बन गई और और अपनी खुशबूओं को फिजा में बिखेर कर किसी हसीन फरेब (छलावे) के मानिंद सदा सदा के लिए मेरी आँखों से ओझल हो गई।

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