एक और अहिल्या

साली की बेटी की शादी का प्रबंधन मेरे जिम्मे था क्योंकि शादी मेरे ही शहर में थी. मेरी साली के जेठ और उनका परिवार, उनकी बेटी मेरे घर में ठहरे हुए थे. यही है मेरी इस कहानी की नायिका.

एक और अहिल्या-11

मेरी उंगली योनि की दरार के ऊपर चने के दाने के साइज़ के भगनासा पर ठहर गयी लेकिन वसुन्धरा के मुंह से जोर-जोर से कराहें ... कराहें क्या एक तरह से चीखें निकलने लगी.

एक और अहिल्या-10

वसुन्धरा के नंगे, गर्म जवान जिस्म को पीछे से रगड़ कर मेरा नंगा जिस्म आग पैदा कर रहा था. मेरा गर्म लिंग उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसके नितम्बों की दरार पर रगड़ खा रहा था.

एक और अहिल्या-9

मैंने आगे झुक कर वसुन्धरा के दाएं निप्पल को मुंह में लिया और उसे होंठों और जीभ से चुमलाने लगा. वो तत्काल मेरा सर अपने हाथों में ले अपने उरोजों पर दबाने लगी.

एक और अहिल्या-8

"ओ राज! मुद्दतों तड़पी ... बरसों सुलगी, मैं इस पल के लिए." कह कर वसुन्धरा ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर नीचे कर के मेरा चेहरा चुंबनों से भर दिया.

एक और अहिल्या-7

मैं कपड़े उतार खूंटी पर टांगने लगा तो खूँटी पर टंगा वसुन्धरा का नाईटगाउन नीचे गिरा और गाउन के नीचे टंगी कल की पहन कर उतारी हुई उसकी ब्रा और जाली वाली काली पेंटी नुमाया हो गयी.

एक और अहिल्या-6

ऊँचा कद, कमान सा तना सुडौल गोरा बदन, माथे पर उड़ती ज़ुल्फ़ें, तीखा सुतवां नाक, गुलाब सी कलियों से होंठ, नाभि से ज़रा नीचे बंधी शिफ़ौन की मरून साड़ी में से पारे की तरह थिरकती लम्बी पुष्ट जाँघें.

एक और अहिल्या-5

मेरी साली की बेटी अपनी विदाई के ज़ज़्बाती लम्हे में मुझसे गले मिली तो चुनरी की ओट में उसने अपने हाथ से मेरा लिंग पैन्ट के ऊपर से सहला दिया ... लिंग को मुट्ठी में भर लिया.

एक और अहिल्या-4

मैंने कांपते हाथों को स्थिर किया और वसुन्धरा की के पैरों के बीच जमीन पर पड़ा लहंगा ऊपर उठाना शुरू किया, उसकी जांघों के में पेंटी कुछ-कुछ गीली हो गयी दिख रही थी.

एक और अहिल्या-3

नाड़ा कटते ही लहँगा उसके पैरों में ऐसे गिरा जैसे किसी मूर्ति के अनावरण समारोह में मूर्ति का पर्दा नीचे गिरता है. वसुंधरा की केले के तने सी चिकनी दोनों टाँगें नंगी मेरे सामने थी.

एक और अहिल्या-2

मेरी भानजी की शादी मेरे शहर में, मेरी रहनुमाई में हो रही थी. मेरे घर रुकी में एक खूबसूरत, शिक्षित लेकिन बेढंगी, उखड़ी उखड़ी सी रहने वाली एक लड़की से मैं परेशान सा था.

एक और अहिल्या-1

मेरी साली की बेटी की शादी मेरे शहर में थी, सारा इंतजाम मेरे जिम्मे था. मेरे साढू के रिश्तेदार मेरे घर में रुके थे. उन्हीं में से एक थी इस कहानी की नायिका ...

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