लम्बा टूअर-2

(Lamba Tour- Part 2)

This story is part of a series:

सबसे पहले मैं गुरूजी का धन्यवाद करता हूँ एवं नमस्कार करता हूँ, आप सभी पाठकों का भी बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने मुझे ढेरों पत्र लिख कर मेरी कहानी लम्बा टूअर से आगे के बारे में पूछा है। उन सभी का इंतज़ार समाप्त करते हुए मैं आगे की बात आपको बताता हूँ।

रात हो चुकी थी और खाने की कोई दिक्कत थी नहीं ! सभी चीजें घर में थी, आरती आठ बजे अपने कमरे से निकल कर आई और मेरे कमरे में आ गई। मैं समाचार देखने में मशगूल था, कब आरती आ गई, मुझे पता ही न चला। मेरे पास आकर बैठ गई, बोली- क्या चल रहा है?

मैं हड़बड़ा गया, जब देखा कि आरती है तो बोला- आपने तो डरा दिया था !

फिर बोली- चलो आओ, कुछ खा-पी लो !

मैं बोला- मैं खाऊँगा नहीं ! हाँ, मैं दूध पी लूँगा।

फिर आरती चली गई, उसने कुछ खाया या नहीं, पता नहीं, थोड़ी देर में आई और मुझे देख कर बोली- क्या तुम थक गए हो?

मैं बोला- क्यों?

तो बोली- सवेरे से लगे हो !

मैं बोला- थका तो नहीं, हाँ, सुस्ती है।

बोली- चलो थोड़ी सुस्ती दूर कर लो।

और वह मुझे अपने साथ घर की छत पर ले गई, आसपास कोई घर था नहीं, दूर दूर तक पेड़ और फिर पहाड़ ! शांति ! आसमान साफ़ था, तारे बिल्कुल साफ़, घनघोर अँधेरा !

हम आसमान की ओर देख रहे थे, आरती मुझे सीने से लगा कर करने लगी चुम्बन और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख कर चूसना शुरू कर दिया।

और फिर अपनी जबान मेरे मुँह में घुसा दी और जोर-जोर चूसने लगी।

मैं भी लग गया।

इतने में उसने मेरी चड्डी उतार फेंकी, अपने घुटनों के बल बैठ गई, मेरे सोते हुए लिंग को अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी।

थोड़ी देर में लिंग खड़ा कर दिया और वह इसको देख कर और जोर लगा कर चूसने लगी।

मैं कितना रुकता, मैं बोला- मैडम, पानी आने वाला है !

बोली- कोई बात नहीं ! निकाल दो !

और फिर मेरा वीर्य बाहर आ गया और सीधा उसके मुँह में गिरा दिया और मजा तब आया जब वो सब पी गई और लिंग को चाट कर साफ़ कर दिया। मुझे इसकी अपेक्षा नहीं थी।

मैं थक गया था और आरती भी थकी थी, मैं उसकी छाती को निचोड़ रहा था, उसका इतना निचोड़ निकाल दिया था, इतना खींचा कि वो अब थक गई थी। हम दोनों अपने कमरे में आ गये और मैं दूध-बादाम पी कर सो गया।

सवेरे देर से जागा, आरती तब भी सो रही थी। मैंने नहा कर अपने लिए ढूध गर्म किया, उसमें बादाम और पिस्ता पीस कर मिलाया और पावरोटी मक्खन लगा कर खा पी कर टीवी चला कर बैठ गया। कोई काम तो था नहीं, उसके पास कंप्यूटर तो था लेकिन इन्टरनेट कनेक्शन नहीं था। टीवी के अलावा दूसरा विकल्प नहीं था।

आरती थोड़ी देर बाद जाग कर आई और पूछा- सब ठीक ? किसी चीज की आवश्यकता है?

मैं बोला- सभी चीज हैं, जरूरत होगी तो बता दूंगा।

आरती अपने कमरे में गई, नहा कर आ गई और उसकी काम वाली आई, काम कर के चली गई।

आरती मुझे बोली- क्या करना है? तुम अभी तो तीन दिन और हो यहाँ पर ! अगर कहो तो मैं अपनी एक सहेली को बुला लूँ?

मैं बोला- यह आपकी मर्जी है !

उसने शायद पहले से ही अपनी सहेली को बुला रखा था, वह और कोई नहीं, बनारस वाली थी जिसको मैंने पहले सर्विस दी थी। उसको देख कर मैं बोला- आप यहाँ?

बोली- हाँ !

उसी ने आरती को मेरा नंबर दिया था, सो मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। आरती ने पहले से सारा बंदोबस्त कर लिया था। हम लोग नाश्ता पानी कर के बैठ गए।

आज आरती ने मुझे महीन जालीदार चड्डी दी और कहा- इसको पहनने से पहले मेरे कमरे में आ जाना !

मैं गया, वह वहाँ एक सुई लिए खड़ी थी, बोली- इसको लगाना है।

मैं बोला- क्या है?

बोली- सुई है ! जिससे तुमको कोई दिक्कत नहीं होगी और देर तक अपने को रोके रहोगे और देर तक मजा दोगे।

मैं बोला- कोई नुक्सान तो नहीं?

बोली- नहीं !

फिर उसने मुझे लेटने को कहा, मैं लेट गया, उसने मेरा लिंग पकड़ा और उसमें सुई लगा दी, हलकी सी चुभन हुई, न के बराबर, और फिर मैं कपड़े पहन कर उसके साथ कमरे से बाहर आ गया।

आरती अपनी सहेली को बोली- आओ !

और फिर उन लोगों ने मुझे कहा- जाकर अच्छी से नहा कर आओ !

मैं गया, गर्म पानी से नहाया और वापस आ गया।

दोनों ने बोला- मेज़ पर लेट जाओ !

मैं मन ही मन डर रहा था कि न जाने इन दोनों के दिमाग में अब क्या आ गया है। फिर मुझे खाने की मेज़ पर लिटा कर मेरे ऊपर मेरे छाती पर उन लोगों ने सलाद रखी और पेट पर चावल और लिंग के ऊपर चारों तरफ से आटे से घेरा बना कर उसमें खीर भर दी।

अब दोनों ने खाना शुरू किया और अपने मुँह से सामान उठा कर खाती।

यार, शरीर अकड़ा जा रह था।

इन लोगों के दिमाग में उपजा कहाँ से?

खाना खाने के बाद खीर खाई, खीर क्या खाई, मेरे लिंग को खा गई, खूब चाटा और पूरा साफ़ कर दिया। बाल तो थे नहीं !

उन लोगों को मजा भी आया। अब बोली- चलो अब तुम खाना ले लो !और मुझे खाना खिला कर कहा- खीर तो तुमको अपनी जगह से ही खाना होगी !

और फिर उन्होंने अपने साफ़ योनि में खीर भर कर कहा- अब मुँह से चाट जाओ !

और खूब चाटा मैंने !

जितना चाटा, उसमें वे फिर से भर लेतीं, इतना चटाया कि उन्होंने अपना पानी तक खीर में मिला दिया और मैं चाट गया। स्वाद में अंतर तो आया मगर काम करता गया।

अब मैं भी थक गया था और वो दोनों भी बोली- जरा आराम कर लें !

लेकिन मुझे सुई की वजह से पता नहीं क्या हुआ था कि लिंग खड़ा ही रहा तो लिंग को मैंने आरती की योनि में घुसा दिया, उसका तो वैसे ही पानी निकल रहा था, आराम से चला गया और उसकी सहेली मेरे मुँह पर आ गई और अपनी योनि खोल कर मेरे मुँह पर लगा दी, मैं उसको चाट रहा था और आरती को चोद रहा था।

इतना मजा आया कि बता नहीं सकता। जब आरती को थका दिया तब उसकी सहेली को अपने नीचे खींच लिया।

आरती निढाल पड़ी थी उसको तो शायद होश भी नहीं था। उसकी सहेली जिसका नाम कविता था, को पकड़ कर उसको पीछे से अपना लिंग घुसा दिया, वो अकड़ गई और फिर कुतिया की तरह उसको कस कर चोदा। वो इतना जोर से ठोकी गई कि उसका पानी अजीब सा निकला, गाढ़ा सफ़ेद पानी !

उसने बताया कि काफी दिनों बाद आज मजा लिया है, इसलिए ऐसा है।

दोनों थक कर वहीं पर सो गई। मैं तो अभी तक जाग रहा था मैं वहीं नंगा लेट गया और लेटे लेटे सोचने लगा कि इन लोगों को यह तरीका आया कहाँ से?

इस बात को सोचते हुए मैं भी सो गया। उधर उन दोनों की थकान कम हुई तो मेरे ऊपर आकर मेरे लिंग को चूसना शुरू कर दिया। मैं जाग गया और फिर इन दोनों के मुँह में अच्छे से चोद कर अपना वीर्य आरती के मुँह में ही उगल दिया और वहीं पर थक कर सो गया।

अगले तीन दिन कैसे बीत गए पता ही न चला और मैं वापिस आ गया।

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