आज दिल खोल कर चुदूँगी-4

(Aaj Dil Khol Kar Chudungi-4)

नेहा रानी 2014-10-16 Comments

This story is part of a series:

मेरी कहानी के पिछले तीन भागों में आपने पढ़ा था कि किस तरह मेरे पति ने मुझे रण्डी बना दिया जिसमें मेरी भी सहमति थी।

आप लोगों के सामने अपनी कहानी का अगला भाग ला रही हूँ। आशा करती हूँ कि पहले की कहानी की तरह आप सब को पसंद आएगी।

मैं नेहा रानी अन्तर्वासना के पाठकों को प्रणाम करती हूँ। आप लोग मेरी कहानी पढ़ी और ईमेल भी किए, आप सबके ईमेल का
स्वागत है।

अब मैं कहानी पर आती हूँ।

सुनील जी आ गए और बोले- नेहा जी आज शाम सात बजे आपको मेरे साथ यहीं पास के एक होटल में चलना है, वहाँ आपकी मुलाकात होटल मालिक से करानी है। अगर उन्हें तुम पसंद आ गईं तो आपकी आज की मीटिंग होटल मालिक के साथ होगी।

मैं बोली- ओके।

फिर सुनील बोले- अभी तो 12:30 बज रहे हैं। तब तक तुम लोग चाहो तो आगरा घूम लो।

मेरे पति आकाश बोले- हाँ…यह ठीक है हम घूम आते हैं।

सुनील बोले- पर वक्त का ध्यान रखना, शाम को जाना है और ये लो 15000 रुपए.. कुछ खरीददारी भी कर लेना, अब मैं चलता हूँ..
6:30 पर आऊँगा, नेहा तुम तैयार रहना।

मैं बोली- ठीक है।

सुनील चले गए, हम लोग भी थोड़ा घूमने निकल गए।
घूम कर हम लोग आए तो सोचा कि कुछ देर आराम कर लें।

फिर ठीक वक्त पर सुनील आ गए।
शाम सात बजे हम होटल के लिए रवाना हुए।
आज मैंने जीन्स और कुर्ती पहनी थी, मैं बहुत सुंदर लग रही थी।

होटल पहुँचते मैं सीधे होटल के अन्दर चली गई और सुनील जी के साथ कुर्सी पर बैठ गई।

थोड़ी देर जिन साहब से मीटिंग करनी थी, वो (होटल मलिक) अन्दर आ गए और सुनील से हाथ मिला कर बैठ गए।

तब सुनील जी ने मेरा परिचय दिया और वे बातें करने लगा।

कुछ देर बात करने के बाद सुनील जी बोले- नेहा जी.. आप साहब जी को पसंद आ गई हो, तुम्हारा क्या कहना है?

मैं बोली- जो आप लोगों की सोच है, वही मेरी भी है।

सुनील जी ने बोला- सर जी बात पक्की, अब आप इजाजत दो, तो हम चलें।

होटल मालिक बोले- खाना वगैरह खा के जाओ.. क्यों नेहा?

मैं बोली- जो आप ठीक समझो।

‘क्या आप नहीं खाओगी?’

मैं बोली- क्यों नहीं..

सभी हँस दिए।

फिर हम सब खाना खाने बैठे।
होटल मालिक भी हमारे साथ ही खाना खाने लगा।

खाना खाने के बाद होटल मालिक ने एक वेटर को बुलाया और बोला- मैडम आज हमारी मेहमान हैं, इनको कमरा नंबर 201 में ले जाओ और इनको जो भी जरूरत हो, तुरंत हाजिर कर देना।

वेटर बोला- जी मालिक।

फिर सर बोले- नेहा, तुम चलो आराम करो।

मैं वेटर के पीछे-पीछे चल दी।

वेटर घूम कर देखे जा रहा था, मैं भी कुछ शरारत करने के मूड में आ गई।

मैं वेटर को देख मुस्कुरा देती, तभी मेरा कमरा आ गया।

मैं कमरे में पहुँची, अरे बाप रे.. यह कमरा नहीं यह तो जन्नत था।

मै बिस्तर पर जा बैठी, वेटर बोला- मैम, कुछ चाहिए?

मैं बोली- हाँ.. पर वो चीज तुम नहीं तुम्हारे सर जी देंगे।

वेटर सकपका गया, मैं मजा लेटी हुई बोली- जाओ जरूरत होगी तो बुला लूँगी।

उसके जाने के बाद में गुसलखाने में गई अपनी पैन्टी सरका कर मूतने बैठी, बड़ी जोर की पेशाब लगी थी, स्शी..स्शी.. की आवाज करते मेरी चूत से धार निकल पड़ी।

मैं आपको बता दूँ कि मैं पतली वाली चाइनीज पैन्टी पहनती हूँ जो पीछे से सिर्फ एक डोरी वाली होती है जो कि मेरी गाण्ड की दरार में घुस जाती है और आगे से सिर्फ दो इंच चौड़ी पट्टी मेरी चूत को ढकने में नाकाम सी होती है।

खैर.. मैं मूत कर बाहर आई और शीशे में खुद को देखने लगी। मैं आज बहुत सुंदर लग रही थी।

तभी होटल के कमरे का फोन बजा फोन उठाया, ‘हैलो’ कहने से पहले ही उधर से आवाज आई- मैं होटल मालिक जयदीप हूँ.. आधे घंटे में आ रहा हूँ.. जान जब से तुम्हें देखा है, रह नहीं पा रहा हूँ तुम्हारी चूत चोदने को बेताब हूँ।

मैं बोली- मैं भी चुदने को तैयार हूँ.. आ जाओ।

बोले- कुछ लोग हैं पहले इनकी छुट्टी कर दूँ फिर आता हूँ मेरी जान.. और सुनो नाईटी लाई हो? या एक ले आऊँ।

मैं बोली- है.. आप चिन्ता ना करो।

तो वो बोले- पहन लो.. बाकी कपड़े उतार दो.. मगर पैन्टी-ब्रा नहीं.. वो मैं उतारूँगा।

उसने फोन रख दिया। मैंने कपड़े निकाल कर नाईटी पहन ली और बिस्तर पर जा लेटी और होटल मालिक के विषय में सोचते हुए पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर चूत सहलाने लगी।

मैं यहाँ जयदीप कहना चाहूँगी, जयदीप को जब से देखा है, मैं भी उससे चुदना चाहती थी, जय का जिस्म मुझे उत्तेजित कर रहा था।

मैं सोच रही थी कि कैसे वो मुझे अपनी बांहों में लेकर, मेरी चूत अपने हाथों से सहलाएगा।

यही सोचते-सोचते मेरी चूत पनिया गई।

तभी कमरे की घन्टी बजी, मेरा ध्यान टूटा, मैं झट से जाकर दरवाजा खोला, सामने होटल मालिक जयदीप था।

मैं बोली- आईए आप ही का इन्तजार कर रही थी..

अन्दर आकर दरवाजा बन्द करके उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे गुलाबी होंठों को चूमने लगा।

वो मुझे अपनी बांहों में भर कर चूम रहे थे और अपने एक हाथ को मेरी नाईटी के अन्दर डाल कर, मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे स्तनों को दबाने लगा।
फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले गया और मुझे बिस्तर पर लुढ़का दिया।

फिर एकदम से वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को चूसने लगा और बोलने लगा- जब से सुनील ने तुम्हारे बारे में बोला, तभी से तुम्हें देखना और पाना चाहता था। आज देखते ही तुम मुझे पसन्द आ गईं।

फिर मुझे चूमने लगा और बोला- नाईटी में तुम गजब की लग रही हो, अब जरा अन्दर के भी दीदार करा दो मेरी जान!

मैं बोली- हुजूर.. आज मैं आपकी हूँ.. जो चाहो करो.. आपके स्वागत में मेरा हुस्न हाजिर है।

जय ने चूमते हुए मेरे नाईटी को निकाल दिया।

अब मैं उसके सामने सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थी, जयदीप मुझे आँखें फाड़े मुझे देखते हुए बोला- तुम ऐसे में कयामत लग रही हो.. मेरा बस चले तो तुमको सदा ऐसे ही रखूँ।

फिर उसने मेरी पैन्टी के ऊपर से चूम लिया, बोला- मैं चुदाई से पहले पैन्टी-ब्रा को निकालता नहीं.. फाड़ देता हूँ, तुम बुरा तो नहीं मानोगी?

मैं बोली- जैसा आपको अच्छा लगा.. करो।

इतना बोलते ही जय ने ब्रा को जोर से पकड़ कर एक झटके में फाड़ दिया और मेरी चूचियाँ छलक कर बाहर आ गईं।

जय भींच कर मेरी चूची चूसने लगा।
फिर पैन्टी पकड़ा और जोर से खींच कर फाड़ दिया, जिससे मेरी गुलाबी चूत उसके सामने आ गई।

अब मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी, मेरे बड़े-बड़े स्तन उसके सामने सख्त आम की तरह तने हुए थरथरा रहे थे।

मेरे स्तनों को देख कर वो पागल हो गया, एक मम्मा मुँह में लेकर चूसने लगा, मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार होने लगा। मैं अपनी आँखें बँद करके पड़ी हुई थी।

करीब 15-20 मिनट तक वो ऐसे ही मेरे बदन को चूमता रहा, फ़िर वो उठा और अपने कपड़े निकालने लगा।

जब उसने अपना लौड़ा निकाला तो मैं देखती रह गई। वो करीब 8 इंच बड़ा और 4 इंच मोटा था।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं लपकी और उसका मोटा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी।

वो हैरान रह गया.. शायद जय यह नहीं सोच रहा था।

वो बोला- साली तू तो रन्डी निकली।

मैं भी अब बेशर्म हो गई थी और उसका लन्ड चूसने लगी।

वो बोला- साली कुतिया.. आज तो तेरे दोनों छेदों को मैं फ़ाड़ दूँगा।

मैं बोली- हाँ.. मेरे राजा.. आज तो मुझे अपनी रन्डी बना दे.. फ़ाड़ डाल मेरे छेदों को.. आह्ह..

उसने अपना लन्ड मेरे मुँह में से निकाला और बोला- बोल साली पहले रन्डी किधर डालूँ?

मैं बोली- आज तक मैंने अपनी गाण्ड एक ही बार मरवाई है, आज तू इसको दुबारा चोद दे।

आप से उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी कहानी अच्छी लग रही होगी।
यह मेरे जीवन की सच्ची कहानी है और अभी भी मेरे जीवन की धारा बह रही है, मैं आपसे बार-बार मुखातिब होती रहूँगी।

आपके प्यार से भरे ईमेल के इन्तजार में मैं आपकी नेहा रानी।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top