आज दिल खोल कर चुदूँगी-16

(Aaj dil Khol Kar Chudungi-Part 16)

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अब तक आपने पढ़ा..
फिर विनय ने धीरे से अपने लंड का सुपारा चूत में घुसा दिया और अपने जिस्म से मेरे जिस्म पर पड़े वीर्य को रगड़ते हुए चूमता रहा।
थकान के बाद फिर थकान चढ़ती जा रही थी पर मेरी चूत की चुदास कम होने का नाम नहीं ले रही थी।
अब आगे..

काफी देर तक विनय मेरे जिस्म से खेलते हुए मेरी मालिश करता रहा, साथ में दोबारा विनय के लण्ड ने पानी भी छोड़ दिया।
विनय मेरी मालिश करके और लण्ड का पानी निकाल कर थक चुका था।
मैंने भी विनय को कल आने के लिए बोल कर उसको जाने दिया।

चार्ली और रिची की चुदाई से मैं इतना थक गई थी कि मैं कई दिन तक सुनील के द्वारा चुदाई की पेशकश को ठुकराती रही।
लेकिन दिन में विनय आता और मेरी अच्छी तरह मालिश करता और मजे लेकर मेरे जिस्म पर अपना वीर्य उड़ेल कर चला जाता।

पांच दिन बाद एक दिन सुनील सुबह ही आकर बोले- रानी, आज तुम्हारी मीटिंग जरूरी है.. आज एक आदमी बाहर से आगरा घूमने आया है और उसको कोई मस्त चुदासी लड़की चाहिए। अब तो कई दिन हो गए हैं और अब तो तुम पूरी तरह से सही लग रही हो।

मैं बोली- जी सुनील जी.. मैं आज खुद कहने वाली थी कि मेरी चूत के लिए लण्ड खोजो.. ये बहुत मचल रही है। आज आपने मेरी दिल की बात कह दी है। मैं खुद यहाँ इतनी दूर बनारस से बैठने तो आई नहीं हूँ। जितना लोगों के लण्ड से अपनी चूत को लड़ाऊँगी.. उतना ही मेरे पति को मुनाफ़ा होगा। मैं आज ही आराम पा चुकी अपनी चूत से उस अजनबी को खुश करते हुए उसके लण्ड का सारा रस चूस लूँगी।

सुनील मेरी बात से खुश होकर बोले- वाह बिल्कुल सही नेहा जी.. तो बस आप रेडी हो जाओ.. साढ़े बारह बजे चलना है।

फिर सुनील चले गए और मैं नहा कर पूरी तरह मेकअप आदि करके.. अपनी चूत के बालों को भी साफ़ करके.. लण्ड को चूत में लेने के लिए बैठी सुनील का इन्तजार कर ही रही थी।
तभी सुनील आ गए और मैं निकल ली।

सुनील मुझे लेकर उस आदमी के गंतव्य स्थान पर पहुँचे और उसके दरवाजे की घंटी बजाई। कुछ ही देर बाद एक अधेड़ ने आकर दरवाजा खोला।
मैं और सुनील अन्दर दाखिल हुए। उसकी उम्र 56 से 59 के करीब रही होगी। उसको देखकर मेरी चूत की रही सही उत्तेजना शान्त हो गई कि यह मरियल मेरी चूत क्या लेगा, मेरे से इसे तो मजा आएगा.. पर आज तो मेरी चूत प्यासी ही रहेगी।

तभी सुनील की आवाज से मेरा ध्यान टूटा- नेहा.. इनसे मिलो, ये मिस्टर महमूद भाई हैं.. ये हैदराबाद से आगरा में कुछ बिजनेस के सिलसिले आते रहते हैं, इनको हर बार मौज मस्ती का इंतजाम मैं ही कराता हूँ।
मैं भी मस्का लगाते हुए बोली- यह तो मेरी किस्मत है.. जो हुजूर की खिदमत का मौका मिला।

मेरी बातों से सुनील और महमूद हँस दिए।

सुनील ने मेरा परिचय करवाया और सुनील रूपया लेकर मुझे महमूद की बाँहों की शोभा बढ़ाने के लिए मुझे उनके पास छोड़ कर चले गए।

जाते वक्त सुनील बोलते हुए गए- मैं शाम को आउँगा.. महमूद भाई के लण्ड को अपनी बनारसी चूत से तृप्त कर देना।
सुनील के जाते ही महमूद ने मुझे अपने सीने से लगाकर मेरे चूतड़ों को दबाते हुए मेरी गाण्ड की गोलाई को नापते हुए मुझे किस करने लगे।

काफी देर बाद अपने से मुझे अलग करके मेरे कपड़ों को खोल कर अलग कर दिए, मैं सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में ही रह गई थी।

महमूद अपने ऊपरी कपड़े उतारते हुए साथ में नेकर भी निकाल कर पूरे नंगे हो लिए। मैंने देखा कि बस मेरे चूतड़ और गाण्ड की गोलाई को सहलाकर महमूद का लण्ड मेरी चूत चोदने के लिए फुंफकार उठा था।

महमूद मेरे पास आकर मुझे किस करके लण्ड को चूसने को बोले।
मैं सीधे नीचे बैठ कर महमूद का लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी, महमूद मेरे सर को सहलाते हुए लण्ड चुसवाने लगे।
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मैं महमूद के कटे लण्ड का सुपारा मुँह में लेकर लेमनजूस की तरह खींच कर चूस रही थी। मेरा बूढ़े महमूद पर अनुमान गलत निकला.. वह तो ढलती उमर में भी बहुत जोशीला था।
मैं सोचने लगी कि बस चूत चोदकर मेरा पानी निकाल दे.. तब तसल्ली हो।

महमूद मुझे उठा कर बिस्तर पर घोड़ी बनाकर मेरी चूत चाटने लगा जैसे एक कुत्ता कुतिया की बुर चाटता है।
महमूद की चुसाई ने ही मेरी चूत से पानी निकलवाने पर मजबूर कर दिया।

मैं महमूद के मुँह पर पानी छोड़ने लगी और महमूद मेरी चूत का पानी चाट रहा था। काफी देर महमूद की चूत चुसाई से मेरी चूत चुदने को फड़कने लगी।
मैं चूत चुसवाना छोड़कर महमूद का लण्ड बुर में लेने के लिए पलटकर बोली- मेरी जान.. मेरी बुर में पेल दो अपना लण्ड..

और महमूद ने भी तुरन्त मेरी बुर में अपना फनफनाता हुआ लण्ड पेल दिया।
महमूद का लण्ड मेरी पनियाई हुई बुर में घुसते ही मेरी सिसकारी निकल गई ‘आहहह.. उहउउई.. सीईईईआह..’

मेरी सिसकारियाँ सुन कर महमूद ने मेरी चूत पर ताबड़तोड़ शॉट लगाते हुए अपना लण्ड बाहर खींच लिया।।
मैं मस्ती के नशे में चिल्ला उठी- नहीं म्म्म्त.. निनिकालो.. पेलो.. चो..चो..चोदो मम्म..ममेरी बु..बुर..
पर महमूद ने मेरी एक ना सुनी और मुझे उठाकर अपना लण्ड मेरे मुँह में देकर बोले- बेबी.. मेरा चुदाई का यही तरीका है। जब चूत ज्यादा गरम हो चुदाई बंद.. मैं अभी तो में अपना वीर्य तुमको मिलाऊँगा.. फिर तेरी बुर को पानी पिलाऊँगा…

इधर मैं बिस्तर पर बैठे हुए ही झुककर महमूद का लण्ड ‘गपागप’ चूस रही थी। महमूद पीछे से मेरी चूत मलकर मेरी प्यासी चूत की प्यास बढ़ाते हुए लण्ड चुसाई करवाता रहा।

एकाएक तभी महमूद के मुँह से सिसकारी के साथ वो अनाप-शनाप भी बोलने लगा- ले साली चाट.. मेरे लण्ड को ले.. चूस ले.. पूरा ले.. तेरी चूत मेरे लण्ड को पाकर धन्य हो जाएगी.. मैं चूत का शौकीन हूँ.. आह..सीई.. उह.. ले.. मेरी जान.. मैं गया आह सीसीसीई..

ये कहते हुए उसने ढेर सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल कर हाँफते हुए अलग हो गया।
जब महमूद वीर्य छोड़ रहा था.. तभी उसका आधा वीर्य मेरे गले से नीचे हो गया था.. बाकी लण्ड बाहर करने पर मेरे मुँह से होते हुए मेरी चूचियों पर गिर रहा था।
मैं वैसे ही जीभ घुमाकर वीर्य चाटे जा रही थी।

कहानी जारी है।
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