उस रात पड़ोसन भाभी की चुदाई का मजा

(Us Rat Padosan Bhabhi Ki Chudai Ka Maja)

सोहम 2018-05-21 Comments

मैं सोहम, उम्र 39 साल, अपनी छोटी सी एजेंसी फर्म चलाता हूँ. आज लगभग पंद्रह साल हो गए हैं. मैं औरतों के लिए सेनेटरी पैड बेचने का कारोबार करता हूँ. उन दिनों मेरा कारोबार पहले जितना सही नहीं चल रहा था. मैं उन्हीं दिनों की कहानी लिखने जा रहा हूँ, जो बिल्कुल सत्य घटना पर आधारित है.

जिस वक्त की ये घटना है, उस वक्त मेरी उम्र 24 साल की थी. तब मैं एक किराये के मकान में अकेला रहता था. मेरे पड़ोस में दो और किरायेदार रहते थे. अपनी व्यस्तता के चलते मुझे पहले मालूम भी नहीं था कि मेरे पड़ोस में कौन रहता है. मगर कारोबार खराब चलने के कारण में अपने कमरे में ही पड़ा रहने लगा, तब मुझे सबके बारे में पता चला.

मुझे लड़कियों के नखरे पसंद नहीं थे, इसलिए पहले से औरतों के बारे में सोचता था मगर कोई औरत तब तक मुझे मिली ही नहीं थी.

मैं मकान में रहने कारण पड़ोस की औरत को कपड़े आदि सुखाने में दिक्कत आने लगी थी. इसलिए वो मेरे दूसरी ओर रहने वाली औरत से बात कर रही थी कि आजकल जनाब मकान में ही पड़े रहते हैं, निकलते ही नहीं. पहले मकान में रहते नहीं थे, आजकल मकान से जाते नहीं हैं.
दूसरी औरत ने उससे पूछा- तुझे क्या तकलीफ़ है?
उसने बताया कि मैं उनकी खिड़की पर अपने कपड़े सूखने डाल देती थी, अब घर में ही डालने पड़ते हैं.

इस बात को सुनते ही मैंने कपड़े पहने और मकान का दरवाज़ा खिड़की बंद करके बाहर निकल गया. उस दिन शाम को देर रात तक घर वापस आया.

उस दिन रात को पड़ोस का मकान का दरवाजा खुला था. इसलिए मैंने अन्दर देखा तो देखता ही रह गया. मुझे वो पड़ोस में रहने वाली भाभी पहली बार नाईटी में दिखी. उनकी उम्र लगभग 30-31 साल की थी. उनका 38-34-38 का फिगर बड़ा ही जानलेवा दिख रहा था उनका ये फिगर उनकी झीनी सी नाईटी में पूरा साफ़ नजर आ रहा था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी नजर भाभी से हटाई मगर मेरा दिमाग बहुत खराब हो गया था.

मैं जब अपने कमरे का ताला खोल रहा था तो भाभी की आवाज आई- भाईसाहब, मेरे पति अब तक अपनी कंपनी से वापस नहीं लौटे, आप किसी एसटीडी पीसीओ से फोन लगा कर कंपनी में पूछो कि वो निकले या नहीं.

उन दिनों मोबाइल फोन का चलन नहीं हुआ था. मैंने भाभी जी से उनके पति की कंपनी का नंबर लिया और फोन करने बाहर निकल आया.

फोन करके वापिस जब मैं पहुंचा तो एक घंटा गुजर चुका था. नजदीक का एसटीडी बंद था, तो दूर जाना पड़ा था.

लगभग रात के ग्यारह बज रहे थे. मैंने देखा कि भाभी के कमरे का दरवाज़ा बंद था.. मगर खिड़की खुली थी. मैंने खिड़की से अन्दर देखा तो नीचे जमीन पर चटाई डाल भाभी सोई हुई थीं. उन्हें नाईटी में देखकर पहले ही मेरा दिल बेईमानी कर रहा था. इस वक्त भाभी की नाईटी उनके घुटनों के ऊपर थी और वे अपने पैर पसारे लेटी थीं. उन्हें खिड़की से देखते देखते नीचे लंड महाराज सलामी देने लगे थे. सो मैं अपने कमरे का ताला खोलने लगा.

भाभी ने ताला खोलने की आवाज सुनते ही आवाज दी- भाईसाहब, लगाया था फोन?

मैं वापस खिड़की के पास गया तो भाभी खिड़की में ही खड़ी थीं. मैं थोड़ा पीछे गया तो उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा खोला और मैं अपने कमरे का ताला हाथ में लिए भाभी के कमरे के अन्दर आ गया.

पहली बार मैं भाभी को नजदीक से देख रहा था. सांवला रंग, मदमस्त बदन, कमसिन सी चितवन. मैं नजर भरके सिर्फ भाभी को देखते ही जा रहा था, ये भाभी भी देख रही थीं.

भाभी ने मुझे टोकते हुए उनके पति के बारे में पूछा कि कुछ मालूम हुआ कि वो कहां रह गए हैं?
मैंने बताया कि वो अपने मालिक के साथ दिल्ली गए हैं, पांच दिन के बाद वापिस आयेंगे.
उन्होंने कहा- हां, सुबह बताया तो था कि बाहर जाने वाले हैं.. लेकिन कब जाना है ये तय नहीं था और किधर जाना है ये भी नहीं बताया था और कब वापसी आयेंगे.. ये भी नहीं बताया था. पड़ोस की अर्चना भाभी भी शाम को अपने मायके किसी कार्यक्रम के लिए पूरे परिवार के साथ मुंबई गई हैं. यहाँ मकान में अकेली थी, इसलिए मुझे डर लग रहा था. मैं इसी वजह से आपका इंतजार कर रही थी.

मैं भाभी की तरफ़ एकटक नजर लगा कर देखे जा रहा था और वो मुझसे बड़ी मासूमियत से बातें करे जा रही थीं.

मेरा लंड जो फ्रेंची में नीचे सर करके उछल रहा था, उस वजह से तकलीफ़ हो रही थी, इसलिए मैंने उसे हाथ ऊपर करके सीधा किया. मेरी इस हरकत को भाभी ने भी देखा.

मैंने उन्हें अपने हाथ की तरफ देखते देखा तो मैंने भाभी से पूछा कि आप तो दोपहर को अर्चना भाभी को बोल रही थीं कि मैं कमरे में रहता हूँ तो तकलीफ होती है.. और अब कहां रही हो कि इंतजार कर रही थीं. आपके लिए ही तो मैं दोपहर को बाहर चला गया था.
भाभी हंस कर बोलीं- अच्छा तो आपने अर्चना और मेरी बात सुनी थी?
मैंने कहा- हां.

मैंने देखा कि भाभी नजर नीचे करके मेरे लंड महाराज को फूलता हुआ देख रही थीं और मेरी नजर भाभी की चुत पर और चुचियों पर टिकी हुई थी.

इस बीच अचानक भाभी ने सर उठा कर एक अजीब सा सवाल पूछ डाला- आप दूध पिएंगे?
मैंने भी मौका देखकर कहा- आपको जो अच्छा लगे वो पिला दीजिये, मैं सब पी लूंगा.

भाभी ने मेरे हाथ से ताला लिया और बाहर जाकर मेरे कमरे को लगाकर वापस आ गईं. अपने कमरे में आते ही भाभी ने अन्दर से दरवाजा और खिड़की को बंद किया और लाईट बंद कर कम उजाले वाला लाईट जला दी. इसके बाद भाभी अन्दर किचन में चली गईं. किचन से दो गिलास, मटके का पानी, नीम्बू, नमक, खाने के लिए दाल, पापड़ी और थोड़े सूखे से उंगर लेकर आईं.

मैं भाभी की तरफ की इस पहल को समझ तो रहा था.. मगर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.

भाभी बोलीं- मेरे पति का शार्ट वगैरह उधर रखे हैं, उसे पहन लो.. और जरा अपने साहब को खुल्ला करो, कब से इस टाईट फिट पेंट में कैद करके रखा है.

यह सुनते ही मुझे मेरी भाभी चोदने की इच्छा अरसे बाद पूरी होती नजर आती दिख रही थी. मैंने ज्यादा सोचा भी नहीं. और पहले टी-शर्ट निकाली.

मैंने देखा कि भाभी मेरे तरफ़ ही देख रही थीं. मैंने जींस पेंट खोली और भाभी की तरफ फिर से देखा तो मैंने देखा कि मेरा खड़ा लंड देख कर भाभी के चेहरे पर हल्की सी चमक आ गई थी. मैं बाथरुम में गया और दस मिनट बाद फ्रेश होकर आया. अब मैंने जींस के अन्दर फ्रेंची निकाल कर सिर्फ उसके पति का शॉर्ट पहन लिया था. मैं बाहर उनके सामने जाकर बैठ गया.

उन्होंने कहा- साहब पीछे की बैग में एक क्वार्टर है, उसे निकालो.
मैंने क्वार्टर निकाला और भाभी को दे दिया. इसी के साथ मैंने कहा- भाभी मैं शराब नहीं पीता.
उसने कहा- मैं भी कहां पीती हूँ. मगर आपने कहा कि मैं जो पिलाऊंगी, वो आप पियेंगे, तो सोचा चलो देखते हैं.. मेरे हाथ से क्या क्या सकते हो. मैं कहाँ सोच रही हूँ कि आप पीते हैं.

भाभी ने दो गिलास में आधा क्वार्टर खाली किया और कहा- नीम्बू को काटिए.
मैंने नीम्बू को काटा, उन्होंने नीम्बू को गिलास में निचोड़ा और थोड़ा नमक डालकर गिलास में पानी डाला.
भाभी ने कहा- लीजिए साहब मेरे हाथ से जाम लीजिये.

मैंने गिलास ले लिया, भाभी ने गिलास लिया और हम दोनों ने आँखों में आँखें डाल कर दूसरे को चियर्स बोला और देखते ही देखते गिलास को धीरे धीरे खत्म करना शुरू किया.

मैंने गिलास खाली होते ही सीधे अन्दर रखी हुई सब चीजों को दूर किया और भूखे शेर की समान भाभी पर टूट पड़ा. भाभी के बदन से नाईटी को निकाल कर दूर फेंका तो देखा भाभी ने भी अन्दर कुछ नहीं पहना था.

मैं भाभी को लिटा कर उनके होंठों पर अपने तप्त होंठ रखकर उनको चूमने लगा. भाभी ने भी आतुरता दिखाते हुए मेरी कमर से शॉर्ट को नीचे कर मेरे लंड महाराज का माप लिया.

तो मैंने कहा- पसंद आया गुलाम?
भाभी बोलीं- मेरे उनसे दुगना है और मोटा भी है.
मैंने फिर पूछा- पसंद है?
भाभी ने अपने उंगलियों को लंड पर दबाव देकर कहा- बहुत दिन से पसंद है.
मैंने कहा- कब से?
भाभी- लगभर चार महीनों से पसंद है. मैंने और अर्चना भाभी ने आपके लंड को देखा था.

मैंने ज्यादा कुछ नहीं पूछा और सीधे भाभी की चुत में उंगली डाल दीं. भाभी की चुत पानी छोड़ रही थी. मैंने भाभी कहा- भट्टी तो तप रही है.
भाभी बोलीं- आज भट्टी की आग को बुझाकर ही छोड़ना.. रोज अधूरी प्यास ही बुझ पाती है. पहली बार पति को छोड़ कर तुम्हारे साथ कर रही हूँ.

मैंने लंड को चुत के होंठों पर दो तीन बार घुमाने के बाद हटा लिया. भाभी के चेहरे पर तड़प साफ़ नजर आ रही थी और वो चुत ऊपर उठा रही थीं.

मैंने लंड के सुपारे को भाभी की चुत के अन्दर धकेला और भाभी के ऊपर पूरा चढ़ गया. इसके बाद कमर को जोर देकर मैंने आधा लंड चुत डाला तो भाभी ने मेरी कमर को पकड़ा और अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर कैंची सा जकड़ लिया.

मैंने कमर पर जोर देते हुए पूरा लंड भाभी की चुत में डाला तो भाभी ने जोर से चिल्ला दिया.

भाभी तड़फ कर बोलीं- साहब जी धीरे करो.. अब मैं आपकी भी हूँ.

मैं लगभग दो मिनट ना हिला ना डुला जब भाभी ने अपनी कमर ऊपर की, तो मैं समझ गया कि भाभी की चुत ने मेरे लंड को झेल लिया है. मैंने उसके बाद भाभी को उसी स्थिति में लगातार पंद्रह मिनट तक हचक कर चोदा.

चुदाई के दौरान मैंने भाभी में मम्मों को खूब मसला और उनकी चूचियों की घुंडियों को भी खूब चचोरा. भाभी भी मेरे सर को दबाते हुए मेरे मुँह में अपने मम्मों को दिए जा रही थीं.

नीचे लंड के हमले भी भाभी की चूत की भट्टी को ठंडा करने में लगा हुआ था. मेरे लंड की पहुँच भाभी की बच्चेदानी तक हो रही थी, जिस कारण भाभी की मादक आहें और कराहें निकल रही थीं. वे मेरी पीठ पर बड़े प्यार से हाथ फेरते हुए मुझे और तेज चोदने के लिए कहे जा रही थीं.

भाभी और मेरे शरीर से पसीने की बरसात सी चल रही थी. झटके लगने से चुत लंड की पट पट आवाज भी गूंज रही थी.

भाभी लगभग दो बार बरस चुकी थीं. जब मेरे बरसने की बारी आई, तो मैंने भाभी से पूछा- मैं छूटने वाला हूँ.
भाभी ने कहा- अन्दर ही डाल दो.

मैंने दो मिनट बाद भाभी की चुत में ढेर सारा माल डाल दिया और भाभी की बांहों में लिपट कर सो गया.

इसके बाद से धंधा न चलने से भाभी की चुदाई का मजा मिलने लगा. मेरी चुदाई की कहानी पर आप अपने विचार जरूर भेजिएगा.

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