घर की सुख शांति के लिये पापा के परस्त्रीगमन का उत्तराधिकारी बना-2

(Ghar Ki Sukh Shanti Ke Liye Papa Ki Maal Ko Choda- part 2)

This story is part of a series:

अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापिस आया तब मुझे ऋतु आंटी सीढ़ियाँ उतरते हुए मिली तो बोली- अरे अनु, तेरी मम्मी कहाँ है? आज सुबह से दिखी नहीं और जब मैंने ऊपर जा कर देखा तो दरवाज़े पर ताला लगा हुआ है।
मुझे मक्कार ऋतु आंटी की बात सुन कर थोड़ा आश्चर्य और गुस्सा भी आया कि रात को पापा ने उन्हें सब बता दिया होगा लेकिन वह फिर भी यह दिखावा कर रही है कि उन्हें कुछ पता नहीं है।

मैंने अपने को नियंत्रण में रखते हुए कहा- आंटी, छोटे मामा जी के घर एक बालक जन्म लेने वाला है इसलिए उन्होंने मम्मी को जच्चा बच्चा की देख भाल के लिए अपने पास बुला लिया है।
मेरी बात सुन कर वह बोली- अच्छा, यह तो बहुत ख़ुशी की बात है। आप लोग तो घर में अकेले होंगे अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो या फिर कोई काम हो तो शर्म नहीं करना और मुझे बता देना। मुझसे जितना हो सकेगा मैं उतना तो अवश्य कर दूँगी।

उस रात भी ग्यारह बजे पापा फिर नीचे चले गए और दो घंटे के बाद वापिस आये और मैंने सीढ़ियों में खड़े हो कर उनकी गतिविधियों की वीडियो बना ली।
अगले दिन सुबह पापा के जाने के बाद जब मैं कॉलेज जाने के लिए सीढ़ियाँ उतर रहा था तब ऋतु आंटी को अपने घर के दरवाज़े पर खड़ी देख कर मैंने पुछा- आंटी, क्या बात है, इस समय आप यहाँ कैसे खड़ी हैं?
ऋतु आंटी बोली- अभी अभी तेरे अंकल टूर से वापिस आये हैं और वह नीचे से अपना सामान ले कर ऊपर आ रहे होंगे इसलिए उनके लिए दरवाज़ा खोल कर खड़ी हूँ।

उनकी बात सुन कर मैं नीचे उतरा तो देख की अंकल यानि की ऋतु आंटी के पति टैक्सी में से अपना सामान निकाल कर सीढ़ियों की तरफ आ रहे थे।
मैंने उनसे हेलो-हाय करी और उनके हाथ से कुछ सामान ले कर उनके घर के दरवाज़े पर खड़ी ऋतु आंटी को दे कर कॉलेज चला गया।

दोपहर को घर लौटने पर मैं कमरे में बैठ कर सोच रहा था कि अगर मम्मी को पापा और ऋतु आंटी के बीच में चल रहे प्रसंग के बारे में पता चलेगा तो वे अंदर टूट जायेंगी तथा घर छोड़ कर चली जायेंगी। हमारे घर में बरबादी का तूफ़ान आ जायेगा जिसे मैं रोकना चाहता था और उसे रोकने के लिए उसकी वजह को ही समाप्त करना बहुत ज़रूरी था।

बहुत सोच विचार करने के बाद मुझे सिर्फ दो रास्ते सूझ रहे थे जिनसे मैं उस वजह यानि कि उन दोनों के बीच में बने सम्बन्धों को समाप्त करने का प्रयत्न कर सकता था।
पहला रास्ता यह था कि मैं पापा से सीधा बात करूँ कि अगर वह मम्मी से प्यार करते हैं और घर में सुख शांति चाहते हैं तो वह मम्मी के साथ विश्वासघात नहीं करें और ऋतु आंटी के साथ बनाये हुए अनैतिक सम्बन्ध को तोड़ दें।
दूसरा रास्ता यह था कि मैं ऋतु आंटी से बात करूँ कि वे हमारा घर बर्बाद नहीं करें और पापा के साथ बनाए हुए अनैतिक सम्बन्ध तोड़ दें।

लेकिन मेरे पास ऋतु आंटी और पापा के बीच के सम्बन्ध का कोई प्रमाण नहीं होने के कारण मैं दोनों में से कोई भी कदम नहीं उठा सकता था इसलिए मैंने पहले सबूत एकत्रित करने की ठानी।

मैं अब इस बात से तो आश्वस्त था कि जब तक पहली मंजिल वाले अंकल दोबारा टूर पर नहीं जाते तब तक तो पापा आंटी के पास नहीं जायेंगे और मुझे उसी अवधि में वह सबूत एकत्रित करने की युक्ति को सोच कर कार्यान्वित करना था।

इस बात को तीन दिन ही बीते थे कि दोपहर को मेरे कॉलेज से घर आने के बाद आंटी आई और कहा- अनु, क्या तुम अभी कोई ज़रूरी काम कर रहे हो?
मैंने कहा- नहीं आंटी, क्या आपका कोई काम करने का है?
आंटी बोली- हाँ, मेरे घर की परछत्ती में से कुछ सामान निकालना है और कुछ उसमें रखना भी है क्या तुम वह काम करने में मेरी मदद कर दोगे?
मैंने तुरंत कहा- ठीक है आंटी, आप चलो, मैं अभी घर बंद करके आता हूँ।

आंटी के जाने के बाद मुझे महसूस हुआ कि शायद आज उनके घर से मेरी समस्या का कोई हल मिल जाएगा।

लगभग आधे घंटे तक मैं आंटी के घर में उनकी परछत्ती से सामान निकाल कर उन्हें पकड़ाता रहा और बाद में उनके द्वारा दिया दूसरा समान उसमें रखता रहा।
वह परछत्ती उनके बेडरूम के अंदर से खुलती थी इसलिए उस आधे घंटे में मैंने उनके बेडरूम में रखी हर वस्तु एवं उसकी स्थिति आदि की छवि अपने मस्तिष्क में अच्छी तरह याद कर ली।

आंटी के घर से वापिस आने के बाद मुझे एक युक्ति सूझी लेकिन उसे कार्यान्वित करने के लिए मुझे तीन सुरक्षा वीडियो कैमरे तथा उन्हें सही स्थान पर लगाने के लिए अवसर की आवश्यकता थी।
अगले दो दिन बीत इस उलझन में बीत गए कि उन सुरक्षा कैमरे के बारे में पूरी जानकारी कहाँ से मिलेगी तथा पापा से उनकी आवश्यकता एवं पैसे मांगने के लिए मुझे क्या तर्क देने चाहिए।

पिछले दो दिनों में हमारी गली के पीछे वाली गली में दो घरों में चोरी हो गयी थी यह बात जब हमारी कामवाली बाई ने बताई तब मुझे अपने सामान खरीदने के लिए पापा को दिये जाने वाले तर्क एवं उनसे पैसे मांगने का रास्ता मिल गया।

उसी दिन मैंने कॉलेज में मेरे एक सहपाठी के बड़े भाई जो एक आई टी कंपनी में काम करता है से उन सुरक्षा कैमरे के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करी।
शाम को पापा के आने पर मैंने उनसे पिछली गली में हुई चोरियों के बारे में बताया और उन्हें घर के बाहर अथवा अंदर सुरक्षा कैमरे लगाने का सुझाव दिया।

मेरे सुझाव को सुन कर पहले तो पापा ने मेरी बात मानने से बिल्कुल इन्कार कर दिया लेकिन जल्द ही घर और मम्मी की सुरक्षा के बारे में मेरे तर्क सुन उन्होंने मेरा सुझाव मान लिया और कैमरे ला कर लगाने के लिए पैसे दे दिए।

पैसे मिलते ही मैं उसी दिन मेरे सहपाठी के बड़े भाई द्वारा बतायी जगह से सब से छोटे आकार के आधुनिक तथा उत्तम गुणवत्ता वाले बैटरी चलित एवं रिमोट नियंत्रित सुरक्षा कैमरे खरीद कर ले आया।

अगले दिन मैंने मेरे सहपाठी के बड़े भाई के सहयोग से एक कैमरे को घर के अंदर और दूसरे कैमरे को घर के बाहर सीढ़ियों में लगा कर उन्हें चलाने तथा रिकॉर्डिंग करने की विधि सीख ली।
तीसरे कैमरे को मैंने छुपा कर रख लिया और पापा के घर आने पर उन्हें दोनों कैमरों के बारे में सभी जानकारी दी तथा चला कर भी दिखा दिया।
घर पर मूल कार्य हो जाने पर आंटी के घर में तीसरे कैमरे को रखने के मौके की प्रतीक्षा करने लगा और वह अवसर मुझे दो दिनों के बाद ही मिला।

उस दिन दोपहर को मेरे कॉलेज से वापिस आने के बाद ऋतु आंटी हमारे घर आई और मुझसे बोली- अनु, आज रात तेरे अंकल को टूर पर जाना है और परछत्ती में रखे सामान में से उनको कुछ चीज़ें अपने साथ ले जानी हैं। अगर तुम्हारे पास अभी थोड़ा खाली समय हो तो ज़रा उस समान को निकालने में मेरी मदद कर दो।
मैं तो इसी मौके की इंतज़ार में ही था इसलिए उनसे कहा- आंटी, आप चलो मैं अभी दो मिनटों में घर बंद करके आता हूँ।

उनके जाते ही मैंने छिपाई हुई जगह से कैमरे को निकाल कर अपनी जेब में रख लिया और घर का दरवाज़ा बंद करके ऋतु आंटी के घर पहुँच गया।
वहां जाते ही मैंने परछत्ती पर चढ़ कर उनके द्वारा बताई वस्तुओं को नीचे उतार कर आंटी को पकड़ाया और बाकी का सामान वापिस रख कर नीचे उतरा।
जब परछत्ती से उतरने पर आंटी ने मुझे पसीने में भीगे देखा तब बैडरूम का पंखा चलते हुए बोली- तुम थोड़ी देर यहाँ बिस्तर पर बैठ कर अपना पसीना सुखा लो तब तक मैं तुम्हारे लिए ठंडा शरबत बना कर लाती हूँ।

जैसे ही आंटी शरबत बना कर लाने के लिए रसोई में गयी, मैंने तुरंत उस कमरे को जेब से निकाल कर बैड के सामने रखी अलमारी पर रखे हुए सामान में इस तरह छिपा कर रख दिया कि वह किसी को दिखाई नहीं दे।
अपने कार्य में सफलता पाने के बाद मैंने घर जा कर अपने लैपटॉप को चालू किया और ऋतु आंटी के घर रखे तीसरे सुरक्षा कैमरे को उस लैपटॉप के साथ सिंक्रनाइज़ कर दिया।

जब वह कैमरे लैपटॉप के साथ पूरी तरह से सिंक्रनाइज़ हो गया तब मैंने उसे कई बार इधर उधर घुमा देखा तथा आंटी को अंकल के सामान को उनके सूटकेस और बैग में डालते हुए भी देखा।
फिर मैंने लैपटॉप पर उस कैमरे को चालू रखते हुए कुछ देर ऋतु आंटी की गतिविधियों को देखा तथा उसकी रिकॉर्डिंग भी करके तसल्ली कर ली।

तदुपरांत मैं दस-पन्द्रह मिनट के अन्तर-काल के बाद लैपटॉप में कैमरे द्वारा आंटी के घर का दृश्य देख लेता तभी लगभग डेढ़ घंटे के बाद मुझे पूर्ण नग्न आंटी बाथरूम से बाहर निकलती हुई दिखाई दी।
मैंने लैपटॉप पर रिकॉर्डिंग चालू कर दी और नग्न ऋतु आंटी की सभी गतिविधियों की वीडियो बनाने लगा।

लगभग पचपन मिनट की बनी उस वीडियो में ऋतु आंटी ने पहले अपने शरीर को अच्छी तरह से तौलिये से पौंछा और उसके बाद उन्होंने अपने पूरे बदन पर नमी प्रदान करने वाली क्रीम लगा कर पन्द्रह मिनट तक बिस्तर पर लेट गयी।

उन पन्द्रह मिनट में मैंने उनके शरीर को बहुत ही ध्यान से देखा तो महसूस किया कि आंटी गोरे रंग की एक अत्यंत ही सुन्दर एवं स्वस्थ शरीर की मालकिन थी। उनके चौड़े कन्धों पर लम्बी सुराहीदार गर्दन टिकी हुई थी तथा उनके चौंतीस इंच के उरोज उनके वक्ष पर दो बहुत ही खूबसूरत गोल गुंबदों की तरह खड़े थे और उनके सपाट पेट एवं छबीस इंच पतली कमर में गहरी नाभि कहर ढा रही थी।
उनकी चौड़ी फैलाई हुई सुडौल जांघें एवं लम्बी टांगों के बीच में जघन-स्थल पर छोटे छोटे बाल थे जिनमें उनकी योनि छिपी थी जिसे देख कर मुझे अपने पापा से ईर्ष्या होने लगी; जिस शरीर के साथ पापा सहवास करके उस छिपी हुई योनि को अपने लिंग से रौंदते थे मुझे भी उस शरीर को पाने के लिए मेरे मन के एक कोने में चाहत फूट पड़ी।

लगभग पंद्रह मिनट बीतने के बाद आंटी ने बिस्तर से उठ कर पहले नीले रंग ब्रा पहनी लेकिन तुरंत ही उसे उतार कर काले रंग की ब्रा पहनी और उसके बाद काली पैंटी पहन ली।
उसके बाद शृंगार-पटल के शीशे के सामने खड़ी हो कर आंटी अपने नितम्बों तक लम्बे काले रंग के बाल संवारने लगी।

आंटी ने अभी अपने बाल समेटे ही थे कि उनके घर की घंटी बजी, जिसे सुन कर वे ब्रा पैंटी के ऊपर ही एक गाउन पहन कर दरवाज़े की ओर चली गयी।
कुछ क्षणों के बाद आंटी अपने पति के साथ बेडरूम में दाखिल होते ही अपने गाउन को उतार कर घूमती हुई अंकल को अपनी ब्रा और पैंटी दिखने लगी जो शायद उन्होंने नई खरीदी थी।

घूमती हुई आंटी को अंकल ने कमर से पकड़ कर अपने साथ चिपका लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर उन्हें चूमने लगे।
मुश्किल से दो ही मिनट बीते थे कि अंकल ने आंटी की ब्रा का हुक खोल कर उनके उरोजों को आज़ाद करके उन्हें चूसने लगे।
शायद ऋतु आंटी को उत्तेजित करने के लिए उनके उरोजों को चूसना ही काफी था क्योंकि चंद क्षणों में ही उनके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी और वह अंकल की कमीज़ एवं पैंट के बटन खोलने लगी थी।

देखते ही देखते दोनों पूर्ण नग्न हो कर 69 की मुद्रा में बिस्तर पर लेट कर एक दूसरे के गुप्तांगों को चूसने एवं चाटने लगे। पाँच मिनट के बाद अंकल उठ कर ऋतु आंटी के ऊपर चढ़ गए और अपना पाँच इंच लम्बा एवं डेढ़ इंच मोटा लिंग उनकी योनि में डाल कर अंदर बाहर करने लगे।
दस मिनट की धक्का पेल में ऋतु आंटी जोर जोर से सीत्कार करती रही और अंकल के हर धक्के का उत्तर उछल उछल कर देती रही।
उसके बाद अंकल ने सात आठ बहुत तेज धक्के लगाये और फिर चार पाँच बहुत तीव्र झटकों के साथ आंटी की योनि में अपना वीर्य स्खलित करके उन्हीं के ऊपर निढाल हो कर लेट गए।

आंटी अपने पति के बोझ के नीचे लेटी उनकी पीठ और बालों पर हाथ फेरते हुए उनके गालों को चूम कर अपना प्यार, आनंद और संतुष्टि अभिव्यक्त करती रही।
पंद्रह मिनट के बाद वह दोनों उठ कर एक दूसरे को चूमते एवं बाँहों में झूलते हुए बाथरूम में घुस गए।
आगे क्या हुआ उसे देखना का मौका नहीं मिला क्योंकि पापा के आ जाने के कारण मुझे लैपटॉप बंद करना पड़ा था।

कहानी जारी रहेगी.
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