मेरी जानू और उसकी माँ
यह उस समय की बात है जब मैं अपने गाँव से 150 किमी दूर शहर में रहकर बीकॉम 2 की पढ़ाई कर रहा था। शहर में मैं कमरा लेकर अकेला रहता था, मैं अलग से फ़ैमिली रूम में रहता था इसलिये वहाँ आस-पास के लोगों से अच्छी जान-पहचान हो गई थी। और तो और मेरी मकान मालकिन और उनकी चारों बेटियों से मेरा अच्छा लगाव हो गया था, उनकी चारों बेटियाँ बहुत खूबसूरत थी, मगर इन सभी का मेरे लिए महत्व नहीं था क्योंकि मैं किसी और को चाहता था, वहीं मेरे रूम के सामने एक परिवार रहता था, जो मेरी मकान मालकिन के कोई रिश्तेदार लगते थे। उसके घर में थे तो कई लोग पर सिर्फ़ तीन लोग ही रहते थे, मेरी वाली अमृता, उसकी मम्मी और बड़ी बहन रीमा!
उसके पापा को हमेशा काम से बाहर जाना पड़ता था, वो महीने में 8-10 दिन के लिये कभी आते और चले जाते। उसका बड़ा भाई काम के लिये दिल्ली-मुंबई में ही रहता था। अमृता को मैं बहुत चाहता था, वो दिखने में बहुत सेक्सी थी, उसका बदन था, क्या कहूँ, मन करता कि दोनों हाथों से पकड़ कर चुम्बन कर लूँ, उसके चूतड़ काफ़ी उभरे हुये थे, जब उसे आते-जाते देखता तो देखता ही रह जाता, उसका कद 5’4” है और वो उस समय बारहवीं में पढ़ती थी।
उसकी बड़ी बहन रीमा भी सेक्सी है, मैं रोज अमृता को प्यार भरी निगाहों से देखता, मगर वो मुझ पर ध्यान ही नहीं देती थी पर कभी-कभी वो मुझे अपनी कातिल नजर से देखती!
अमृता की मम्मी भी काफ़ी हसीन हैं, उनकी उम्र 45 साल होगी उस समय मेरी उम्र 23 साल थी, आंटी का शरीर एकदम 18 साल की जवान लड़की की तरह था। अमृता की मम्मी से कभी-कभी बात होती थी, कभी कभी मोबाईल पर बात करते करते बैलेन्स खत्म हो जाता तो मेरे रूम पर आती और मेरे मोबाईल से बात कर लेती, कई बार ऐसा हो चुका है।
एक दिन की बात है, आंटी मेरे रूम पर आई और बोली- देखिये ना, गैस खत्म हो गई और गैस भराने वाला भी कोई नहीं है, मेरी बेटी अमृता को भी 10 बजे कॉलेज जाना है, अब क्या करूँ?
मैंने कहा- टेन्शन मत लीजिये आंटी जी, आप तब तक मेरी गैस सिलेंडर ले जाइये और खाना बनाइये, मैं तब तक आपका सिलेंडर भरवा कर ला देता हूँ।
आंटी खुश हो गई और अपना गैस सिलेंडर देकर चली गई।
मैं एक घंटे बाद गैस भरा कर आ गया। आंटी ने मुझे थैंक्स किया।
मैंने कहा- अपनों या जो ज्यादा करीब होते हैं, उन्हें थैंक्स नहीं कहा जाता, हम भी तो करीब हो गये हैं।
तो आंटी हसने लगी, बोली- इतना जो आपने किया है, वो तो कोई पड़ोसी भी नहीं करते हैं, सिर्फ़ अपने से मतलब रखते हैं, वैसे लोगों से क्या मतलब रखना!
यह कहते कहते मुझे अपने अंदर घर में बुलाने लगी, मैं चला गया।
उस समय आंटी अकेली थी, उसकी दोनो बेटियाँ कॉलेज जा चुकी थी, मैं सोफ़े पर बैठा, आंटी पानी लेकर आई।
उन्होंने कहा- आप पहली बार मेरे घर आये हैं, मैं आपके लिये चाय बनाती हूँ, वैसे भी काफ़ी ठंड है।
मैंने कहा- ओके आंटी!
पाँच मिनट बाद वो चाय लेकर आई, हमने चाय पी, कुछ बातें भी की, आधा घण्टा हो चुका था, मैंने कहा- आंटी अब मैं चलता हूँ, मुझे भी कॉलेज जाना है।
आंटी ने कहा- ठीक है… घर आते रहियेगा!
“…ओके बाय..!”
उस दिन शाम 5 बजे जब मैं कॉलेज से लौटा तो देखा कि आंटी की बेटी अमृता अपने छत पर से मुझे देख रही थी, वो काफ़ी देर तक मेरे रूम तरफ़ मुझे देखती रही थी।
अगले दिन सुबह जब वो कॉलेज जा रही थी तो मुझे देखकर प्यारी सी मुस्कान दी.. मैं भी उसे देखकर मुस्कुरा दिया।
वो चली गई।
फ़िर धीरे धीरे वो मेरे करीब आने लगी और मुझे चाहने भी लगी, शायद मैंने मदद की इसलिये!
यूं ही दिन गुजरने लगे, हम दोनों कभी कभी साथ में घूमने लगे, उसकी मम्मी ने भी उसे कहा- वो बहुत अच्छा लड़का है, तुम चाहो तो उससे दोस्ती कर सकती हो!
तभी वो मेरे इतने करीब आई, हम कभी रात 8 या 9 बजे घर आते थे मगर उसकी मम्मी कुछ नहीं कहती थी। इस तरह एक महीना बीत गया। इतने दिनों में हम लोग काफ़ी घुलमिल गए थे और काफ़ी करीब हो चुके थे, आंटी भी मुझे पसंद करने लगी थी, वो मुझसे अपनी सारी बातें बताया करती थी, कभी कभी मैं बातों बातों में कह देता कि आंटी आप बहुत सेक्सी हैं, तो वो हंसने लगती और कहती ‘तुम भी ना! मैं कहाँ सेक्सी हूँ!’
एक दिन मेरे कॉलेज में छुट्टी थी, उस दिन 12 बजे आंटी ने मुझे अपने घर के गेट से ही आवाज देकर बुलाया।
मैं गया तो उन्होंने कहा- मेरा एक काम कर दीजियेगा?
मैंने कहा- जरूर!
“एक डव साबुन और शैम्पू ला दीजिये ना!
मैं लेने चला गया, वापस आया तो देखा कि गेट लॉक नहीं था, मैं अंदर चला गया और ‘आंटी आंटी’ पुकारने लगा, शायद वो बाथरूम में नहा रही थी, उन्होंने मुझे बाथरूम की तरफ़ बुलाया, उन्होंने अपना एक हाथ निकाल कर साबुन शैम्पू मांगा, मैंने दे दिया।
साबुन देते समय उसका हाथ मेरे हाथ से छू गया था, मुझे बहुत अच्छा लगा, मन किया कि उन्हें बाहर खींच लूँ।
उन्होंने कहा- आप थोड़ी देर बैठिये!
मैं बैठ गया। कुछ देर बाद उसने मुझे बुलाया, बोली- वहाँ सामने वाली अलमारी में मेरे कपड़े हैं, दीजिये न?
मैंने उनके कपड़े लाकर दे दिये, आंटी बोली- और भी कपड़े वही होंगे, प्लीज़ ला दीजिये!
मैंने कहा- और कौन से कपड़े? सभी तो मैंने ला दिए..
आंटी शरमा कर बोली- वहीं पर मेरी ब्रा और पैंटी भी होगी, प्लीज़!
“ओके!”
फिर वो कपड़े पहन कर बाहर आ गये, क्या लग रही थी… हॉट, सेक्सी!
मैं उन्हें ही देख रहा था।
आंटी बोली- क्या देख रहे हो?
“एक बात कहूँ आंटी?”
“क्या? बोलिये..!”
“आप अभी भी इतनी खूबसूरत हैं, आपके पति आपको छोड़कर कैसे रहते हैं, कभी आपका मन नहीं करता?”
“मन तो बहुत करता हैं मगर क्या करूँ उनको अपने काम से फ़ुरसत ही नहीं मिलती! मेरी छोड़ो! अपनी बताओ! आपने अब तक किसी से सेक्स किया है या नहीं?
मैंने कहा- नहीं!
आंटी बोली- आपका मन करता है?
मैंने कहा- बहुत!
“कोई ऐसी लड़की है जिससे तुम सेक्स करना चाहते हो?”
“हाँ है ना!!”
“कौन?”
“आपकी बेटी अमृता!”
“तो आप मेरी बेटी से ही सेक्स करना चाहते हैं? ठीक है, मैं आपकी यह चाहत जरूर पूरी करने की कोशिश करुंगी। मगर मेरी चाहत कौन पूरी करेगा?”
“ठीक है आंटी, मैं भी आपके बारे में सोचता हूँ! ओके तो अब चलता हूँ!”
उस दिन घर पर सिर्फ़ आंटी ही थी।
उसके अगले दिन मैं कॉलेज से जल्दी लौट आया, मेरे रूम पर पानी नहीं आ रहा था तो मैं आंटी के घर गया, उनसे कहा- आंटी पानी नहीं आ रहा और मुझे प्यास लगी है।
वो तुरंत मेरे लिए ठंडा पानी लाई।
पानी पी कर मुझे राहत महसूस हुई, मैंने उन्हें बताया- सुबह मैंने स्नान भी नहीं किया था।
आंटी बोली- तो नहा लीजिये!
मैं नहाने बाथरूम में चला गया, नहाने के बाद मैंने तौलिया मांगा, वो लेकर आई।
वो जैसे ही तौलिया देने बाथरूम के दरवाजे पर आई, उनका हाथ पकड़ कर मैंने उन्हें अंदर खींच लिया, मैं सिर्फ़ चड्डी में था, आंटी घबरा गई, बोली- यह क्या कर रहे हो?
“आपकी ख्वाहिश पूरी कर रहा हूँ!’
आंटी मुझसे छुड़ाने लगी, कहने लगी- यह ठीक नहीं है।
मैंने उन्हें छोड़ दिया, वो बाहर आ गई और मैं भी!
आंटी बोली- मैं आपके लिये खाना लाती हूँ।
हम दोनों ने साथ साथ खाना खाया। दोपहर के दो बज चुके थे, घर में सिर्फ़ हम दो लोग ही थे, मैंने कहा- आंटी, अपनी बेटी को मुझसे कब चुदवाओगी?
बोली- बहुत जल्द! वो तो रोज किसी की याद में रात को खूब आहें भरती है। कभी कभी तो वो अपनी योनि को रगड़ कर जोरदार किलकारी भी मारती है, मैंने खुद देखा है कि मेरी बेटी सेक्स की भूखी है, तुम उसकी भूख मिटाओगे ना?
“जी हाँ आंटी!”
अब हम दोनों मस्ती के मूड में आ गये थे, मैंने आंटी से कहा- मैं आपको भी चाहने लगा हूँ, आई लव यू!
वो बोली- यह ठीक नहीं है!
मैं उनकी साड़ी खींचने लगा, वो छुड़ाने लगी, मैं नहीं माना और उनकी साड़ी खड़े खड़े ही खोल दी। अब वो ब्लाउज और पेटिकोट में मेरे सामने खड़ी थी, मैंने उन्हें किसी तरह मना लिया और वो चुदने के लिये तैयार हो गई।
मैं आंटी को उनके कमरे में ले गया, उनको बेड पर लिटा दिया, तब धीरे धीरे उनका पेटिकोट ऊपर सरकाने लगा और ब्लाउज भी खोल दिया। अब वो सिर्फ़ सफेद ब्रा और काली पैंटी में थी, वो काफ़ी शरमा रही थी, अपने आप को ढकने की कोशिश कर रही थी।
क्या जिस्म है! एकदम जवान लड़की जैसे आंटी और उसकी बेटी दोनों बहनें हो!
आंटी ने मेरे कपड़े उतार दिये, मैं भी अब सिर्फ़ चड्डी में था, मैं उनका बिकिनी फ़ोटो शूट करने लगा और वो हर अलग अलग सेक्सी पोज में फ़ोटो खिंचवाने लगी। हमने उनकी बहुत सारी सेक्सी फ़ोटो शूट की।
उसके बाद मैंने आंटी को बेड पर लिटाया, मैंने कहा- आंटी डार्लिंग तो तैयार हैं न?
वो बोली- जैसि आपकी मर्जी, अब तो मैं आपकी हो गई हूँ!
मैं उनके उपर आ गया, उन्हें पैरों पर चूमना शुरु किया, वो अजीब सी आवाजें निकालने लगी, आअह… आआह… आअह…!
मैं आंटी को किस करते करते उनकी मोटी जांघों के बीच आ गया, कच्छी के ऊपर से ही उसकी बुर को चूमा किया, वो सिहर उठी और मेरा सर बुर में दबाने की कोशिश करती, वो अब एकदम गर्म हो चुकी थी, अब उनकी चूचियों को चूमने लगा, मुँह में मुँह डालकर हमने 5 मिनट तक किस किया, वो बोली- अपनि आंटी डार्लिंग को यूँ ही किस करते रहोगे या कुछ और करोगे? मैं कब से तड़प रही हूँ, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा, जल्दी मुझे चोदिये!
“ओके आंटी डार्लिंग!!”
मैं शुरु हो गया, उनकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी, मैंने अपना कच्छा भी, अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, आंटी मुझे बेड पर पटकर 5 मिनट तक किस करती रही, वो मेरे लिंग को भी खूब चूस रही थी, और लिंग की तारीफ़ भी की, बोली… इतना लम्बा और सख्त… मेरे हसबेंड का भी ऐसा नहीं है।
अब मैंने आंटी की बुर को चाटना शुरु किया, क्या बुर है! यह तो एकदम कसी है! लगता है आप बहुत दिनों से नहीं चुदी हैं?
“हाँ… मैं करीब 6 महीने से नहीं चुदी हूँ! मेरे पति कभी आते तो काम की टेंशन से उनका मन ही नहीं होता!”
आंटी की बुर से अब पानी निकल रहा था, मैंने उस पानी को भी चखा, नमकीन स्वाद था, वो मेरे सिर को अपनी बुर में दबाये जा रही थी। अब वो और भी गर्म हो गई और तड़पने लगी, वो बोली- जल्दी कीजिये…
“ओके आंटी!” मैंने अपना लिंग उनकी बुर पर रखा, वो सिहर उठी, अब अपना लिंग बुर में डालना शुरु किया और उनके ऊपर लेट गया, अब चोदना शुरु किया… वो आआह्ह… उउह्ह्ह… करने लगी, हम एक दूसरे को मुँह में किस भी कर रहे थे, मुझे तो जन्नत मिल गई थी, मैं और तेजी से आंटी को चोदने लगा, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, पूरा कमरा आंटी की आवाज ‘आआअह्ह… आआह्ह… उउउह… उउउम्म..’ से भर गया था। इस तरह मैंने उनको 15 मिनट तक चोदा।
चुदाई के बीच में ही मैंने पूछा- आंटी, अपनी बेटी को मुझसे कब चुदवाओगी?
उसने कहा- मैं आज ही आपकी ये ख्वाहिश पूरी कर दूंगी, शाम 4 बजे कॉलेज से लौटेगी तब! अभी तुम मुझे जमकर चोदो।
कुछ मिनट के बाद वो बोली- अब मैं झड़ने वाली हूँ!
मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने कहा- अंदर ही झाड़ दीजिये।
और मैं उनके होंठों को चूमते हुए उनकी बुर में झड़ गया। वो बुर में उँग़ली डालकर मेरा माल निकाल कर चाटने लगी।
हम दोनों सुस्त हो गये थे, मैंने कहा- आटी डार्लिंग मजा आया न?
बोली- बहुत मज़ा आया, इतना मजा अपने पति से भी नहीं मिला, जितना तुमसे!
हम अपने कपड़े पहनने लगे।
चार बज चुके थे, अमृता आ गई, अमृता मुझे देखकर हंसी और बोली- आप यहाँ?
“हाँ कुछ काम था, इसलिये आया था।”
मैं आन्टी से बोला- मेरे लिए अमृता को…!
वो समझ गई। रात को आंटी ने मुझे खाने पर बुलाया, उनकी बड़ी बेटी 3 दिन के लिये अपनी सहेली की शादी में गई थी, हम तीनों ने खाना खा लिया, रात के 10 बज चुके थे, अमृता मुझे कुछ दिखाने के लिये अपने कमरे ले गई, वहाँ मुझे अपने बेड पर धकेल दिया और कहने लगी- तुम मुझे चाहते हो न?
मैंने कहा- बहुत…
“मुझे चोदोगे?”
यह सुनकर मैं खुश हो गया, तुरंत हाँ कर दी, वो अपनी मम्मी को बुलाने लगी… मुझे लगा अपनी मम्मी से कह देगी, मगर उल्टा हुआ, आंटी अंदर आई और दरवाजा बंद कर लिया।
आंटी ने अमृता को सब बता दिया था, आंटी बोली- हम दोनों के बीच कुछ नहीं छिपा!
फ़िर बोली- तो शुरु किया जाये?
अमृता शर्माने लगी, मैंने कहा- जरुर! आज पहली बार आपकी बेटी को चोदूँगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने दोनों को बेड पर लिटा दिया और धीरे धीरे आंटी की साड़ी और अमृता की जीन्स-टोप खोल दिया, अब वो दोनों पैंटी और ब्रा में थी। मैं सिर्फ़ चड्डी में था, अब दोनों को मैं चूम रहा था फिर उसकी मम्मी भी अमृता को चूमने लगी, वो चुदने के लिए तड़पने लगी।
मैंने अमृता की ब्रा और कच्छी भी उतार दी, उसका शरीर उसकी मम्मी के जैसा ही गोरा था, बुर के चारों तरफ़ घने बाल थे। मैं उसके शरीर और बुर को 10 मिनट तक चाटता रहा। अमृता अब काफ़ी गर्म हो गई थी, मेरे लिंग को दोनों माँ-बेटी चाटने लगी।
फिर मैंने अमृता की बुर में अपना 8” का लिंग डाला तो वो चिल्ला उठी- मम्मी…!
अभी 4” ही अंदर गया था, मैं अमृता की तेजी से चुदाई करने लगा, आंटी मुझे अपना दूध पिला रही थी।
अमृता बोली- मेरा दूध भी पियो!
मैं दबा दबा कर अमृता का दूध पीने लगा, वो आह… आह… आह करने लगी।
मैंने 15 मिनट लगातार अमृता को चोदा… फ़िर वो झड़ गई। अमृता अपनी मम्मी की चूत को चाटने लगी। मैंने फ़िर से अमृता को चोदना शुरु किया, अब मैं झड़ने वाला था, अमृता बोली- अंदर ही झड़ने दीजिये!
और मैं उसकी बुर में ही झड़ गया। फ़िर रात को कई बार चोदने के बाद अपना वीर्य दोनों के मुँह में ही डालता और वो पूरा पी जाती थी।
इस तरह दो साल तक मैं दोनों को चोदता रहा।
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