मेरे मोहल्ले की रौनक

अभान खान 2013-07-06 Comments

आमिर खान
नमस्कार दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं यहाँ रोजाना नई नई कहानियाँ पढ़ता हूँ और इनका आनन्द लेता हूँ।

लेकिन मैं अपनी कहानी यहाँ साझा करने में संकोच करता था परन्तु जब मैंने देखा कि यहाँ कई लड़कियाँ तक अपनी कहानियाँ साझा करती हैं तो मैंने भी अपनी पहले सैक्स की घटना को साझा करने की ठान ली।

यह उस समय की बात है जब बारहवीं कक्षा में था। मैं अपने घर में बैठक में रहा करता था।

मेरे कमरे का एक दरवाजा गली में खुलता था। मेरे घर के सामने वाले घर में ही रौनक चाची रहा करती थी, उनकी उम्र उस वक्त तकरीबन 35 साल थी पर वो बला की खूबसूरत थी, उनके उरोज बहुत बड़े और उठे हुए थे, उनका आकार तकरीबन 36 होगा, उनके चूतड़ भी गोल और सैक्सी थे।

उनके पति जफर दुबइ में रहते थे और एक या डेढ़ साल में दो महीनों के लिये घर आते थे। अभी वो एक महीने पहले ही घर आये थे।

मार्च के शुरूआत की बात है, मेरे पेपर चल रहे थे इसलिये में रात को लेट तक पढ़ाई करता था। रात का जब देर हो जाती थी तो मैं गली में जाकर सिगरेट पिया करता था।

एक बार मैं सिगरेट पीने के लिये बाहर गया तो मैंने रौनक चाची के कमरे से कुछ आवाजें सुनी। ऐसा लगा कि वहाँ चुदाई कर रहे थे। मैं उनकी खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया और उनकी बातें सुनने लगा।

मैंने देखा कि उनकी खिड़की में एक छोटा सा सुराख था शायद केबल के तार के लिए रखा था।

मैं उसी सुराख में से झांक कर देखने लगा तो मैंने देखा कि जफर अंकल रौनक आंटी को कुतिया बना कर उसे पीछे से चोद रहे थे और वो भी तरह तरह की आवाजें निकाल रही थी और चुदाई का मजा ले रही थी।

रौनक आंटी का नंगी देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने वहीं अपने लंड को निकाल कर यह सोचते हुए कि मैं रौनक को ही चोद रहा हूँ, मुठ मारकर लंड को झार दिया।

इसके बाद में अपने कमरे में आकर सो गया।

उसके बाद मैं रोजाना उनकी चुदाई देखता और मुठ मारकर सो जाता था। कुछ दिनों बाद जफर अंकल की छुट्टियाँ पूरी हो गई और वो वापस दुबई चले गये।

अब मेरे भी पेपर खत्म हो गये थे और छुट्टियाँ शुरू हो गई थी। मेरे सभी घर वाले छुट्टियाँ मनाने के लिये मेरी नानी के घर जा रहे थे।

लेकिन मैंने इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी का बहाना बनाया और घर पर ही रूक गया।

एक रोज रात का तकरीबन 1 बजे मैं टीवी देख रहा था तो लाइट चली गई। मैं अपने घर के बाहर कुर्सी डालकर लाइट का इंतजार करने लगा और बाहर बैठ गया।

थोड़ी देर बाद रौनक आंटी भी अपने घर के बाहर आकर बैठ गई। वो काफ़ी देर तक वहाँ बैठी रही लेकिन मैंने उनसे बातचीत शुरू नहीं की।

कुछ देर बाद वो खुद ही मेरे पास आकर खड़ी हो गई और बोली- बैठने को नहीं पूछोगे?

मैंने मजाक में कह दिया- कुर्सी एक ही है, बैठना है तो मेरी गोद में बैठ जाओ।

वो फट से मेरी गोद में बैठ गई। मैं बिल्कुल सकपका गया और जल्दी उसे अलग करके खड़ा हो गया।

रौनक आंटी बोली- बस डर गये क्या बच्चू? चूत ऐसे ही थोड़े ही मिलती है, इसके लिये कुछ करना पड़ता है।

मैंने पूछा- क्या मतलब?

तो वो बोली- तू क्या सोचता है, तू ही लोगों की खिड़कियों में झांक सकता है, तेरी खिड़की में कोई नहीं झांक सकता। मैंने कई बार तुझे तेरी खिड़की में से मुठ मारते हुए देखा है। तभी से मेरी चूत में तेरे लंड को देख कर खुजली होने लगी थी। मैंने तभी सोच लिया था कि एक न एक दिन तेरे लंड से अपनी चूत की प्यास जरूर मिटवाऊँगी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उनकी इस तरह की बातें सुनकर मेरे लंड में झनझनाहट होने लगी थी, मैंने कहा- तो देर किस बात की, मिटवा लो प्यास।

वो बोली- तो चल मेरे साथ।

वो मुझे अपने साथ अपने घर ले गई और बाथरूम में जाकर एक गुलाबी रंग की नाइटी पहन कर आ गई। उस नाइटी में से उनकी ब्रा और पेंटी साफ दिख रही थी।

वो मेरे पास आकर मेरे होंठो पर झुक गई और मेरे होंठों का चूसने लगी, मैं भी उनके होंठो को जोर से चूस रहा था।

मैंने एक हाथ उनकी नाइटी में डाल दिया और उनके चुचों को सहलाने लगा, उनके चुचे एकदम रूई की तरह मुलायम थे।

फिर मैंने आंटी को बिस्तर पर लेटा दिया और उनकी नाइटी को उतार दिया। अब आंटी सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी।

मैंने कहा- आंटी, अब इन्हें भी हटा दो।

तो वो बोली- तुम खुद ही हटा दो और मुझे आंटी कहने की जरूरत नहीं, मुझे रौनक कहा करो !

मैंने कहा- ठीक है रौनक जान।

मैंने उनकी ब्रा को एक झटके में निकाल फेंका और उनके चुचों पर टूट पड़ा।

मैं उनके चुच्चों को बुरी तरह चूस रहा था और दबा रहा था। मैं काफ़ी देर तक उनके उभारों से खेलता रहा, फिर मैंने उनकी पेंटी भी निकाल दी और उनकी दोनों टांगें फैला कर उनकी चूत को देखने लगा।

उनकी चूत बिल्कुल चिकनी थी, शायद उन्होंने आज ही शेव की थी, उनकी चूत एकदम लाल थी।

मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और उनकी चूत को चूसने लगा। मैं उनके चूत के दाने को चूस रहा था, वो बिना पानी की मछली की तरह तड़प रही थी। मैं उनकी चूत में जीभ अंदर बाहर किये जा रहा था।

वो बोली- आमिर, क्या जीभ से ही चोदेगा और क्या अपना लंड नहीं चखवायेगा?

मैंने कहा- अभी लो आंटी।

मैं लेट गया और आंटी ने मेरी पेंट और अंडरवीयर को निकाल दिया और मेरे लंड को हाथ में भर कर मुठ मारने लगी और चूमने लगी।
फिर उन्होंने गप करके पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और अंदर-बाहर करने लगी। उनके लंड चूसने का अंदाज बड़ा ही निराला था, वो तीन चार मिनट तक ऐसे ही लंड को चूसती रही।

फिर मैंने हटने को कहा और उन्हें लेटा कर उनकी टांगें चौड़ी करके उनकी चूत के मुँह पर अपना लंड सटा दिया और एक जोर का झटका मारा और पूरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में पहुंचा दिया।

आंटी ने अपनी आँखें बंद कर ली, उनकी चूत बहुत गर्म थी, मैं धीरे धीरे उनकी चूत में लंड को अंदर बाहर करने लगा।

तकरीबन दस मिनट बाद आंटी की आहें तेज होने लगी और जोर जोर से आह उ आह आउच आह उउउ उई करने लगी, वो मुझे जोर जोर से झटके मारने को कह रही थी और खुद भी सामने से झटके मार रही थी।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और झर गई। इसके बाद सात आठ झटकों बाद मैं भी उनकी चूत में ही झर गया और वहीं लेटा रहा काफ़ी देर तक।

रौनक भी मेरे पास ही नंगी लेटी हुई थी। मैंने धीरे से उन्हें चूमा, वो मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी।

थोड़ी देर बाद हम दोनों फिर से तैयार हो गये, इस बार रौनक ने मुझे लेटा दिया और मेरे खड़े लंड पर बैठ कर मुझे चोदने लगी।

वो जल्दी जल्दी अपने कूल्हों को ऊपर नीचे कर के मुझे चोद रही थी।

उसके बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और जल्दी जल्दी झटके मारने लगा। वो एक बार फिर झड़ गई थी लेकिन मैं अभी भी नहीं झड़ा था। अब मेरा मन उनकी गाण्ड मारने का था, मैंने उनसे पूछा- रौनक, क्या मैं तुम्हारी गांड मार सकता हूँ?

तो उन्होंने कहा- जो तुम्हारी मर्जी है, वो करो ! अब मैं पूरे 1 साल के लिये तुम्हारी हूँ !

तो मैं अपने लंड को उसकी गांड पर रखकर झटका मारने लगा तो उन्होंने मुझे रोका और कहा- पगले, गांड ऐसे मारी जाती है क्या? मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है, मेरी गांड बहुत टाइट है। तू रुक, मैं क्रीम लाती हूँ !

और वो पोंडस क्रीम लेकर आई, मैंने बहुत सी क्रीम लेकर उनकी गांड के छेद पर लगा दी और थोड़ी अपने लंड पर लगा ली।
अब धीरे से अपना लंड उनकी गांड में घुसेड़ दिया, उनकी एक तेज चीख निकल गई पर मैं रूका नहीं और लगातार झटके मारता रहा।

मुझे उनकी टाइट गांड में बड़ा ही मजा आ रहा था। मैं उनकी गांड को 20 मिनट तक चोदता रहा।
फिर मैंने रौनक को पीठ के बल लेटा लिया और उनके ऊपर लेटकर गांड मारने लगा।

पांच मिनट बाद मैं उनकी गांड में ही झर गया।
उसके बाद में उसके कमरे में ही सो गया और सुबह जल्दी उठकर अपने घर चला आया।

उसके बाद हम हर दूसरे तीसरे दिन जब भी हमें मौका मिलता, चुदाई करते थे।
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