चूत की आग के लिए मैं क्या करती-3
(Choot Ki Aag Ke Liye Mai Kya Karti- Part 3)
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सुशील ने कहा- भाभी, मैं घर हो आता हूँ! माँ को कह आता हूँ कि विनोद भैया के यहाँ कोई नहीं है, भाभी को डर लग रहा है तो मैं वहीं सो जाऊँगा।
वैसे सुशील मुझसे इतना छोटा है कि कोई हम पर शक भी नहीं कर सकता है, मैंने कहा- ठीक है!
उसके जाने के बाद सुनील ने मुझे जकड़ लिया- जान बहुत दिनों से प्यासा हूँ!
और मुझे जल्दी जल्दी नंगा किया और… अपना लिंग सीधा ही मेरी चूत में डाल दिया। मैं फिर से जोश में आ गई, हम दोनों ने खूब मस्ती से सेक्स किया करीब आधे घंटे में सुशील वापिस आ गया और वो सोफे पर बैठ गया!
रात के करीब 9 बजे थे, विनोद का फोन आया, बोला- क्या कर रही हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं यार! बस टीवी देख रही थी।
वो बोला- क्या?
मैंने कहा- सेक्सी फिल्म जो तुम कल लेकर आये थे, वो!
वो बोला- चलो अच्छा है, तुम्हारा मन तो लग रहा है ना?
मैंने कहा- बहुत अच्छा मन लग रहा है। वैसे कब आरहे हो तुम?
विनोद बोला- यार, मुझे इसके बाद लन्दन जाना है तो क्या मैं यहीं से चला जाऊँ? वैसे 7 दिन मैं आ जाऊँगा।
मैंने कहा- ठीक है, हो आना पर मेरे लिए क्या लाओगे गिफ्ट?
वो बोला- जान तुम जो कहो वो!
मैंने कहा- कुछ भी अच्छा सा!
‘ठीक है।’
और फोन कट गया।
मैंने सुनील और सुशील को कहा- चलो मजे करो! विनोद अब 7 दिन और बाहर रहेगा। क्यों सुशील? खुश हो या नहीं?
वो मेरे पास आया- तो ख़ुशी मनाते हैं! चलो अंदर!
और वो मुझे अपनी गोद में उठा कर अंदर ले गया। वैसे मैंने कुछ पहन तो रखा नहीं था क्यूंकि सुनील सेक्स कर रहा था, सुनील का लिंग अभी भी सुस्त पड़ा था।
सुशील मुझे चूमने लगा, सुनील भी यह सब देख रहा था!
मैंने सुशील को कहा- अब से सात दिन तक कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा! उतारो ये सब! जब बाहर जाना हो तो ही पहनना!
और जैसे ही सुशील ने कपड़े उतारे, सुनील उसका लिंग देख कर दंग रह गया और बोला- वाह, क्या लिंग है सुशील, तुम्हारा लिंग बड़ा सुंदर है। क्या मैं हाथ लगा कर देख सकता हूँ?
और सुनील ने उसका लिंग छूकर आगे पीछे करने लगा। यह करने से सुनील का भी लिंग कड़क होने लगा था।
मैंने सुशील का लिंग मुँह में ले लिया और कहा- लाओ यार, अब मुझे मजा करने दो!
सुशील काफी जोश में था और जैसे ही मैंने उसका लिंग मुँह में लिया, वो धक्के मारने लगा।
सुनील ने आव देखा न ताव, मेरी चूत में अपना लिंग डालने का कोशिश करने लगा और अंदर डाल कर बोला- क्या चूत है भाभी तुम्हारी! मजा आता है! अभी तुमने सुशील का इतना बड़ा लिंग अंदर डलवाया था पर इसका असर नहीं हुआ, वापस वैसे की वैसे हो गई जैसे पहली बार कर रहे हों।
‘हाँ सुनील भाई! वाकई! तुम सच कह रहे हो!’ सुशील बोला- बहुत मस्त चूत है भाभी की! मजा बहुत आता है!
मैं मस्ती से सुशील का लिंग मुँह में लेकर आनन्द ले रही थी क्यूंकि एक साथ दो दो लिंग का मजा मुझे मिल रहा था। आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था और बहुत किस्मत वाली होती है जिसको दो लिंग का मजा एक साथ मिलता है। और मैं तो बस मजे करने के लिए ही बनी हूँ, ऐसा मुझे लग रहा था, आज तो मेरे दिन भर से चुदाई चालू है।
सुनील ने जोर जोर से करना चालू कर दिया, बोला- भाभी, मैं तुम्हारी हॉट चूत का सामना अब नहीं कर पाऊँगा, बाकी का काम अब सुशील को करना होगा, तुम्हारी बाकी प्यास अब सुशील बुझाएगा। मैं इस मंजर को देख कर बहुत उत्तेजित हो गया हूँ तो आज जल्दी झड़ रहा हूँ, मुझे माफ़ करना।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, सुनील भाई, अभी मेरा सुशील है, आ जाओ तुम मेरे मुँह में झाड़ना! और सुशील तुम मेरी चूत की प्यास बुझा दो! बहुत आग लगी है और जब से मैंने तुम दोनों के लिंग एक साथ देख लिए है मैं परेशान हो रही हूँ!
सुनील मेरे मुँह में धक्के मारने लगा और सुशील मेरी चूत में। मुझे मजा आने लगा, मैं आह उह्ह करने लगी और झड़ गई!
वैसे सुनील मेरी चूत में था, तब तो झड़ने का बोल रहा था पर मुँह में वो धक्के लगा रहा था और अभी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था और सुशील तो किसी अंग्रेजी फिल्म के हीरो की तरह था, काफी मजबूत! अभी उसका आधा काम भी नहीं हुआ था, मुझे चरम आनन्द आ रहा था, मैं अपने मुँह से नहीं कह सकती कि मैं किस सुख को भोग रही थी। मैं दो-दो लिंग को देख कर यों ही काफी मजे में थी और फिर ऐसे लिंग जो झड़ने का नाम नहीं ले रहे हो तो क्या हाल हो, कोई भी सोच सकता है।
थोड़ी देर में सुनील मेरे मुँह में झड़ गया, मैं उसके साथ एक बार और झड़ गई और सारा वीर्य पी गई।
मुझे अब और मजा आने लगा था, सुशील जोर जोर से कर रहा था, मैंने कहा- सुशील, और जोर से! और जोर से! मजा आ रहा है। सुनील अब सारा का सारा माल मेरे मुँह में निकाल कर हमारा खेल के मजे लेने लगा। मैं ये सब देख कर बहुत खुश थी कि एक कर रहा है, एक देख रहा है।
और अब सुशील बोला- अब मैं भी झड़ने वाला हूँ भाभी!
मैंने कहा- सुशील, मुँह में ही झड़ना! मुझे तुम्हारे वीर्य का स्वाद बहुत अच्छा लगता है।
और वो मुँह में आ गया और थोड़े धक्के लगाने के साथ झड़ गया, उसके वीर्य से मेरा मुँह पूरा भर गया, मैं स्वाद ले लेकर अंदर उतारने लगी।
अब हम थक चुके थे और ऐसे ही सो गए। सुबह करीब सात बजे नींद खुली, मैंने दोनों को उठाया, हम सब बिना कपड़ों के थे और सुशील का लिंग सुस्त भी काफी बड़ा नजर आ रहा था।
मैं उसका लिंग हाथ में लेकर खेलने लगी, थोड़ी देर में उसका कड़क होने लगा पर हम सब उठ कर फ्रेश होने के लिए चले गए, साथ
ही हम लोगों ने नहाने का सोचा और एक दूसरे को साबुन से नहलाया, दोनों ने मिल कर मेरे बूब्स को खूब साबुन लगाया और दबाते रहे और चूत को साबुन से रगड़ कर अच्छे से साफ कर दिया और मैंने दोनों के लिंग को खूब साबुन से रगड़ कर साफ कर दिया। इस तरह करते रहने से दोनों के लिंग फिर से खड़े हो गए और हमने बाथरूम में ही चुदाई चालू कर दी!
इस बार सुशील ने अपना लिंग मेरी चूत में डाल कर कहा- भाभी, चलो तुमको आज अलग मजा देते हैं।
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोला- दोनों लिंग एक साथ तुम्हारी चूत में डालते हैं।
मैंने कहा- नहीं सुशील! ऐसा मत करना, मैं मर जाऊँगी।
सुशील ने कहा- सुनील भाई, आओ, अब तुम भी डालो!
सुशील ने पीछे से अपना लिंग मेरी चूत में डाल दिया और सुनील आगे से डालने लगा पर सुशील के बड़े और मोटे लिंग के कारण नहीं जा सकता था। सुशील ने अपना काम चालू कर दिया, सुनील चुपचाप उठा और मुँह में लग गया।
मुझे फिर से जोश चढ़ने लगा और सोचने लगी- काश विनोद इन दोनों को मुझे चोदने की इजाजत दे दे तो क्या मजा आये! विनोद के सामने इनसे चुदती रहूँ रोज! क्यूंकि अगर विनोद के सामने नहीं चुदूँ तो कभी-कभी ही मौका मिल सकता था और मेरा हाल तो यह था कि मुझे जितना ज्यादा सेक्स मिल रहा था उतनी ही प्यास बढ़ रही थी।
थोड़ी देर में मेरे हाथ-पैर कड़क हो गए, मैं झड़ गई।
सुशील बोला- भाभी, आप तो बहुत जल्दी झड़ गई?
मैंने कहा- मेरे राजा, मैं झड़ तो गई हूँ पर मेरे प्यास नहीं बुझी है। तुम तो करते रहो।
मेरी चूत गीली होने से सुशील को और मजा आ गया और वो और जोश से करने लगा और करीब 5 मिनट के बाद मैं फिर से झड़ गई और इस बार सुशील भी झड़ गया, वो मेरी चूत में ही झड़ गया, मेरी चूत उसके वीर्य से भर गई।
वो उठा अपना लिंग मेरे मुँह में डाल कर बोला- साफ कर दो भाभी!
और सुनील से बोला- भैया, भाभी को अब तुम संभालो! काफी हॉट है यार भाभी तो! विनोद भाई तो कुछ भी नहीं कर पक़ते होंगे अकेले!
तो मैंने कहा- हाँ सुशील, वो तो मेरी चूत में डालते ही झड़ जाते हैं।
और अब सुनील आ गया मुझे चोदने! चूँकि सुशील का वीर्य से मेरी फ़ुद्दी गीली थी तो सुनील का लिंग अंदर बाहर बहुत आराम से हो रहा था। वो बार बार बाहर निकाल कर मेरे मुँह में अपना लिंग डाल रहा था तो मुझे मेरी चूत के रस और सुशील के लिंग के रस का स्वाद मिला कर करवा रहा था, काफी अच्छा लग रहा था। मैं फिर से कड़क होने लगी और झड़ गई।
थोड़ी देर में सुनील भी मेरी चूत में ही झड़ गया और आकर बोला- लो भाभी मजे से चूस लो हम तीनों के रस का स्वाद!
हम फिर से नहाये और बाहर आ गए। कुछ खाना वगैरह का आर्डर दे दिया क्यूंकि मैं बहुत थक गई थी!
साथ बैठ कर नाश्ता किया और सुशील बोला- भाभी, मैं घर जाता हूँ ताकि कोई भी परेशानी न हो, और जरुरत के सामान भी ले आता हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, पर सुनील तुम यहीं रहो अब सात दिन! रोज सुशील चला जायेगा और जो भी जरुरी सामान है लेकर आ जायेगा। सुनील को कोई परेशानी नहीं थी तो उसको तो मजा आ गया। फिर हम रोज ऐसे ही मजे करते रहे और कब सात दिन गुजर गए पता ही नहीं चला।
वैसे मैं सुशील के साथ तो जब चाहूँ सेक्स कर सकती थी पर तीनों को साथ सेक्स करने का मौका अब जाने कब मिलने वाला था, यह नहीं पता था।
सुनील काफी भरी मन से घर जाने लगा और कहा- भाभी, मैं तुमसे अलग नहीं हो सकता हूँ! काश तुम मेरी बीवी होती!
‘पर फिर मैं ऐसे ही किसी और से करती तो क्या तुमको बुरा नहीं लगता?’
वो बोला- नहीं भाभी, तुम्हारी यही अदा तो जान लेती है कि तुम दो दो लिंग के मजे बहुत आराम से लेती हो! जब मेरी शादी होगी तो मैं अपनी बीवी को जरुर एक बार सुशील से चुदवाऊँगा। क्यों सुशील चोदोगे न मेरी बीवी को?
सुशील बोला- क्यों नहीं सुनील भाई!
सुनील चला गया, सुशील वहीं था, तब ही विनोद का फ़ोन आया- मैं आज आ रहा हूँ, दो घंटे में पहुँच जाऊँगा।
मैंने कहा- ठीक है, आओ बहुत याद आ रही है आपकी!
और फोन रख दिया।
सुशील बोला- भाभी, मेरा एक दोस्त है रवि! बहुत अच्छा है यार! और उसका लिंग भी बहुत सुंदर है, हम दोनों ने साथ साथ हस्तमैथुन किया है, मैंने उसका लिंग देखा है। क्या तुम उसका लिंग देखना चाहोगी? कहो तो अगली बार जब हम साथ हो तो उसको साथ लेकर आऊँ? वो कहता है कि यार तेरे पास वाली भाभी क्या लगती है। तुमको बहुत चाहता है।
मैंने कहा- नहीं, मैं क्या रंडी हूँ जो सबसे चुदती रहूँगी! ऐसी गलती मत करना!
वो बोला- प्लीज भाभी! मैं उसको तुम्हारे साथ सेक्स के बारे में बता चुका हूँ! एक बार करवा लो ना! बहुत मरता है वो तुम पर!
मैंने कहा- ठीक है, देखेंगे! पर अब तुम जाओ!
थोड़ी देर में विनोद आ गया!
मैंने उसको आते ही चूमा और कहा- विनोद, मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी!
ऐसा दिखाया कि जैसे मैं बहुत अकेली थी।
आगे भी लिखती रहूँगी।
मुझे मेल करना मत भूलना!
इन्तजार में आपकी सुरभि तिवारी…
[email protected]
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