चुदाई का सपना पूरा हुआ.. पड़ोसन माँ बनी
(Chudai Ka Sapna Pura hua, Padosan Maa Bani)
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यारा नमस्कार।
मैं मेरी पहली मस्ती भरी कहानी आपके सामने रखने जा रहा हूँ।
मैं प्रेम, 26 साल का 5’7″ लम्बा युवक हूँ और मेरा हथियार भी लम्बा और मोटा है।
मैं एक अच्छे शहर से हूँ.. जो गुजरात में है। जहाँ पर ज्यादातर लोग अपने रोज के काम में व्यस्त रहते हैं। इसीलिए शहर में मेरे जैसे रोमियो अपना प्यार भरा समय उनकी प्रेमिकाओं को देते हैं।
ऐसी ही मेरी कहानी है।
मैं जहाँ पर रहता हूँ.. वहाँ पड़ोस में एक परिवार रहता था.. उसमें बस दो ही लोग थे, पति और उसकी पत्नी.. वो किसी और जगह से आए थे और किराए पर रहते थे।
उनकी शादी को काफी समय हो चुका था.. पर उनको कोई संतान नहीं थी।
भाभी देखने में ऐसी थीं कि उसको देखते ही तन-बदन में आग लग जाती थी क्योंकि वो माल ही ऐसी थीं।
एकदम दूध सी गोरी.. लम्बी.. एकदम कसा हुआ जिस्म 36-30-36 का फिगर और रसीला बदन.. यूं समझ लीजिए कि जैसे कोई परी हो।
जब मैं रास्ते से आता-जाता था.. उसको प्यार भरी नजरों से देखता रहता था।
एक दिन वो मुझे एक जनरल स्टोर पर मिली, वो कुछ लेने के लिए आई थी और मैं भी कुछ लेने गया था।
मैंने उसे देखा तो सोचा कि आज भाभी का प्यार भरा दीदार थोड़ा नजदीक से हो जाए।
मैं उसके बाजू में जाकर खड़ा हो गया।
उसने मुझे देखा और अनदेखा कर दिया।
मैंने सोचा क्या यार यह तो वास्तव में अपने पति के लिए इतनी ईमानदार है।
फ़िर मैं बिना कुछ बोले वहाँ से एक डेरी मिल्क चॉकलेट लेकर चला गया।
जैसे मैंने कहा कि वो दोनों अकेले रहते थे, मैंने वो चॉकलेट उसके घर के आगे रख दिया और उसके आने का इन्तजार करने लगा।
वो आई और चॉकलेट देख कर प्यार से हँसी और दरवाजा खोल कर अपने घर में चली गई.. पर उसने चॉकलेट मेरे सामने नहीं लिया।
मैं वहाँ से चला गया।
उस दिन में पूरी रात सोचता रहा कि थोड़ा तो भाव दे रही है वो.. लेकिन थोड़ा अकड़ भी रही है।
मैंने मन ही मन में उसकी याद में अपना हथियार हिला लिया।
दूसरे दिन जब मेरे जाने के समय पर वो बाहर खड़ी थी.. वो कुछ देना चाहती थी.. ऐसा लगा।
उसने मुझे आने का इशारा किया और मुझे अपना फोन नम्बर लिखा हुआ कागज नीचे गिरा दिया और अन्दर चली गई।
मैंने आगे बढ़ कर कागज़ उठाया और जेब में रख कर आगे चला गया।
उस दिन से मेरी उससे फोन से बात शुरू हो गई।
यह खेल 5 दिन तक ऐसे ही चला.. हम दोनों की बात चलती रही।
एक दिन मैंने उसे ‘आइ लव यू’ बोल दिया.. उसने कोई जबाव नहीं दिया।
फ़िर मैं उस दिन उसको ‘गुड नाइट’ बोल कर सो गया।
दूसरे दिन उसका ‘गुड मॉर्निंग’ का मैसेज आया हुआ था।
रात में उसका मैसेज आया- क्या कर रहे हो.. खाना खाया कि नहीं.. खाना हो तो आ जाओ मेरे घर पर..
बस मैंने उत्तर दे दिया- मैं आ रहा हूँ..
उसने कहा- ओ पागल.. अभी नहीं आना।
मैंने कहा- तो क्यों बोला?
‘वो थोड़ा ऐसे ही कहा था।’
मैंने पूछा- तुम्हारा पति घर पर है क्या?
उसने कहा- जाने दो.. उसका जॉब ही ऐसा है। उसे काम ही काम रहता है और जब घर पर आता है.. तब भी फोन पर ऑफिस वालों से बात करता रहता है। मुझे प्यार तो करता है.. पर रोमांटिक मूड थोड़ा कम होता है। क्योंकि उनका काम ही उनका रोमान्स है ऐसा मुझे लगता है।
दूसरे दिन वही मैसेज.. तो मैंने भी वही वापस किया- आऊँ क्या?
आज उसने बिन्दास बोला- हाँ.. आ जाओ आज वो देर से आएगा।
बस और क्या.. मैं उसके घर के लिए लपक लिया।
मैंने घर पर बोला- काम से बाहर जा रहा हूँ।
उसने अच्छे से मेरा स्वागत किया।
उसने मस्त नेट की साड़ी पहनी हुई थी, उसे देखते ही मेरा हथियार खड़ा हो कर उसकी जवानी को सलामी देने लगा था।
हम दोनों ने मुस्कुरा कर बात करनी शुरू की.. फ़िर उसने मुझे बड़े प्यार से खाना खिलाया।
बाद में वो वही चॉकलेट लेकर आई.. जो मैंने उसको दिया था।
मैंने पूछा- क्यों खाई नहीं आपने?
बोली- मुझे तो आपके साथ खाना था न..
मैंने मन ही मन में सोचा कि आज तो लगता है कि बात बन ही जाएगी।
मैंने पूछा- आपके पति को बच्चे पसन्द नहीं हैं क्या?
इस पर उसने अपनी दु:ख भरी कहानी बताई.. तो मैं समझ गया कि उसके पति में कोई कमी है जिसकी वजह से वो माँ नहीं बन पा रही है।
मैंने बोला- कोई बात नहीं.. आपकी दिक्कत को में दूर कर सकता हूँ यदि आप चाहो तो..
वो मुझे देखती ही रह गई।
बोली- तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो?
मैंने बोला- उसमें सोचना क्या.. जो मुझे लगा.. वो मैंने बोला।
फ़िर उसने वो चॉकलेट खाने को बोला।
मैंने बोला- तुम अपने हाथ से खिलाओ तो ही खाऊँगा।
बोली- पागल हो तुम..
मैंने कहा- आपका दीवाना जो हूँ।
फ़िर वो अपने हाथ से मुझे चॉकलेट खिलाने लगी.. तो मैंने उससे कहा- एक काम करते हैं.. आधी-आधी खाते हैं.. तुम एक तरफ़ से खाओ.. और मैं एक तरफ़ से..
बोली- तुम तो बड़े रोमांटिक हो जी..
मैं बोला- वो तो मैं बचपन से ही हूँ.. पर आज तक आपके जैसी से रोमान्स नहीं हुआ है.. और अब चान्स मिला है तो मैंने सोचा ये भी कर लूँ।
वो मुझे पागल समझ रही थी.. पर उसे क्या पता था कि ये मेरी चूत भी मजे से चोद देगा।
बाद में मैं उससे बोला- चलो डालो अपने मुँह में चॉकलेट और खिलाओ मुझे..
मैंने जैसा कहा वैसा ही वो करती गई.. बस क्या था.. यही तो चहिए था।
कब एक-दूसरे के होंठ मिल गए.. पता ही नहीं चला और हम दोनों मजे से चुम्बन का मजा लेने लगे।
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मैंने उसको कसके पकड़ लिया.. उसकी गाण्ड पर अपना हाथ रख दिया और फ़िर उसके मम्मों को दबा दिया.. धीरे-धीरे उसके कपड़े निकाल दिए और उसने मेरे कपड़े हटा दिए।
वो भी कम नहीं थी.. पूरे मजे ले रही थी। उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और प्यार से सहलाने लगी थी। मैं उसकी चिकनी चूत को टटोल रहा था।
इस सब के साथ में हम दोनों के चुम्बन तो चल ही रहे थे।
हम दोनों एकदम नंगे हो कर एक-दूसरे को चूस रहे थे.. प्यासे प्रेमियों की तरह एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। वो नंगी अवस्था में क्या मस्त लग रही थी।
मैंने उसके मम्मों को मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। वो सिसकारियाँ लेने लगी और हम दोनों की वासना की गर्मी पूरे कमरे में फैलने लगी थी।
उसने अपनी चूत के बालों को साफ़ कर रखा था पर मैंने नहीं। मुझे थोड़ी पता था कि आज मेरे नसीब में ये वाला प्रोग्राम होगा।
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया.. तो वो बोली- आह्ह.. ऐसा मत करो..
मैंने अनसुना कर दिया और उसकी रसीली चूत को चाटता ही रहा।
हम दोनों चुदाई की आग में जल रहे थे एक-दूसरे को चोदने के लिए एकदम रेडी थे.. तो बस चालू हो गया वो खेल.. और हाँ चूंकि ये मेरा पहली बार था.. तो उसने मुझे बहुत सहयोग दिया।
हम दोनों एक बार 69 पोजिशन में हुए और अपना पहला रस निकाल दिया था.. ताकि दूसरी बार ज्यादा समय तक खेल चल सके।
थोड़ी देर में मेरा लण्ड वापस तैयार हुआ और उसने भी साथ देना चालू किया। मैंने जैसे ही लण्ड को उसकी चिकनी चूत में पेला.. तो उसके मुँह से ‘आहह.. निकालो तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है.. आअह..’ निकलने लगा।
मैंने रुक कर उसके होंठों को चूम लिया और फिर से लण्ड को जोर से अन्दर पेल दिया।
कुछ देर के दर्द के बाद मजा आना शुरू हो गया।
मैं उसकी चूत को चोदते गया, साथ ही उसके मस्त मम्मों को भी दबा रहा था, उसको चुम्बन कर रहा था.. और साथ में चोद रहा था।
देर तक चुदाई चली.. अब तक वो एक बार अपना सफ़ेद पानी निकाल चुकी थी। अब मेरा पानी भी निकलने वाला था।
मैंने तेज शॉट मारते हुए पानी निकाला तो उसकी चूत ने भी फिर से रस छोड़ दिया।
कुछ पल तक हम दोनों निढाल पड़े रहे फिर अलग हुए ही थे कि मेरे घर से फोन आ गया।
मैंने बोला- बस अभी आता हूँ।
मैंने उसको चुम्बन किया और बोला- आई लव यू जान..
उसने भी बोला- माई जानू स्वीटू.. लव यू..
फ़िर मैं उसको चुम्बन करके अपने घर जाने लगा.. तो वो बोली- जा रहे हो क्या?
मैंने बोला- जाना तो पड़ेगा मेरी जान.. सुबह कॉलेज भी तो जाना है।
मैं वहाँ से निकल गया।
मैं घर पहुँचा और तो देखा कि उसका मैसेज मेरे फोन पर आया हुआ था- आई लव यू.. थैंक्स फॉर योर लव।
मैंने जवाब दिया- किसी की मदद करना तो अच्छी बात है.. अब कल बात करते हैं।
हम दोनों एक-दूसरे को गुड नाइट बोल कर सो गए।
इसके बाद जब भी मुझे चान्स मिलता.. मैं उसकी गुलाबी चूत में अपना सफ़ेद पानी डाल आता।
जब वो माँ बनने वाली थी.. तब वो अपने पीहर चली गई।
फोन पर हमारी बात अभी भी होती रहती है।
कुछ दिन बाद उसको लड़का हुआ और उस पगली ने उसके लड़के को मेरा ही नाम दे दिया।
एक दिन वो बोली- तुम तो बड़े रोमांटिक हो.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मेरा सपना तुमने पूरा कर दिया.. काश तुम मेरे पति होते।
उसकी उम्र मेरे जितनी ही थी।
उसकी माँ को ये बात पता चल गई थी कि उसका पति उसे बच्चा नहीं दे पाएगा.. तो उसने अपनी माँ को मेरे बारे में बता दिया था।
आज भी उसके पति को ऐसा ही लगता है कि वो उसका बच्चा ही है।
आज भी जब समय मिलता है और वो अकेली होती है.. मैं मेरा काम करके आता हूँ।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. जरूर बताना।
आपका दोस्त प्रेम
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