पुरानी यादें : दोस्त ने माँ को चोदा

(Kuchh Purani Yaaden: Mere Dost Ne Maa Ko Choda)

गुरु आशिक 2017-10-06 Comments

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माँ बेटा सेक्स के बाद मैंने अपने दोस्त आलोक को फोन किया. माँ चाय बनाने चली गई.

कुछ देर में आलोक आ गया, मैंने उसे अपने कमरे में बैठा कर उसे सारी बात बताई.
आलोक हैरान होकर बोला- अरे यार, ये क्या कह रहा है?
मैं- ठीक कह रहा हूँ… और सुन ये किसी को बताना नहीं.
आलोक- अरे नहीं यार, बहुत दिनों से औरत को चोदने की लालसा थी, चलो आज पूरा होगी.

कुछ देर में माँ ने खाना लगा दिया.
खाना खाते समय आलोक ने मुझे कहा- यार, तेरी माँ तो सेक्सी है.
मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था, इसी औरत को तो थोड़ी देर पहले चोदा है.
माँ ने भी खाना खा लिया.

खाना खाने के बाद आलोक बोला- आंटी आप बेडरूम में चलो.
माँ बोली- ठीक है.
फिर वो माँ के साथ अंदर बेडरूम में गया और मैं उठ कर उसके पीछे गया.

माँ बेड पर बैठ गई और मैं माँ के बगल में बैठ गया.
माँ ने आलोक से कहा- चल अब पैन्ट खोल और अपना हथियार दिखा?
यह कह कर माँ ने आलोक का पैन्ट खोल कर जांघिया नीचे कर दिया और आलोक का मोटा लंबा लंड बाहर निकाला.
मैंने देखा कि माँ अपने हाथों से आलोक के लंड को ऊपर नीचे कर रही थी, माँ ने अपनी साड़ी खोल दी और अपने ब्लाऊज निकाल कर चूची नंगी कर ली.

माँ के चूचे देख के आलोक ने उनको मुंह में लिया और जोर से उसे चूसने लगा, दूसरे हाथ से दूसरा चूचा रगड़ने लगे, माँ जोर जोर से सिसकारियाँ भर रही थी और अपने हाथों से आलोक का लंड हिला रही थी.
तभी आलोक ने कहा- मुझे पता है कि आप चुदने के लिए बेक़रार है, आपको बड़ा बड़ा लंड चाहिए.
माँ ने कहा- इसलिए तो मैं तुमसे चुदाई करवा रही हूँ, ठीक से चोद पाओगे न?
‘साली, अभी दिखाता हूँ मैं तुझे मेरी हैसियत!’

आलोक ने माँ को बेड पर लिटा दिया, फिर पेटीकोट का नाड़ा खोल कर अलग कर दिया और माँ की चूत पर हाथ फेरते हुए उसने अपना मुंह माँ की चूत पर रखा और चाटने लगा, माँ जोर से चिल्लाने लगी- आह औऊ हम्म… हहह हाह हय उम्म्ह… अहह… हय… याह… और कर ना बहुत अच्छा लग रहा है.

फिर माँ के पैर फैला कर अपना लंड माँ की चूत पे रख एक ज़ोरदार झटका दिया, उसका लंड चीरते हुए पूरा मेरी माँ की चूत में घुस गया.
माँ ज़ोर से चीख पड़ी ‘आआईयईई… निकाल इसे… बहुत बड़ा है’
‘क्यों कैसी रही, मजा आया साली रांड?’ और लंड बाहर निकाल लिया.

फिर आलोक माँ के चूत पर अपना लंड घिसने लगा और फिर जोर से अपना लंड माँ की चूत में घुसा दिया. मेरी माँ का मुंह खुला का खुला रह गया मानो कि आलोक का लंड उनके मुंह से बाहर निकला हो और उसने माँ से कहा- कितनी टाईट है तेरी चूत!
वो झुक कर माँ के एक चूचे को अपने मुख में लेकर दांतों से काटने लगा.
माँ- आआई यईईई… आह आह ठीक से चोद, मेरे चूचे मत काट… उईई!

उसने अपना लंड धीरे से आधा बाहर खीचा और वापस अंदर डाला. माँ फिर से आह आह कर चीख पड़ी.

इधर मैंने भी अपने लंड को बाहर निकाल लिया था और उसे हाथ से सहला रहा था. माँ मेरे लंड की ओर देख रही थी, मैं लंड को सहला कर नजारे का मज़ा ले रहा था.

आलोक अब माँ को चोदने लगा. माँ की आंखों से पानी आ रहा था और मेरी माँ जोर जोर से चिल्ला रही थी- और जोर से कर आलोक… अहह इह हां हू ओह हहह!
अब माँ की चुदाई की रफ़्तार बढ़ने लगी और खटखट आलोक माँ के चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा.

मेरा भी लंड पूरी टाईट हो चुका था. मैं माँ के मुँह के सामने लंड ले गया, माँ ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ लिया और मस्ती में चुदते हुए कुकुआने लगी, सिसकारियाँ भरने लगी- आआ आअहह… आआ आहह… म्म्मममम म… आआआअहह…
आलोक जम कर मेरी माँ की चुदाई कर रहा था.

माँ- आआऐईईइ…
तभी मैंने अपना लंड माँ के मुंह में डाल दिया. पूरा लंड माँ की चूत के अंदर बाहर हो रहा था.
अब माँ अपनी गांड पीछे धकेल धकेल के आलोक के धक्कों का जवाब देने लगी.

‘अरे अशोक, लगता हैं तुम्हारी माँ को बहुत मज़ा आ रहा है.’ आलोक ने कहा.
मैंने माँ के मुँह से लंड निकाल लिया. माँ चुदाई के कारण मचल रही थी. वो अपने हाथ से पकड़ कर लंड को मुँह की ओर खींच रही थी.
पर मैंने कहा- माँ मुझे भी चोदना है!
माँ बोली- आह अशोक, पहले आलोक को पूरा कर लेने दे, फिर तुम चोदना.
‘नहीं माँ, अभी मुझे भी दो!’

आलोक बोला- दोनों का हो जायेगा!
और आलोक नीचे उतर कर लेट गया और माँ को ऊपर ले लिया माँ की चूत के मुँह पर लंड रख कर जोर से घुसा दिया. आलोक का काला लंड माँ की चूत में अंदर बाहर हो रहा था. माँ अब मस्त हो गई थी और चुदाई का मज़ा ले रही थी.

आलोक ने अपने दोनो हाथों से माँ के चूतड़ मसलना शुरू कर दिया. अचानक आलोक ने अपने दोनो हाथों से माँ को ज़ोर से जकड़ लिया. और लंड अंदर बाहर नहीं कर रहा था. फिर चूतड़ को फैलाते हुए बोला- अशोक आ जा!
मैंने अपना लंड माँ के गांड पर फिराया, फिर लंड को माँ की गांड के छेद पे लगा दिया.

‘साले हरामी कुत्ते, क्या कर रहा है, नहीं… छोड़ो मुझे!’ माँ चिल्लाई मुझ पर- नहीं बेटा, ऐसा मत कर मेरी गांड मत मार!
अब आलोक ने दोनों हाथों से माँ की गांड फैलाई हुई थी. मैं अपने लंड को माँ की गांड के छेद में घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था.

मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगाया जिससे लंड का उपर का हिस्सा ही गांड में घुस पाया.
‘आआआआ ऐययईईई ईईईई’ माँ ज़ोर से चीख पड़ी- अबे साले, बेटा हो के ऐसा कर रहा है? मैंने आज तक गांड में उंगली भी नहीं डलवाई हैं साले!
मैंने एक धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड माँ की गांड के अंदर चला गया.

‘आआऐईईई… फट गईइई मेरी… आआईईईई प्लीज़ मैं तेरी माँ हूँ… आआऐईई’ माँ चिल्ला रही थी.
अब आलोक ने मेरी माँ की चूत में अपना लंड ज़ोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, उसके धक्के से माँ की गांड आगे पीछे हो रही थी और मेरा घुसा लंड बाहर निकल गया.
मैंने फिर से माँ की हिलती गांड को दोनों हाथों से फैलाया और अपना लंड एक ज़ोरदार तरीके से अंदर बाहर करने लगा.

‘आाआऐयय ईईईई माँ छोड़ दो मुझे प्लीज़… बेटा प्लीज!’ माँ चिल्लाई.
पर मैं सुनने वाला नहीं था. मैं तो माँ बेटा सेक्स का मजा लेने में लगा था.

अब नीचे से आलोक लंड माँ की चूत में पेल रहा था और ऊपर से गांड में मैं पेल रहा था. आज माँ को दो दो लंड एक साथ मिल रहे थे. माँ को भी मजा आने लगा, वो अब आवाज करने लगी थी- आआआ ई ई पेलो मेरे राजा आहह… ठीक से पेलो व्व्ह्ह्ह मजा आ रहा है बेटा वाह आअहह दोनों अच्छे से चोद रहे हैं… आआईयईईई अभी पानी मत निकालना आऐईय ईईईई… खूब चोदो रंडी की तरह!

मैं और आलोक ज़ोर के झटके दे रहा था और माँ चिल्ला रही थी- आआअ उउउआआआअ… धीरे… मैं मर गई. आआ और ईईईई… आआ आम्ममिइइ इइइइइ… मज़्ज़ा आआअ रहा है. मुझे ईईए… आ ह्ह्ह.
मैं गचागच अपने लंड को माँ की गांड में पेल रहा था. आलोक फच फच माँ की चूत को पेल रहा था. चुदाई की रफ़्तार मैंने और आलोक ने बढ़ा दी थी.
माँ से इतना आनन्द और दर्द सहन नहीं हो रहा था, वो आहें भर रही थी- ऊऊऊह्ह्ह… आआह्ह… अब मजा आ रहा है, और चोद… ज़ोर से चोद… फ़ाड दे इस हसीन चूत को… अपनी माँ की मस्त चूत की कसम, तुमने मुझे मस्त कर दिया हइइई… क्या मजा आया, आज तक नहीं आया ऊऊउउइई… तुम दोनों ने तो मुझे ज़न्नत में पहुंचा दिया.
माँ बोले जा रही थी.

फिर आलोक ने मुझे इशारा किया, मैंने माँ की गांड से लंड बाहर निकाल लिया और लेट गया. अब माँ को मेरे ऊपर आने के लिए बोला. माँ मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में डलवा लिया और मुँह से सीई आह्ह अह्ह्ह शुरू कर दी.
पीछे से आलोक आ गया, मैंने माँ के चूतड़ को फैलाया और आलोक अपना लंड माँ की गांड में पेल दिया. हम दोनों माँ को चोदने लगे. माँ की मस्ती अब चरम पर थी, उनकी आवाजें कमरे में गूंज रही थी- ऊऊऊह्ह्ह… आआह्ह्ह… अब मजा आ रहा है, और चोद… ज़ोर से चोद… फ़ाड दे इस हसीन चूत और गांड को!

फिर आलोक ने मुझे रुकने के लिए बोला, मैं माँ की चूत में लंड पूरा डाल कर रुक गया, आलोक ने अपना लंड निकाल कर मेरी माँ की चूत के मुँह पर रगड़ा, उसके लंड की रगड़ मुझे महसूस हो रही थी.
‘साले कुत्ते, अब क्या कर रहा है?’ माँ चिल्लाई मुझ पर… फिर बोली- मुझे समझ में आ गया, लगता है पहले से तुम दोनों विचार करके आए हैं.

‘माँ दो लंड एक साथ चूत में लो, देखो कितना मजा आएगा.’ मैंने माँ को समझाया.

माँ नहीं नहीं करती रही, उधर एक ही धक्के में आलोक पूरा लंड माँ की चूत में घुसा चुका था. दूसरी तरफ़ एक पल के लिये तो माँ छटपटा गई- ऒऊऊह्ह्ह… श्ह्ह्ह्ह… बड़ा दर्द हो रहा है… बड़े बेरहम हो तुम… आज ही मेरी चूत और गाण्ड दोनों अन्दर से हिला के रख दी तुमने!

फिर हम दोनों ने साथ में लंड बाहर खींचा और वो थोड़ा जोर लगाते ही गच से मेरा और आलोक का लंड माँ की चूत के अन्दर तक चला गया, इस चोट से माँ का शरीर अकड़ गया- अह्ह्ह्ह… मेरी माँ… मुझे बचा ले. सिइ इइइई… ह अह्ह्ह… ऊऊओह्ह्ह… मेरी जान निकली जा रही है… अब और क्या करेगा?
माँ की आवाज निकली.

फिर हम दोनों चोदने लगे, लंड फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर हो रहा था अब कुछ देर चोद लिया तो माँ का दर्द मजे में बदल गया.
मैं- माँ अब मजा आ रहा है न! ओ मेरी रानी सिइइइइ…. ह अह्ह… ऊऊओह्ह्ह… क्या चूत है तेरी… आह्ह्ह!
आलोक भी- आह्ह सीई चाची वास्तव में बहुत मस्त है तेरी चूत… ओह क्या मजा आया आया अ आ रहा है.

मैं और आलोक माँ को गचा गच चोदे जा रहे थे, माँ आनन्द विभोर होती जा रही थी- आआअ उउउउ उउउउआ आआअ… आआह… आआआ मरीईई ईई… आआह अम्म्म मिइइइ … मज़्ज़ाअ आआअ रहा है. मुझे ईईए… आह्ह्ह.
अब माँ की आहें सुन कर हम दोनों को भी लगा कि अब निकलने वाला है तो दोनों ने लंड बाहर निकाल लिया और आलोक ऊपर से उतर गया, माँ को नीचे उतार कर लेटा दिया.

‘अब फिर क्या कर रहा है, कितना मजा आ रहा था फिर मुझे नीचे लेटा क्यों रहा है?’ माँ बोली!
‘बस जान, देखती जाओ मैं क्या करता हूँ!’
मैं माँ की जाँघों के बीच आ गया ओर बाईं जांघ को साइड में कर के लंड को चूत के मुहाने पर सटाया, फिर आलोक भी माँ की जांघों के बीच आया और दाईं जांघ को साइड में करके लंड को चूत के मुहाने पर सटाया.

माँ उचकी, बोली- तुम लोग आज मेरी जान ले के छोड़ोगे!
माँ बोल ही रही थी कि हम दोनों ने एक साथ बुर में लंड घुसा दिया. माँ की आवाज जोर से निकली- आह्ह्ह ऊऊऊह्ह… आआह्ह्ह… बड़ा तेज है रे… ऊऊउउइइइ… तुमने मुझे जन्नत पहुंचा दिया. और माँ झड़ गई.

मैंने और आलोक चोदना शुरू किया, चूत में लंड आ जा रहा था कि कुछ झटके में ही मैंने और आलोक ने एक साथ माँ की चूत में वीर्य छोड़ दिया.
माँ फिर सिसियाई- गईइ इइइ रे…
हम दोनों कुछ देर तक झड़ते रहे और अपना सारा माल चूत में भर दिया.
माँ बोली- आह्ह आह… अरे दोनों ने तो मेरी चूत में बाढ़ ला दी है… चूत पूरी भर गई है.

मैं- पी ले पानी माँ, तू प्यासी भी तो बहुत थी.
हम दोनों उतर कर माँ के दोनों बगल में लेट गए, हम तीनों हांफ रहे थे. माँ बेटा सेक्स के बाद माँ भी चैन से लेटी हुई थी.

रात के करीब 11 बज चुके थे. फिर माँ की चूची को धीरे धीरे सहला कर आलोक ने कहा- चाची, अब मुझे जाना चाहिए.
और आलोक कपड़े पहन कर निकल गया.

मैं माँ के बगल में जाकर फिर लेट गया, मैं बोला- माँ, बहुत मजा आया.
तो माँ ने धीरे से कहा- हाँ मुझे भी!
फिर मैंने कहा- माँ मुझे आपको सुबह तक चोदना है.
माँ शरमाती हुई बोली- मैं बुरी तरह थक चुकी हूँ, पहले थोड़ा आराम कर लेते हैं, फिर देखेंगे.

हमें नींद आ गई.
सुबह होने पर माँ पहले उठी तो वो अपने बेटे को नंगा सोया हुआ देख कर बोली- अब उठ जा, क्लिनिक नहीं जाना क्या?
मैं उठा और तैयार हो कर क्लिनिक निकल गया.

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कहानी जारी रहेगी.

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