विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-36

(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-36)

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दीपाली- नाम का क्या अचार डालना है.. आप कुछ भी बोल दो मेरी उम्र भी नहीं बताऊँगी बस इतना जान लो.. बालिग हो गई हूँ अब चलो भी…

भिखारी- तुम बहुत होशियार हो मत बताओ कुछ भी.. मगर अपना यौवन तो छूने दो मुझे.. मेरे करीब आओ.. मेरा कब से तुम्हारे चूचे छूने का दिल कर रहा है।

दीपाली उसके साथ ही तो थी और उसने सिर्फ़ नाईटी पहन रखी थी मगर भिखारी ने जानबूझ कर ये बात कही क्योंकि वो कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था।

दीपाली- मैं कब से आपके पास ही तो हूँ.. अगर मन था तो मेरे मम्मों को पकड़ लेते.. रोका किसने था..

भिखारी- अब तो बिस्तर पर जाकर ही शरूआत करूँगा.. चलो…

दीपाली ने उसका हाथ पकड़ने की बजाए खड़ा लौड़ा पकड़ लिया और चलने लगी.. जैसे हम किसी बच्चे का हाथ पकड़ कर चलते हैं।

दोस्तो, लौड़ा तो कब से खड़ा ही था क्योंकि झांटें दीपाली ने साफ की और कब से लौड़े पर उसके नरम हाथ लग रहे थे.. वो तो लोहे जैसा सख़्त हो गया था।

बिस्तर पर जाकर दीपाली ने नाईटी निकाल दी और एकदम नंगी हो गई.. उसने भिखारी को अपने करीब बैठा लिया।

दीपाली- लो बाबा अब जो छूना है छूलो.. मैं आपके पास बैठी हूँ और मुझे तो पहले आपके लौड़े का स्वाद चखना है।

भिखारी- मेरी जान अब तुम बाबा मत कहो.. कुछ और कहो और लौड़े को जितना चूसना है.. चूस लेना.. पर पहले तेरे चूचे तो दबा कर देखने दे।

ये बोलते-बोलते भिखारी ने दीपाली के मम्मों को अपने हाथों में लेकर देखे.. बड़े ही कड़क और मस्त मम्मे थे।

भिखारी- वाह.. क्या मस्त अमरूद हैं तेरे.. आज तो मज़ा आ जाएगा तू तो कमसिन कली है.. मैंने ऐसा कौन सा पुन्य का काम किया था जो तेरी जैसी कमसिन चूत भीख में मिल गई.. वाह.. तेरे क्या मस्त चूचे हैं।

दीपाली- आहह.. उई आराम से मेरे राजा.. आपका लौड़ा उई कब से खड़ा है.. लाओ मुझे चूसने दो.. आहह.. आप बाद में मेरे मज़े ले लेना आहह.. पहले लौड़ा चूसने दो ना.. मैं कब से तरस रही हूँ आहह..

दीपाली नीचे बैठ गई और लौड़े का सुपारा चाटने लगी। वो इतना मोटा था कि उसने बड़ी मुश्किल से मुँह में ले पाया। अब वो आराम से लौड़ा चूसने लगी थी।

भिखारी- आहह.. चूस मेरी जान.. आह आज कई महीनों बाद मेरे लौड़े को सुकून मिलेगा.. आहह.. कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तेरे जैसी कमसिन कली के नाज़ुक होंठ मेरे लौड़े पे लगेंगे।

दीपाली को कुछ होश नहीं था.. वो तो बस लौड़ा चूसे जा रही थी और भिखारी उसके सर पर हाथ घुमा रहा था।

पाँच मिनट बाद दीपाली की चूत भी वासना की आग में जलने लगी.. तब कहीं उसने लौड़ा मुँह से निकाला।

दीपाली- ऐसा करो मैं उल्टी लेट जाती हूँ.. आप मेरी चूत चाटो बहुत जल रही है.. मैं आपका लौड़ा चूसती हूँ।

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भिखारी- नहीं ये सब बाद में.. पहले तुम सीधी हो जाओ.. और अब मेरा कमाल देखो.. मैं कैसे तुम्हारे जिस्म को चूमता हूँ.. तुम मेरी चुसाई को जिंदगी भर नहीं भूल पाओगी.. चलो सीधी हो जाओ अभी तो तेरे मखमली होंठों को चूसना है.. उसके बाद धीरे-धीरे तेरी चूत तक आऊँगा.. देखना मेरा वादा है… चूत तक आते-आते अगर तू ठंडी ना हो गई ना.. तो जो तू कहे वो करूँगा..

दीपाली- अच्छा मेरे राजा.. ये बात है.. चूत को चाटे बिना मुझे ठंडी कर दोगे.. चलो आ जाओ मैं भी देखती हूँ.. आज मेरी कैसी चुसाई करते हो।

दीपाली सीधी लेट गई और भिखारी उसपर चढ़ गया.. इस तरह चढ़ा कि लौड़ा दीपाली की जाँघों में फँस गया और वो दीपाली के होंठ चूसने लगा। उसके हाथ भी हरकत में थे.. कभी उसके कान के पीछे ऊँगली घुमाता तो कभी मम्मों के

बीच की घाटी में.. दीपाली भी उसका साथ दे रही थी।

थोड़ी देर बाद उसने होंठों को छोड़ दिया और दीपाली की गर्दन चूसने लगा। दीपाली तड़पने लगी थी उसकी चूत से लार टपकने लगी थी।

दीपाली- आहह.. उई वाह.. मेरे राजा आहह.. क्या मस्त चूस रहे हो.. आह गर्दन से भी सेक्स पैदा होती है मुझे पता ही नहीं था.. आहह.. चूसो आहह..

भिखारी पक्का रण्डीबाज या चोदू था.. वो तो ऐसे चूस रहा था जैसे दीपाली उसकी लुगाई हो… और सारी रात उसके पास रहेगी.. उसको किसी के आने का जरा भी डर नहीं था, इतने आराम से सब कर रहा था कि बस दीपाली तो वासना की आग में जलने लगी।

उसको हर पल यही महसूस हो रहा था कि अब ये लौड़ा चूत में डाल दे.. अब डाल दे.. मगर वो कहाँ डालने वाला था.. वो तो अभी गर्दन से उसके रसीले चूचों तक आया था।

जिनको वो एक-एक करके मुठ्ठी में लेकर दबा और चूस रहा था।

दीपाली- आ आहह.. उह.. प्लीज़ आहह.. अब चूत चाटो ना.. आहह.. मज़ा आ रहा है.. उफ़फ्फ़ पूरे जिस्म में आग लग रही है.. उई क्या मस्त चूस रहे हो आहह..

भिखारी- जलने दो मेरी जान.. आहह.. जितना जल सकता है.. तेरा बदन जलने दे.. तेरी चूत को रस टपकाने दे.. पूरी गीली हो जाने दे.. तभी तेरी चूत मेरे लौड़े को अन्दर ले पाएगी.. नहीं तो मेरे हथियार का वार सहन नहीं कर पाएगी।

दीपाली- आहह.. उह.. मेरे राजा मैं कोई कुँवारी नहीं हूँ जो सह नहीं पाऊँगी.. आहह.. चूत में कई बार लौड़ा ले चुकी हूँ.. आहह.. अब सब वार सह लिए हैं.. आराम से करो ना.. आहह.. सह लूँगी.. एक बार लौड़ा डाल कर तो देखो.. मेरे राजा।

भिखारी- अभी बच्ची हो.. नहीं जानती कि क्या बोल रही हो.. ये लौड़ा कोई मामूली नहीं.. तुमने बच्चों के लंड लिए होंगे.. आज तेरा असली मर्द से पाला पड़ा है.. देखना अब तक के सारे लौड़े भूल जाओगी।

दीपाली- आहह.. उफ देखती हूँ आहह.. वैसे आपका लौड़ा है बहुत बड़ा.. और मोटा भी आहह.. मगर कुछ भी हो.. पूरा ले लूँगी.. आहह.. अब डाल भी दो.. मत तड़पाओ।

भिखारी अपने काम में लगा हुआ था.. अब चूचों से नीचे.. वो पेट पर आ गया था और अपनी जीभ पूरे पेट पर घुमा रहा था।

दीपाली बहुत ज़्यादा गर्म हो गई थी। वो भिखारी के बाल पकड़ कर खींचने लगी थी कि अब डाल दो मगर वो पक्का खिलाड़ी था.. सब सहता गया और पेट से उसकी जाँघों को चूसने लगा। दीपाली को लगा.. अब चूत पर मुँह आएगा मगर वो जाँघों से नीचे चला गया और उसके पैर के अंगूठे को चूसने लगा।

बस उसी पल दीपाली की चूत का बाँध टूट गया और वो कमर को उठा-उठा कर झड़ने लगी।

बस भिखारी समझ गया कि उसका फव्वारा फूट गया है.. उसने फ़ौरन अपनी जीभ चूत पर लगा दी और रस को चाटने लगा।

दीपाली- ससस्स आह ससस्स अब क्या फायदा.. आहह.. कब से बोल रही थी.. तब तो चूत को टच भी नहीं किया और अब चाट रहे हो.. जब मेरा पानी निकल गया आहह..

भिखारी- मैंने कहा था ना.. बिना चूत को छुए.. तुम्हें ठंडी कर दूँगा.. वो मैंने कर दिया.. अब दोबारा गर्म भी मैं ही करूँगा और मेरा लंड जो कब से तेरी चूत में जाने के लिए तड़फ रहा है.. उसको भी आराम दूँगा.. तू बस ऐसे ही पड़ी रह।

दीपाली- नहीं.. मैं कब से तड़फ रही हूँ.. मेरे होंठों सूख गए.. लाओ लौड़ा मेरे मुँह में दो और तुम चूत चाटो।

भिखारी को समझ आ गया वो उल्टा हो गया.. यानी दीपाली सीधी ही लेटी रही और उसने ऊपर आकर उसके मुँह में लौड़ा डाल दिया और खुद चूत चाटने लगा।

भिखारी कमर को हिला-हिला कर दीपाली के मुँह में लौड़ा अन्दर बाहर कर रहा था.. साथ ही साथ उसकी चूत को चाट रहा था। अभी पाँच मिनट भी नहीं हुए होंगे.. दीपाली फिर से उत्तेजित हो गई और लौड़े को मुँह से निकाल कर उसे चोदने को बोलने लगी।

दोस्तों आप सोच रहे होंगे कि एक अँधा आदमी इतने आसन कैसे ले रहा है.. तो आपको बता दूँ कि चुदाई अक्सर रात के अंधेरे में होती है।

वो कहते हैं ना कि रात के अंधेरे में कहाँ मुँह काला करके आई है.. तो दोस्तों आँख वाले भी ये काम चुपके से अंधेरे में करते हैं.. इसमें आँख का कोई काम नहीं.. यहाँ तो जिस्म में आग और लौड़े में जान होनी चाहिए.. इशारे से सब काम हो जाता है और लौड़ा तो ऐसा होता है कि चूत के करीब भी हो ना.. तो अपने आप अन्दर जाने का रास्ता ढूँढ़ लेता है।

मेरी बात वो ही समझ सकता है जिसने ये अनुभव किया होगा।

तो चलो अब आगे आनन्द लीजिए।

भिखारी समझ गया कि अब ज़्यादा देर करना ठीक नहीं.. कोई आ गया तो सारा खेल चौपट हो जाएगा।

वो दीपाली के पैरों के पास आ गया और उसके दोनों पैर कंधे पर डाल लिए.. लौड़ा अपने आप चूत के पास हो गया।

भिखारी- मेरी जान.. अब संभाल लेना.. मेरा हरफनमौला अब तेरी नन्ही सी चूत में जाने वाला है।

दीपाली- आह डाल दो.. अब तो चूत का हाल से बेहाल हो गया है.. अब तो बिना लौड़े के इसको सुकून नहीं आएगा।

भिखारी ने अपना सुपारा चूत पर टिकाया.. ऊँगली से टटोल कर चूत की फाँक को थोड़ा खोला और धीरे से लौड़ा आगे सरका दिया।

दीपाली- आहह.. आपका लौड़ा बहुत मोटा है.. उई टोपा घुसते ही चूत फ़ैल सी गई है.. उई आराम से डालना अन्दर.. आहह.. कहीं आपके बम्बू से मेरी चूत फट ना जाए..

बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ ?

तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
मुझे आप अपने विचार मेल करें।
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