नैट चेटिंग के बाद चूत दर्शन -2

(Net Chatting Ke Baad Chut Darshan-2)

This story is part of a series:

उसने एक प्रोपोजल दिया और बोली- कल तुम्हीं आ जाओ और मेरे साथ कल पूरा दिन बिताओ?
मैंने उसकी बात मान ली और दूसरे दिन लखनऊ की यात्रा के लिये चैटिंग बन्द करके सोने के लिये चला गया।और मन ही मन प्रसन्न हो रहा था कि इतनी सुन्दर माल को चोदने का मौका मिल रहा था।

दूसरे दिन करीब 10:30 पर मैं लखनऊ पहुँच गया, नलिनी मुझे स्टेशन पर ही मिल गई, क्या गजब की लग रही थी, नीली जींस और हाफ काली टॉप में, मन कर रहा था कि आधे घंटे के लिये स्टेशन के पास होटल लेकर उसको वहीं चोद लिया जाये!

लेकिन अपने मन को शान्त करके हम लोग टैक्सी करके उसके घर पहुँच गये। रास्ते में हम लोगों के बीच कोई खास बातचीत नहीं हुई। घर पहुँच कर हम लोगों ने चाय नाश्ता किया और कुछ देर बात होती रही।
बातों में समय न गवांया जाए, यह सोचकर मैंने नलिनी से कहा- देखो, मर्द अपनी बीवी को बड़े प्यार से चोदते हैं, जिस छेद को बीवी न देना चाहे, वो उस छेद पर हाथ भी नहीं लगाते, जबकि पराये मौका पाने पर हर छेद में अपना लौड़ा घुसेड़ देते हैं। अब तुम बताओ तुम क्या चाहती हो?

‘मैं जिन्दगी का पूरा मजा खुल कर लेना चाहती हूँ।’
‘सोच लो! लेकिन तुम्हारे चूत पर बाल बहुत हैं।’
‘बनवाने के लिये ही तो बुलाया है तुम्हें! समान खरीद लिया।’
‘चलो। फिर शुरू किया जाये!’ कहकर मैं घुटने के बल बैठ कर उसकी जींस का बटन कोल कर उतारने लगा।

नलिनी ने बड़ी टाइट जींस पहनी थी लेकिन उतारने में बड़ा मजा आ रहा था।
क्या मुलायम चूतड़ थे उसके? धीरे-धीरे पूरे कपड़े उतारने के बाद उसको जमीन पर लेटा कर जहाँ-जहाँ भी उसके अनचाहे बाल थे, मैंने वहाँ-वहाँ वीट लगाकर छोड़ दिया और उसकी चूचियों से खेलते-खेलते उससे उसके पति और उसके बीच के सम्बन्ध के बारे में पूछने लगा।

उसकी बातों से मुझे लगा कि गलती नलिनी की ही है क्योंकि उसने अपने पति के साथ सेक्स में कभी कोआपरेट नहीं किया। उसके पति को सिंपल चुदाई पसंद नहीं थी और नलिनी सिर्फ लौड़े को बूर में लेना पसंद करती थी।
यह तो भला हो नेट का जहाँ इसने कुछ पोर्न साइट देखी और अब मजा लेना चाहती थी।
मैं उसकी बात सुनकर उसे रण्डी बनाकर चोदना चाहता था, इसलिये मैंने नलिनी से कहा- देखो नलिनी, मैं जो कुछ भी तुम्हारे साथ करूंगा, उसमें बिना किसी पूछताछ या रोकटोक के मेरा साथ दोगी, तभी मजा आयेगा।

उसकी सहमति मिलने के बाद मैंने उसके कुछ दुपट्टे उठाये और दोनों हाथ और पैरो को फैला कर बांध दिया और एक दुपट्टे से उसकी आँखों को बाँध दिया और अपने लौड़े को उसके होंठों से रगड़ने लगा।
थोड़ा न नुकर के बाद वो मेरा लौड़ा चूसने लगी।
मैंने 69 की अवस्था में आकर उसकी चूत की सफाई की और चूत को चाटने के लिये जैसे ही उसकी चूत में अपनी जीभ लगाई तो उसकी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी।
वह मुझे उसे चाटने के लिये मना करने लगी, मैंने कहा- सेक्स का मजा ही यह है!
कहकर मैंने उसकी फाँकों को फैलाया और उसकी मलाई को चाटने लगा, जिससे वो कसमसाने लगी और मेरे लौड़े को और तेज तेज चुसने लगी।

थोड़ी देर बाद मैं भी उसके मुँह में झर गया।
झरने के बाद मैंने उसके बंधन खोले और बाथरूम में जाकर हम दोनों साथ नहाये। नहाने के बाद, हम दोनों ने, जब तक मैं वहाँ था, एक भी कपड़ा न पहनने का निर्णय लिया।
उसके बाद वो रसोई में खाना बनाने के लिये गई, क्या चाल थी उसकी, दोनों चूतड़ ऊपर नीचे ऐसे हो रहे थे जैसे की घड़ी का पेन्डुलम!
मैं भी उसके पीछे-पीछे रसोई में गया और उसके पीछे चिपक कर उसकी चूचियों को मसलने लगा, कभी मैं उसकी गर्दन को तो कभी उसके कान को काट लेता तो कभी उसके गालों को चूम लेता। वो भी मेरा साथ ऐसे देने लगी कि हमारा संयोग पहली बार न होकर पहले कई सालों से चला आ रहा है।

जब वो रोटी सेकने लगी तो मैं उसके पीठ की रीड़ की हड्डी को चाटता हुआ उसके चूतड़ों की दरार में अपनी जीभ चलाने लगा और फिर उनको फैला कर उसकी गान्ड के छेद का भी मजा लेने लगा।
मेरी इस हरकत से कभी वो अपने होंठ चबाती तो कभी वो सी-सी की आवाज निकालती।

रोटी को बनाने के बाद वो बोली- जानू, अब तुम भी ऐसे ही खड़े हो, मैं भी तुम्हारे उस छेद का मजा लेना चाहती हूँ।
मैं तुरन्त ही खड़ा हो गया और जैसे मैं कर रहा था, तुरन्त ही ठीक उसी तरह वो भी कर रही थी। बस एक बात उसने अलग की, कुतिया बन कर बीच-बीच में मेरे लौड़े का भी रसास्वादन कर लेती थी।

जब वो फ्री हुई तो मैंने पूछा- कैसा लगा?
बोली- आज मुझे लगा कि जब तक खुल कर कुछ न करो तब तक किसी भी में मजा नहीं है। आज तुम मुझे कुतिया बना कर भी चोदो तो मैं तैयार हूँ। जो भी तुम मेरे साथ करना चाहते हो मुझे अपना गुलाम बना कर करो, लेकिन आज मुझे वो सब करना है जो मैं अपने पति के साथ खुल कर नहीं कर पाई।

‘अगर तुम तैयार हो तो तुमको इन दो दिनों में हर छेद का मजा दूंगा। लेकिन एक वादा करो, कि जब मैं यहाँ से जाऊँ तो अपने पति को बुलाकर उसके साथ पूरा मजा करोगी और मुझे कैम में लाईव दिखाओगी?
उसने वादा किया।
फिर हम लोगों ने मुँह हाथ धोये और खाने बैठ गये।
खाना खाने के बाद थकान होने के कारण हम दोनो नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गये।

शाम को जब हम लोग सो कर उठे तो मैं बाहर जाकर बीयर शाप से छ: बीयर की बोतल ले आया।
नलिनी ने पूछा- क्या छ: पूरी पी लोगे?
मैंने कहा- मैं अकेला नहीं, तुम भी मेरा साथ दोगी।
‘लेकिन मैं तो पीती नहीं हूँ!’
‘मैंने कहा- कोई बात नहीं, पहली बार तुम गैर मर्द से चुदने जा रही हो तो पहली बार इसको पी कर देखो बड़ा मजा आयेगा।
कहने के साथ हम लोग एक ही गिलास में एक बोतल पी गये।

फिर मैं खड़ा होकर बोतल को अपने हाथ में लिया और उसको मुँह खोलने के लिये कहा।
जब उसने मुँह खोला तो मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह में नल की टोंटी की तरह से सेट किया किया और बियर को अपने लौड़े पर धीरे धीरे गिराने लगा और नलिनी उस गिरती हुई बीयर को पीने लगी और फिर मेरे लण्ड की आगे की चमड़ी को खोल कर उसे चाटने लगी तथा जमीन पर गिरी हुई बूँदों को वो कुतिया बन कर चाट गई।
जब वो कुतिया बन कर बूँदों को चाट रही थी तो उसकी गाण्ड भी लपलपा रही थी।

चाटने के बाद वो उठी और मेरे होंठो को चूमने लगी, होंठों को चूमते हुए वो नीचे उतरी और एक पके हुए खिलाड़ी की तरह वो मुझे धक्के देते हुए पंलग पर ले गई और हल्का सा और धक्का दिया जिससे मैं पीठ के बल पलंग पर गिर गया।
फिर वो अपने दांतों से मेरे निप्पल को काटती तो कभी मेरे होंठों को।
धीरे-धीरे पूरे शरीर को चाटने के बाद वो मेरे नाभि में अपनी जीभ फिराने लगी।

उसके बाद उसने मुझे हल्की सी चिकुटी मेरे चूतड़ पर काटी, उसकी इस हरकत से मैं सी करता हुआ थोड़ा पीछे खिसक गया।
मेरे ऐसा करने से उसने तुरन्त मेरे दोनों पैरों को पकड़ा और पलंग के ऊपर रखने का प्रयास किया, मैंने भी तुरन्त ही अपने दोनों पैरों को पलंग पर रख दिया, मेरी गांड उसको साफ दिखाई पड़ने लगी, अब वो मेरी गांड को चाटते चाटते अपने नाखूनों से मेरे लण्ड के खुले हुए भाग को रगड़ती, उसके ऐसा करने से मेरे शरीर में एक सिरहन सी उठ जाती, लेकिन मुझे मजा आ रहा था।

कभी वो मेरे अंडे को वो रसगुल्ला समझ कर मुँह में लेती तो उसके इस तरह करने से मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरा शरीर अकड़ने लगा और वीर्य की बूँद टपक कर उसके हाथ पर पड़ने लगी।

पहले तो उसने तुरन्त ही मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर पूरा वीर्य पी गई और फिर बड़ी ही सेक्सी अदा के साथ हाथ में लगे हुए वीर्य को चाट कर अपने हाथ साफ किए।
जब मेरा लण्ड ढीला पड़ गया वो तुरन्त ही मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत को मेरे होंठों से लगा लिया और फांकों को खोल कर आगे पीछे होकर चूत का रसास्वादन कराने लगी।

थोड़ी ही देर मैं मेरे लण्ड में फिर से जान आ गई। मैंने तुरन्त ही उसे नीचे लिया और लण्ड को सेन्टर पर करके एक झटका दिया, एक ही झटके में मेरा पूरा लण्ड उसकी गहराई में उतर गया।
उसके बाद धक्कम पेल शुरू…
मैं थोड़ा थकने लगा तो मैंने नलिनी से कहा कि अब वो आकर घोड़े की सवारी कर ले!
उसे समझ में नहीं आया तो मैं पलंग पर लेट गया और उसे समझाकर अपने लण्ड पर चढ़ाया।

इस तरह उसने पहली बार किसी गैर मर्द से चुदवाया।

थके होने के कारण हम लोग थोड़ा रिफ्रेश होने के लिये दूध पीकर नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे।
कहानी जारी रहेगी।
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