मेरे पति का लंड तेरी चूत के लिए
(Mere Pati Ka Lund Teri Chut Ke Liye)
मेरा नाम सुमन है मैं और मेरी पड़ोसन नैनी दोनों पक्की सहेलियां हैं। जब भी कभी कहीं जाना हो तो दोनों साथ-साथ ही आया-जाया करती हैं।
एक दिन हमें बाजार जाना था, हम दोनों तैयार होकर निकल पड़ी, रास्ते भर दोनों बातें करते हुए जा रही थी।
मेरी सहेली ने इशारा किया और कहा- देख तो उस आदमी को.. बीच सड़क में खड़ा क्या कर रहा है?
मैंने देखा कि वो हमें देखे बिना हमारी ओर होकर मूत रहा था। उसका बड़ा सा लंड बाहर निकला हुआ था।
हम दोनों ने उसका देखा.. पर मेरा मन बेचैन होने लगा।
हम दोनों अपनी नजरें दूसरी तरफ करके चलने लगी। जैसे-जैसे हम लोग उस आदमी के पास होते जा रहे थे.. आँखें उसके लंड को बरबस देखने लगीं.. कितना लंबा और बड़ा था। यह लौड़ा तो मेरे पति के लंड से बड़ा और तगड़ा था।
मैंने कहा- नैनी, कैसा है?
उसने कहा- धत्त.. ऐसा तो सब का होता है।
यह कह कर वो हँस पड़ी.. पर मैं उसको देखती ही रह गई।
मुझे घर आने तक उस आदमी के लौड़े की याद बार-बार आ रही थी।
शायद मेरी सोच को मेरी सहेली ने समझ लिया था.. इसलिए उसने मुझे टहोका।
मैंने कहा- यदि वो कहीं हमारे पीछे आ जाए घर में.. तो कैसा रहेगा?
‘ना बाबा ना.. फजीहत होगी और बदनामी अलग.. यदि तू चाहे तो मैं जुगाड़ कर सकती हूँ।’
‘सच बोल..’
‘सच बोल रही हूँ.. ऐसे ही थोड़ी बोल रही हूँ।’
मैं आशा भरी निगाहों से चुप रह गई।
नैनी ने कहा- तू देखती जा और साथ दे.. बहुत मजा आएगा।
दूसरे दिन नैनी का फोन आया- मेरे घर में जल्दी आ जा।
मैं तुरंत चली गई.. मैंने दरवाजे पर दस्तक दी और उसके पति ने दरवाजा खोला।
मैंने देखा तो दंग रह गई.. वो केवल एक पतला सा तौलिया लपेटे हुए थे.. उनके बदन में एक कपड़ा नहीं था।
मैंने उनको ऊपर से नीचे तक देखा तो काँप उठी। उनका लंड अभी खड़ा होने लगा था.. वो बहुत कड़ा दिख रहा था, ऐसा लगा जैसे उनके लौड़े ने चूत देख कर अंगड़ाई ली हो।
वो अपने लंड को अपने हाथों से मसलने लगे, उन्होंने मुझसे कहा- आओ बैठो.. नैनी आती ही होगी।
मैं अन्दर आ गई और कुर्सी पर बैठ गई।
मैंने देखा कि वो बाथरूम के अन्दर चले गए और नहाने लगे। मैं घूमते हुए बाथरूम के पास गई तो देखा कि वो एक भी कपड़ा नहीं पहने थे.. पूरे नंगे होकर नहा रहे थे।
मैंने आवाज देकर कहा- मैं घर जा रही हूँ, नैनी आए तो कह देना कि मैं आई थी।
मैंने सोचा कि उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी है.. तो मैं अन्दर जाकर बैठ गई। मेरे दिमाग में उनका नग्न जिस्म घूमने लगा।
थोड़ी देर बाद वो बाथरूम से बाहर सीधे अपने कमरे में आ गए.. वो अभी पूरे नंगे थे। उनके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। मुझे देख कर वो चौंक गए ‘आप गई नहीं थीं.. सॉरी..’
और उन्होंने अपने हाथ अपने लंड रख लिए और दरवाजे की ओर भागे।
मैं उठी और उनको पीछे से पकड़ लिया और लंड को अपने हाथों से पकड़ कर रगड़ने लगी, वो भी चुप खड़े हो गए, वो एक एक करके मेरे कपड़े उतारने लगे।
मैं और वो दोनों नंगे होकर एक दूसरे के बदन से खेलने लगे, वो मुझे किस करने लगे, मैं और दोनों किस करते हुए बारी-बारी से लंड और चूत को पीने लगे और दोनों गर्म होकर अपनी वासना शांत करने में लग गए।
मैंने उनके लंड को सीधे अपने मुँह में लेकर पीना शुरू कर दिया। वो मेरे सर को पकड़ कर लौड़े को मेरे मुँह में अन्दर-बाहर करने लगे। मैंने आखिरी दम तक लंड को पिया और उनका पूरा माल नीचे गिराने लगी।
अब उन्होंने मुझे उठा कर अपने पलंग पर लेटा दिया और मेरे दोनों पैरों को फैला कर सीधे अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर बड़ी जोरों से मेरी चुदाई करने लगे।
मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि इतना मजा आएगा… मैं तृप्त होने लगी… वो मुझे दो बार झड़ा चुके थे।
मैं लस्त होकर उनकी बांहों में लिपटी पड़ी थी कि तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया और हम दोनों अपने कपड़े पहन कर जल्दी-जल्दी बाहर आए।
मैंने देखा कि वो नैनी थी.. उसने मुझे देख कर आँख मारी और मुस्कुराने लगी।
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