मैडम एक्स और मैं-2
(Madam X Aur Mai- Part 2)
कहानी का पिछला भाग: मैडम एक्स और मैं-1
जब अच्छे से ऊपर नीचे की मालिश हो गई तो मैंने उनसे कहा, “अब यह तौलिया हटना पड़ेगा।”
उन्होंने ख़ामोशी से तौलिया खींच कर फेंक दिया।अब सामने मस्त नजारा था… मैडम का पूरा नंगा पिछवाड़ा मेरे सामने था। कमर मेरे अंदाज़े के मुताबिक ही बिल्कुल डम्बल के आकार में सीने और कूल्हों के बीच तराशी हुई थी, दोनों चूतड़ एक नरम मुलायम स्पर्श वाला उठान लिये थे और बीच में एक गहरी दरार, जिसके बीच में जैसे एक शरमाया सा चुन्नटों भरा छेद छिपने की कोशिश कर रहा था पर स्पंजी चूतड़ ज़रा स दबाव पड़ने पर खिंच जाते और वो बेचारा अनावृत हो जाता।
उसके ठीक नीचे एक गहरी दरार खत्म हो रही थी।
मेरा सामान बेचारा लकड़ी हो चला था लेकिन अभी उसकी बारी नहीं आई थी सो उसकी चिन्ता छोड़ मैंने तेल में उँगलियाँ डुबाईं और अपने दक्ष और सधे हुए हाथों से उस हिस्से की मालिश में तल्लीन हो गया जो अब तक तौलिये में छुपा था।
कमर पार करके मैं नीचे हुआ और डबलरोटी जैसे नर्म मुलयम चूतड़ों को मुट्ठियों में भींच भींच कर उनकी मालिश करने लगा जिससे बेचारा गोल छेद बार बार खुल जा रहा था और दोनों नितम्बों को अच्छे से मसलने के बाद मैंने थोड़ा स तेल उस चुन्नट भरे छेद पर डाल दिया और उसे मसलने लगा।
इतनी देर की गर्माहट अब असर करने लगी थी और प्रमिला के शरीर में लहरें पड़ने लगी थीं। मसलते मसलते मैंने बिचली उंगली छेद के अन्दर उतार दी।
उनकी एक सांस छूटी पर शरीर फिर स्थिर हो गया और मैं और तेल लेकर अपनी दो उंगलियाँ उनके छेद के अन्दर धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ मिनट तक इस क्रिया को दोहराने के बाद मैंने अपनी ताक़त से उन्हें सीधा कर दिया।
अब उनका नग्न शरीर सामने से मेरे सामने अनावृत था। उनकी छातियाँ मध्यम आकार की थीं लेकिन उनका एरोला सामान्य से कहीं ज्यादा बड़ा था और उनके बीच दो किशमिश के दाने थे जो अब उत्तेज़ना से खड़े हो चले थे।
मस्त भरी भरी और अब भी कुछ कसाव लिये दोनों चूचियाँ अपने पूरी आकार को नुमाया कर रही थीं और उनके नीचे गहरी नाभि वाला सपाट पेट, जिस पर प्रसव वाले निशानों की कुछ कसर अभी भी बाकी थी, उसकी नीचे साफ़ किये बालों की हरी चमक का आभास देता जांघों का ज़ोड़, जहाँ एक परिपक्व योनि अपने पूरे सुन्दर रूप में जैसे आमन्त्रण दे रही थी।
भगांकुर को छुपाने की कोशिश में लगी दो गहरे रंग की कलिकाएँ जो कामरस से भीगी हुई थीं।
योनि के नीचे चादर भी चूत से निकले पानी से थोड़ी गीली हो गई थी।
बहरहाल मैंने थोड़ा तेल लिया और दोनों चूचियों की भरपूर मालिश करने लगा। साथ ही दोनों घुण्डियों को भी मसल मसल कर खड़ा कर रहा था।
प्रमिला ने आँखें बंद कर रखी थीं लेकिन होंठ खुले हुए थे और जहाँ से गहरी गहरी साँसें निकल रही थीं।
दोनों पिस्तानों को भरपूर ढंग से दबाने, मसलने के बाद मैंने थोड़ा तेल उनके पेट और नाभि के आसपास मला और तत्पश्चात उनकी एक जांघ को अपनी गोद में रख कर उस पर इस तरह तेल की मालिश करने लगा कि मेरा हाथ बार बार उनकी बुर को स्पर्श कर रहा था, जो बुरी तरह गीली हो चली थी।
दोनों जाँघों की मालिश कर चुकने के बाद मैंने तौलिये से उनकी बहती हुई चूत पौंछी और फिर तेल से थोड़ी मालिश और थपथपाहट चूत के ऊपरी हिस्से पर देने के बाद भगनासा की मालिश करने लगा और अब प्रमिला मैडम की कराहें उच्चारित होने लगीं, उन्होंने मुट्ठियों में तकिया और चादर दबोच ली थी और खुद को संभालने की कोशिश कर रही थीं लेकिन यह आसान काम नहीं था।
भगांकुर को छेड़ती, तेल से चिकनी हुईं उंगलियाँ लगातार ज्वालामुखी को दहाने को फ़ट पड़ने को उकसा रही थीं।
जब काफी मसलाई हो चुकी तो मैंने एक उंगली गीले हुए छेद में उतार दी। उनका शरीर कांप कर रह गया।
उंगली को ऊपर की तरफ़ मोड़ कर मैंने उनके जी-स्पॉट को कुरेदना-सहलाना शुरु किया और दूसरे हाथ के अंगूठे से भगांकुर को लगातार मसलने लगा।
अब प्रमिला मैडम को अपनी आवाज़ रोक पाना मुश्किल हो गया और वो बुरी तरह ऐंठती सिसकारने लगीं, साथ ही अस्फुट से शब्दों में कुछ कहती भी जा रही थीं पर मेरे पल्ले न पड़ा।
तभी जब ‘मैं गई – मैं गई’ कहते वह ज़ोर से ऐंठ गईं और मेरे हाथों को हटा कर अपनी टांगें जोर से भींच लीं।
कुछ पलों के लिये हम दोनों ही शान्त पड़ गये और खुद को व्यवस्थित करने लगे। मेरा वीर्य भी इस उत्तेजना के कारण जैसे लिंग के सुपाड़े तक आ पहुँचा था।
‘मेरा भी निकलने वाला है, दिन भर से किनारों से टकरा रहा है, कहिये तो पीछे ही निकाल दूँ?’ मैंने जैसे मैडम से याचना की।
उन्होंने मूक सहमति दी और भिंची हुए टांगें खोल दीं।
मैंने उठ कर सीधे होने में देर नहीं की… उन्हें एकदम सीधे चित लिटा कर उनके पैर ऊपर किये और दोनों घुटने पेट से ऐसे सटा दिये कि अभी उंगली से चुदी चूत हल्क़ा मुंह खोले ऊपर हो गई और नीचे से गाण्ड का छेद सामने आ गया, जो भले पहले शरमा रहा हो पर उंगली चोदन के बाद से अब खिला सा सामने फैला था।
उसमें ज़रूरत भर तेल था ही, फिर भी मैंने अपनी चड्डी उतार फेंकने के साथ लंड की टोपी पर चिकना वाला थूक मला और नोक उनकी छेद से मिलाई।
उन्हें पता था क्या करना है, उन्होंने खुद दोनो पैरों को अपने हाथ से थाम लिया और अन्दर से ज़ोर लगा कर गाण्ड के छेद को बाहर की तरफ़ उभारा और उसी पल में मैंने लंड को अन्दर दबाया।
पकी उम्र का छेद था, कुछ सैकेंड भी संघर्ष ना कर सका और एकदम से ऐसा फैला कि आधा लंड अन्दर धंस गया।
मैडम के मुंह से शोर की आह निकली और मैंने नीचे हाथ देकर उनके चूतड़ थाम लिये।
पूरा अन्दर सरका कर फिर लंड बाहर निकाला और फिर वापस अन्दर ठेला, इस प्रक्रिया को चार पांच बार करने के बाद मैंने पाया कि रास्ता साफ़ हो गया है तो मैं ज़ोर शोर से धक्के लगाने लगा।
धक्के ऐसे ज़ोरदार थे कि बेड हिलने लगा, लेकिन ज़ाहिर था कि मैं अभी ज्यादा देर चलने वाला नहीं था, तो जल्दी ही लंड ने धार छोड़ दी और मैडम का छेद सफेदे से भर गया।
मैंने अपनी ट्यूब पूरी नहीं खाली की बल्कि पहले कुछ फुहारों के साथ ही मैंने एकदम खुद को रोक लिया और लंड बाहर निकाल कर मैडम के पास ही गिर कर हांफने लगा।
उसी अवस्था में पड़े पड़े आधा घंटा गुज़र गया और फिर मैडम ही उठीं।
उन्होंने तौलिये के एक सिरे से मेरे लंड को अच्छी तरह साफ़ किया और मेरे ऊपर बैठ गईं।
“चलो अब मैं तुम्हारी मालिश करती हूँ।” उन्होंने कहा।
उनके हाथों के निर्देशानुसार मैं औंधा लेट गया और उन्होंने तेल लेकर मेरी पीठ, कंधे, गर्दन और चूतड़ों तक फैला दिया और अपने नर्म हाथों से ऊपर से नीचे तक सहलाने मसलने लगीं।
मुझे इतनी भागदौड़ और मेहनत भरी थकन के बाद एक अलौकिक आनन्द की अनुभुति हुई। इस लज्जत भरी राहत से मेरे हवासों पर नशा सा छाने लगा और तय था कि मैं सो ही जाता, पर मालिश करती मैडम मेरे चूतड़ों पर पहुँच चुकी थीं और उन्हें सख्ती से मसलती मेरे कुँवारे छेद में उंगली कर बैठी थीं।
मैं एकदम चिहुंक उठा।
यह अनुभव मेरे लिये नया था, लेकिन बुरा नहीं लगा और जब वो तेल में डूबी उंगलियाँ बार बार अन्दर बाहर करने लगीं तो मेरे दिमाग में भी फुलझड़ियाँ छूटने लगीं। क्या सच में इतना मज़ा आता है?
मैं सोच में पड़ गया कि अगर उंगली से इतना अच्छा लग रहा है तो लंड से कितना अच्छा लगता होगा।
बहरहाल मैडम ने भी मेरे आनन्द को महसूस कर लिया और हॅंसते हुए अपनि उंगलियाँ बाहर निकाल कर मुझे सीधा कर दिया और मेरे पेट पर अपनी गीली चूत रख कर बैठते हुए अब सामने से मेरे सीने, कंधे और गर्दन की मालिश करने लगीं।
मेरे दिमाग पर चढ़ते नशे की दिशा अब बदल चुकी थी।
मालिश करते करते वह नीचे सरकती गईं और मेरे पैरों पर पहुँच गईं, पप्पू को उन्होंने अनाथ ही छोड़ दिया और जाँघों पर उंगलियाँ और हथेलियाँ चलाने लगीं।
मैं आँखें खोले टुकुर टुकुर उनके बड़े बड़े एरोला वाली चूचियों को लटकते, हिलते, उछलते देखता रहा और पैरों की मालिश कर चुकने के बाद उन्होंने मेरे लंड पर तेल लगा कर उसे जो थोड़ी सी ही मसाज दी कि भाई टनटना गया और ज़ंग की घोषणा करने लगा।
उसकी घोषणा की प्रतिक्रिया में मैडम भी उठीं और घुटने बिस्तर से टिका कर मेरे ऊपर ऐसी बैठीं कि पप्पू गच्च से उनकी चूत में जा समाया और वो एकदम नीचे मेरी झांटों वाले एरिये से चिपक गईं।
तदुपरांत मैंने कुहनियों के बल हाथ खड़े कर लिये और उन्होंने मेरे पंजों पर अपने पंजे टिका दिये और आवाज़ें निकालती ज़ोर ज़ोर से ऐसे उछलने लगीं कि लंड गपागप अंदर बाहर होने लगा।
कुछ धक्कों में मुझे मज़ा आने लगा और मैं भी नीचे से उचक उचक कर लण्ड अंदर डालने लगा।
पर ज़ाहिर है कि बड़ी उम्र की औरत थीं तो बहुत देर तक यूँ लड़कियों की तरह नहीं उछलते रह सकती थीं, जल्दी ही थक कर हांफने लगीं तो मैंने उनकी पीठ पर अपने हाथ ले जाकर उन्हें खुद पे ऐसे झुकाया कि उनकी चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ने लगीं, नीचे से अपने कूल्हे उन्होंने खुद से इतने उठा लिये कि धक्के लग सकें और अब मैं नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर फ़काफ़क उन्हें चोदने लगा।
पर कुछ देर में मैं भी थक गया तो वह ऊपर से हट गईं।
वो बिस्तर की चादर में मुंह धंसा कर औंधी लेट गईं और अपने चूतड़ों को इतना ऊपर उठा दिया कि मैं घुटनों के बल बैठूं तो योनि लंड के समानांतर रहे और मैंने ऐसा ही किया और इस तरह मेरा सामान्य कद काठी का लंड पीछे से मैडम की परिपक्व योनि में रास्ता बनाता आराम से अंदर उतर गया और मैं उनके चूतड़ों को सहलाता हुआ उन्हें चोदने लगा।
यह मेरा मनपसंद आसन था तो मुझे मज़ा आना ही था…
मैं हचक हचक कर मैडम जी को तब तक उसी मुद्रा में चोदता रहा जब तक कि मुझे यह न लगा कि मेर सफ़र अब खत्म होने को है।
इसके बाद मैंने लंड निकाल कर उन्हें नीचे दबाया और चित करके उनकी दोनों टांगों को फैला कर उनके बीच मैडम पर ऐसे लेटा कि लंड तो चूत में फिट हो गया और मैं मैडम के मुँह तक पहुँच गया और तब मैंने अपने होंठ मैडम के होंठों से सटा दिये।
अब हम एक प्रगाढ़ चुम्बन में लग गये, जहाँ हम एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, एक दूसरे के मुंह में ज़ुबान डाल कर किलोल कर रहे थे, तो साथ ही एक दूसरे की जीभ को भी चुभला रहे थे और नीचे सहवास के अंतिम पलों में रफतार कम और झटके ज्यादा के अंदाज़ में लंड गीली-ढीली चूत में फचाफच कर रहा था जिसे मैडम भी नीचे से कूल्हे उठा उठा कर समर्थन दे रही थीं और इसी तरह एक साथ हम दोनों के शरीर में एक ज़ोर का कम्पन पैदा हुआ और हम होंठ छोड़ कर एक दूसरे से ऐसे चिपके के हड्डियाँ तक कड़कड़ा उठीं। उनके नाखूनों ने मेरी पीठ पर निशान तक बना दिये और हम अलग तभी हुए जब हमारा सारा रस निकल गया।
इसके बाद हमें कब, कैसे नींद आ गई, हमें एहसास तक न हुआ।
कहानी जारी रहेगी।
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कहानी का अगला भाग: मैडम एक्स और मैं-3
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