मुझे रण्डी बनना है-8

(Mujhe Randi Banna Hai-8)

This story is part of a series:

जूली- कल आपका आखिरी दिन है तो वादा करो कि कल दिन भर आप मेरी गोद में लिपटे रहोगे ! और किसी के पास नहीं जाओगे?

मैं- कल का तो मैं बता नहीं सकता।
जूली- नहीं! आपको कल भी मुझे चोदना है। मेरा दिल भरने तक!
मैं- किसी और ने बुलाया तो?
जूली- उसे भी साथ ले लो! तुमको तो क्या? पाँचों उंगलियाँ घी में।

फिर हम नंगे ही एक दूसरे की बांहों में हाथ डालकर सो गए। सुबह होते ही हम कपड़े पहनकर नीचे नहाने धोने गए, तैयार हो गए। और फ़िर चाय नाश्ते के लिए गए।

सबने योजना बनाई थी कि आज कोठे में सब रण्डियाँ सिर्फ ब्रेज़ियर और हाफ़ पैंट ही पहनेंगी। साली सबकी सब सेक्सी लग रही थी यहाँ तक कि मौसी भी उसी तरह तैयार हुई।

मौसी- वाह ! आज तो कस्टमर तो चकरा जाएगा कि किसको चोदूँ? सब की सब पटाख़ा लग रही हैं.. कोठे पे कदम रखते ही उसका लौड़ा ऐसा तनेगा कि जो बोले वो पैसे दे देगा। उससे कंट्रोल ही नहीं होगा।

मैं तैयार होकर रोज की तरह पान वाली दुकान के पास जा खड़ा हुआ। तभी मुहल्ले के असली भड़वे भी आ गये और बोले- क्या तुम ही कमाओगे? हम नहीं क्या?

मैं- अरे, हमने कब मना किया?

सब भड़वे- अरे यार जो चुदाई तुम्हारे यहाँ होती है, वो बाकी जगह पर नहीं। ऐसा क्यों?

मैं- हमारे यहाँ सब अपनी मरजी से धंधा करती हैं किसी को उठा कर या फंसा कर नहीं लाया। सब आती हैं किसी गई पुरानी रण्डी की पहचान लेकर। सब कमाती हैं और चली जाती हैं अपनी दुनिया में। हमारे यहाँ सीमा भी इसी तरह आई और अब कमा रही है।

सब बोले- साली, ऐसी हमारे हाथ क्यों नहीं आती? हमें तो मार-मार कर उसे रण्डी बनाना पड़ता है और उस धंधे में मज़ा नहीं।

मैं- हमारे यहाँ के कस्टमर को पूछो कि किसी औरत ने रोते हुए उसको लिया है? वो ना ही बोलेगा। उससे रण्डियाँ बहुत प्यार से पेश आती है और बेताब होकर लौड़ा लेती हैं। ऐसा किसी दूसरे कोठे पर नहीं होता। देखो कल ही बाजू वाले घर में वो लड़कियों को आप लोग बंगला देश और नेपाल से लाये हैं, आप उन्हें मारेंगे, पीटेंगे और फिर वो क्या खुशी से धंधा करेंगी? नहीं ना? तो आप लोग ऐसी औरतें ढूँढो जिनको कमाना भी है और पहचान भी छुपानी है ! ऐसी औरतें एक ढूँढो तो हजार मिलेंगी। एक बार वो गई तो जाने दो ! दूसरी उसके पीछे अपने आप आ जाएगी।

सभी भड़वे- हां ! यह सोलह आने सच है। देखते हैं, ऐसी हमारी किस्मत भी है या नहीं?

मैं- एकदम से नहीं मिलेंगी। थोड़ा धीरज रखना पड़ेगा।

इतने में दो लड़के कल्पना के कोठे का पता पूछने लगे।

मैं- हाँ, बोलो कहाँ जाना है?

वो बोले- कल्पना के यहाँ ! वहाँ मस्त-मस्त रण्डियाँ हैं ! बहुत नाम सुना है।

मैं- तो चलो मेरे साथ। कितनी देर तक बैठना है? एक बार चोदने के 500 रुपए होगे और एक घंटे के 1000 रुपए।

वो- नहीं, हमें तो बस एक बार चोदना है, अच्छा लगा तो दूसरी बार पूरी रात के लिए आयेंगे।

बातें करते करते हम कोठे पर आ गए। सभी अन्दर टीवी देख रही थी। मैंने बेल बजाई तो मेरी सारी की सारी सालियाँ बाहर आ गई। उनको इन कपड़ों में देखकर वो दोनों पागल से हो गए और नजदीक जाकर किसको चोदें, इसका विचार करने लगे..

एक ने रानी को और दूसरे ने जूली को चुना और लेकर कमरे में चले गए। धीरे धीरे कोठे पर चोदुओं की भीड़ बढ़ गई। चोदने के लिए कमरे और लड़कियाँ कम पड़ने लगी। सभी रण्डियों ने दो-दो राउंड पूरे किये, उनमें सीमा भी थी।

सीमा मेरे पास आई और बोली- और पाँच घण्टे काम करना है ! और 6-7 लौड़े तो चाहिएँ ही मेरी चूत को।

मैं- मैं कोशिश करता हूँ।

उतने में पहले दिन वाला युवक आया, साथ में एक दोस्त को लाया था।

आते ही युवक- रमेश, जिसकी मैं बात कर रहा था वो यही है सीमा, सीमा आज हम दोनों को एक साथ लेना है।

सुनीता- आज आधा घंटे से ज्यादा नहीं लूंगी, मुझे बहुत कस्टमर पटाने हैं।

युवक- चलेगा। दोनों के 1000 रुपए ! है मंजूर?

सुनीता- हाँ चलो अन्दर ! दोनों कपड़े निकालकर बैठो ! और पैसे दो ! मैं पेटी में रख कर आती हूँ।

सुनीता ने अन्दर जाकर बारी-बारी दोनों लड़कों से चुदवाया और कपड़े पहनकर बाहर आई। आते युवक ने उसकी छाती को पकड़ा तो वो गुस्सा हुई।

सुनीता- ए नखरा नहीं करने का ! सिर्फ चोदने के पैसे लिए, छाती को हाथ लगाने का नहीं। उसके पैसे अलग।

युवक- सॉरी, सॉरी।

इतना कहकर चले गए।

बाहर और 5-6 ग्राहक बैठे थे और सभी रण्डियाँ अपना और एक राउंड पूरा करके बाहर आई। उनको देखते ही सारे ग्राहकों ने सिटी मारी और बोले- साली इस कोठे की रंगीनियाँ कुछ अलग ही हैं ! साली आज सब आधे से ज्यादा तो नंगी ही हैं ! ज्यादा तकलीफ नहीं होगी कपड़े निकालने के लिए।

सीमा एक आँख मार कर नीचे झुक कर अपनी छाती हिलाने लगी। इस पर फ़िदा होकर एक नौजवान उसे ले गया। जाहिदा के पास दो कस्टमर गए। सुशी और रानी ने भी कस्टमर लिए।

मौसी- साला कोई मुझे क्यों नहीं लेता? चल राजू, तू ही मेरे भोसड़े में डाल दे अपना लौड़ा। इन रण्डियों की चुदवाने की स्पीड देखकर मुझे भी चुदवाना है।

मैं- चल तो फिर ! फटाफट चोद डालूँ तुझे..

मैंने उस दिन मौसी के हाथ में अपना मस्त लौड़ा दिया तो वो चुदवाने के लिए तैयार हो गई।

मौसी- मेरे कोठे की रण्डियों ने तेरी बहुत तारीफ़ की तो सोचा देखूँ कि कितना सच है?

थोड़ी देर बाद सारी की सारी रण्डियाँ सारे कस्टमर पटा कर बाहर आई। किसी किसी ने तो ऊपर कुछ भी नहीं पहना था और मस्त होकर पंखे के नीचे बैठी थी।

मौसी- इन साली रण्डियों को किसी की शर्म ही नहीं ! अरे यह राजू यहाँ बैठा है ना? इसकी तो शर्म करो !

जूली- इनसे क्या शर्माना ! मुझे और बाकी रण्डियों को पूरा नंगा देख कर उर चोद चुके हैं हमारे जीजू।

मौसी- ठीक है पर अभी कोई आया तो? कमरे में नंगी हो जाओ बाहर नहीं। बेशर्म कहीं की साली। चलो ब्रेज़ियर तो पहनो ! क्या रे राजू? तेरा लौड़ा नहीं कड़क होता इन को देख कर?

मैं- इनको तो चख लिया अब सिर्फ तू बाकी है..

मैंने पास जाकर मौसी को छुआ तो पता चला वो गर्म हो चुकी थी मेरा हाथ लगते ही !

उसने शरारती अंदाज में देखकर कहा- अभी मुझे दो कस्टमर लेने दे। फिर रात तेरी और मेरी।

मौसी ने दो दो कहते हुए 4 कस्टमर लिए और सुनीता का कोटा भी पूरा हुआ। वो अब थक चुकी थी।

सुनीता- मैं अब नहीं लेने वाली। मैं सोने जाती हूँ।
मौसी- राजू, तू अब मेरे साथ चल।

मैंने उसे गोद में उठाया और उसके कमरे में ले गया और कमरे बन्द किया। उसने एसी चालू किया। थोड़ी देर में कमरे ठण्डा हो गया।

मौसी ने मुझे खींचते हुए अपनी बाहों में लिया और बोली- भड़वे, तेरी तारीफ मैंने सभी रण्डियों से सुनी तो सोचा मैं भी तेरा लौड़ा ले ही लूँ। आज रात मैं सोने वाली नहीं और तुझे भी नहीं सोना।

मैं- हाँ मेरी रण्डियों की रानी। तू क्यूँ बाकी रहेगी?

पढ़ते रहिए ! कहानी जारी रहेगी !
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2008

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