छोटी सी आशा
प्रेषक : अनुज अग्रवाल
मैं शुरु से ही चोदू किस्म का इन्सान हूँ। छोटी छोटी लड़कियाँ मुझे बहुत पसंद हैं। कॉलेज की लड़कियों को चोदने में मुझे बहुत मजा आता है। मुझे सील माल चोदना भी बहुत पसंद है। मेरी शादी भी हो चुकी है पर शादी के एक साल तो ठीक था उसके बाद फिर वही फटी बूर ! मजा नहीं आता यार !
मैं एक छोटे से गाँव में रहता हूँ, शहर नजदीक ही है, हमें कुछ भी जरुरत पड़े तो शहर से ही लाना पड़ता है क्योकि शहर सिर्फ दस किलोमीटर दूर है।
यह बात पिछले साल की गर्मियों की है, मैं एक दिन अपनी मोटर साइकिल पर शहर से वापस आ रहा था। तभी एक लड़की जो 18 साल की हुई होगी, उसने मुझसे लिफ्ट मांगी। लड़की इतनी सुन्दर थी कि क्या बताऊँ ! मेरी जगह कोई भी होता तो उसे लिफ्ट दे देता।
मैंने गाड़ी रोकी और उसे बैठा लिया। लड़की मेरे ही गाँव की थी, मैंने उसे पूछा- कहा गई थी?
वो बोली- कालेज !
मैंने पूछा- किस कक्षा में पढ़ती हो?
उसने कहा +२ के पहले साल में !
मेरे मुँह से निकल गया- साइज़ तो बी ए के अन्तिम साल वाला है।
वो बोली- क्या बोले आप?
मैंने बात घुमा दिया और बोला- कुछ नहीं।
कुछ दूर जाने के बाद मुझे मेरी पीठ पर किसी गुब्बारे का एहसास होने लगा मानो कोई गुब्बारे से मेरे पीठ पर हौले हौले मालिश कर रहा हो।
तभी मैंने जानबूझ कर एक जोरदार ब्रेक मारी, वो लड़की मेरी पीठ से एक ही झटके में चिपक गई और उसके दूध का आकार मुझे एहसास हो गया।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बाय फ्रेंड है?
वो बोली- नहीं ! मुझे ये सब झूठे रिश्ते लगते हैं ! मैं तो व्यव्हारिक चीजों पर यकीन करती हूँ।
ओ के !
फिर उसने कहा- आप यह सब क्यूँ पूछ रहे हो?
मैंने बात को टालना चाहा, कहा- छोड़ो ना !
तब वो खुद बोली- असल में आजकल के लड़के मुझे पसंद नहीं !
मैंने फिर चुस्की लेते हुए कहा- तो क्या मेरे जैसे बुड्डे पसंद हैं?
उसने कहा- आप भी न ! बहुत बदमाश हैं? घर पर अपनी बीवी को भी ऐसे ही सताते हो क्या?
मैंने कहा- घर की बात छोड़ो यार ! घर की मुर्गी तो दाल बराबर होती है।
उसने झट से कहा- तो बाहर की मुर्गी ढूंढ लो।
मैं उसका इशारा कुछ कुछ समझ रहा था, मैंने कहा- तलाश तो मैं भी कर रहा हूँ ! पर आजकल मिलती कहाँ हैं ये मुर्गियाँ ! और मुझे छोटी छोटी मुर्गियाँ ज्यादा पसंद हैं।
इतना बोलना ही था कि उसने कह दिया- कहीं आप मुझ पर डोरे तो नहीं डाल रहे हो?
मैंने कहा- डोरे डाल कर क्या होगा? डालने दो तो कुछ और डालूँगा? बोलो डालने दोगी?
उसने कहा- बहुत ज्यादा प्यास है आपको? घर में मजा नहीं मिलता क्या?
मैंने कहा- घर की बात छोड़ो ! तुम बताओ क्या इरादा है?
उसने कहा- ये बात? चलो दिया डालने ! अब क्या?
मैंने कहा- मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ?
वो भी बोली- मैं भी मजाक नहीं कर रही !
फिर क्या था, मुझे समझ में आ गया कि आज मुझे एक कुंवारी बूर चोदने को मिल सकती है।
अब मैं महसूस करने लगा था कि मेरे पीठ में वो अपने दूध को रगड़ रही है, उसके चुचूकों का एहसास मुझे हो रहा था, मेरा लंड तन चुका था।
मैंने फिर कहा- तुम मजाक तो नहीं कर रही हो न?
उसने कहा- नहीं, आज मैं भी देखूँगी कि आपके हथियार में कितना दम है।
इतना कह कर वह अपने हाथ को मेरे लंड पर ले आई, मेरा लंड और तन गया, मानो अभी पैंट फाड़ कर बाहर आ जायेगा।
जब उसने मेरे लंड को पकड़ा, उसने कहा- वाह, आपका हथियार तो बहुत बड़ा है?
मैंने कहा- इसका मतलब है कि तुमने छोटा भी देखा है? किसका देखा है बताओ?
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उसने शरमाते हुए कहा- मेरे पापा का ! एक बार मैं बीमार थी और मम्मी के पास सो गई। आधी रात को मैंने कुछ खुसुर-फुसुर की आवाज़ सुनी, आंख खोली तो देखा कि मम्मी कुतिया और पापा कुत्ते बन कर अपने चार इन्च के छोटे लंड से मम्मी की चूत मार रहे हैं और मम्मी जोर जोर से कराह रही हैं, आह… ऊ… ऊह्ह… और जोर से करो……
इतने में पापा झड़ गए और लेट गए। मम्मी की प्यास शायद अधूरी रह गई। और मम्मी गुस्से से पापा को बोल रही थी- अब तुम बूढ़े हो गए हो ! मुझे अपना कुछ बंदोबस्त करना पड़ेगा ! तभी देखा था
अब बात करते करते कब हम अपने घर पहुँच गए हमें पता भी नहीं चला। उसका घर मेरे घर से कुछ दूर था इसलिए मैंने अपने घर पर मोटर साइकिल रोकी और उसे अपने घर के अन्दर बुला लिया। मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा और मैं उसके लिए ठंडी लस्सी लाया।
लस्सी देखते ही उसके मुँह में पानी आ गया, वो बोली- वाह लस्सी ! आई लव लस्सी !
इतने में मैंने कहा- असली लस्सी और भी मजेदार होती है।
वो बोली- वो कैसी होती है?
मैंने कहा- उसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी, तब जाकर मिलेगी।
वो बोली- मंजूर है !
मैंने कहा- एक शर्त भी है !
वो बोली- सब मंजूर है, बस लस्सी चाहिए, बिकॉज़ आई लव लस्सी !
मैंने कहा- ठीक है, अपने सारे कपड़े उतार दो !
वो बोली- क्या?
मैंने कहा- घबराओ नहीं ! मेरी बीवी घर पर नहीं है, वो मायके गई है।
और मैं बाथरूम जाकर पेशाब करने लगा। आकर देखा तो वो सिर्फ शमीज और पैंटी में खड़ी थी।
मैंने कहा- मान गए यार लस्सी को ! बहुत ताकत है इसमें !
अब मैंने भी अपनी कमीज़ और पैंट उतार दी और सोफे पर बैठ गया और उसे हाथ पकड़ कर सोफे पर बिठा लिया। अब मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया।
उसने अपनी आँखें बंद कर ली और मानो मुझसे कह रहो हो कि जो जी चाहे कर लो !
मैंने धीरे से उसकी शमीज में अपना हाथ डाल दिया और उसके दूध को धीरे धीरे दबाने लगा, एकदम नर्म और गोल गोल इतना नर्म तो मेरी बीवी के भी नहीं हैं।
जैसे ही मैं दूध दबाता गया, उसकी सांसें गर्म हो गई और वो भी अपने आप को रोक न सकी और अपने हाथ मेरे लंड पर ले गई और उसे सहलाने लगी।
पहले तो ऊपर से ही किया, फिर चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया और जोर जोर से सहलाने लगी। अब मुझ से भी रहा न गया और मैंने उसकी समीज उतार कर उसके दूध को चूसना शुरु कर दिया। चूसते चूसते उसके दूधों का आकार मानो बढ़ गया हो और फ़ूल गया हो। उसके चुचूक खड़े हो गए थे, वो भी आँखें मूंद कर गर्म गर्म सांसें लिए जा रही थी और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ने लगी थी। अचानक उसने कहा- मुझे एक निशानी दे दो !
मैंने जोर से उसके दूध को काट लिया।
उसने एक थप्पड़ मारा और हट गई।
मै डर गया।
वो फिर पास आई और बोली- जानू, अब मेरी बारी है !
अब उसने मेरे लंड को चूसना शुरु कर दिया, चूस चूस कर मेरे लण्ड को लाल कर दिया। मैं तो समझा कि ये भी मुझे काटेगी।
लेकिन नहीं ! उसने बड़े प्यार से चूस चूस कर मेरे लंड को और लम्बा कर दिया !
मेरा लंड भी मानो इतने प्यार से पेश आ रहा था कि क्या बताऊँ दोस्तो !
करीब दस मिनट चूसने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उसके सर को जोर से पकड़ लिया और पूरे लंड को उसके गले तक डाल दिया और जोर जोर से झटके देना शुरु कर दिया।
वो छुड़ाना चाह रही थी पर मैं छोड़ूँ तब न !
पूरी की पूरी लस्सी उसके गले में डालने बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला। बाहर निकलते ही वो खांसने लगी और बोली- जान लोगे क्या?
मैंने कहा- जान को छोड़ो ! लस्सी कैसी लगी?
वो मुझसे चिपक गई। मैंने उसे सोफे पर बिठाया और धीरे धीरे उसकी बुर को सहलाने लगा। अब वो भी जोश में आ रही थी, मैंने उसकी चड्डी उतार दी और उसकी बुर को चूसने लगा। बुर ऐसी मानो बड़ा सारा गेहूं का दाना !
मैंने उसे चाटना शुरु किया, चाट-चाट कर उसे लाल कर दिया। अब मैं अपनी जीभ को उसकी बूर में डालने की कोशिश करने लगा। तभी वह मेरे सर के बालों को जोर से पकड़ कर मुझे अपनी बुर में जोर जोर से रगड़ने लगी और कुछ पल के बाद वो भी झड़ गई। फिर आधे घंटे हम नंगे ही सोफे पर पड़े रहे।
फिर उसने घड़ी देखते हुए उसने कहा- अब मुझे जाना होगा !
मैंने कहा- अभी तो असली काम बाकी है जानू !
वो बोली- नहीं ! वो सब मैं अपने पति के साथ करुँगी ! तुम किसी और के पति हो !
इतना कह कर उसने फटाफट अपने कपड़े पहन लिए और फिर मुस्कुराते हुए मुझे अपनी बाँहों में भरा और कहा- सब मिलेगा मेरे राजा ! इन्तजार करो !
और मेरे माथे पर एक मीठा सा चुम्बन दे दिया। मैंने भी उसे कस कर अपनी बाँहों में भर लिया मानो पहला पहला प्यार हो !
अब मै उसे अपनी मोटर साइकिल पर उसके घर तक छोड़ आया और अपने घर लौट आया।
माना उसने चोदने नहीं दिया पर फिर भी उससे ज्यादा मजा दिया।
अब इन्तजार है चुदाई का !
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