भाभी की तन्हाई और मेरा सपना -2

(Bhabhi Ki Tanhai Aur Mera Sapna-2)

आशीष 2008-11-01 Comments

This story is part of a series:

प्रेषक : रिंकू गुप्ता

प्रिय पाठको,

आप सबने मेरी पहली कहानी

को काफी पसंद किया इसके लिए आप सबको मेरा शुक्रिया। जैसा कि आप सबने पहली कहानी में पढ़ा कि भाभी को मैंने खूब चोदा कुछ दिनों तक। उसके बाद उनकी सहेली की भी सील तोड़ी।

आइये बताता हूँ वो कैसे चुदी मुझसे !

मैं अब नॉएडा से दिल्ली शिफ्ट हो चुका था, एक दिन मेरे कुछ दोस्तों ने इंडिया गेट घूमने जाने का कार्यक्रम बनाया। उस दिन शनिवार था, हम सब चल दिए शाम के वक्त ! हम सभी दोस्त इंडिया गेट पर शाम के करीब छः बजे घूम रहे थे और लड़कियों को प्यार भरी नज़रों से देख रहे थे, कई को तो हँसा भी देते थे, ऐसे हरकतें करते थे कि वो हंसे बगैर रह ही नही पाती थी। मस्ती करते करते रात हो गई। इतने में एक दोस्त की गर्लफ्रेंड मिल गई। फिर वो तो उसके साथ मस्त हो गया। अब मै और दो दोस्त अलग जगह पर बैठ गये और उस कमीने दोस्त को आजाद कर दिया मजे लेने के लिए ! दोस्तो, इंडिया गेट एक ऐसी जगह है जहाँ शाम के वक्त कुछ भी हो सकता है अगर आप के पास अपनी गर्ल फ्रेंड है तो ! यहाँ तक कि चुदाई भी हो जाती है झाड़ियों के बीच में।

खैर, मैं तो लड़कियों को ताड़ रहा था। रात के साढ़े नौ बज चुके थे और दोनों दोस्तों को नॉएडा जाना था तो वो भी मेट्रो से चले गये। अब मैं अकेला बचा, मैं सोच रहा था घर जाने की, पर सोचा कि थोड़ी देर और रुकता हूँ, फिर चलता हूँ !

मैं एक तरफ़ जाकर बैठ गया और इधर उधर मस्ती कर रहे लोगों को देखने लगा। इतने में मेरी नज़र एक जवान, खूबसूरत 5’2″ की गोरी लड़की पर पड़ी, ऐसा लगा कि मैंने इसे कहीं देखा है।

मुझसे रहा न गया और मैं उसके पास जाकर बोला- हाय, मैं रिंकू ! पहचाना या नहीं?

वो बोली- शायद आपको कहीं देखा है !

फिर मैंने उसे याद दिलाया कि आपको मैं भाभी जी यानि आपकी सहेली के साथ मॉल में मिला था !

फिर उसे याद आ गया और बोली- हाय रिंकू ! कैसे हो.. काफी दिनों के बाद मिले, तुम्हारी भाभी अक्सर तुम्हें याद करती हैं !

फिर उसने पूछा- यहाँ अकेले क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- दोस्तों के साथ आया था, सब चले गये, अब मैं भी जाने वाला था कि इतने में तुम मिल गई।

मैंने पूछा- तुम अकेले क्या कर रही हो?

बोली- मैं किसी डेट पर आई थी पर वो आया ही नही !

वो बोली- मुझे बहुत ख़राब लग रहा है कि वो आया नही !

मैं बोला- कोई बात नहीं ! मैं मिल गया समझो !

वो बोली- अच्छा जी, आप मिल गये !

मैंने कहा- हाँ, इसमें बुरा क्या है?

फिर वो बोली- चलो फिर तुम्हीं से बातें कर लेते हैं !

फिर हम दोनों एक तरफ़ जाकर बैठ गये और बातें करने लगे। उसने जींस और टॉप पहना हुआ था, क्या लाजवाब लग रही थी, चूचियाँ बिल्कुल गोल और कसी थी, मन कर रहा था कि पकड़ लूँ। पर ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि मुझे तो पूरी चूत मारनी थी, मैं दूर की सोच रहा था।

मैंने उससे पूछा- भाभी जी याद करती हैं कभी?

वो बोली- वो तुम्हें मिस करती हैं !

हाँ वो तो करेंगी ही ! मैं भी उन्हें याद करता हूँ !

वो बोली- मुझे सब पता है, क्या क्या गुलछर्रे उड़ाए हैं तुमने !

मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं?

वो बोली- अभी तक तो नहीं !

अब रात के करीब साढ़े दस बज चुके थे, मैंने पूछा- घर चलना है या नहीं? आज रात यहीं बितानी है?

वो बोली- बैठो ना ! थोड़ी देर बाद चलते हैं !

मैंने कहा- यहाँ मेरा गेट 11 बजे बन्द हो जाता है, फिर परेशानी हो जाएगी।

वो बोली- अगर तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ?

मैंने कहा- कहो !

उसने कहा- तुम चाहो तो आज मेरे कमरे पर रुक सकते हो !

फिर क्या था, मेरी तो निकल पड़ी, मैंने झट हाँ कह दी।

फिर हम दोनों वहाँ से रात को 11 बजे निकले और 12 बजे के करीब जनकपुरी डी-ब्लाक पहुँच गये।

मैंने पूछा- तुम यहीं रहती हो?

वो बोली- हाँ !

मैंने कहा- मै भी पिछली वाली गली में रहता हूँ।

अब हम दोनों कमरे में आ गये, बातें करते करते मैं बेड पर जाकर बैठ गया, वो कपड़े बदलने चली गई। इधर मैं सोच रहा था कि क्या क्या करना है बेटा आज ! मौका मिला है, छोड़ना मत ! और दूसरी तरफ मन में लड्डू फूट रहे थे कि आज तो चूत मिलेगी, शिकार खुद चल कर आया है तेरे पास !

वो जालीदार नाईटी पहन कर आई। देखते ही मेरा दिमाग ख़राब हो गया ! क्या मस्त चूचियाँ थी ! 34″ इंच रही होगी। देखते ही मुँह में पानी आ गया, दिमाग ठंडा हो गया और लंड खड़ा हो गया।

चूचियाँ उभार लिए हुए एकदम खड़ी थी, ऐसा लग रहा था कि अभी किसी को नसीब नहीं हुई हो !

वो मेरे पास आकर बोली- कुछ खाओगे?

मैंने कहा- हाँ ! भूख तो बड़ी तेज लगी है ! क्या है खाने को?

वो बोली- कुछ होगा फ़्रिज में ! देखती हूँ !

उसमें दो कैन बियर और कुछ सेब रखे थे, उसने पूछा- बियर पीते हो?

मैं वैसे तो नहीं पीता पर उस समय मना नहीं कर पाया और दोनों पीने लगे और बातें करने लगे।

मैंने पूछा- कभी सेक्स किया है?

वो शरमाते हुए बोली- क्या बोल रहे हो?

मैं बोला- बस ऐसे ही पूछा !

वो सर झुकाते हुए बोली- नहीं !

फिर उसने पूछा- तुमने तो किया है भाभी से ?

मैंने हाँ कहा !

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला- अब तक तुम्हारी जगह भाभी होती तो वो मेरी बाहों में होती !

इतना कहते हुए मैंने उसे अपनी बाहों में भीच लिया।

वो बोली- क्या कर रहे हो? यह गलत है !

मैंने कहा- कुछ गलत नहीं होता, सब सही है !

और उसकी चूचियाँ दबाने लगा और कस कर चूमने लगा। कुछ देर तक वो ना-नुकुर करती रही फिर उसे भी मज़ा आने लगा और उसकी साँसे तेज़ होने लगी। मैं चूचियों को तेज़ी से मसल रहा था और वो गर्म हो रही थी। अब उसने भी अपना हाथ मेरी पैंट में डाल दिया था, जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ, मुझे करंट सा लगा और मज़ा आने लगा, मेरा 4 इंच का सिकुड़ा लंड अब 7 इंच का हो चला था और पैंट के अन्दर ही फनफना रहा था !

मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और चूचियों को ब्रा की कैद से आज़ाद कर दिया, वो अब काफ़ी बड़ी हो गई थी और कसी थी।

अपने जीवन में अब तक इतनी मस्त चूची कभी नहीं देखी थी मैंने !

मैंने एक चूची को मुँह में ले लिया और वो सिसकारने लगी। उसे पूरा मज़ा आ रहा था। फिर मैंने उसे अब बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी पैंटी भी उतार दी और एक उंगली उसके चूत में डाल दी। वो और ज्यादा मस्त हो गई और उफ़ उफ़ उफ़ आह आह कर रही थी। वो पूरे चरम पर थी पर मैं धीरज से काम ले रहा था। उसकी चूचियाँ एकदम तन गई और चुचूक कड़े हो गए। अब उससे रहा नहीं जा रहा था और कह रही थी- प्लीज़ फक मी !

मैं उसे सेक्स के शीर्ष तक ले जाना चाहता था जिससे वो कभी मेरे अलावा किसी और के साथ सेक्स का आनंद ले तो मेरी याद आये उसे !

मैं तेज़ी से उँगलियों को अन्दर-बाहर कर रहा था और वो उचक रही थी बिस्तर पर, बार बार यही कह रही थी- प्लीज़ अब डालो ना !!

और अब वो सही समय आ गया था कि मैं उसे वो सुख दूँ जिसके लिए वो इस हद को पार कर गई थी। दूसरी ओर वो तड़प रही थी। मुझे पता था कि आज इसकी सील पहली बार टूटनी है, इसलिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी !

मैंने अपना 7 इंच का लंड उसके चूत पर धीरे से रखा ओर हल्का सा जोर दिया। वो उचक पड़ी और बोली- निकालो बाहर ! मैं मर जाऊँगी, दर्द हो रहा है !

मैंने तीन इंच तक डाल दिया था, फिर मै वहीं रुक गया ओर चूचियाँ जोर जोर से दबा रहा था जिससे उसका दर्द कम हो जाये।

और अगले ही मिनट दर्द कम हुआ और फिर मैंने एक झटका जोर से दिया और लंड अन्दर जा घुसा, उसके खून बहना शुरु हो गया पर मैंने बाहर नहीं निकाला। दो मिनट के बाद दर्द चला गया। अब उसे मज़ा आने लगा था, वो मदहोश थी। अब मै ऊपर नीचे कर रहा था।

धीरे धीरे उसने भी साथ देना शुरू कर दिया और हिल हिल कर आह आह करने लगी। बोल रही थी- और तेज़ ! और तेज़ ! अन्दर तक डालो !

करीब दस मिनट के बाद मैं अन्दर ही झड़ गया और उसके ऊपर ही पड़ा रहा।

आधे घंटे के बाद मैं और वो दोनों फ्रेश होकर सो गये। अगली सुबह रविवार था, दोनों की छुट्टी थी। मैं नौ बजे सो कर उठा, वो पहले ही उठ गई थी।

मै उससे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था पर वो आई, बोली- रिंकू आई लाईक यू ! यू आर सो स्वीट !

मैंने कहा- अरे वाह ! सब कुछ आसानी से हो गया !

फिर उसने कहा- आज तो छुट्टी है मेरी, एक फ्रेंड का जन्मदिन है आज ! तुम मेरे साथ चलो उसके घर !

मैंने हाँ कह दी।

उसके बाद क्या-क्या हुआ?

जानने के लिए मेरी अगली कहानी का इंतज़ार कीजिए !

आप अपनी राय जरुर बतायें।

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