चौबीस घण्टे की प्रेमिका

(Chaubis ghante ki premika)

दोस्तो, मेरी पूर्व लिखी कथाओं पर आप सबकी तारीफ़ के लिए धन्यवाद। यहाँ पर आप इनका मज़ा ले सकते हैं।

जिस घटना का जिक्र आज यहाँ है वो करीब ढाई साल पुरानी है। मेरी उस वक़्त की गर्ल फ्रेंड की एक रूम मेट थी प्रियंका वाजपेयी, हल्के सांवले रंग की लेकिन तीखे नयन नख्श वाल, मस्त मम्मे उससे भी मस्त कूल्हों वाली, संक्षेप में कहूँ तो 100% चोदन माल।

उसके माँ पाप बंगलौर में रहते थे। मैं प्रियंका को कई बार चुदाई का परोक्ष निमंत्रण दे चुका था। लेकिन वो इसलिए हाँ नहीं बोलती क्योंकि मैं उसकी सहेली का बॉयफ्रेंड था।
पर कहते है ना किसी चीज़ को पाने की सच्ची चाहत हो तो क़ायनात भी साथ देती है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।

प्रियंका ने बंगलौर ट्रांसफर ले लिया। सब सामान भेजने के बाद उसने उद्यान एक्सप्रेस से टिकट कराया।
जिस दिन उसने ट्रेन पकड़नी थी उस दिन मुंबई में ऑटो टैक्सी वालों की हड़ताल थी। मेरी गर्लफ्रेंड ने आग्रह किया कि मैं प्रियंका को नजदीकी लोकल स्टेशन तक छोड़ दूँ।
मैं बाइक ले कर पहुँच गया।

हम निकले तो मैंने जान करके आगे के ब्रेक लगाये ताकि प्रियंका के भरे वक्ष मेरी पीठ में पिचकते रहें। सुबह का वक़्त और हड़ताल के कारण सड़क खाली थी हम जल्दी ही लोकल स्टेशन आ गए।

‘चाय पियोगी?’ मैंने सवाल किया।

‘चलो पी लेते हैं।’ उसने सहज उत्तर दिया।

चाय के लिए बोल कर मैंने सिगरेट निकाली- क्या मैं पी सकता हूँ? अगर तुम्हें ऐतराज़ ना हो तो?

‘ऐतराज़ है अगर अकेले पिओगे तो!’ कहते हुए वो मुस्कुरा दी।

मैंने सिगरेट जलाई और हम बारी बारी से पीने लगे।

चाय आई तो मैंने चांस मारा- आज तो मुंबई की सबसे सेक्सी लड़की बंगलौर जा रही है।

‘हाँ, और तुम जानबूझ कर ब्रेक मार कर उसकी सेक्स अपील को दुखा रहे हो।’ प्रियंका ने तपाक से उत्तर दिया।

‘यार, दुःख रहे हैं तो दबा दूँ? मेरा मतलब है मसाज कर दूँ?’ मैंने आँख मारते हुए कहा।

‘यहाँ? सब के सामने?’ मेरी प्रतिक्रिया सुनने के पहले ही फिर मायूसी से बोल पड़ी- यार, कुछ देर में वी टी से मेरी ट्रेन है।

मैं मन ही मन कोस रहा था कि प्रियंका चुदने को तैयार थी और मैंने परोक्ष इशारों में इतना टाइम गवां दिया।
मैं चाय वाले को पैसे दे रहा था कि तभी एक आईडिया आया।

‘अगर तुम ट्रेन छोड़ दो और हम आज का दिन साथ गुजारें तो?’ मैंने प्रियंका को टटोला।

‘कैसे यार, कल बंगलौर स्टेशन पर पापा आएंगे?’

‘तुम कल सवेरे की फ्लाइट ले लो यार, मैं टिकट निकालता हूँ। सवेरे 6 बजे की फ्लाइट लो 7:30 तक बंगलौर। वहाँ से टैक्सी लेकर स्टेशन?’ मैं मासूमियत से प्रियंका को देखने लगा।

एक पल सोचा फिर क़ातिल हंसी देते हुए बोली- कमीने, जल्दी एयरपोर्ट चल टिकट नहीं मिली तो मुझे वी टी स्टेशन छोड़ देना।

इस बार बाइक पर बैठी तो एकदम चिपक कर। हमने फ्लाइट का टिकट निकाला और मेरे फ्लैट की और चल पड़े।
इस बीच प्रियंका के पापा का और मेरी गर्ल फ्रेंड का फ़ोन उसके मोबाइल पर आया तो उसने बोल दिया कि ट्रेन में है।

फ्लैट पहुँच कर वहीं पर हम दोनों आलिंगनबद्ध हो गए, तन की आग दोनों के जिस्मों को सुलगा रही थी, हम ऐसे चूम रहे थे जैसे हमारा थूक इस आग को बुझा देगा।

उलटे वो तो आग में घी का काम कर रहा था।

प्रियंका ने मेरा हाथ पकड़ उसने अपने वक्ष पर रख दिया- इनका दर्द मिटा दे, जान।

मैंने उसके मम्मे दबा दिए।

20-25 मिनट तक चुम्मा चाटी के बाद हम अलग हुए, दोनों के कपड़े बेतरतीब हो गए थे, हम एक दूसरे को देख मुस्कुराये और सोफे पर गिर पड़े।

कुछ देर बाद मैं अन्दर गया और बीयर ले आया, प्रियंका ने सिगरेट जला दी थी, वो कश लेती और चूमती, धुआं मैं पी लेता।

बियर भी हम ऐसे ही पी रहे थे एक बार वो घूंट लेकर मेरे मुँह में डालती फिर मैं लेकर उसके मुँह में उलटता।

सिगरेट खत्म हुई तो प्रियंका को अपनी ओर खींचा और उसके शर्ट के बटन खोलने लगा। इशारा समझ कर वो उठी और पूरी नंगी हो गई। वो बाथरूम में मूतने गई तो मैंने भी कपड़े निकाल दिए।

प्रियंका बाहर आई तो देखा कि उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे।

प्रियंका ने घुटनों के बल बैठ मेरा लंड मुँह में ले लिया, वो थोड़ा मुँह खोलती तो मैं बियर डाल देता।

जब मेरा लौड़ा तन गया तो उठी और वहीं सोफे पर लेट गई मैंने उसके पैर उठा लंड चूत में घुसा दिया और ठोकने लगा।
चुदाई कर हम बाथरूम में गए उसने मेरे लंड को साफ़ किया और मैंने उसकी चूत। मैंने उसके चूत के बाल शेव करने का आईडिया दिया वो मान गई, फोम लगा के मैं उसकी शेविंग करने लगा।
उसके बाद दोनों चूम चूम कर नहाये।

लंच आर्डर किया और फिर बियर पी। लंच करके दोनों बैडरूम में आराम करने लगे, थोड़ी देर में प्रियंका लंड से खेलने लगी।

मेरे खड़े लौड़े को अपनी चिकनी चूत का रास्ता दिखाया, उसकी क्लीन शेवन चूत में मेरा लंड आसानी से घुस गया और मैं पूरे जोश के साथ चोद रहा था।
एक तो वो खूब मस्त माल थी, उस पर अब तक न चोद पाने का एहसास था।

प्रियंका ‘फ़क मी’ बोले जा रही थी और मैं धकाधक चोद रहा था।

थोड़ी देर बाद वो ऊपर से उचक उचक कर अपनी चिकनी चूत में मेरे लंड को ले रही थी। जब मेरी पिचकारी चल गई तो वो ऊपर से उठी, मेरे लंड पर से कंडोम निकाला और मेरे लौड़े को चाट कर साफ़ किया।

वो मेरा लंड पकड़े कर चिपट कर सो गई, थोड़ी देर में मेरी भी आँख लग गई।

शाम को हमने सिगरेट के धुएँ में पूर्ण नग्न हो वोदका पी और खाना खाना खाया, प्रेशर लगा तो मैं बाथरूम में गया, लंड हाथ में पकड़ मूतने लगा।
पेशाब कर मुड़ने ही वाला था कि प्रियंका पीछे से लिपट गई और एक हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ लिया- जवान मर्द हो, अपना काम पूरा नहीं करोगे?’ कहते हुए एक और चुदाई का आमंत्रण दिया।

मैं वहीं कमोड पर बैठ कर प्रियंका की दोनों टाँगे चौड़ी कर चूत पर थूक दिया फिर चाटने लगा, मैं चाट चाट कर चूत चूस रहा था।
मेरा लंड भी गरम रॉड हो गया, जैसे जैसे मेरी जुबान चूत की गहराई में रसपान कर रही थी, चूत रस से मेरा चेहरा भीग गया।

प्रियंका की चूत मेरे लंड की प्यासी हो रही थी, वो वहीं घुटनों के बल बैठ मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, थूक थूक कर मस्त गीला करती, हाथों से मलती और फिर चूसने लग जाती।

मैं उसके मम्मों का मर्दन करता तथा झुक कर गांड में उंगली डाल देता।

प्रियंका से अब सहन नहीं हो रहा था तो उसने मेरी ओर पीठ कर मेरे लंड को अपनी चूत के हवाले कर कूद कूद कर चुदाई शुरू कर दी। प्रियंका की सीत्कार और हमारी जांघों की ‘फट-फट’ से पूरा बाथरूम गूँज रहा था, उसके मम्मे संभल ही नहीं रहे थे, प्रियंका की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया।

प्रियंका मुड़ी और अपना मुँह मेरी ओर कर फिर लंड अपनी चूत में डाल दिया, मुझे चूमते हुए मेरा मुँह अपने थूक से भर दिया, फिर मेरी बाँहों में झूलते हुए कूदने लगी और चुदाने लगी।

मैंने बाथरूम में कई बार सेक्स किया पर आज कमोड पर उन्मुक्त सेक्स के मज़े ले रहा था। थोड़ी देर में मेरे गरम वीर्य से प्रियंका की चूत भर गई।
वो और मैं दोनों मुस्कुराये और एक दूसरे से लिपट कर कमोड पर ही बैठे रहे, मेरा लौड़ा अब भी प्रियंका की चूत में था और धीरे धीरे सिकुड़ रहा था।

तभी प्रियंका को सूसू आ गया और मेरा लंड बाहर आ गया तथा उसके मूत से नहा गया।

बाहर आकर प्रियंका ने अपने कपड़े जमाये, सुबह जल्दी उठने का अलार्म लगाया और आई-पिल ली।
हमने कुछ और सिगरेट पीने के बाद फिर एक बार उन्मुक्त सम्भोग किया।

सुबह किसी तरह उठे और उसको एयरपोर्ट छोड़ कर आया।

दोस्तो, प्रियंका वाजपेयी मेरी 24 घंटे से भी कम की प्रेमिका थी, लेकिन मेरे घंटे को पूरी तरह से बजा गई।
अपनी राय मेरी मेल पर भेजिए।

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