पति की कल्पना-2
(Pati Ki Kalpna- Part 2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left पति की कल्पना-1
-
keyboard_arrow_right पति की कल्पना-3
-
View all stories in series
मैं भी मन ही मन में किसी और से चुदवाने के बारे में सोचने लगी थी। कोई हट्टा-कट्टा मर्द दिखाई दे तो लगता था- काश यह मुझे मिले और मैं इसके साथ मस्त चुदाई करूँ।
कभी कभी इसी ख्याल में मेरी चूत गीली हो जाती थी मैं भी मौके की तलाश में थी और वो अचानक मेरे हाथ आ गया।
हुआ यूँ कि-
अपनी कंपनी के किसी काम से रमेश आठ दिन के लिए बाहर गया था। इसलिए मैं आठ दिन की भूखी थी। ऊपर से जब भी उसका फ़ोन आता वो ऐसी ही कुछ उल्टी-सीधी बातें करके मूड गर्म बनाता था। मन में बहुत सारी योजनाएँ भी बना कर रखी थी कि जब वो वापस आयेगा तब क्या करुँगी! कैसे करुँगी!
हम जहाँ पर रहते थे, उसके ठीक सामने वाले बगल वाले घर में ही एक सेवामुक्त परिवार रहता था। वो लोग कहीं बाहर जा रहे थे और जाते समय घर की चाबियाँ मुझे दे गए थे।
उस दिन सुबह ही फ़ोन आया कि उनके कुछ रिश्तेदार आज उनके घर आने वाले हैं और 2-3 दिन के लिए वो उनके घर पर ही रुकेंगे, इसीलिए मैं घर की चाबिया उनके पास सौप दूँ।
शाम को वो लोग आ गए। एक युगल था और उनके साथ एक और लड़का भी था। जोड़े की उम्र करीब 32/30 की होगी और लड़के की करीब 25 साल।
उन्होंने अपना परिचय करवाया। वो लड़का उस आदमी का दोस्त था। उनके किसी रिश्तेदार की शादी थी इसीलिए वो मुंबई आये थे। वो किसी छोटे गाँव से थे। थोड़ी पढ़ाई-लिखाई भी की थी शायद। ऐसा उनके कपड़ों से लग रहा था। लेकिन खेती-बाड़ी करते थे जिसकी वजह से डील-डौल काफी अच्छा था, औरत भी थोड़ी सांवली थी लेकिन काफी सुन्दर थी। उस औरत का नाम सुगन्धा, उसके पति का सागर और उसके दोस्त का नाम राजेश था।
चॉल का कमरा होने की वजह से दो कमरों के बीच में दीवारें इतनी अच्छी नहीं थी। हमारे और बगल वाले कमरे में पार्टीशन के लिए ऊपर वाले हिस्से में लकड़ी की पट्टियाँ इस्तेमाल की गई थी जिसकी वजह से अगर ऊपर वाली हिस्से से बाजू वाले कमरे में झांका जाय तो सब कुछ दिख सकता था। हमारे कमरे में भी एक ऐसी ही लकड़ी की पट्टी थी जो अगर थोड़ी सी सरकाई जाये तो बाजू के कमरे का नजारा साफ़ दिखाई देने लगता था।
उस शाम वो लोग कहीं बाहर घूमने के बाद करीब साढ़े गयारह बजे लौटे। मैं 5-10 मिनट पहले ही बत्ती बंद करके लेटी थी। उनके दरवाजा खोलने की आवाज़ से नींद से जाग गई थी। आपस में थोड़ी बातें करने के बाद वो जोड़ा अंदर के कमरे में चला गया और उस लड़के राजेश ने बाहर के कमरे में अपना बिस्तर लगाया और कुछ कह कर बाहर चला गया।
मैंने सोचा कि कहीं पान खाने गया होगा। जाते समय वो बाहर से ताला लगा कर चला गया ताकि जब वापिस लौटे तब उनको तंग ना करना पड़े।
अब सिर्फ सागर और सुगन्धा ही घर पर थे। पहली बार बम्बई की चमक-दमक देखकर शायद कुछ चहक भी गए थे। बाजु वाले कमरे में जवान युगल के होने के ख्याल से ही मुझे कुछ अजीब सा लगने लगा था। मुझे रहा नहीं गया, लाइट जलाये बगैर ही मैं दीवार के पास गई, पट्टी सरकाई और दूसरी ओर देखने लगी।
सामने का नज़ारा एकदम देखने लायक था। सुगन्धा बिस्तर पर बैठी हुई थी और सागर सामने आइने के सामने खड़ा होकर अपने कपड़े बदल (उतार) रहा था। उसने अपनी शर्ट उतारी, सिर्फ बनियान पहने हुए उसका व्यक्तित्व एकदम आकर्षक लग रहा था। फिर उसने अपनी पैन्ट भी उतारी। सिर्फ अन्डरवीयर और बनियान में उसकी जांघों और बाजूओं की मांसपेशियाँ एकदम नज़र आ रही थी।
दिखने में तो वो साधारण ही था लेकिन शरीर की रचना किसी भी फिल्म हीरो को पीछे छोड़ सकती थी। उसने अपना बनियान भी उतारा, अब वो सिर्फ अन्डरवीयर में ही था। सुगन्धा उसकी तरफ देख रही थी।
उसने उसे बोला- ऐसे क्या देख रही हो? तुम भी कपड़े उतारो और आ जाओ बिस्तर पर!
उसके अन्डरवीयर नीचे खींचते हुए सुगन्धा ने कहा- जरा देखने तो दो अपने मर्द को! कैसा दिखता है? घर पर कभी देखने का मौका ही नहीं मिलता।
सागर भी उसे कपड़े उतारने के लिए कहने लगा तो सुगन्धा बत्ती बंद करने लगी पर सागर ने कहा- घर में तो हमेशा अँधेरे में ही चुदाई होती है। राजेश भी बाहर गया है, आज तो लाइट जला के ही चुदाई करेंगे।
अब तक उसका लण्ड करीब-करीब खड़ा हो गया था, काला, लम्बा और मोटा लंड। जैसा कि कभी मैंने खवाबों में सोचा था, बिल्कुल वैसा!
कोई भी औरत अगर ऐसा लंड देखेगी तो उसकी नियत ख़राब हो जाएगी।
सुगन्धा ने भी जल्दी जल्दी में अपनी साड़ी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ में बिस्तर पर बैठ गई। सागर अपना लंड खड़ा करके खड़ा था। मेरी आँखो से 5-6 फीट की दूरी पर सागर का लंड मेरे सामने था और उसका पीछे का हिस्सा पीछे वाले आइने में एकदम साफ नज़र आ रहा था।
क्या नज़ारा था! ऐसा लग रहा था कि दीवार तोड़ कर उस कमरे में चली जाऊँ और उसका लंड पकड़ कर चूस लूँ!
शायद मेरे दिल की बात सुगन्धा को सुनाई दे गई। सागर उसकी तरफ बढ़ा और उसने अपने लंड का सुपारा सुगन्धा के मुँह में दे दिया। सुगन्धा भी बड़े प्यार से जोश में आकर उसका लंड आइसक्रीम की तरह चूसने लगी थी।
थोड़ी देर बाद दोनों 69 की अवस्था में आ गए। सागर बिस्तर पर लेट गया, सुगन्धा की टाँगे फैलाई और उसकी चूत में जीभ डाल कर चाटने लगा।
आग दोनों तरफ एकदम बराबर लगी थी, सुगन्धा अजीब अजीब सी आवाज़ें निकाल रही थी- आह आह… उम्म्म! बड़ा मज़ा आ रहा है! मेरे चोदू पति! बड़ा मज़ा आ रहा है! और जोर से और जोर से चाट… कुत्ते की तरह चाट डाल मेरी चूत! खा ले मेरी क्रीम! बड़ा मज़ा आ रहा हैं…
सुगन्धा की ये बातें सुनकर सागर और भी गर्म हो गया, वो भी जोश में आ गया कहने लगा- गाँव में तो एकदम भोली भली बन कर रहती थी, कभी कुछ भी नहीं बोलती थी। एक दिन शहर में क्या घूमी तो तो एकदम कुतिया बन गई है। मुझे कुत्ते की तरह चाटने को कहती है? मेरी चुद्क्कड़ रानी देख, कितनी गीली हो गई हैं तेरी यह मस्त चूत! देख कैसी क्रीम निकल रही है। शहर में आने के बाद तू इतनी चुदक्कड़ बन जाएगी, यह अगर पहले पता होता तो सुहागरात मनाने के लिए शहर ही आते। पहले दिन से ही मस्त होकर चुदाई करते। कोई बात नहीं देर से पता चला लेकिन दुरुस्त है, अब देख तेरी चूत का कैसा हाल बनाता हूँ। आज रात इतना चोदूँगा कि तुझे जिंदगी भर याद रहेगा…
यह सुन कर सुगन्धा बोली- फिर देर किस बात की। आ जा! आ जा! चोद मुझे! फाड़ ड़ाल मेरी चूत! चोद-चोद कर मेरे दाने की भुर्जी बना दे। डाल दे अपना काला मोटा लंड मेरी गर्म गर्म चूत में! रात भर मेरी चूत से लंड मत निकालना! देख कितनी गर्म हो गई है मेरी चूत। तेरा लण्ड आलू की तरह उबल के पक जायेगा मेरी चूत में… आह्ह आह आ जा मेरे चोदू… दिखा दे अपनी मर्दानगी…मेरी चूत की प्यास बुझा! कब से प्यासी है मेरी चूत तेरा काला मोटा लण्ड अन्दर लेने के लिए… सिर्फ मुँह से ही क्या कर रहा है? चोद मुझे! मेरी चूत फाड़ दे!
सुगन्धा और जोर जोर से लंड चूसने लगी। ऐसा लग रहा था कि रही पूरा लंड निगल तो नहीं जाएगी?
वैसे सागर का लंड लम्बा होने के साथ साथ बड़ी भी था फिर भी सुगन्धा इतनी कामुक हो चुकी थी की करीबन पूरा ही मुँह में ले रही थी। सुगन्धा का ऐसा रूप सागर शायद पहली बार देख रहा था। सुगन्धा के मन के कामुक ख्याल उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहे थे और सागर का अचरज भी। सागर- तू तो एकदम चुद्दक्कड़ की तरह बात कर रही है। तेरी ऐसी बातें सुनके मैं तो एकदम परेशान हो गया हूँ! तू सुगन्धा ही है या कोई और?
कोई और क्यों चाहिए तुझे? मैं हूँ ना! तुम मर्द भी बड़े कमीने होते हो! घर में जवान बीवी होते हुए भी दूसरी औरतों के बारे में सोचते हो। देख देख! मेरी तरफ़ गौर से देख! आज बल्ब जलाया है तो करीब से देख! देख कैसी मस्त है तेरी चुद्दक्कड़ बीवी! देख कितनी मस्त हैं उसकी चूत। आ चोद मुझे जितनी तुम्हारी मर्ज़ी उतना चोद! दिखा कितना जोश है तेरे इस मोटे काले लंड में! आज इतनी देर तक चुदवाना चाहती हूँ कि दूसरी औरतों की तरफ देखना ही क्या, उनके बारे में सोचना भी भूल जायेगा…
सुगन्धा की ये बाते सुन कर मुझे लग रहा था कि जैसे वो मेरे मन की बात बोल रही है। जब भी रमेश मुझे चोदते समय दूसरी किसी औरत के बारे में बोलता था, मुझे भी लगता कि घर पर मेरे जैसी जवान और सेक्सी बीवी होते हुए भी… मैं भी मन ही मन में किसी और मर्द के बारे में सोचने लगती थी। आज सागर और राजेश को देखने के बाद लगा कि ऐसा मर्द होना चाहिए जिससे मैं चुदवाना चाहूंगी। कितना मज़ा आयेगा वाह!
सोच कर ही मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो गई। मैं मन ही मन में खुद को सुगन्धा की जगह पर देखने लगी।
सुगन्धा की ये भड़काऊ बातें सुनकर सागर भी जोश में आ गया, उसने सुगन्धा को पीठ के बल लिटा कर उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर डाल दी, लंड का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर रख दिया और जोर का धक्का दिया।
एक ही झटके में उसका पूरा लंड सुगन्धा की चूत में चला गया। सुगन्धा के मुँह से थोड़ी सी आह निकली लेकिन अगले ही पल में उसने सागर को जकड़ लिया। ऐसा लग रहा था कि अगर उसका बस चले, सागर को पूरा ही अपने अन्दर समां ले।
वो भी गांड उठा-उठा कर सागर के धक्कों का साथ देने लगी। सागर के धक्कों के साथ में चूत में से आनेवाली पचक पचक की आवाज़ भी साफ़ सुनाई दे रही थी । ऐसे ही 2-3 मिनट तक धक्के लगाने के बाद सागर ने दो तीन झटके दिए और पानी निकाल दिया। सुगन्धा अब तक झड़ी नहीं थी। सागर के लंड में का जोश ख़त्म होने लगा था। झटके से सुगन्धा ने सागर को नीचे लिटाया और खुद उसके लंड पर बैठ गई, लंड हाथ में पकड़ कर अपनी चूत में डाल लिया और जोर जोर से घिसने लगी।
अपना काम हो गया तो एकदम मुर्झा गए? मुझे कौन ठंडा करेगा? मैं छोडूंगी नहीं…
ऐसे कहकर करीब 5 मिनट धक्के देने के बाद वो भी झड़ गई, चुदाई के बाद की संतुष्टि उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही थी।
मेरी हालत एकदम उल्टी थी। आँखों के सामने चुदाई का यह सजीव दृश्य देखने के बाद में भावनाएँ और भी भड़क उठी थी। अच्छे बुरे के बारे में सोचना बंद हो गया था, मन में सिर्फ एक ही ख्याल था कि किसी सागर या राजेश जैसे आदमी से कैसे भी चुदवा लूँ?
मेरे मन की इच्छा शायद पूरी होने वाली थी। मेरा ध्यान उनके सामने वाले कमरे की तरफ गया। लाइट जल रही थी। शायद राजेश इसी दरमियान लौटा था और उसने भी यह चुदाई का नज़ारा देखा था। शायद किसी छेद में से वहाँ का भी नजारा साफ दिखाई देता था।
राजेश अपना लंड पैंट से बाहर निकाल कर हिला रहा था शायद। जैसे ही मुझे वो पूरा दिखाई दिया, मैं तो चौंक ही गई। इसका तो सागर से भी बड़ा था- काला, लम्बा और मोटा…
काश! मैं मन ही मन में सोचने लगी और ठान भी लिया कि कैसे भी करके इसका मज़ा तो लेना ही चाहिए।
अगले भाग की प्रतीक्षा करें!
दोस्तो, सहेलियों मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर लिखें।
मेरा पता है-
[email protected]
What did you think of this story??
Comments