भावना का यौन सफ़र-3
Bhavana Ka Yaun Safar-3
दोस्तो,
भावना अमरीका से आई थी, उसने जो कहानी बताई वो ही बयां कर रहा हूँ।
जैसा मैंने कहा कि यह सच्ची घटना पर आधारित है, कुछ प्रसंगों को विस्तार दिया है कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए।
द्वितीय भाग से आगे…
भावना अपने पति विशाल से फ़ोन पर बात करने के बाद चूत में उंगली कर रही थी कि उसे अपने देवर विनोद के सिसकने की आवाज़ आई तो देवर को संभालने आई। भावना ने अपने देवर का चेहरा वक्ष में छिपा लिया।
विनोद के निरंतर बहते अश्रु से भावना का गाउन गीला हो गया और उसके मस्त मम्मे चिपक कर दिखने लगे।
भावना ने एक पैर उठा कर पलंग पर रख विनोद को और नज़दीक खींच लिया, उसकी मांसल जांघ के दर्शन होने लगे और गीली चूत के रस की महक ने विनोद की नासिकाओं में भर गई।
विनोद ने अपनी कहानी भावना को बताई।
वो समझ गई कि उसे मानसिक और शारीरिक दोनों तौर पे संभालना पड़ेगा।
भावना ने उसे अलग किया और ललाट पे चुम्बन दिया।
विनोद ने खुद को संभाला और फिर मुँह भावना के दर्शनीय चूचों में छिपा उन्हें चूमने लगा।
भावना ने उसे नहीं रोका, कहीं उसे भी अच्छा लग रहा था। भावना की जांघें कामरस से गीली थी।
विनोद का हाथ अनायास ही उन पे चला गया और सहलाने लगा।
विनोद की पीठ पर वात्सल्य से फिरता भावना का हाथ वासना से फ़िरने लगा, विनोद का सुसुप्त लंड जागृत होने लगा।
विनोद का हाथ भावना की चूत को छू गया, पति के विरह से तड़पती चूत को मर्द के स्पर्श ने भड़का दिया, भावना अब खुद को रोक नही पा रही थी।
भावना ने विनोद के बाल पकड़ चेहरा ऊपर किया और होंटों पे होंठ धर चुम्बन दे दिया।
भावना के मीठे थूक के स्वाद ने विनोद को और उत्तेजित कर दिया, उसने दो उंगलियाँ डाल चूत की मालिश शुरू कर दी।
चूत ने रस धार छोड़ दी।
भावना ने उसे खड़ा किया और उसकी पेंट अंडरवियर सहित निकाल दी, खुद का गाउन भी।
दो नग्न जलते बदन एक दूसरे में समाहित हो बिस्तर पे गिर गए, एक दूसरे को ऐसे चूम रहे थे जैसे बरसों के प्यासे को पानी का कुआँ मिला हो।
विनोद का लौड़ा उसके भाई विशाल के लौड़े से बड़ा और मोटा था, भावना को शहजाद के लंड की याद आ गई।
उस समय तो चूत की सेवा नहीं हुई थी पर आज ऐसा नहीं होने वाला था, दोनों पूरे नंगे बिस्तर पर लोट लोट कर एक दूसरे को चूम रहे थे, चाट रहे थे, सहला रहे थे।
विनोद का लंड पूरा खड़ा था, वो दो पल रुका फिर भावना को अपने ऊपर उल्टा लिटा उसकी चूत चाटने और चूसने लगा, भावना भी विनोद के लंड को चूसने चाटने लगी।
फिर भावना नीचे आई, विनोद ने उसकी टांगें उठा के कंधों पे रखी और लौड़े को फूली चूत पे रगड़ने लगा।
विनोद रसिया था औरत को उत्तेजित करना आता था।
भावना का कमनीय बदन उत्तेजना से ऐंठ रहा था, उससे और सहा नहीं जा रहा था, उसने विनोद का लंड पकड़, चूतड़ उठा, चूत का द्वार दिखाया।
विनोद अपनी भाभी को नाराज़ भला कैसे करता? उसका लंड नई चूत की गहराई में समाने लगा।
भावना की चूत इतने मोटे लंड को थोड़े घर्षण के साथ स्वीकारने लगी।
एक बार पूरा लौड़ा अंदर हुआ विनोद ने गति बढ़ा दी।
भावना पूरी तन्मयता से उचक उचक कर सम्भोग की सहभागी बनी।
विनोद ने भावना को ऊपर आने का न्यौता दिया, स्वीकारते हुए भावना धीरे से खड़े लंड को चूत में डालते हुए बैठ गई।
ऊपर से लेने पर लंड और मोटा लगा, भावना को लगा अब चूत फट जाएगी। थोड़ी देर भावना लंड घुसाये बैठी रही, विनोद को भी कोई जल्दी नहीं थी।
फिर भावना ऊपर नीचे होने लगी, उसके मम्मे भी उसी तरंग में उचकने लगे।
विनोद से चुदी स्मिता और शबनम के दूदू इतने बड़े नहीं थे। भावना के बड़े चूचे उछलते देख विनोद के लौड़े में नई ऊर्जा आ गई।
विनोद भावना को अलग अलग पोसिशन्स में चोदता रहा।
भावना के पेट पर स्खलित हुआ, फिर दोनों बाँहों में बाहें डाल सो गए।
सुबह विशाल के फ़ोन ने भावना की नींद उड़ाई।
रात के सम्भोग की थकान पति के फोन से ग्लानि में बदलने लगी।
भावना बात खत्म कर सीधे बाथरूम में शावर के नीचे रात की बात को भुलाने के लिए खड़ी हो गई पर वो रात आख़री नहीं थी, बस वो तो शुरुआत थी।
कहानी जारी है।
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