कामुकता की इन्तेहा-16
(Kamukta Ki Inteha- Part 16)
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दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी के इस सोलहवें भाग में देरी के लिए माफी दोस्तो.
अभी तक आपने पढ़ा कि
मैं बाथरूम में जाने लगी तो मुझे चक्कर से आ गया, मैं धड़ाम से फर्श पर गिर गयी। मेरा पूरा जिस्म नशे और हैवानी पंजाबी चुदाई से कांप रहा था। यह देखकर काला आया और उसने करते हुए कहा- तुझे चलने के लिए किसने कहा था, बेड पर लेट जाती, पता भी है किस तरह से चुदी है।
उसने मुझे अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर लेटा दिया।
दोनों ने मेरे जिस्म को चेक किया कि कोई चोट तो नहीं आयी लेकिन घुटनों पर कुछ खरोंचों के बिना मुझे कुछ नहीं हुआ था और मैं ठीक थी।
इसके बाद दोनों मेरे गिर्द मेरी तरह नंगे ही लेट गए।
अब आगे:
अगले 15-20 मिनट काला और ढिल्लों दोनों नंगे दोनों तरफ से मुझे बांहों में लेकर लेटे रहे। दरसअल उन दोनों का मेरी ताबड़तोड़ चुदाई में काफी ज़ोर खर्च हो गया था। इस बार तो उन दोनों में से किसी ने भी न तो मेरी गांड और न ही फुद्दी को पौंछा था।
सांस लेकर दोनों उठे और बाथरूम में जाकर दोनों ने अपने मुरझाए हुए काले भुजंग लौड़ों को धोया और साफ किया। लेकिन मुझमें अब भी उठने की हिम्मत नहीं थी और मुझे अपनी गीली फुद्दी और गांड से खीज चढ़ रही थी। इस पर मैंने काले से कहा- यार, मुझे भी बाथरूम तक ले चलो।
यह सुनकर काला हंसा और फिर मेरे पास आकर मुझ अल्फ नंगी को एक झटके से उठा लिया और बाथरूम में ले गया। वहाँ उसने मुझे नीचे उतार दिया और खड़ी कर दिया। तभी उसने शावर वाकई पाइप उठाई और बड़ी तसल्ली से अंदर तक पानी मार मार के मेरी फुद्दी और गांड को धोया।
अचानक मैंने देखा कि पानी में थोड़ा सा खून भी आ रहा था। मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर तीन उंगलियां अपनी फुद्दी में डाल कर चेक किया लेकिन खून वहां से नहीं, मेरी गांड से आ रहा था। फिर मैंने अपना हाथ पीछे से नीचे लेजाकर गांड को 2 उंगलियों से चेक करना चाहा तो मेरी हैरानी की कोई हद न रही। सीधी 2 उंगलियां अनायास ही गांड के अंदर घुस गई बगैर कोई ज़ोर लगाए। फिर जब उँगलयों को देखा तो दोनों खून से सनी हुईं थी। मेरी गांड पूरी तरह से कट फट गई थी। ये तो मुझे नशे का सरूर था कि मैं से गयी, वरना नार्मल हालात में मैं ये चुदाई बर्दाश्त न कर पाती।
खैर काले ने पाइप तब तक मेरी गांड के मुहाने पर लगाए रखी जब टक खून आना पूरी तरह से बंद नहीं हो गया। इसके बाद उसने मुझे फिर उठाया और लेजाकर बेड पर पटक दिया।
इसके बाद वो कहकहा लगाकर हंसा और ढिल्लों से बोला- तेरी जानेमन हाथ लगा लगा कर देखती है।
इस पर ढिल्लों भी हंसा और मुझसे बोला- क्यों जट्टीये, घुसती हैं गांड में अब 3-3 उंगलियां एक साथ?
इस पर मुझे थोड़ा गुस्सा आया और मैं बोली- क्या यार, धीरे नहीं पेल सकते थे, फाड़ के रख दी। पता है कितनी जलन हो रही है?
ढिल्लों बोला- कोई बात नहीं, पहली बार तो फटनी ही थी, अब कुछ नहीं होगा जानेमन। बोल मज़ा आया कि नहीं?
मैंने जवाब दिया- नहीं यार, जलन बहुत हो रही थी, मुझे तो एक और टेंशन में डाल दिया तुमने, पति ने गांड देख ली तो?
इस बात पर ढिल्लों ज़ोर ज़ोर से हंसा- उसको उलटी हो कर मत देना, टाँगें उठा कर ही देना। गांड नहीं दिखेगी।
मैंने कहा- सालो, उसके काम की छोड़ा है मुझे, तुम दोनों से आधा लौड़ा है उसका, अब 10-12 दिन टालमटोल करूँगी, जब तक कुछ कसावट न आ जाये फुद्दी में, वैसे यार अब मेरा दिल नहीं लगेगा तेरे बिन, काश तू घर आ सकता मेरे।
इस पर ढिल्लों फिर हंसा और बोला- इसका भी प्रबंध हो गया है, सुन ध्यान से।
ये कहकर उसने अपना फोन उठाया और किसी को काल की।
दोस्तो, अगली बात सुनकर आपकी रुपिंदर के होश उड़ गए। ढिल्लों के पास मेरे पति का नंबर था और वो दोनों पक्के दोस्तों की तरह बातें करने लगे। फोन हैंड फ्री था। तभी मेरे पति ने ढिल्लों से पूछा- क्यों चल है मौज मस्ती, और जिस शादीशुदा औरत की तुम्हारे साथ है, वो कैसी है? साली को चलने के लायक मत छोड़ना।
ढिल्लों ने मेरे पति को कहा- दो दो चढ़ कर हटे हैं अभी, नंगी बेड पर पड़ी है, सोच ले कैसा हाल होगा। गांड फाड़ दी है। हाथ लगा लगा कर देखती है।
इस पर मेरा पति ठहाका लगाकर और बोला- अच्छी तरह से सर्विस करना साली की, मुझे कब दिला रहे हो इसकी?
मेरे पति को क्या पता था कि ये कोई और नहीं उसकी अपनी धर्म पत्नी है।
इसके बाद ढिल्लों ने कहा- यार तेरे घर आना है, भाभी के हाथ का खाना खाना है, बोल कब आऊं?
इस पर मेरा पति बोला- आना तो पड़ेगा ही, लेकिन मेरी एक शर्त है, कम से कम 2 दिन रह कर जाना होगा।
ढिल्लों बोला- 2 नहीं यार, 4 दिन रह कर जाऊंगा, बोल कब आऊं?
मेरा पति बोला- अभी तो तुम्हारी भाबी पेपर देने गयी है चंडीगढ़! परसों पेपर के बाद लेकर आ जाऊंगा, तुम ऐसा करना उसी दिन शाम को आ जाना, एन्जॉय करेंगे।
इसके बाद ढिल्लों ने हंसते हुए फोन काट दिया।
मैं हैरानी के समुंदर में ये सोचते हुए गोते खा रही थी ढिल्लों तो घर तक पहुंच गया। मैं उससे इस बारे में पूछने ही वाली थी कि उसने मुझसे पूछा- क्यों, लगा 440 वोल्ट का झटका?
मैंने जवाब दिया- कमाल है, इतनी जल्दी गहरी दोस्ती कैसे कर ली, वो तो तुम्हें घर बुलाने के लिए जल्दी कर रहा है।
यह सुन ढिल्लों हब्शी हंसा- जब से तू मुझे मेसेज करने लगी थी, इसी काम पर लगा हूँ तब से, तेरे पति को भी दिला चुका हूँ बाहर, फोटोस भी हैं मेरे पास, देखती जा अब तू, घर आके इतनी टिका टिका के मारूंगा तेरी कि सुध-बुध भूल जाएगी।
मेरे मुंह से निकला- हाये मेरे रब्बा, अब तो मेरी खैर नहीं लगती, लेकिन यार घरवाले भी हैं घर में, कैसे एडजस्ट करोगे?
ढिल्लों बोला- वो सब तू मुझ पर छोड़ दे, तू बस अब और 5 दिन लगातार चुदने के लिए तैयार हो जा।
मैं हक्की-बक्की सी रह गयी।
दरअसल उसकी बात सुनकर मेरे मन में टनों लडडू फूट रहे थे। मैं ढिल्लों के भीमकाय काले लौड़े से चुद चुद कर निहाल होना चाहती थी। चाहती थी कि उसके लौड़े पर ही चढ़ी रहूं, और अब ये बात सुनकर अगले 5 दिन तो मेरे नई नवेली दुल्हन की तरह कटने वाले थे।
यह सोचकर मैं इतनी खुश हुई कि चादर में से अल्फ नंगी उठ खड़ी हुई और नीचे उतर कर खड़े हुए ढिल्लों के होठों में होंठ डाल लिए और उसके ऊपर चढ़ गई। मुझे ऊपर चढ़ती हुई देख ढिल्लों ने मेरे ढूध की तरह गोरे बड़े बड़े चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर मुझे नीचे से सहारा दिया और मैं उसे चुपड़ चुपड़ बुरी तरह से स्मूच करने लगी।
अचानक मेरे इस वार से ढिल्लों हैरान ही गया और उसने बड़ी मुश्किल से मेरे होंठ अपने होंठों से अलग किये और पूछा- क्यों, बड़ी खुशी चढ़ गयी अचानक से?
दरअसल बात ढिल्लों को भी पता थी लेकिन वो मेरे मुंह से सुनना चाहता था इसलिए मैंने उसे कहा- ये बात बताकर तो धन्य कर दिया मुझे, नशा पत्ता साथ लेकर आना, अब तेरे बिन नहीं रह सकती, साले पता नहीं क्या जगा दिया तूने मेरे अंदर, सिर में काम ही चढ़ा रहता है हर वक़्त, एक तेरा लौड़ा इतना बड़ा है कि अब और किसी से तसल्ली नहीं होगी मेरी। हाये ढिल्लों, जान ही बड़ी है तुझ में, इतनी टिका टिका के ठोकता है कि खुद की होश भूल जाती है, सच में यार मैं शुरू से ही इस तरह चुदना चाहती थी। आई लव यू मेरे घोड़े, तुझ पर तो मेरी जान हाज़िर है, सारी उम्र तेरी रखैल बन कर रह सकती हूं। चल भगा के लेजा मुझे। यही सुनना चाहता था ना?
मेरी बात सुनकर ढिल्लों हंसा- ओह, नहीं नहीं, भगाने की ज़रूरत ही नहीं है मुझे अब, लगातार आता रहा रहूंगा तेरे घर, टेंशन मत ले। जितना पसंद तू मुझे करती है उतना मैं भी तेरा दीवाना हो गया हूँ।
मैंने कहा- अच्छा जी, क्या पसंद है मुझ में? मुझे भी तो पता चले।
उसने मुझे बेड पर लिटाते हुए कहा- सच बताऊं, तेरी ये जो सफेद और इतनी बड़े चूतड़ हैं ना, ये सब से ज़्यादा पसंद हैं मुझे। मैंने बहुत औरतें उड़ाईं हैं, यहां तक कि कई ऑर्केस्ट्रा वालियों की भी बहुत ली है, लेकिन तेरे जितने सफ़ेद और बड़े चूतड़ आज तक नहीं देखे। मैंने आज तक किसी की फुद्दी और गांड नहीं चाटी लेकिन तेरा पिछवाड़ा और फुद्दी देख कर रहा नहीं गया। मुझे तेरी नीचे की सफाई बहुत पसंद आई, हमेशा ही इतनी सफाई रखती हो क्या? या सिर्फ मेरे लिए मैदान सफाचट रखा था।
मैंने कहा- जानु, ये तो मेरा शौक़ है शुरू से ही, मैं जब से चुदने लगी हूं, कभी रुयीं भर बाल भी नहीं आने दिए, पता नहीं कितने सालों से एक दिन छोड़ कर शेव और वीट लगाती हूँ।
मेरी बात सुनकर ढिल्लों खुश होकर कहने लगा- और हां, तेरा भरा भरा गोरा जिस्म देखकर तो आग लग जाती है। मुझे हड्डियों की मुठ के साथ सेक्स करना अच्छा नहीं लगता, और वैसे भी वो मेरा मुकाबला नहीं कर पाती, रोने लगे जाती हैं। साली भार बहुत है तुझ में, इसीलिए इतनी दोहरी तिहरी होकर झड़ती हो। मम्मों को देखा है कभी अपने। इतने बड़े बड़े है। बाल देख और अपना चेहरा देख, किसी भी एंगल से कोई कमी नहीं है। और सबसे बड़ी बात, भूख बड़ी है तेरे अंदर, फुद्दी बड़ी गहरी है तेरी, बहुत कम औरतें झेल पाती हैं मेरा। इसीलिए तेरा फैन हो गया हूँ।
हम दोनों बिल्कुल अल्फ नंगे होकर बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे और काला दारू की चुस्कियां लेते हुए हमारी बातें सुन रहा था। दरसअल मेरे जैसी पटाखा बम्ब औरत इतनी बेपरवाही से उसके सामने नंगी लेटी हुई ऐसी बातें कर रही थी कि किसी के जेहन में भी आग लग जाये।
हम कुछ और बातें करते करते बहुत ही ज़ोर से जफ्फी डाल कर एक दूसरे को स्मूच करते हुए एक दूसरे के जिस्म की मुट्ठियाँ भरने लगे। माहौल फिर गर्म हो रहा था और मेरी फुद्दी फिर तर हो चुकी थी। दरअसल हम दोनों काले के बारे बिल्कुल बेखबर हो चुके थे।
ढिल्लों अपनी मोटी जांघ मेरी टांगों के बीच ले आया और बड़ा दबाव बना कर मेरी फुद्दी और गांड को ऊपर से घिसने लगा। मेरा ये हाल हो चुका था कि मैं उसे इतना ज़ोर लगा कर जफ्फियाँ डाल रही थी जैसे उसे अपने अंदर डालने की कोशिश कर रही होऊं।
ढिल्लों भी इतना जोश में आ गया कि उसने अपना हाथ मेरी गांड पर फेरते फेरते एक उंगली मेरी गांड में जड़ तक पिरो दी और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा।
मैं आपको एक बात बताना भूल गयी कि उसे मेरा पिछवाड़ा इतना पसंद था कि उसके दोनों हाथ हर वक़्त मेरे पिछवाड़े पर ही घूमते रहते थे। गांड में उंगली जाते ही मैं मदमस्त हो गई और नागिन की तरह मचलने लगी.
मुझे काबू से बाहर होता देख ढिल्लों ने अपनी एक और उंगली गांड में भर दी तो मेरे मुंह से बहुत ऊंची आवाज़ निकली- हाय मेरी माँ …
तभी अचानक काले की आवाज़ आयी- दो उंगलियों से काम नहीं चलेगा इसका! चप्पा चढ़ा चप्पा!
काले की बात सुनकर मुझे यों लगा जैसे हमें नींद से जगाया हो किसी ने, उसके बारे में तो हम भूल ही चुके थे।
हम दोनों रुक गए। ढिल्लों की दोनों बीच वाली उंगलियां गांड में जड़ तक धंसी हुईं थी। हूँ तो औरत ही, मुझे थोड़ी शर्म आयी और मैंने जैसे तैसे चादर को दोनों के ऊपर खींच लिया।
यह देख कर काला बोला- हा हा हा … साली अभी अभी तो दोनों से एक साथ चुदी है, अभी शर्म भी आने लगी, रुक जा आता हूँ, मुझसे भी रहा नहीं जा रहा।
कहानी जारी रहेगी.
आप सब की ऊपर से लेकर नीचे तक, रुपिंदर कौर।
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