हर किसी को चाहिए तन का मिलन-1
(Kamuk Kahani : Har Kisi Ko Chahiye Tan Ka Milan- Part 1)
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चंडीगढ़ के एक समृद्ध सेक्टर की एक 2 कनाल की कोठी में राठौर निवास का बोर्ड लगा हुआ था। कोठी के सामने खड़ी टोयोटा फॉर्च्यूनर, मिनी कूपर, bmw x6 और ऑडी a8 को देखकर हर कोई यही सोचता कि न जाने कितना भरा पूरा परिवार होगा। और लोग न तो पूरी तरह से सही होते और न ही पूरी तरह से गलत।
राठौर परिवार में कुल चार लोग थे। विक्रांत राठौर रिटार्यड कर्नल और उनके साथ उनकी दो बेटियां रूपिका और पलविका और बेटा राहुल बस यही लोग इस बड़े घर में रहते थे। विक्रांत की उम्र 55 हो चली थी पर कसरती बदन और 6 फुट 4 इंच के कद के कारण वो मुश्किल से 35-40 के लगते। विक्रांत की पत्नी वैशाली को गुज़रे 12 बरस हो चुके थे। अपने बच्चों की खातिर विक्रांत ने दूसरी शादी नहीं की और बच्चों को माँ और बाप दोनों का प्यार दिया।
विक्रांत ने सेना से आने के बाद अपनी जमा पूंजी से एक कॉल सेन्टर खोल लिया और कहने की ज़रूरत नहीं कि सेना की ही तरह व्यापार में भी उसे अपार सफलता मिली।
बड़ी बेटी रूपिका अब 24 साल की है और अगर आपकी सुविधा के लिए मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि वो आएशा टाकिया की तरह कामुक बदन वाली ही नहीं बल्कि देखने में तो उससे भी सुंदर है। रूपिका एम बी ए कर चुकी है और अब पिता की ही कंपनी को संभालती है, रूपिका के कई बॉयफ्रेंड रह चुके हैं और कई बार वो संभोग कर चुकी है पर अभी तक उसके जीवन में कोई ऐसा मर्द नहीं आया जो उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर पाता उसे अभी उसने अपने 36″ के मम्मों को निचोड़े जाने का सुख और चूत में ऐसे लौड़े को महसूस नहीं किया था।
छोटी बेटी पलविका 22 की हो चली है और लोग उसे लोग दीपिका पादुकोण से भी सुंदर मानते है और फिर ऐसे ही कोई लगातार 4 बार मिस चंडीगढ़ थोड़े बन सकती है 34ddd-24-34 का फिगर उसे बार्बी डॉल बनाते हैं। पलविका इंजीनियरिंग के लास्ट ईयर में है, पलविका वैसे तो आज के जमाने की ओपन माइंडेड लड़की है पर किताबी कीड़ा है जिसके कारण अभी तक काम सुख को भोग नहीं पाई।
राहुल घर का सबसे छोटा सदस्य है और एक नंबर का हरामी भी, 20 की उम्र में वो 40 से ज्यादा चूतों का मजा ले चुका है। फिर लेता भी क्यों न? यंग एंड हैंडसम होने के साथ साथ 6 फीट 2 इंच का कद और जिम की आदत के कारण अच्छी खासी कसरती बॉडी ऊपर से खानदानी 9 इंची लौड़ा चाहे अपने बाप के लौड़े से कुछ छोटा ही था पर आज जहाँ लड़के मुठ मार मार अपने लौड़ों की जान ले लेते हैं वहां किसी लड़की को ऐसा मूसल मिले तो लड़की एक दो चूतों का जुगाड़ और कर देती है।
सुबह के सात बज रहे थे और विक्रांत पार्क का आठवां चक्कर लगा रहा था कि उसे प्रोफ़ेसर दिनेश की आवाज़ सुनाई दी- राठौड़ जी!!
विक्रांत रुक गया और प्रोफ़ेसर दिनेश की तरफ चल पड़ा।
दिनेश की उम्र 60 के ऊपर थी और रिटायर हो चुके थे पर प्रोफेसर साहब हैं एक नंबर के ठरकी… नौकरी करते हुए न जाने कितनी चूतों का भोग लगा चुके थे पर अब न तो उनमें ही जान बची थी और न ही उनके लन्ड में।
विक्रांत- प्रोफेसर जी गुड मार्निंग!
दिनेश- राठौर जी, अब इस उम्र में क्या गुड? अब तो सब डाउन ही है।
दिनेश ने कुछ दूरी पर योगा कर रही लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा।
लड़की की उम्र कोई 24-25 की रही होगी और जवानी उसके हर एक अंग से उबल-उबल के बाहर आ रही थी।
विक्रांत- प्रोफेसर जी, अब इस उम्र में तो रहने दीजिए।
विक्रांत ने लड़की को एक नज़र देखते हुए कहा।
लड़की वाकई कमाल थी, दूध सी गोरी तीखे नैन नक्श और ऊपर से कातिलाना फिगर!
पर विक्रांत नहीं चाहता था कि दिनेश फिर से अपनी बकवास शुरू कर दे इसिलए उसने बात बदलने की कोशिश की- प्रोफेसर जी, आप यह बताओ कि कल शेयर मार्केट के क्या फिगर थे?
दिनेश- भाई कल के तो पता नहीं पर आज के तो 35-27-35 हैं कम से कम!
विक्रांत की नज़र न चाहते हुए भी फिर उसी लड़की पर चली गयी ‘साले की नज़र है या एक्सरे…’ विक्रांत ने खुद से कहा।
विक्रांत- क्या प्रोफेसर साहब, कुछ तो शर्म कीजिये।
दिनेश- यार राठौर, मर्द खुद को कंट्रोल कर सकता है पर बीवी और लन्ड को नहीं, यार कुछ भी कह… पर सामान है कड़क!
विक्रांत- पर भाई, अब तो उम्र हो चुकी है इस उम्र में मुझे तुझे कौन पूछता है ऊपर से बच्चों की टेंशन!
दिनेश- यार, गोयल कह रहा था कि यह उसकी किरायदार है नाम है ईशा, अभी पढ़ रही है और नौकरी चाहिए इसे! तुझे भी तो पर्सनल सेक्रेटरी चाहिए; रख ले।
दिनेश ने विक्रांत की बात को अनसुना करते हुए कहा।
विक्रांत- यार, मुझे सेक्रेटरी रखनी है, कंपनी लुटानी नहीं है। इसको देखकर लगता नहीं कि मेरे बजट की है।
दिनेश- यार, तू भी न रहेगा कंजूस का कंजूस ही! भेज दूंगा… सैलरी डिस्कस कर लेना। और फिर ऐसी सेक्रेटरी हो तो आधे काम आसान हो जाते हैं।
विक्रांत की नज़र अचानक फिर से ईशा की तरफ चली गयी जो इस समय झुक कर अपने पांव पकड़ रही थी, उसकी मटकों सी गोल-2 बड़ी और भरी-2 गांड देख कर विक्रांत के पूरे बदन में झुरझरी सी दौड़ गयी। उसके लन्ड ने एक अँगड़ाई ली और तन कर तंबू बन गया।
उसने एक झटके से नज़र हटा ली और उठ कर जाने लगा- चल यार, चलता हूँ। काफी टाइम हो गया है और तू ये लौंडों वाली हरकतें बंद कर दे।
दिनेश- यार तू भी न, तेरी यही बातें मुझे पसंद नहीं है। चल जा, पर इसे तो मैं भेजूंगा ज़रूर। लगता है तूने उस साइट पर कहानियां पढ़ी नहीं। वरना इतनी ठंडी बातें न करता!
विक्रांत- यार कुछ भी हो, तेरी वो साइट अन्तर्वासना है मस्त! इस उम्र में भी हिलाने को मजबूर कर देती है ऊपर से किसी महिला लेखिका से बात करने का मौका अलग से।
दिनेश ने महिला शब्द सुनते ही विक्रांत को पकड़ के दोबारा अपने पास बिठा लिया और आंख मारते हुए बोला- यार बड़ा हरामी है, अकेले अकेले मजा ले रहा है… बता तो किससे बात हो रही है?
विक्रांत- कुछ खास नहीं कोई लड़की है उषा, उससे थोड़ी सी बात होती है।
दिनेश- फोटो तो दिखा।
विक्रांत ने अपने फ़ोन पे एक लड़की की तस्वीर दिनेश को दिखा दी। यही कोई 20-21 की उम्र, मासूम सा चेहरा, तराशे हुए होंठ और ऊपर वाला होंठ हल्का सा ऊपर की और उठा हुआ। सुडौल बदन संतरों के आकार के स्तन पतली कमर!
फ़ोटो देखते ही दिनेश के मुँह में पानी आ गया- यार, क्या लौंडिया हाथ आई, एक दम चुदासी है। ऐसा फूल जिसे जितना मसलो उतना और निखर जाए। पर देखी देखी लगती है। हां याद आया देखने में बिल्कुल शहनाज़ पद्मशी लगती है। इस हीरोइन पर तो कई बार हिलाया है मैंने!
विक्रांत- यार, अभी बच्ची है। शौक शौक में कहानी लिख दी इसने!
दिनेश- पर है मस्त माल। इसका बॉयफ्रेंड तो ज़रूर होगा, रख के चुदाई करता होगा इसकी। और होंठ तो देख खुदा ने इन्हें बस लन्ड चूसने के लिए ही बनाया है। दिनेश ने अपने लन्ड को खुजाते हुए कहा।
विक्रांत- कुछ भी बोलता है यार तू तो! तुझे तो औरत में चुदाई के इलावा कुछ सूझता ही नहीं; अभी अभी कॉलेज जाना शुरू किया है तो दूसरों की देखा देखी इसे भी शौक लग गया और क्या इसका मतलब यह तो नहीं कि यह रंडी हो गई।
दिनेश जो विक्रांत के ज़रिए ईशा की चूत को चोदना चाहता था, थोड़ा संभल गया उसे लगा कि बंदा बुरा मान गया इसलिए बात संभालने के लिए बोला- यार, तू भी न मैं तो बस सुंदर चीज़ को सुंदर कह रहा था और क्या तू तो बुरा मान गया.
विक्रांत- नहीं यार, मैं तो बस कह रहा था कि हमारी उम्र नहीं है यह सब करने की।
दिनेश- हाँ वो तो है; पर तू ही बोल, उम्र हो गयी है पर हमारे अंदर के मर्द तो अभी ज़िंदा है। बस बोल के देख के जी भर लेते हैं।
विक्रांत- सही कह रहा है दिनेश, कभी कभी तो जी करता कि ऐसी ज़िन्दगी भी क्या ज़िन्दगी! सेक्स किये सालों हो गए। बस बच्चों के लिए जिये जाओ।
दिनेश- चल छोड़ यार, ये बता कि इस पटाखे के और भी फ़ोटो हैं तेरे पास?
विक्रांत- एक दो और हैं, देख ले।
उसने दिनेश को मोबाइल देते हुए कहा।
दिनेश ने फ़ोन ले लिया और उषा की एक तस्वीर पे जाकर रुक गया जिसमें उसने गुलाबी रंग की टाइट टॉप और शॉर्ट पहनी हुई थी और मन ही मन उसने उषा का सारा बदन नाप लिया था।
“प्रोफेसर जी, क्या सोचने लग पड़े? फ़ोटो में ही चोद दोगे क्या?” विक्रांत ने दिनेश को फ़ोटो को घूरते देख मजाक किया।
“कसम से… बड़े दिनों बाद ऐसी चीज़ देखी है। इसकी टाँगें देख कितनी गोरी और चिकनी हैं… गुलाबी रंग की चूत होगी इसकी और कसम कामदेव की… 2 इंच से छोटी ही होगी इसकी फुद्दी जिसका भी लन्ड जाएगा उसे जन्नत मिल जाएगी। और इसके मम्में तो संतरों की तरह गोल गोल होंगे एक दम टाइट”
विक्रांत दिनेश की बातें सुन के हैरान भी हो रहा था और गर्म भी बरसों से तड़पा हुआ लन्ड इस समय फटने वाला हो रखा था। आज तक उसने खुद पे कंट्रोल रखा था पर अब उसका सब्र जवाब देता जा रहा था। विक्रांत ने टाइम देखा तो आठ बज चुके थे और दस बजे उसे ऑफिस पहुंचना था।
विक्रांत- चल भाई चलते हैं, मुझे ऑफिस जाना है।
दिनेश-ठीक है जा… पर ईशा को भेज दूँ न?
विक्रांत- भेज देना यार!
विक्रांत घर आया तो बच्चे ब्रेकफास्ट कर रहे थे और उसका बूढ़ा नौकर राम लाल रूपिका को मिल्क शेक दे रहा था। तीनों बच्चों ने उसे गुड मॉर्निंग कहा। वो तीनों हैरान थे कि पापा आज लेट कैसे हो गए।
रूपिका- पापा, आज आप लेट हो गए? हमें टेंशन होने लगी थी।
पलविका- पापा, मैंने रामू काका को बोला था कि पापा का वेट कर लेते हैं पर काका ने मेरी बात नहीं मानी।
राहुल- हाँ हाँ, ज्यादा मक्खन मत मार… इतनी ही फिक्र थी तो खाना नहीं खाती। पापा इसे बस यही आता है मक्खन लगाना।
पलविका- पापा देखो न, राहुल हमेशा मुझे तंग करता है। पापा हम वेट करते हैं, आप फ़्रेश होकर आ जाओ।
विक्रांत खामोश खड़ा अपने बच्चों की नोक झोंक देख रहा था। और अचानक उसे ख्याल आया कि उसकी बेटियाँ अब बड़ी हो चुकी है और आज न कल उन्हें शादी करके जाना होगा यह सोचते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए; पर किसी तरह उसने खुद को संभाला और राहुल को हल्की सी डाँट लगाई।
रूपिका- क्या दोनों बच्चों की तरह लड़ते रहते हो? यू आर ग्रोन उप नाउ!
विक्रांत- रूपिका, रहने दो बेटा, कोई तो नासमझ भी होना चाहिए न घर में!
रूपिका- पापा, आप की वजह से ही इन दोनों को कोई मैनर्स नहीं है। कैसे लड़ पड़े थे चड्डा अंकल की पार्टी में।
राहुल- बस दीदी, तुम तो रहने ही दो, तुम इंसान नहीं, बस पैसा छापने की मशीन हो… कोई फीलिंग्स ही नहीं है तुम में!
पलविका- सही कहा; दीदी का दिल तो किसी बूढ़ी औरत का दिल है, नो बचपना!
रूपिका को पलविका की बात चुभ गयी, अगर रूपिका का घमंड आड़े न आता तो वो रो देती। पर उसने अपनी भावनाओं पर काबू रख लिया और विक्रांत को गुड बाई कह के निकल गयी।
विक्रांत डाईनिंग टेबल पर ही बैठ गया; वो जानता था कि रूपिका के ऐसे चले जाने से पलविका के बच्चों से मासूम दिल को ठेस लगी होगी इसिलए उसने बात टालने के लिए पलविका से पूछा- पल्लू तुम्हारी मिनी कूपर तो ठीक चल रही है ना?
पलविका- पापा ज्यादा स्मार्ट मत बनो …देखो न दी मेरी वजह से चली गयी।
राहुल- अच्छा हुआ चली गई; नकचढ़ी कहीं की।
विक्रांत- पल्लू, वो तुम्हारी वजह से नहीं बल्कि इस गधे राहुल की वजह से गयी है।
विक्रांत ने राहुल को आँख मारते हुए कहा।
राहुल- हाँ हाँ, पल्लू-बल्लू ऐसा ही है।
पलविका- देखो न पापा, ये मुझे चिड़ा रहा है।
पलविका ने मासूमियत से कहा।
सारे नाश्ते के दौरान ऐसी ही नोक-झोंक चलती रही; नाश्ता खत्म करके दोनों बच्चे जब अपने अपने कॉलेज चले गए तो राम लाल विक्रांत के पास आया…
राम लाल- मालिक आपसे एक बात कहनी थी?
विक्रांत- बोलो क्या बात है?
राम लाल- मालिक, मेरे छोटे भाई की बेटी की शादी अगले हफ्ते तो 15 दिन की छुट्टी चाहिए थी।
विक्रांत- राम लाल, तुम तो जानते हो कि तुम्हारे बिना इस घर को संभालने वाला और कोई है नहीं और बेटियां जवान हैं और किसी पर मुझे भरोसा नहीं होता।
राम लाल- मालिक, मैंने अपनी बड़ी बेटी को बुला लिया है। बेचारी को उसके पति ने छोड़ दिया है अब इस उम्र में बेचारी कहाँ जाएगी। और यहां शहर आएगी तो शायद मेरी नातिन पढ़ लिख जाए। इसी साल उसने बारवीं क्लास पास की 80 प्रतिशत अंकों से। मालिक बस एक मौका दे दो मेरी बेटी मुझसे भी ज्यादा ख्याल रखेगी इस घर का और बच्चों का।
विक्रांत- तुमने तो मुझे मुश्किल में डाल दिया है। पर तुम तो बता रहे थे कि तुम्हारी बेटी का बेटा कुछ मंद बुद्धि है अब ये बेटी कहाँ से आ गयी?
राम लाल- मालिक, दोनों बच्चे जुड़वां हैं। मालिक बस एक मौका दे दो।
विक्रांत- कब आ रही है तुम्हारी बेटी?
राम लाल- मालिक वो तो कल ही आ गयी थी।
विक्रांत- ठीक है, शाम का खाना उसी से बनवाना; अगर बच्चों को खाना पसंद आ गया तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। और आने नाती नातिन को भी बुला लेना, बच्चे एक दूसरे से मिल लें यही अच्छा होगा और उनको किराए पे रहने की ज़रूरत नहीं है। पीछे जो दो कमरे नए बनवाये हैं वहाँ उनका सामान रखवा देना।
राम लाल की आंखों में आंसू आ गए, वो विक्रांत के पाँव पे गिर गया। विक्रांत ने उसे संभाला और चाय का ऑर्डर दे कर अपने रूम की तरफ चल पड़ा।
विक्रांत ने कमरे में आके अपना वाट्सएप ऑन किया तो उषा के तीन चार मैसेज आये हुए थे।
“गुड मॉर्निंग…” विक्रांत ने लिखकर जवाब दिया।
“विकी कहाँ थे तुम?” दूसरी तरफ से रिप्लाई आया।
विक्रांत- बिजी था.
उषा- रिप्लाई तो कर सकते थे।
विक्रांत- सॉरी यार, मैं सच में बिजी था।
उषा- क्या कर रहे थे जो एक रिप्लाई भी नहीं कर सके।
विक्रांत जो उषा के लिए विकी था कैसे बताता कि वो उसके उम्र के अपने बच्चों का झगड़ा निपटा रहा था। विक्रांत के पास उषा के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। पर इससे पहले कि वो कोई रिप्लाई करता, उषा ने अपनी एक फ़ोटो उसे सेंड की, इतनी हॉट फोटो उसने आज तक नहीं देखी थी। स्लीवलेस टाइट टॉप और नीचे छोटी सी निक्कर।
“कितने बड़े बड़े हैं इसके मम्में और इसके निप्पल तो कम से कम एक इंच के होंगे.” विक्रांत के मन में अचानक तस्वीर घूम गयी कि वो इन खूबसूरत स्तनों से खेल रहा है।
उसने अपना लोअर नीचे कर दिया और अपने तने हुए मूसल लन्ड को आज़ाद कर दिया अब खुद को रोक पाना उसके लिए मुश्किल हो पा रहा था। पर वो नहीं चाहता था कि अपनी बेटी की उम्र की लड़की पर मुठ मारे; पर उसके मन के इस विरोध को अगली फ़ोटो ने तोड़ दिया जिसमें उषा थी तो इन्ही कपड़ों में पर पूरी तरह भीगी हुई उसके गोल-2 वॉलीबाल के आकार के मम्में और स्ट्राबेरी के आकार के निप्पल साफ नजर आ रहे थे.
विक्रांत कुछ और सोच नहीं पाया उसका हाथ अपने आप लन्ड पर चला गया और वो पूरी रफ्तार से मुठ मारने लग पड़ा. कितने सालों बाद वो मुठ मार रहा था; बाप बनने के बाद तो जैसे वो भूल ही गया था कि वो भी एक मर्द है।
7-8 मिनट में ही उसके लन्ड ने माल उगल दिया।
ठंडा होने पर उसने फ़ोन उठाया तो उषा के कई मैसेज आये हुए थे- मिस्टर किधर… कहाँ चले गए… शैगिंग?
“हम्म्म्म… तुमने मजबूर कर दिया था.” उसने अपने मन की बात कह दी।
“यू थिंक मैं हॉट हूँ?” उषा का रिप्लाई आया।
“इसमें सोचना क्या है; तुम तो पत्थर को भी पिघला दो.” विक्रांत ने रिप्लाई किया।
“हा… हा… अच्छा यह बताओ तुम्हारी उम्र क्या है विक्की?”
“क्यों?”
“बस ऐसे ही पता तो चले कि कौन है जिसे मैं हॉट लगती हूँ.”
विक्रांत सोच में पड़ गया… पर फिर उसे एक आईडिया आया, उसने अपनी एक फोटो सेंड कर दी और उषा से पूछा- तुम ही बताओ कि क्या उम्र होगी मेरी?
“ओह वाओ यू हैव ग्रेट बॉडी… 35?” उषा का रिप्लाई आया।
“नहीं थोड़ी सी ज्यादा है.” विक्रांत ने रिप्लाई किया।
“40?”
“थोड़ी और…”
“45?”
“नहीं… 55 रिटार्यड आर्मी ऑफिसर!”
“ओह गॉड!”
“क्या हुआ?”
“तुम 55 के तो नहीं लगते… मैरिड?”
“हाँ तीन बच्चे हैं, वाइफ की डेथ को 10 साल हो गए.”
“ओह गॉड… .मैं तो कुछ और ही सोची थी.”
“बुरा लग रहा है?”
“नहीं बुरा नहीं लग रहा… बस अजीब लग रहा है.”
“अजीब क्यों?” विक्रांत ने सवाल किया।
“बस ऐसे ही… पता नहीं।” उषा ने काफी लेट रिप्लाई किया।
“हम्म बुढ्ढों से कौन बात करेगा?”
“प्लीज डोंट टॉक लाइक डिस…”
“फिर बताओ; क्यों तुम्हें अजीब लग रहा है?”
“रहने दो, तुम विश्वास नहीं करोगे.”
“प्रॉमिस… मैं विश्वास करूँगा.”
“विकी, न जाने क्यों तुमसे बात करके मुझे हमेशा लगता था कि मैं एक अलग समय के इंसान से बात कर रही हूँ… और तुम्हारी बातें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं जिसके कारण मैं तुमसे…” उषा ने बात बीच में ही छोड़ दी।
“मैं तुमसे क्या?” विक्रांत को लगा कि जैसे वो कहना चाहती हो मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
काफी देर कोई मैसेज नहीं आया।
“मैं तुमसे कहना चाहती थी कि मेरा नाम उषा नहीं है… मेरा सही नाम है अकीरा.”
“ओह… मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था; उषा तुम पर बिल्कुल नहीं जचता.”
“क्यों तुम्हारा नाम विकी हो सकता है तो मेरा उषा क्यों नहीं?”
“क्योंकि मेरा नाम विकी नहीं, विक्रांत है… विक्रांत राठौर!”
“बड़े खराब हो राठौड़ जी…”
“अकीरा, प्लीज जी मत बोलो.”
“अब तो जी बोलना पड़ेगा न मैं 21 की आप 55 के.” अकीरा ने विक्रांत को छेड़ते हुए कहा।
“गुड बाई, मुझे आफिस जाना है.” विक्रांत ने बुरा मानते हुए कहा।
“हा हा हा… तुम तो नाराज़ हो गए… मैं तो मजाक कर रही थी। मुझे भी तुम कहना ही अच्छा लगता है आखिर हम दोस्त हैं? हैं ना?”
“हां दोस्त तो हैं… अब मुझे आफिस के लिए सच में देर हो रही है… आफिस पहुँच के रिप्लाई करूँगा.”
“ओके… पर रिप्लाई करना मत भूलना, मैं इंतज़ार कर रही हूँ।”
कामुकता भरी कहानी जारी रहेगी.
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