कानून के रखवाले-9

जोर्डन 2009-02-09 Comments

प्रेषक : जोर्डन

दोस्तो, मैं एक बात बता दूँ कि यह कहानी एक इंग्लिश नॉवल की है, उस कहानी को हिंदी में अनुवाद करके यहाँ पर लिख रहा हूँ…..

आरती को होश आता है और वो मोना को बुलाने को कहती है।

मोना कमरे में आती है।

आरती- भाभी, देखो मेरे साथ क्या हो गया !!

मोना आरती के आंसू पौंछते हुए कहती है- तू रो मत आरती.. मैं किसी को इस बात की खबर नहीं लगने दूंगी।

आरती- भाभी, अगर यह बात किसी को भी पता चली तो मेरी शादी टूट जाएगी।

मोना- तू फिकर मत कर.. इस बात की खबर किसी को नहीं चलेगी.. यह बात यही पर खत्म हो जाएगी।

आरती- पर मैं झूठ कैसे बोलूँ ??

मोना- जो मैं कहती हूँ तू बस वही कर।

उधर पुलिस स्टेशन में सोनिया अपनी पुलिस की वर्दी में आती है, वह आज ही वापिस ड्यूटी पर आती है।

हवलदार- गुड मोर्निंग, मैडम।

सोनिया- गुड मोर्निंग राजू, और क्या चल रहा है स्टेशन में?

हवलदार- मैडम, समीर साहब राउंड पर गए है और मुस्तफा के दो आदमी और पकड़े हैं हम लोगों ने… आपके रिमांड की प्रतीक्षा कर रहे थे।

सोनिया- कहाँ हैं वो दोनों?

हवलदार- मैडम, लॉक-अप में, कल समीर साहब ने बड़ा धोया है इनको।

सोनिया- तुम यहीं रुको.. मैं देख कर आती हूँ।

सोनिया- क्या नाम है तेरा?

“चौहान” उनमें से एक बड़ा अकड़कर बोला।

दूसरा बोला- चौधरी।

सोनिया- सुनो चौहान और चौधरी के बच्चो…. तुम लोगों का आज पहला दौर है और आज खाने में तुमको टॉर्चर बिरयानी खिलाई जाएगी।

दोनों हंसने लगे।

चौहान- मैडम, शेर को बाँधकर तो चूहे भी खुश हो जाते हैं पर शेर जब शिकार करता है तो चूहे तो क्या हाथी भी भाग जाते हैं।

सोनिया- शेर… तुझ जैसे अंडरवर्ल्ड का तुच्छ सा गुंडा खुद को शेर कह रहा है और तुझ जैसे चूहे को तो मैं बाँधकर क्या खोलकर भी मार सकती हूँ, वो तो मैं इस कानून के चक्कर में मजबूर हूँ नहीं तो तुम सबका आखिरी दिन बना दूँ मैं।

दोनों फिर से हंसने लगे। इस बार सोनिया को बहुत गुस्सा आया और उसने दो हवलदारों को बुलवाया।

सोनिया- सुनो, इन दोनों को नंगा करके डंडे से बाँध दो और एक डंडा लेकर आओ तेल लगाकर।

हवलदार- ठीक है मैडम।

थोड़ी देर बाद दोनों चौहान और चौधरी को डंडे से बाँधा हुआ था रस्सी के सहारे दोनों लटक रहे थे और अपने होने वाले पीड़न का इन्तज़ार कर रहे थे। सिर्फ दोनों कच्छे में थे और इधर सोनिया भी अपना तेल लगा हुआ डंडा लेकर खड़ी थी और उसने सारे पुलिसवालों को फ़ोन सायलेंट रखने के लिए बोल दिया था और कुछ को बाहर तैनात कर दिया था ताकि कोई भी उसको इस काम में परेशान ना करे।

सोनिया- बहुत बोल रहे थे न तुम अंडरवल्ड के कुत्तो… अब बोलो !!! ??

चौहान- तुम यह ठीक नहीं कर रही हो, मुस्तफा पहले ही तुमसे नाराज़ है, अगर उसको पता लगा कि तुमने हमारा टॉर्चर किया तो वह तुझको जान से मार देगा।

सोनिया- मुस्तफा के कुत्ते ! मरने से मैं नहीं डरती और तेरे उस हिजड़े मुस्तफा में इतनी हिम्मत नहीं कि मुझसे टकराए। अब तक मेरे सामने नहीं आ सका वो नामर्द।

चौहान- तुम बहुत बोल रही हो? इसका जवाब तुमको देना…. आआआआआआआ……………!!

आगे नहीं बोल सका चौहान क्योंकि उसी वक़्त सोनिया ने डंडा जोर से उसकी पीठ पर मारा… वो इतनी जोर से चीखा कि पूछो मत।

वही इस तरह चौहान पर हुआ वार देखकर चौधरी हड़बड़ा गया….. देखो ऐसा मत करो… तुम कानून अपने हाथ में ले रही हो… हम लोगों को टॉर्चर करने का तुमको हक नहीं है।

सोनिया- साले मुस्तफा के कुत्ते… तू मुझको हक बताएगा… मुझको कानून सिखाएगा… तुम लोग तो खुद इतने गैर कानूनी काम करते हो, तुमको मैं सिखाती हूँ आज कानून !!

यह बोलने के साथ ही सोनिया चौधरी पर जोर-जोर से डंडे बरसाने लगी और चौधरी जोर-जोर से चीखने लगा पर उसकी चीखें दीवारों से टकराकर वापस आ रही थी। सोनिया का गुस्सा इस समय देखने वाला था, उसने चौधरी को इतना ज्यादा पीटा था कि वो सिर्फ तीन मिनट के टॉर्चर में ही बेहोश हो गया, उसके पूरे बदन पर सोनिया के मारे हुए डंडे के निशान दिख रहे थे और कुछ नहीं…

चौधरी की ऐसी हालत देखकर चौहान के तो होश ही उड़ गए।

सोनिया- हाँ भाई, अब तेरी बारी…. बहुत ज्यादा बोलता है तू !!

चौहान बहुत ही घबराया हुआ लटका हुआ था।

सोनिया डंडा लेकर उसके पास जाती है।

चौहान- मैडम मुझको जाने दीजिये … मैं इस धंधे में नया हूँ और यह सब छोड़ दूंगा मैं ! मुझको मत मारिये !!

सोनिया- तू तो डर से ही मर गया। चल बता कि मुस्तफा कहाँ है ?? कहाँ है उसका ठिकाना?

चौहान- मैडम मुझको सच में नहीं पता ! हम लोग तो सिर्फ़ फ़ोन पर मिले हुक्म पर काम करते हैं… मुलाक़ात नहीं होती… पैसे भी हमारे ठिकाने पर पहुँच जाते हैं।

सोनिया- इसका मतलब तू तो किसी काम का है नहीं…. चल फिर आज इस डंडे से तुझको नामर्द बना देती हूँ।

चौहान- नहीं मैडम प्लीज़ नहीं…. मैं आपको बताता हूँ।

सोनिया- जल्दी बता !!

चौहान- जो काला खंडहर है ना उस रोड के पास…

और चौहान सोनिया को मुस्तफा का रास्ता बताता है।

सोनिया- अगर तुमने गलत पता दिया तो याद रखना… अगली बार कभी खड़ा नहीं होने दूंगी तुझे !

और यह बोलकर सोनिया लॉक-अप से बाहर चली जाती है।

बाहर आकर अपने पुलिस वालों से कहती है- चलो तुम सब पूरी तैयारी कर लो… इस बार मुस्तफा हमारे हाथ से नहीं जाना चाहिए… मुझे वो हर कीमत में चाहिए।

समीर- मैडम, क्यों ना हम और फार्स मंगा ले… मैं बोलकर?

सोनिया- इसकी कोई जरूरत नहीं… सिर्फ हम लोग ही जायेंगे .. हेडक्वाटर से खबर बाहर जा सकती है।

समीर- ठीक है मैडम… मैं अभी सबका चार्ज ले लेता हूँ और हम दस मिनट में आपको पुलिस जीप के पास मिलते हैं।

सोनिया- ठीक है… जल्दी करो… इस बार मुस्तफा मेरे हाथ से नहीं निकलना चाहिए !!!

सोनिया अपने चुनिन्दा अफसरों के साथ मुस्तफा के ठिकाने पर छापा मारने पहुँचती है और इस बात की खबर किसी को भी नहीं लगती क्योंकि उसने अपने हेडक्वाटर में इस सूचना को पहुँचने ही नहीं दिया।

जैसे ही वे लोग कुछ पहले पहुँचे… उन्होंने अपनी गाड़ियाँ वहीं छोड़ दी और वहाँ से छिप-छिप कर पैदल ही आगे बढ़ते रहे, यह स्थान एक क्लब है जो हाईवे रोड पर है तो ज्यादा किसी को शक नहीं हो सकता कि अंडरवर्ल्ड डॉन यहाँ पर छुपा है।

इस वक़्त सोनिया और समीर के अलावा आठ हवलदार और दो इंस्पेक्टर और हैं… कुल मिलाकर बारह पुलिस वाले।

जैसे ही वे क्लब के पास पहुँचे तो सोनिया ने अपनी रिवॉल्वर निकाल ली और बाकी लोगो को भी इशारा किया कि वो हथियार निकाल लें, तीन लोग क्लब की पिछली तरफ़ थे और तीन सोनिया के साथ सामने की तरफ छुपे हुए थे…. बाकी चार लोग पीछे ही रुके थे जो भागने वालों पर नज़र रखने के लिए थे।

दरवाजे के करीब पहुँचते ही एक सिपाही ने जोर से पैर से धक्का मारकर दरवाजा खोल दिया और अंदर जाते ही सोनिया बोली- कोई चालाकी नहीं… जो जहाँ है वो वहीं खड़ा रहेगा… तुम को पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया है !

गुंडों ने उनकी एक नहीं सुनी और अपने हथियार निकालकर फायर शुरू कर दिया…. सोनिया तेजी से नीचे झुकी और अपने सिपाहियों को हमले का आदेश दिया। दोनों तरफ से घमासान गोलियों की बौछार शुरू हो गई…

हालांकि मुस्तफा के आदमी भी तक़रीबन दस बारह दिख रहे थे पर मुस्तफा कहीं नज़र नहीं आ रहा था।

इधर सोनिया ने चार गुंडों को घायल किया था और शायद उनमें से दो मरने की हालत में थे… अब करीब 6-7 गुंडे और बचे थे जो फायरिंग कर रहे थे जिसकी वजह से दो हवलदार भी घायल थे। सोनिया ने पीछे छोड़े चार पुलिस वाले भी वायरलेस पर मेसेज देकर अंदर बुला लिए। उन्होंने भी आते ही फायरिंग शुरू कर दी और बेचारे गुंडों के सारे आशाएँ खत्म हो गई…. वहाँ मौजूद सभी गुंडे पूरी तरह घायल थे !

और अपने ऑफिसर्स को बोलकर सोनिया ने एम्बुलैंस मंगवा ली और उन सब को वहाँ से भिजवा दिया। लेकिन सोनिया की नजर मुस्तफा को खोज रही थी।

दोस्तो, मुझे आपके मेल नहीं मिल रहे।

आगे जानने के लिए अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर आते रहिए….और मुझे मेल करें।

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