कानून के रखवाले-13
देर से ही सही… इतनी ज्यादा सेक्स में मजबूर होने के बाद ही सही पर अंत यही था कि उसने अब्बास से अपनी आज की दुर्दशा और अपनी ननद के दैहिक शोषण का बदला ले ही लिया था।
अपनी हालत पर थोड़ा बहुत काबू पाते हुए मोना किसी तरह अपने कमरे तक जाने के लिए टॉर्चररूम के गुप्त रास्ते से निकली… उसकी हालत वाकयी में काफ़ी बुरी लग रही थी… हालांकि पिछले हमले में भी वो जीतने में और अपना कौमार्य बचाने में कामयाब हुई पर जिस बुरी तरह से अब्बास ने उस पर हमला किया था, उसने ज़रूर उसको झंझोड़ कर रख दिया था… हालांकि अब्बास मोना को चोद नहीं पाया था पर मोना की हालत देखकर ज़रूर ऐसा लग रहा था कि मानो वो बड़ी बुरी तरह चुदी होगी… वो लड़खड़ाती हुई अपने कमरे में गई और बिना समय गंवाए बाथरूम में घुस गई…
जाते ही उसने शावर के नीचे अपना नंगा बदन नहाने के लिए कर दिया… इस वक़्त एकदम कमाल लग रही थी वो…
अब्बास मोना के लिए अब तक का सबसे घातक क़ैदी साबित हुआ था… उसकी एकदम कुत्ती जैसी हालत कर दी थी, बस आखरी मौके में उसका ढोल नहीं बजा पाया बल्कि खुद ही अपनी मर्दानगी खो बैठा मोना के हाथों और अभी भी अधमरी और बेहोशी की हालत में वहीं टॉर्चर-रूम में पड़ा हुआ था..
हालांकि इस वक़्त वो अपने शर्ट और पाजामे में था जो मोना ने उसको जाने से पहले पहना दिया था ताकि उसके सिपाहियों को ऐसा ना लगे कि उनके बीच सेक्स की ऐसी हालत भी पैदा हुई थी… मोना अपना दामन साफ रखना चाहती थी… इसलिए उसने यह सब किया था।
इधर मोना टॉर्चर-रूम में वापस आ चुकी थी और अपनी पुलिस ऑफिसर की वर्दी में थी, पूरी तरह ढकी हुई और इस बार वो शक्ल से भी बहुत ही ख़ूँख़ार और गुस्से में लग रही थी। कोई भी लड़की उसकी जगह होती तो उसके भाव भी कुछ ऐसे ही ज़रूर होते…
उसकी हिम्मत की जरूर यहाँ दाद देनी होगी कि जिस तरह उसने अपने शरीर पर पूरी तरह काबू रखा और न केवल उसने अपना देह शोषण होने से बचाया बल्कि अब्बास को भी उसके किए की सही सज़ा दी…
वह अब्बास को बालों से पकड़ कर टॉर्चर-रूम के दरवाजे तक खींचती हुई ले गई… अब्बास बुरी तरह हुई पिटाई के कारण अभी भी बेहोश था… मोना ने टॉर्चर-रूम का दरवाजा खुलवाया और अब्बास को एक अलग जेल में रखने का बोला हवलदार को…
फिर दो हवलदार उसको घसीटते हुए वहाँ से ले गये…
अब मोना बाकी क़ैदियों के पास गई और वहाँ जाकर बहुत ही गुस्से में ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर बोलने लगी- आज जो हाल इस कुत्ते का हुआ है उससे भी कई गुना बदतर हाल मैं उसका करूँगी जो मुझसे या क़ानून से पंगा लेगा…. तुम लोग मेरी जेल में हो… तो जो मैं कहूँगी और जैसा मैं कहूँगी, तुम लोगों को वैसा ही करना होगा… और अगर किसी ने इसकी तरह दादागिरी दिखाने की कोशिश की तो वो फिर कभी मर्द नहीं कहला पाएगा और उसको ज़िंदगी भर के लिए नामर्द बना दूँगी मैं… तो जब तक यहाँ हो, संभलकर रहो… और क़ानून से टक्कर लेने की ख्वाब में भी मत सोचना।
इधर मुस्तफ़ा की हालत भी कुछ ठीक नहीं थी…
उसको समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर वो इन लड़कियों से कैसे निपटे और कैसे इन दोनों पुलिसवालियों को सबक सिखाए… उसके सारे के सारे वार बेकार होते जा रहे थे… यहाँ तक कि अब्बास की भी वो हालत थी कि उसका होना या ना होना एक बराबर रह गया था…
मुस्तफ़ा अपने बिल से खुद बाहर निकल कर भी सोनिया से मुक़ाबला कर चुका था… पर नतीजा उसको बुरी तरह मुँह की खानी पड़ी… उसको अब कोई भी रास्ता नहीं सूझ रहा था कि कैसे वो इन कानून के रखवालों से खुद को और अपने गैंग को बचाए.. पर एक बात पक्की थी कि इस बार वो वार सामने से नहीं बल्कि पीछे से करने वाला था…
यहाँ दूसरी तरफ सोनिया अपने दोस्त डॉ. सुनील से मिलने जुहू बीच पर गई हुई थी… आज उसने अपना दिन सुनील के साथ बिताना ठीक समझा… सुनील जो पेशे से एक डॉक्टर है और सोनिया को बहुत पसंद भी करता है.. पर सोनिया को अपने काम के सिवा और कुछ नहीं सूझता। हालांकि वो भी सुनील को अपना अच्छा दोस्त मानती है लेकिन सिर्फ़ और सिर्फ़ दोस्त।
यहाँ सोनिया अपनी सारी चिंता सुनील के साथ बांटना चाहती है… सुनील स्वभाव से बड़ा ही चंचल है और थोड़ा मजाकिया किस्म का बंदा है पर उसको अब तक सोनिया के साथ कुछ भी करने का कोई मौका नहीं मिला है… हालांकि कभी-कभी मौका देखकर उसने सोनिया के अंगों पर हाथ ज़रूर फेरा है पर बहुत अनजान बनते हुए और ऐसे मौके पर सोनिया हमेशा ही घबरा सी जाती थी और कोई ना कोई बहाना करके वहाँ से निकल जाया करती थी… आज अपने डॉक्टर के पास एक गोल्डन मौका था क्योंकि वो जगह भी ऐसी थी जहाँ वो सोनिया के जज़्बातों को जगा सकता था… उसका ध्यान बिल्कुल भी सोनिया की बातों में नहीं था… उसका इस वक़्त ध्यान सोनिया की साँसों के ज़रिए ऊपर-नीचे हो रहे उभारों पर था जो मानो उसको न्योता दे रहे हों और उसके ऊपर की काली ब्रा भी जैसे कभी भी खुल जाने को तैयार थी।
मौसम वाकई में बहुत सुहाना लग रहा था…. और इस मौसम का पूरा फायदा उठाने के चक्कर में था आज सुनील… सुनील तो क्या अगर उसकी जगह कोई और भी सोनिया के साथ होता तो वो भी ज़रूर यही करता….
सोनिया अभी भी अपनी ऑफ़िस की चिंता और मुस्तफ़ा के साथ हुए पंगे के बारे में डॉक्टर सुनील को बता रही थी कि तभी उसने महसूस किया की सुनील का दायां हाथ उसके मोटे-मोटे उभारों पर है… वो चौंकी और झटके से खुद को पीछे करते हुए बोली- यह क्या कर रहे हो तुम? पागल तो नहीं हो गये सुनील… तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझको छूने की…?
जवाब में सुनील बोला- सोनिया तुम्हारी चिंता क्या है… यह जो भी मैं कर रहा हूँ उसको जिस्म की ज़रूरत बोला जाता है… पता नहीं तुम इन सबसे इतना ज्यादा क्यों घबराती हो.. आख़िर ये सारी चीज़ें भी तो हमारी ज़िंदगी में बहुत काम की हैं !
सोनिया- अपनी बकवास बंद रखो… मैं कोई घबराती नहीं हूँ बल्कि इन सब चक्करों से दूर रहना चाहती हूँ ताकि अपने काम पर ध्यान दे सकूँ…
सुनील- यह भी तो काम ही है आख़िर… इसके बिना जीवन, संसार एकदम बेकार है सोनिया… तो मेरी बात पर अमल करो और मुझे कुछ करने दो… नहीं तो ज़िंदगी भर पुलिसवाली ही बनी रह जाओगी और एक औरत कभी भी नहीं बन पाओगी..
सोनिया- तुम मेरी फिकर मत करो… मैं कुछ बन पाऊँ या ना बन पाऊँ… मुझे तुम्हारी इन बातों से मतलब नहीं है… मुझे तो यह लगता है कि मेरी दोस्ती का तुम ज़रूर कुछ और ही मतलब समझ बैठे हो… अब मुझको यहाँ से जाना चाहिए।
सुनील- देखा फिर से डर गई तुम.. वैसे गुंडों-मवालियों के सामने तो बड़ी शेरनी बनी घूमती हो और जहाँ ज़िंदगी में कभी सेक्स की बात आती है वहाँ से डर कर भाग जाती हो… क्यों मैडम? यही है क्या तुम्हारी असली हिम्मत… तुम हमेशा काम की चीज़ से डरती ही रहती हो..?
सोनिया- तुम फिर मुझे ग़लत समझ रहे हो सुनील…. ऐसा नहीं है कि मैं ये चीज़ें नहीं करना चाहती लेकिन मैं यह सब शादी से पहले करके अपना नाम और इज़्ज़त मिट्टी में नहीं मिलाना चाहती, कल को अगर कुछ हो गया तो…?
सुनील- क्या हो गया… क्या हो जाएगा… गर्भवती होने की बात कर रही हो…? अरे सुरक्षा नाम की भी कोई चीज़ होती है या नहीं… ? और तुम इस वक़्त एक डॉक्टर से बात कर रही हो जिसको सुरक्षा के बारे में सब कुछ पता है… यह बहानेबाज़ी छोड़ो और अगर सच में तुम में दम है तो चलो यहीं पर अपना काम करते हैं…
सोनिया- यहाँ …? सवाल ही पैदा नहीं होता… अगर किसी ने मुझे देख लिया या पहचान लिया और अगर ग़लती से मीडिया को पता लग गया तो मेरी बनाई सारी इज़्ज़त और गुण्डों में मेरा ख़ौफ सब कुछ खत्म हो जाएगा…
सुनील- अच्छा बाबा, जैसे तुम ठीक समझो… कम से कम मेरे फ्लॅट में जाने में तो तुमको कोई दिक्कत नहीं है… या वहाँ के लिए भी कोई बहाना सोच कर रखा हुआ है?
सोनिया- तुम्हारा फ्लॅट !!
सुनील- हाँ मेरा फ्लॅट, अब ज्यादा आना-कानी मत करो… चुप-चाप चलो अगर नहीं डरती इन चीज़ों से तो ! और अगर डरती हो तो तुम यहीं रहो… पर काम के सिलसिले में जिंदगी में किसी भी तरह की आगे कोई मेरे से मदद की उम्मीद मत करना…
सोनिया- ऐसा है तो मैं तुम्हारे साथ ज़रूर आऊँगी… मैं भी तो जानूं आख़िर सेक्स अनुभव कैसा होता है…. और जब तुम डॉक्टर हो तो मुझे डरने की क्या ज़रूरत … तुमको तो सुरक्षित सेक्स के बारे में पूरी कहानी ही पता होगी…. नो बहाना… चलो चलते हैं तुम्हारे फ्लॅट में ! मगर याद से मुझे आठ बजे तक सुपारा पुलिस स्टेशन तक छोड़ देना, मुझे एक फाइल लेनी है वहाँ से…
सुनील- ठीक है जानेमन ! जैसे तुम कहो…. अब चलो…
सुनील अपने अपार्टमेंट में गाड़ी पार्क करता है और गाड़ी से सुनील और सोनिया दोनों बाहर निकलते हैं… गाड़ी लॉक करके सीधा सातवीं मंज़िल के लिए लिफ़्ट में जाते है… और वहाँ सुनील अपने घर को खोलता है और सोनिया के साथ अंदर दाखिल होता है। सोनिया के चेहरे पर हालांकि अभी भी चिंता साफ नज़र आ रही होती है… उधर सुनील फ्लॅट का दरवाजा बंद करते ही… अपनी शर्ट और पैंट उतारता है और अपने बेडरूम में जाता है… जहाँ सोनिया पहले से ही उसका इंतजार कर रही है… पर अभी भी उसे पूरे कपड़ों में देखकर सुनील बहुत नाराज़ होता है और उसको भी अपने कपड़े उतारने के लिए कहता है…
सोनिया धीरे-धीरे ही सही पर अपने कपड़े उतारना शुरू करती है…. अब उसके बदन पर सिर्फ़ और सिर्फ़ पेंटी और ब्रा ही बची थी …पर वो उसको उतारने में थोड़ा शरमा रही थी…
तभी सुनील ने झट से उसको लेकर पलंग पर छलाँग लगाई….पलंग पर गिरते ही उसकी ब्रा का हुक खुल गया और सुनील ने बिना कोई मौका गंवाए उसकी ब्रा बदन से अलग कर दी…
उसके स्तन देख कर सुनील के तो चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई… अब वो सोनिया के स्तनों ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और सोनिया के मुँह से मादक कराह निकल रही थी…. सोनिया अपना सर पलंग के दोनों तरफ मार रही थी… तभी सोनिया ने महसूस किया कि…
आगे जानने के लिए अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर आते रहिए….और मुझे मेल करें।
What did you think of this story??
Comments