चूत की कहानी उसी की ज़ुबानी-5
(Choot Ki Kahani Usi Ki Jubani- Part 5)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left चूत की कहानी उसी की ज़ुबानी-4
-
View all stories in series
अगले दिन मैंने आरती से फिर पूछा- यार, एक बात सच सच बता … यह प्रसंग कैसे लड़का है? जब भी मैं उसे देखती हूँ तो वो तुमको कुछ अजीब नज़रों से देखता है.
वो बोली- यार, तुम्हें तो शक़ करने की आदत है. मैंने तुम्हें बताया तो था कि ऐसी कोई बात नहीं … वरना क्या मैं तुमको नहीं बता देती? तुम तो जानती ही हो कि मैं तुमसे कितना खुली हुई हूँ. मैंने कहा- वो तो मैं जानती हूँ और बहुत कुछ जान भी चुकी हूँ. ज़रा मेरे साथ आना.
तब मैं उसको अपने मोबाइल पर उस कैमरे से ली गई रेकोर्डिंग दिखाने लगी. जिसे देखते ही वो बहुत डर गई और बोली- देख यार, यह बात किसी से ना कहना … वरना मेरी सारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी. क्योंकि जो कुछ हम लोगों ने किया है वो एक दूसरे को पता है और हमारे पतियों को नहीं पता. मगर इस बात अगर ज़रा भी भनक पड़ गई तो बहुत बड़ी मुश्किल हो जाएगी.
मैंने कहा- तुम क्या मुझे पागल समझती हो जो इस तरह की बात किसी को बताऊँगी? मैं मिल बाँट कर खाने वाली हूँ.
उसने कहा- मैं भी यही चाहती हूँ कि हम दोनों एक साथ उससे मज़ा लें और एक दूसरे के राज़दार बने रहें.
मैंने कहा- मैंने कब मना किया है, यह तो तुम ही नहीं बताना चाहती थी.
फिर हम दोनों ने मिल कर एक प्लान बनाया कि आज मैं ऑफिस नहीं जाऊँगी और यहीं कहीं छुप कर रहूंगी और जब वो आकर आरती को पूरी नंगी करके अपना खड़ा लंड उस की चुत में डालने लग़े तो मैं अंदर आ जाऊँगी.
जब थोड़ी देर बाद प्रसंग आया तो आरती उसके साथ अपने कमरे में चली गई.
जैसा कि प्लान बनाया गया था, आरती ने एक ज़ोर से आवाज़ निकाली- ज़रा रूको एक मिनट!
जो मेरे लिए इशारा था कि मैं कमरे में आ जाऊं.
जैसे ही मैं कमरे में गई तो मैंने जाते ही उन दोनों की नंगी 3-4 फोटो खींच ली. फिर ऐसे ही फोन करने का बहाना बनाने लगी ताकि वो समझे कि मैं किसी से फोन कर रही हूँ.
आरती तो नहीं घबरा रही थी मगर प्रसंग का खड़ा लंड एकदम से ढीला होकर मूंगफली की तरह से हो गया. वो बहुत डर गया था और मुझसे माफी माँगने लगा- दीदी, माफ़ कर दो, मैं आपका गुलाम बनकर रहूँगा, जो कहोगी वो करूंगा.
मैं बोली- साले, तेरी हैसियत ही क्या है कुछ कर पाने की? नंगी लड़की तेरे सामने खडी है और तेरा लंड भी नहीं खड़ा हुआ है.
आरती ने कहा- यह डर गया है तुम्हारे आने की वजह से! वरना यह मस्त लंड है. चल प्रसंग, ज़रा दिखा दे आज इसको भी अपना जलवा.
प्रसंग ने कहा- पहले उन फोटो को डीलीट करवा दो.
मैंने कहा- अच्छा तुम्हें डर लग रहा है. लो यह फोन, खुद ही डीलीट कर लो.
नंगी फोटो डेलीट करने के बाद उसने आरती की चूत पर हाथ रखा और उसके मम्मों को मुँह में लिया. और साथ ही उसका लंड टनाटन होने लगा.
अब आरती ने कहा- नहीं प्रसंग, आज का दिन मेरा नहीं है, आज पुन्नी का दिन है, उसे मस्त करो और यह चूत चटवाने की बहुत शौकीन है, ज़रा आज इस को अपनी ज़ुबान का करतब भी दिखा दो.
उसने कहा- ठीक है जी, मैं तो इन दीदी का गुलाम हूँ, जो दीदी कहेंगी मैं वो ही करूँगा. अगर गांड चाटने को कहेंगी तो वो भी चाटूँगा.
मैंने कहा- नहीं, मुझे गांड का कोई शौक नहीं है.
तब उसने मुझे पूरी नंगी किया और फिर आरती से कहा- तुम इसके मम्मों को चूसो और मैं चूत की सफाई करता हूँ.
बस फिर क्या था, वो दोनों ही अपनी अपनी जगह पर टूट पड़े. जहाँ आरती मेरे मम्मों को कुछ इस तरह से दबा रही थी जैसे कि उसकी कोई दुश्मनी हो उनके साथ. वो पूरी तरह से नींबू की तरह से निचोड़ रही थी.
मैं बोलती जा रही थी- यह क्या कर रही हो आरती?
मगर वो सुनकर भी अनसुना करती जा रही थी और मम्मों के चूचुकों को अपने दांतों में भी दबा दबा कर काट रही थी और मेरी चीखें निकल रही थी. उधर उसका यार मेरी चूत का बुरा हाल कर रहा था, अपनी ज़ुबान को मेरी चूत खोल कर जितनी अंदर कर सकता था, करके अपनी ज़ुबान को घुमा रहा था. मैं उसके हर वार से अपनी चूत को हिला रही थी.
इस तरह से उन दोनों ने मुझे कोई आधा घंटा बेहाल किया. फिर प्रसंग अपने खड़े लंड को हाथ में लेकर मेरी चूत पर रख कर बोला चल- बेटा, आज मस्त कर इसको!
और यह कहते हुए उसने एक ही वार में पूरे का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. जैसे ही वो अंदर गया ऐसे लगा कि जैसे किसी ने गर्म तपती हुई लकड़ी मेरी चूत में घुसा दी है.
मैं कुछ बोलती, उससे पहले ही उसने अपना मुँह मेरे मुँह पर रखकर मुझे मुँह खोलने भी नहीं दिया. अब मैं उसके लंड के थपेड़े खा रही थी, हर एक धक्का पहले से जोरदार लग रहा था. अभी कुछ देर ही हुई थी कि प्रसंग मेरी चूत में लंड इधर उधर घुमा घुमा कर अंदर बाहर करने लगा. इस तरह से प्रसंग का लंड मेरी चूत के हर एक कोने में चोट मार मार कर चूत की धज्जियां उड़ा रहा था.
आख़िर जब बहुत देर बाद उसके लंड का पानी निकलने को होने लगा तो बोला- दीदी, क्या तुम्हारी चूत को हरी भरी कर दूं? फिर उस बच्चे का मैं बाप और मामा दोनों ही बन जाऊँगा.
मैंने कहा- दीदी के भोसड़ी वाले भाई … निकाल लंड को … और पानी बाहर निकालना! मुझे अभी कोई बच्चा नहीं पैदा करना इस चूत से. अभी तो मौज मस्ती करनी है, ना कि बच्चे निकालने हैं.
मुझे चोदने के बाद उस साले का लंड थोड़ी देर बाद फिर से तैयार हो गया. इस बार उसने आरती को चोदना शुरू किया. मैंने देखा कि वो बहुत मज़े से चुद रही थी, उससे बोलती जा रही थी- हां जानू … और जोर से धक्के मार … हां और जोर से!
उसकी चुदाई देखकर मुझे इतना तो पता लग गया कि यह कमीनी आरती किसी और लंड से भी चुदाई करवाती होगी. मगर वो मुझे नहीं बताएगी यह मैं जानती थी. मगर कोशिश करनी तो चाहिए.
जब प्रसंग पूरी तरह से चुदाई करके अपने घर चला गया तो मैंने आरती से कहा- यार, तुम तो बहुत पहुँची हुई चीज़ हो. मुझे अपनी चेली बना ले इन कामों के लिए. जो आग तेरी चूत में लगती है वही मेरी चूत में भी लगती है. और यार, हम तो अब दोनों पूरी रंडियाँ बन गई हैं. मेरा यह तीसरा लंड है. अगर तेरी कृपा रही तो और नये लंड भी मिल जायेंगे. बता मुझे अपनी चेली बनाएगी ना?
उसने हंस कर कहा- ठीक है, तू आज से मेरी चेली बन गई. दे गुरु दक्षिणा अपनी इस गुरु को!
मैंने कहा- बोल क्या दूं?
उसने कहा- अपनी चूत और मम्में मेरे पास गिरवी रख दे.
मैं हैरान हो गई और उससे पूछा- वो कैसे?
उसने कहा- जब भी मैं बुलाऊँगी तुम अपनी चूत की पूरी सफाई मतलब की झांटों की शेव कर के आना.
मैंने कहा- आपकी इस चेली को स्वीकार है. अभी तो इसकी सफाई ताजी ताजी हुई है, बोलो क्या करना है?
उसने कहा- मैं 2 बजे एक मस्त लंड को बुला कर तुम्हारी चुदवाई करवा दूँगी.
मैंने कहा- कौन है वो?
उसने कहा- मेरा एक कज़िन है शोभन, उससे चुदवा कर तुम्हें मस्त करवा दूँगी.
फिर उसने अपने कज़िन से फोन पर बात की जो स्पीकर पर थी और मैं भी पूरी तरह से सुन रही थी दोनों की बातचीत को.
आरती- हेलो शोभन!
शोभन- बोलो जान, आज कैसे याद कर लिया? आ जाऊँ क्या चूत को मस्त करने के लिए?
आरती- इसीलिए तो तुम्हें फोन किया है. मगर आज तुम्हारे लिए रोटी नहीं पूरी हैं.
शोभन- क्या मतलब?
आरती- अबे चोदू, तू मेरे पास आकर तो रोटी ही ख़ाता है. आज मैंने तुम्हारे लिए बाज़ार से पूरी मँगवाई है जो बहुत टेस्टी होगी.
आरती- मेरी चूत के चोदू, आज तुम्हें नई चूत मिलेगी. मगर उस को चोदने से पहले मुझे ही चोदना पड़ेगा.
शोभन- वो तो तुम ना भी कहती तो भी चोद कर ही जाता, अभी आ जाऊँ आरती?
“और क्या नहीं … तो क्या कोई महूरत निकलवाना है चूत चोदने के लिए?”
शोभन- अच्छा अभी आ रहा हूँ.
10-15 मिनट बाद एक मोटरसाइकल के रुकने की आवाज़ आई तो आरती बोली- पुन्नी ले, तुझे चोदने के लिए लंड आ गया है. अब तैयार हो जा, आज का दिन तेरे लिए चुदाई भरा है. पहले प्रसंग का लौड़ा लिया और अब मेरे कज़िन शोभन का तेरी चूत को चोदेगा.
जैसे ही दरवाजा खुला, उसका कज़िन शोभन अंदर आ गया और उसने बिना मेरी तराफ़ देखे आरती को गले लगा कर उसके मम्मे खींचने शुरू कर दिए और बोला- बता ना कौन सी नई चूत का इंतज़ाम किया है अपने इस लंड के लिए जो ठुमके मार रहा है जब से तुम्हारी बात सुनी है.
आरती ने मेरी तरफ इशारा करके कहा- वो क्या है? उसे देखा नहीं?
फिर मेरी तरफ देख कर वो बोला- वाउ … क्या माल ढूँढा है आरती तुमने. आज तो मेरे लंड को निहाल कर दिया तुमने. बहुत दिनों से भूखा था और आज दो दो सामने. किसी ने सच ही कहा है जब देने वाला देता है तो छप्पड़ फाड़ कर देता है. आज मुझे दो चुतें मिल गई हैं फाड़ने के लिए.
वो आरती से बोला- देखो आरती, तुमको तो बहुत बार चोद चुका हूँ, आज इसी पर ध्यान रखता हूँ.
मगर आरती कहाँ मानने वाली थी, उसने कहा- पहले मेरी चूत को ठंडा करो.
इतना कहते हुए उसने सारे कपड़े उतार कर फैंक दिए और उसके लंड को कस कर पकड़ लिया.
जब वो दोनों नंगे हो गये तो आरती ने मुझसे कहा- देख पुन्नी, इस कमरे में सभी के सभी नंगे होकर ही रहेंगे. चाहे चुदाई किसी की भी हो. इसलिए तुम भी अपने जिस्म को इन कपड़ों से आज़ाद कर दो.
मैंने उसका कहना मानते हुए खुद को कपड़ों से आज़ादी दिलवा दी.
फिर आरती ने कहा- अपनी कज़िन को तुम भी क्या याद करोगे, चलो तुम आज पुन्नी को ही चोदो. मैं तुम दोनों की चुदाई देखती हूँ फिर पुन्नी मेरी चुदाई देखेगी.
शोभन भूखे भेड़िए की तरह से मुझ पर टूट पड़ा और मेरे मम्मों की धुनाई करने लगा, कभी चाटता, कभी काटता, कभी चूत पर मुँह मारता. इस तरह से काफ़ी देर तक मुझे गर्म करके बोला- कैसा लगा मैडम जी?
मैंने कहा- जैसा लगना चाहिए, वैसे ही लग रहा है.
इसके बाद उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर अंदर ना करके बाहर से ही चूत के बटन को रगड़ने लगा और ऊपर नीचे करता रहा. इससे चूत में बहुत खुजली शुरू हो गई और मैं उछल उछल कर उसके लंड को अंदर करवाना चाह रही थी. मगर वो भी पूरी मंझा हुआ चूत का खिलाड़ी था और अंदर नहीं जाने दे रहा था. उसने क्लिट तो रगड़ रगड़ कर लाल कर दिया और चूत की आग को जितना भी भड़का सकता था भड़का दी.
फिर उसने एकदम से लंड को बाहर से रगड़ते हुए चूत में एक झटका देते हुए अंदर कर दिया. अब चूत तो उसको रो रो कर बुला रही थी. अगर सच पूछो तो चूत के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. इन आँसुओं की वजह से वो इतनी गीली हो चुकी थी कि लंड कैसे अंदर फिसल गया कुछ पता ही नहीं लगा.
फिर मस्त होकर उसने मेरी चूत की चुदाई की.
क्योंकि मैं तो लगभग पहले ही ढीली होने के कगार पर थी इसलिए एक दो धक्कों से ही पानी छोड़ गई. मगर उसका लंड तो अभी मस्ती में था, उसने मुझे साँस लेने का भी मौक़ा नहीं दिया और धक्के पर धक्के मारता रहा जब तक कि उसका पानी ना निकल गया. उसने अपना पानी मेरी चूत में ही भर दिया. जैसे ही उसका पानी छूट गया, मेरी चूत को तो पूरी ठंडक मिल गई. गर्म पानी, गर्म चूत दोनों मिल कर ठंडे हो गये.
जब उसने कुछ देर बाद लंड को बाहर निकाला तो मुझसे बोला- यह लो, दो गोलियाँ हैं, एक अभी खा लो और दूसरी रात को. जो कुछ अंदर गया है वो सब साफ़ हो जाएगा, कोई डरने की ज़रूरत नही.
मुझे चोदने के बाद कुछ देर तक वो आरती के मम्मों से खेलता रहा और फिर उसकी भी चुदाई शुरू कर दी. आरती बहुत मस्ती से चुदवा रही थी. यह सब देख कर मेरी आग भड़क गई और मैंने अपनी चूत आरती के मुँह पर रख कर चटवानी शुरू कर दी.
उस दिन की चुदाई ने मुझे आरती के बहुत नज़दीक कर दिया. अब वो रोज़ ही मुझे कोई ना कोई नये लंड के बारे में बताने लग गई. मैंने उससे कह रखा था कि मैं उसी लंड से चुदूँगी जिससे तुम चुदवा चुकी हो.
मुझे कुछ दिनों बाद पता लगा कि आरती ने कुछ और लड़कियाँ भी पाली हुई हैं जिनको वो चुदवाती है अपने यारों से! उनको क्या देती है और जिनके पास भेजती है उनसे क्या लेती है, ना मैंने कभी जानने की कोशिश की और ना ही उसने बताया.
चुदाई का एक ऐसा सर्कल बन जाता है कि जो चोदता है, वो फिर अपने दोस्तों के लिए भी चूत के लिए बोलता है और जो चूत चुद जाती है, उसकी मजबूरी होती है वो चोदने वाले का किसी हद तक कहना माने … और फिर उनके दोस्तों के लंड के नीचे भी पड़ जाती है.
यह मजबूरी होती है या मस्ती … इसके बारे कुछ नहीं कहा जा सकता. मगर मैंने आरती से साफ़ साफ़ कहा हुआ था कि बस वही लंड मेरी चूत में जाएगा जो तुम्हें मेरे सामने चोदेगा.
आरती ने मुझे इन दो लंडों के अलावा दो और भी लंड दिलवाये जिनसे वो चुदवाती थी. खैर मैं अब तक 6 लंडों से चुद चुकी हूँ. एक कज़िन से जो आरती का पति है, दूसरा मेरी पति और बाकी के चार जो आरती ने दिलवाए.
यह है मेरी चूत की कहानी. मैं और आरती दोनों ही अपने अपने पति की नज़रों में सती सावित्री बनी हुई हैं. मगर असल जिंदगी में किसी भी रंडी से कम नहीं, लंड को चूसना और उससे चुदना हमारे लिए आम बात है.
हमारा यही मानना है कि चूत की असली जिंदगी लंड के साथ ही होती है. जब भी मिले उसे नहीं छोड़ना चाहिए. यही काम हम दोनों सहेलियां या ननद भाभी किए जा रही हैं.
दोस्तो, इस एक कहानी समझ कर ही पढ़िए और किसी की रियल जिंदगी से मिला कर ना देखिए. इससे कहानी को पढ़ने में मज़ा भी आयेगा और चूत में गर्मी चढ़ेगी और लंड भी मस्त होकर खड़ा होगा.
जब चूत गर्म हो तो लंड अंदर करवाओ और जब लंड खड़ा जो जाए तो चूत में डालो और जिंदगी का मज़ा लेते रहो.
सब चूतों और लंडों को मेरी चूत और मम्मों का सलाम, नमस्ते और शुभकामनाएं!
सम्पादक के नाम: कृपया मेरी मेल आईडी इस कहानी के साथ ना दी जाए क्योंकि मेरा पिछला तजुर्बा कोई अच्छा नहीं रहा. मुझे बेशुमार मेल मिलती हैं और सब मुझे चोदने के ऑफर ही होते हैं जिससे बहुत दुख होता है.
पूनम चोपड़ा
What did you think of this story??
Comments