भाई की कुंवारी साली की चुदाई
(Bhai Ki Kunwari Sali Ki Chudai)
दोस्तो नमस्कार, मैं राज शर्मा, एक बार फिर गरमागरम सेक्स कहानी को लेकर हाजिर हूं. अपनी मेरी पिछली कहानी पढ़ कर बहुत मेल किए, उसके लिए धन्यवाद. मुझसे फेसबुक पर जुड़ने वाले दोस्तों का भी आभार. सभी गर्म आंटी भाभियों का इतना प्यार देने के लिए दिल से शुक्रिया.
मेरे जिन दोस्तों ने मेरी पिछली कहानियों को नहीं पढ़ा, वो इस कहानी के शीर्षक के नीचे दिए मेरे नाम पर क्लिक करके मेरी पिछली कहानियां जरूर पढ़ें.
मुझे आपके मेल से पता चला कि मेरी कहानियों की कायल कुंवारी लड़कियां भी हैं. उनका भी मेल करने के लिए दिल से शुक्रिया. इसी तरह मेरी कहानियां पढ़ कर आप अपनी चूत में अपने बॉयफ्रेंड का लंड डलवाकर या उंगली डालकर अपना पानी निकालती रहें और मुझे मेल करती रहें.
दोस्तो, इस बार मैंने कहानी अपने ऊपर न लिख कर कुछ अलग अलग क़िरदारों के ऊपर लिखी है, ताकि मजा भी आए और आप मेरी महिला मित्रों के नंबर मांगने की जिद ना करें. आप सिर्फ एक कहानी समझ कर ही इसका आनन्द लें.
मेरा नाम रूपेश है. मेरी उम्र 25 साल है. यह कहानी मेरी और मेरे बड़े भाई की साली की बीच की चुदाई की है. मेरे बड़े भाई की एक साल पहले शादी हुई थी. मेरे भाई मेरी भाभी को खूब चोदते थे. मेरा कमरा उनके बगल में होने के कारण मैं रोज रात में उनकी चुदाई की आवाज अपने कमरे से सुनता रहता था. कई बार तो मैंने उन्हें बाहर जाकर खिड़की से भी चुदते हुए देखा. भाई भी उन्हें लगभग रोज ही चोदता था. भाभी भी पूरा मजा ले लेकर मेरे भाई से चुदवाती थीं. उन दोनों की चुदाई लीला देख कर मेरा भी चुदाई करने का दिल करने लगा, पर चोदूँ किसे.. ये समझ में नहीं आ रहा था.
फिर भाभी भी प्रैग्नेंट हो गईं और लास्ट के महीनों में उनकी देखभाल के लिए उनकी छोटी बहन हमारे यहां उनके देखभाल के लिए आ गई. उसे देखते ही मेरा लंड उछालें मारने लगा. वो भाभी जैसी ही दिखती थी, पर उसके चूच्चे भाभी से कुछ बड़े थे, शायद किसी ने उसके खूब दबाये होंगे.
पहले दिन से ही मैं उसे पटाने की कोशिश करने लगा. रहना तो उस हमारे ही घर में था, इसलिए कुछ ही दिनों में वो मुझसे घुलमिल गयी.
एक दिन वो औऱ मैं घर में अकेले थे. मैंने उससे पूछा- तुम्हें पता है तुम यहाँ क्यों आयी हो?
वो- हां दीदी मां बनने वाली है, इसलिए मैं उनकी मदद के लिए आई हूं.
मैं- तुम्हारी दीदी मां कैसे बनी, ये पता है?
वो- धत … ये भी कोई पूछता है क्या?
वो शरमा गयी.
मैं- चलो मैं बताता हूँ, तुम्हारी दीदी का पेट क्यों फूल गया है.
वो- अरे उनका बच्चा होने वाला है न … इसीलिए तो फूला है. देखो न कितनी सुन्दर लग रही है मेरी दीदी.
मैंने उसकी चूचियों को देख कर होंठों पर जीभ फिराई और कहा- तुम कहो तो तुम्हारा भी पेट फुला दूँ.. फिर तुम भी सुन्दर लगने लगोगी.
वो मेरे सीने में एक घूंसा मार कर भाग गई. मैं भी समझ गया कि बहुत जल्द ये मेरे लंड के नीचे होगी.
एक दिन मैंने उसका हाथ पकड़ कर सहला दिया, वो हाथ झटक कर दूर बैठ गयी.
शाम को फिर मैंने उसकी गांड सहला दी. वो बुरा सा मुँह बनाकर चली गयी.
मैं उसे जब भी समय मिलता, उसे छेड़ने लगता. धीरे धीरे उसने बुरा मानना कम कर दिया और दूर रहकर मुस्कुरा देती.
अगले दिन मैंने उससे कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?
उसने भी थोड़ी ना नुकर के बाद हां बोल दी. मैंने उससे बोला- अब तो तुम मेरी दोस्त बन गयी हो.. कोई गिफ्ट तो दे दो.
वो बोली- क्या दे दूँ?
मैं- एक किस दे दो.
उसने बोला- तो रोका किसने है … ले लो.
मैंने पहले उसके गाल चूमे औऱ फिर उसके होंठों की पप्पी ले ली. वो शरम से लाल हो गयी. अगले दिन से मैं उसे मौका पाते ही बिंदास पकड़ लेता औऱ चूमने लगता. ऐसे ही दोपहर में मैं उसके साथ चुम्माचाटी कर रहा था.
वो बोली- क्या करते हो, कोई देख लेगा.
मैं- अभी यहां कोई नहीं है. भाई बाजार गया है. मां और बापू खेत गए हैं और भाभी नहाने गयी हैं, थोड़ी देर तो मजे लेने दो ना.
वो मान गयी.
मैंने उसकी चूचियां दबानी शुरू की, वो कुछ न बोली.. तो मैं पाजामे के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा. इस पर वो मना करने लगी, तो मैंने उसे कस कर पकड़ लिया औऱ होंठ चूमते हुए उसकी चूचियां मसलने लगा. उसे भी मजा आ रहा था पर थोड़ी देर में भाभी की बाहर आने की आहट हुई, तो हम दोनों अलग हो गए.
मैं बाहर निकल गया और वो किचन में भाग गई.
अगले दिन मैंने उससे पूछा- मजा आया?
वो कुछ नहीं बोली.
मैं- बता न … मजा आया या नहीं?
वो- हटो.. मैं तुम्हें नहीं बताती, तुम बहुत शैतान हो. बहुत गलत हरकतें करते हो.
मैं- तुम्हें किसने बताया कि मैं गलत हरकतें करता हूँ. ये बताओ बस मजा आया कि नहीं.
वो- मुझे मेरी सहेलियों ने बताया था … पर हां मजा आया था.
मैं- तो और करोगी?
वो- न बाबा न.. तुम और आगे बढ़ोगे उसके बाद मुझे बहुत दर्द होगा.
मैं- ये किसने बताया कि दर्द होगा. उसने ये नहीं बताया कि उसके बाद कितना मजा आता है. मैं झूठ बोल रहा हूँ तो पूछ ले अपनी दीदी से.. मजे ले ले कर ही उन्होंने इतना पेट फुला रखा है.
वो- तुम्हें कैसे पता कि उन्होंने मजे ले रखे हैं.
मैं- अरे मैंने खुद अपनी आंखों से उन्हें रात में भाई के साथ मजे लेते हुए देखा है.
वो- ये भी कोई देखता है क्या?
मैं- हाँ देखते हैं.. जब देखने को मिल जाए तो.. पर अब तुम जो आ गयी हो तो देखूंगा नहीं, करूंगा तुम्हारे साथ. बोलो चुदोगी मुझसे?
वो- ना बाबा ना बहुत दर्द होगा.
मैं- अरे बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा. बहुत मजा आएगा. तुम्हें दर्द थोड़े ही होने दूंगा मैं. बड़े प्यार से चोदूंगा तुम्हें.
वो- तो ठीक है, जब घर में कोई नहीं होगा.. तब देखेंगे.
दो दिन बाद ही भाई भाभी को अस्पताल चेकअप के लिए ले गया. मां औऱ बापू भी खेतों में चले गए. वो और मैं अब घर में अकेले ही रह गए. मैंने उसे आज चुदाई करने को बोला, पर वो तो मान ही नहीं रही थी. मैंने पूरे घर के खिड़की दरवाजे बंद किए औऱ उसे अपने कमरे में बुलाया. पर वो आयी नहीं. मैंने उसे पकड़ लिया औऱ खींच कर अपने बिस्तर पर पटक दिया.
वो बोली- छोड़ दो मुझे नहीं तो मैं शोर मचाऊंगी.
मैं- शोर मचाएगी तो मचा … तेरी ही बदनामी होगी. चुपचाप पड़ी रह अभी छोड़ दूंगा.
वो- प्लीज़ छोड़ दे.
मैं- बस बाहर बाहर से मजे लूंगा … अन्दर नहीं करूंगा. इतना तो मजा लेने दे. तुझे मजा नहीं आया तो नहीं करेंगे.
वो ऊपर ऊपर से करवाने को मान गयी. उसे कहाँ पता था कि आज तो उसे चुदना ही है. धीरे धीरे मैंने उसे गरम करना शुरू किया. उसके होंठ चूमे, उसकी चूचियां मसलीं, चूत सहलाई … तो वो गरमाने लगी.
मैंने अपने और उसके कपड़े उतार फैंके, वो मना ही न कर पाई. फिर मैंने सहला सहला कर बिल्कुल ही गर्म कर दिया और उसकी ब्रा पेंटी भी उतार डाली. उसकी मक्खन चूत देखकर तो मैं पागल ही हो गया.
अब तो मेरा भी बुरा हाल था. मैं उसके ऊपर आ गया. और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. उसकी पूरी चूत पनियायी हुई थी. फिर भी वो मुझे मना कर रही थी.
मैं- बस बाहर बाहर ही रगडूँगा, जरा तू भी तो लंड का मजा ले ले.
वो कुछ नहीं बोली बस कुनमुना कर रह गई.
मैं- आ तो रहा है ना तुझे मजा?
वो- आ तो बहुत रहा है.. पर डर भी बहुत लग रहा है, कुछ हो गया तो?
मैं- अरे कुछ नहीं होगा, तुम आंख बंद करो और अपनी चूत रगड़ाई का मजा लो.
मैं फिर धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत पर घिसने लगा. उसका मजे के कारण आंखें बंद होने लगीं. जैसे ही उसने आंखें बंद कीं, तो मैंने लंड उसकी चूत के मुहाने पर सैट किया और उसी की चूत रस से लबालब लंड को एक जोरदार धक्के के साथ अन्दर पेल दिया. आधा लंड एक ही बार में उसकी चूत फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया. वो जोर से चिल्लाने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ पर घर में कोई था नहीं, तो मैंने उसका मुँह बंद किया और दूसरे जोरदार झटके के साथ पूरा लंड चूत में उतार दिया.
उसकी सील टूट चुकी थी और खून बाहर आने लगा. वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी. पर मैंने उसे दबा कर रखा. जैसे ही उसका दर्द कुछ कम हुआ. मैं उसे बेदर्दी से चोदने लगा. उसकी कुंवारी चूत फाड़ने का मजा ही कुछ औऱ था. उसने अपने ऊपर से हटाने की जितनी कोशिश की, मैं उतने ही तेज झटके मारने लगा.
धीरे धीरे उसने विरोध करना बंद कर दिया औऱ सीधी लेट गयी. मैंने भी उसे चोदना जारी रखा. उसकी चूत में लंड बहुत टाइट जा रहा था. कुछ देर बाद वो भी मजे लेने लगी और नीचे से अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगी- आहहहह आउच आह हहह … और जोर से चोदो और जोर से … आह मर गई रे ए.. फाड़ दो मेरी चूत को बहुत परेशान कर रही थी … आज निकाल दो इसकी सारी अकड़.. चूचियां तो खुद दबा दबा कर बड़ी कर लीं, पर लंड कहां से लाती.
‘तूने खुद मसली हैं अपनी चूचियां?’
वो- साली सहेलियों ने पूरा बिगाड़ कर रख दिया था … तुम वो सब छोड़ों … और अन्दर डालो लंड.. आह राजा.. आज कोई रहम ना करो इस निगोड़ी चूत पर.
उसने मेरा जोश बढ़ा दिया. साली बहुत मजा दे रही थी. मैंने भी धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी. कमरे में फच्छ फच्च की आवाज गूंज रही थी. उसने मुझे जोर से जकड़ लिया औऱ नीचे से अपनी चूत उछालने लगी. दोनों को बहुत मजा आ रहा था.
कुछ देर में ही हम दोनों का एक साथ हो गया औऱ मैंने सारा माल उसकी चूत में भर दिया. कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया. लंड निकलते ही उसकी चूत से खून के साथ उसका और मेरा माल बाहर निकलने लगा. मैंने उसे उसी की पेंटी से साफ़ किया और उसे बाथरूम ले गया और उसकी चूत की अच्छे से गरम पानी से सिकाई की. उसकी चूत लाल हो गयी थी. उससे चला भी नहीं जा रहा था. कुछ देर सहारा देखर उसे चलाया, तो वो कुछ चलने लगी.
मैंने उसे बताया कि भाभी के आने पर बता देना आज बाथरूम में फिसल गई थी, वरना तेरी चाल देखकर कोई भी समझ जाएगा कि तेरी चूत में आज किसी ने लंड पेला है. मैं उसे उसके कमरे में लिटाकर उसके लिए दर्द कम होने की दवा और आईपिल लेने मार्केट निकल गया.
मेरे आने से पहले भाई भाभी आ चुके थे और वो बात सम्हाल चुकी थी. रात मैं मैंने उसे दोनों दवाइयां खिला दीं. इस तरह मैंने एक कुंवारी कली चोद डाली.
फिर कुछ दिन तो उसने मुझे हाथ भी लगाने नहीं दिया. पर फिर वो भी चुदने को मान ही गयी. फिर जब तक वो हमारे घर रही, मैंने उसे जहाँ भी मौका मिला और वहां चोदा. सब कुल उसे मैंने 15 बार चोदा. भाभी का बच्चा होने के बाद वो वापस चली गयी.
उसके बाद हमारा कभी इस तरह मिलना जुलना न हो सका. अब तो वो भी शादीशुदा है, पर जब भी कभी मुलाकात होती है.. हम एक दूसरे को देखकर बस मुस्कुरा जाते हैं. क्योंकि मेरी तरह उसे भी अपनी पहली चुदाई जरूर याद होगी.
आपको मेरी कहानियां कैसी लगती हैं. आप अपने सुझाव व जवाब मुझे मेल या फेसबुक पर इसी आईडी पर दे सकते हैं.
आपके जवाब के इंतजार में आपका अपना राज.
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