कमसिन जवानी की चुदाई के वो पन्द्रह दिन-7
(Kamsin Jawani Ki Chudai Ke Vo Pandrah Din- Part 7)
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अब तक आपने पढ़ा कि सुनील और महेश मुझे अपनी फोरचूनर गाड़ी में डाल कर मेरी जवानी को टच कर रहे थे. उन्होंने मेरी पेंटी उतार कर फेंक दी थी और मुझे चुदाई के लिए अपने बंगले पर ले जाने के लिए मेरी मम्मी से भी परमीशन ले ली थी. जबकि मेरी मम्मी को राज अंकल के जरिये उन दोनों ने ये बताया था कि मेरी तबियत ठीक नहीं है और मैं आराम करने उनके साथ उनके बंगले पर जा रही हूँ.
उधर उन दोनों ने मेरी चुदाई की तैयारी शुरू कर दी थी और अपने दो दोस्तों को भी मेरी नंगी चूत की फोटो भेज कर बुला लिया था.
अब आगे..
महेश ने मेरे पीछे खिसक कर मुझे अपनी गोदी में लिटा लिया और मेरा सर अपनी गोदी में रख लिया. सुनील भी थोड़ा उठ गया. अब मुझे बीच वाली सीट में पूरा लिटा दिया.
ड्राइवर बाहर था तो सुनील ने कांच खोलकर उसको आवाज दी तो वह आ गया. ड्राइवर के आते मैं वैसे ही उठने लगी. तो सुनील ने मुझे पकड़ लिया. वो बोला- कोई दिक्कत नहीं है.. ये अपना ही ड्राइवर है. इसके सामने सब चलता रहता है.
वो ड्राइवर को बोला- तुम गाड़ी सीधे बंगले तरफ ले लो और पीछे क्या हो रहा है, उसे भूल जाओ.
ड्राइवर ने गाड़ी चला दी.
इधर मेरा सर महेश की गोद में था, तो उसने अपना सर झुका कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे होंठों को चूमने लगा. वो बहुत अलग ही तरीके से मेरे होंठों में अपनी जीभ को धीरे धीरे ऐसे चला रहा था कि मेरी हालत उसकी हरकत से बिगड़ रही थी.
फिर महेश ने बोला- वन्द्या तू बहुत लकी है. आज समझ ले तेरी किस्मत खुल गई, तू आज के बाद चाहे तो यह धंधा छोड़ दे, सिर्फ हम लोगों की बन कर रहना. हम तुझे यहीं घर दिला देंगे. तेरे रहने का सब इंतजाम कर देंगे. तुझे कोई दिक्कत नहीं आएगी.
मैं अब समझ गई कि यह लोग मुझे फुल रंडी समझ रहे हैं. पता नहीं राज अंकल ने इनको क्या क्या बोला है, क्या कैसे कहा होगा कि यह सब मुझे धंधे वाली समझ रहे हैं. इनको लगता है कि मैं बुकिंग में चुदने आई हूं. पर मेरा मूड बहुत अलग है इसलिए बहुत सफाई देती भी तो कैसे देती कि मैं रंडी नहीं हूं, ना धंधे वाली हूं, आज तक मैं यह सब पैसे के लिए नहीं किया था, ना कभी ऐसे बुकिंग जैसे कह कर कोई ने मुझे चुदाई के लिए कहा था.
पर हां … लालच मेरे भी मन में था, वो भी सिर्फ और सिर्फ अच्छे अच्छे स्टाइलिश कपड़ों को लेने की लालच थी. उस हिसाब से थोड़ा मैंने आने के लिए हां कहा था, पर पता नहीं राज अंकल ने इन लोगों को क्या बोला था. वे उन्हें शायद मुझे रंडी ही बोल कर लाए थे.
इतने में मेरी टांग को फैलाकर सीट में नीचे से आकर सुनील सीधे मेरी चूत में अपना मुँह रखकर अपनी जीभ से चाटने लगा तो मेरी हालत और खराब होने लगी. मैं अपने हाथ से उसके बाल पकड़कर दबाने लगी. मैं तो पागल वैसे ही थी, जब से कार में जगत अंकल लोगों ने मुझे चोदना शुरू किया था.
उधर ऊपर से महेश ने मेरे टॉप और समीज को ऊपर समेट कर गर्दन तक ला दिया. अब मेरा पेट और दूध सब दिखने लगे.
मेरी नाभि को देख कर महेश बोला- ओ माय गॉड … तू तो पागलपन की हद तक सेक्सी है, क्या गदराया फिगर है तेरा … तू बहुत जबरदस्त माल है. बस तेरे दूध थोड़े छोटे हैं पर आज रात ही उन्हें दबा दबा कर बड़ा कर देंगे, तू चिंता मत कर!
वो मेरी नाभि में अपनी उंगली चलाने लगा और एक हाथ से मेरे दूध दबाने लगा.
सुनील जो अब तक मेरी चूत चाट रहा था, वो उठा और बोला- सच में यार, भैन की लौड़ी बहुत गर्म माल है. इसकी चूत इतनी गरम है. साली कोई भी चूत इतनी हॉट नहीं होती. क्या करूं यार बहुत टेस्टी भी है. लगता है यहीं शुरू हो जाऊं. बंगले पहुंचते-पहुंचते तो 15-20 मिनट लगेगा.
महेश बोला- तो ठीक है … डाल दे न … क्या रह गया है अब? तू अपना ज्यादा मत सोच, बेचारी वन्द्या की हालत भी देख … देख लंड घुसवाने के लिए कैसी तड़प रही है.
यह सुन कर सुनील ने तुरंत अपना पैंट और अंडरवियर उतारा और नंगा हो गया. उसका लंड करीब 8 इंच से बड़ा था. उसका लंड बहुत ही कड़क लग रहा था. सुनील ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लंड को मेरे हाथ में पकड़ा दिया और मुझसे रगड़वाने लगा. मुझे अजीब सा महसूस होने लगा. सुनील का लंड बहुत ही गर्म था.
वो मुझसे बोला- तू तो पागलपन की हद तक चुदासी है. मैं तुझे अभी ही चोदे दे दे रहा हूं. तुझे लंड लेने में बहुत मजा आएगा. बंगले पर चल … वहां तुझे रमीज और अब्दुल के लंड भी मिलेंगे. जिनसे चुद कर तू पागल हो जाएगी. उनके लौड़े मेरे से दोगुने साइज के हैं.
मुझे बड़े लंड की सुन कर और ज्यादा चुदास चढ़ने लगी.
वो मुझसे पूछने लगा- कभी दूसरे धर्म वाले का लंड लिया है?
मैं बोली- नहीं आज तक नहीं लिया.
वो बोला- आज लेगी?
मैंने हां में मुंडी हिला दी.
फिर सुनील ने पूछा- मैं अभी डाल दूं? चुदवाएगी न?
मैंने फिर से हां में सिर हिला दिया तो महेश बोला- अबे पूछता क्या है, डाल दे न यार … देख बेचारी की चूत हालत देख कैसे बह रही है. यह बहुत गर्म लड़की है. अब की बार राज ने गजब का माल दिलवाया है.
सुनील ने मेरी दोनों टांगों को पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया और मेरी कमर को अपनी हथेली से और ऊपर उठा दिया. उसके बाद वो मेरी चूत को सहलाने लगा.
तो मैं अपने आप ही बोली- यार तड़पाओ नहीं … सीधे डाल दो, अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है.
वो हंसकर बोला- क्या डाल दूँ?
मैंने मजबूर होकर कह ही दिया- सुनील अंकल, अपना लंड पकड़ कर मेरी चूत में घुसा दो.
सुनील ने उसी समय अपना लंड मेरी चूत में फिट कर दिया. जैसे ही सुनील का लंड मेरी चूत में टच हुआ, मैं ऊपर महेश को पकड़ कर उसे किस करने के लिए बेताब हो गई. महेश ने अब अपनी गोदी से मेरा सिर हटा दिया और सीट में ही सर रखकर अपना पैंट खोलने लगे. महेश ने कमर से पैन्ट और अंडरवियर हटा दिया. उसका भी लंड बहुत मस्त और बड़ा था. शायद सुनील से ज्यादा मोटा और बड़ा लंड था.
महेश बोला- वन्द्या चल तू मेरा लंड चूस … बहुत मस्त लंड है.
मैंने अपने हाथ से महेश का लंड पकड़ लिया. तभी सुनील ने धीरे से मेरे अन्दर लंड डालना शुरू किया. उसने इतना आराम से डालना शुरू किया था कि मुझे दर्द का जरा भी पता नहीं चल रहा था.
जब उसके लंड ने और अन्दर घुसना शुरू हुआ तो मुझे दर्द होने लगा. मैंने अपने सर की तरफ खड़े महेश का कमर पकड़ ली तो महेश सीट पकड़कर झुक गया और उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया. महेश ने अपने लंड को मेरे होंठों में टच करा दिया. मैंने पूरा लंड मुँह में भर लिया. महेश का ठाकुर जितना बहुत बड़ा तो नहीं था, इसलिए पूरा अन्दर चला गया. मैं लंड को जीभ से चाटने चूसने लगी.
तभी सुनील ने अब एक झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया. मैंने अपने मुँह से महेश का लंड बाहर निकाल दिया और जोर से चिल्ला उठी- उई माँ … मर गई … निकालो मुझे बहुत दर्द हो रहा है. उम्म्ह… अहह… हय… याह…
तब महेश बोला- कुछ नहीं होगा, दो मिनट सब्र रख ले.
मैं तड़फ कर बोली- नहीं … मुझे नहीं करवाना है … प्लीज निकालो … बहुत दर्द हो रहा है, मम्मी बचाओ.
मैं तेज तेज से चिल्लाने लगी. कार चल रही थी और सुनील मेरी चूत के अन्दर लंड डाले धक्के मारने में लगा रहा. मैंने कसके महेश को पकड़ कर नाखून गड़ा दिए और कसके चिल्ला रही थी.
तभी महेश ने फिर से मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया और बोला- साली चिल्ला मत कुतिया … अभी ठीक हो जाएगा, नई नवेली है इसलिए अभी एक दो साल थोड़ा दर्द होगा, पर मजा भी उतना ही मिलेगा.
अब मेरी चीख भी नहीं निकल रही थी, क्योंकि मेरे मुँह में महेश अपना लंड डालकर उसे अन्दर बाहर करने में लग गया था.
दर्द के मारे करीब चार-पांच मिनट तक मुझसे रहा नहीं जा रहा था. महेश मेरे दोनों दूध पकड़ के जोर जोर से इतना दबाने लगा कि वहां भी दर्द होने लगा. साथ ही महेश मेरे मुँह में गले गले तक अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहा था. गाड़ी अपनी स्पीड से चल रही थी, तभी चार पांच मिनट बाद धीरे-धीरे से मेरा दर्द कम होने लगा और मैं अब बिल्कुल अपने आप से बाहर होने लगी. मुझे खुद नहीं पता कि अब क्या हो रहा है. बस मैं कसके अपनी कमर को ऊपर उठाने लगी.
तब सुनील बोला- आह अब यह आ गई अपनी लाइन पर … बहुत मस्त चुदक्कड़ है यार! इसकी चूत बहुत टाइट है. इसकी चूत लेने में बहुत मजा आ रहा है.
सुनील जोर जोर से लंड के झटके मारने लगा. सुनील का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा जा रहा था. जैसे तेज रफ्तार से गाड़ी चल रही थी, वैसे सुनील का लंड भी मेरी चूत में जोर जोर से चल रहा था. उधर महेश मेरे मुँह में अपना पूरा लंड डालकर मेरे मुँह को चूत समझकर चोद रहा था. मेरे मुँह से भी फच फच की आवाज आने लगी.
मैं बोली- सुनील जोर से चोद मुझे … मैं पागल हो रही हूं, आज मेरी चूत को फाड़ दे.
सुनील बोला- वन्द्या, तू बहुत बड़ी रंडी है.. कोई तेरी उम्र पर ना जाए, तो तेरी चूत में बहुत गर्मी है. इतनी तपिश मैंने आज तक किसी चूत में नहीं देखी, जैसी तेरी चूत में है.
तभी इस चुदाई के खेल में उनका बंगला आ गया. नीचे की तरफ उनकी गाड़ी खड़ी हुई तो ड्राइवर बोला कि मालिक आपका बंगला आ गया.
वो मुझसे बोला- तू कुछ पहनेगी या ऐसे ही ऊपर चलेगी?
मैंने पूछा- यहां कोई है क्या?
महेश बोला- नहीं कोई नहीं है.
मैं बोली- तो फिर मुझे ऐसे ही ले चलो.
सुनील ने अपनी गोद में उठाकर मुझे नंगा ही उठा के अन्दर ले गया.
उनका ड्राइवर मुझे घूरने लगा तो महेश बोला- अबे घूर क्या रहा है हम लोगों का जब काम हो जाएगा, तब तू भी आकर कुछ शॉट मार लेना. यह तो रंडी है बुकिंग में लाए हैं. साली पूरी रात के लिए है.
तब मैंने जाना कि राज अंकल ने मेरी बुकिंग की हुई है. ये सब मुझे इसीलिए रंडी समझ रहे हैं. वे मुझे ऊपर तक नंगी ही उठाकर ले गए. मेरे सारे कपड़े गाड़ी में ही छोड़ दिए. वे मुझे ऊपर फर्स्ट फ्लोर में लेकर गए. वहां बहुत बड़ा बेडरूम था. एसी सहित सब तरह से सजा हुआ बहुत ही सुंदर कमरा था. महेश ने मुझे डबलबेड पर पटक दिया.
वो बोला- सुनील तू बहुत बड़ी चुदैल लाया है. ऐ सुन तू, कुतिया से भी ज्यादा चुदवाती है साली वन्द्या … आज इसी बंगले में तेरी चूत की चुदाई कम से कम 5 लोग एक साथ करेंगे. तेरी गांड भी चोदेंगे. तू आज चुद कर पागल हो जाएगी और हम सबको जिंदगी भर याद करेगी. दो और भी तुझे चोदने आ रहे हैं. वे पठान हैं, तेरी चूत फाड़ देंगे उनके लंड बहुत बड़े-बड़े हैं. तू अभी तो हम लोगों से ही चुदवा ले.
सुनील ने महेश से पूछा- महेश तू गौर से अच्छे से इस वन्द्या की गांड देख … क्या मस्त गांड है. इसकी गांड को कोई भी चोदने को पागल हो जाएगा.
यह कह कर उसने मुझे पीछे घुमा दिया. और उसने बोला- यह अब कुछ भी चिल्लाती रहे, बोलती रहे … कोई फर्क नहीं पड़ता. इसको दौड़ा-दौड़ा कर चोदेंगे.
इतने में महेश ने मुझे पीछे तरफ घुमा दिया. वो मेरे कूल्हों को फैलाकर अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा और बोला- वन्द्या तू सच में बहुत बड़ी कुतिया है.. आह आज मैं सिर्फ तेरी गांड चोदूंगा.
उसने यह कह कर अपने लंड का सुपारा मेरी गांड में फिट कर दिया.
महेश ने सुनील को बोला- यार तू कुछ पहन के नीचे जा, दारू की बोतल ले आ. तब ही इसकी गांड मारने का मजा आएगा. तू ला, जब तक मैं इसकी गांड ढीली करता हूं.
वो मुझसे बोला- थोड़ा गांड उठा ले वन्द्या.. घोड़ी टाइप की या कुतिया टाइप की बन जा.
उसने मेरी कमर उठाकर मुझे कुतिया बना दिया और पूरा लंड सैट करके मेरी गांड में लंड पेलने लगा. मुझे तेजी से दर्द हुआ तो मैं चिल्लाने लगी.
तब महेश बोला- और चिल्ला मादरचोदी बहुत गंडमरी है … तुझे तो आज बहुत चोद दूंगा.
उसने मेरे बाल पकड़कर मेरे कूल्हों में दो थप्पड़ भी लगाए और पूरा लंड सैट करके एक झटके में घुसा दिया. मैं दर्द से चिल्लाने लगी, पर वह उनका बंगला था और शायद साउंडप्रूफ कमरा था. मेरी चीख का कोई मतलब नहीं निकला.
महेश अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा कर मुझे चोदने लगा. वो जोर-जोर से करीब दो-तीन मिनट तक मेरी गांड चोदता रहा. फिर मैं जाकर कुछ नॉर्मल हुई और अब मेरी गांड का दर्द भी खत्म हो चुका था.
अब मैं भी अपनी कमर उठाने लगी और महेश को गाली देकर बोली- कुत्ते और डाल अन्दर साले मादरचोद.. बहुत मस्त तेरा स्टाइल है.. क्या मोटा लौड़ा है तेरा.. साले महेश मेरे दूध भी दबा जोर जोर से भैन के लौड़े.
इतने में महेश पीछे से हाथ डालकर मेरे दूधों को दबाने लगा और कसके लंड डालने लगा. महेश अभी मुझे बहुत मस्त चोद ही रहा था कि अचानक अन्दर रूम में दो बहुत हट्टे कट्टे लोग आ गए और पीछे से सुनील भी आ गया.
मुझे चुदते देख वे दोनों हट्टे कट्टे लोग चौंक गए और उनमें से एक बोला- यह तो बहुत बड़ी रंडी लग रही है. कहां से पकड़ लाए इसको. यह तो साली हीरोइन से भी सुंदर है. कितनी मस्त गांड है इसकी, हम लोग तो सिर्फ गांड मारने के ही दीवाने हैं. इसका नाम क्या है?
तभी सुनील ने कहा- वन्द्या नाम है इसका. यह राज के रिश्तेदारी के घर की लड़की है, पर बहुत मस्त चुदवाती है. बहुत चिल्लाती भी है.
जो अभी नए आए थे, वो बोले कि साली जितना ज्यादा चिल्लाएगी, उतना ज्यादा मजा आएगा.
सुनील बोला- तुम दोनों इसकी गांड चोद चोद के फाड़ देना. आज पूरी रात के लिए अपने नीचे रहेगी. तुमको जितना चोदना हो, चोद लेना. इसकी मम्मी भी आ रही है, उसकी एज लगभग 45 वर्ष है, पर वह इसकी मम्मी है, इसलिए उसको भी चोदना जरूरी है. और इसकी मम्मी को चुदते हुए इसको दिखाना है, ऐसा राज ने कहा है.
मैं यह सब सुनकर सन्न रह गई.
वे दोनों मेरे देखते-देखते अपने कपड़े उतारने लगे.
एक बहुत काला सा था, उसने बोला- मेरा नाम अब्दुल है.
दूसरा जो थोड़ा लंबा था, उसने अपना नाम रमीज बताया. वो मुझसे बोला- साली कुतिया कहां से आई है तू … तेरी तो बहुत मस्त गांड है. तुझे देख कर ऐसा लगता है कि लंड लगाते ही पानी बाहर आ जाएगा.
अब्दुल बोला- अबे सुनील तू यह कपड़े उतार दे बे.. अपन चारों नंगे होकर फर्श पर लिटा कर इसकी सब तरह से चुदाई करते हैं.
ऐसा बोलते ही सुनील ने फिर से अपना बरमुंडा उतार दिया, टी-शर्ट को फेंक दिया. कुछ ही देर में वे चारों फुल नंगे हो चुके थे. मैं बेड पर लेटी थी.
तभी उनमें से, जिसका नाम अब्दुल था. वह मेरे करीब आया और महेश से बोला- तू इसकी गांड बाद में चोद लेना. अब सब लोग जरा मेरे तरीके से इसको चोदो. अब महेश तू उठ, अपन इसको नीचे फर्श में लिटाते हैं. उधर थोड़ा मस्त मजे लेंगे.. साली की चुदाई का पूरा पैसा दिया है.. तो पूरा वसूल भी करना है.
ऐसा कह कर उसने मुझे उठा कर गोदी में नीचे चिकने फर्श पर लिटा दिया.
जैसे ही मुझे फर्श पर लिटाया, रमीज बोला- अबे यार इसको ऐसे मत लिटाओ, नीचे गद्दा डाल लो, तब और अच्छी पोजीशन बनेगी.
वो काला लंबा चौड़ा अब्दुल बोला- हां सही बोला भाई, चल बेड वाले गद्दे उठा कर नीचे डाल दे.
उन्होंने डबल बेड के गद्दे उठा कर नीचे फर्श पर बिछा दिए और मुझे उठाकर गद्दे पर लिटा दिया. अब्दुल ने मेरी तरफ देखते हुए बोला कि बता हम चारों का लंड एक साथ ले लेगी?
मैं कुछ नहीं बोली, पहली बार किसी दूसरे धर्म वाले को मैं इस तरह से अपने पास देख रही थी. तभी अब्दुल ने मुझे अपने दोनों हाथ से उठाया और अपनी गोदी में ऐसे ले लिया, जैसे छोटी बच्ची या कोई खिलौना होऊं. सच में वो बहुत ताकतवर था. मैंने उसकी गर्दन पकड़ ली कि कहीं गिर ना जाऊं. उसने कमर में अपने खड़े खड़े मुझे चिपका लिया. उसकी छाती मेरे सीने से लग गई.
वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर मुझसे बोला- बोल न … सबके लंड एक साथ लेगी?
मैं उसकी तरफ आंखें करके एकटक उसे देखने लगी.
वो बोला- माशाल्लाह … क्या खूबसूरत कातिल निगाहें है तेरी! बहुत प्यासी आंखें हैं. तुझे तो सालिम खा जाने का मन करता है. बला की खूबसूरत है तू … बिल्कुल कयामत लगती है वन्द्या.
अपनी तारीफ में उसकी बातें सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा. उसने मुझे खड़े खड़े ही अपनी कमर से लगा दिया. फिर उसने अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और मेरे को बोला- वन्द्या तू ऐसे ही खड़े हुए में बता दे. तेरी गांड और चूत जहां बोलेगी, वहीं लंड डाल दूंगा. ये विदेशी स्टाइल है. देखना तुझे ऐसे में ज्यादा मजा आएगा.
अब्दुल का पहाड़ सा मोटा लंड था. मैं उसकी कमर से लिपट गई. मैंने सोचा कि यह अब्दुल ऐसे ही खड़े खड़े लंड डालेगा. पर उसने वैसे नहीं किया बल्कि मेरे को वैसे ही लिए हुए नीचे गद्दे में लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया. अब अब्दुल का लंड मेरी चूत में टच हो गया.
सच बताऊं तो मेरा बहुत मन कर रहा था कि अब्दुल अब बिना देरी किए अपना लम्बा मोटा लंड मेरी चूत में पूरा घुसा दे और फिर मेरे को जमकर चोदते हुए मसल दे. मेरी अंधाधुंध चुदाई कर दे.
शायद अब्दुल ने भी जैसे मेरे मन की बात समझ ली थी. उसने बिना कुछ हरकत किए मेरी टांगों को फैला दिया.
कहानी जारी है.
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