चूत की आग के लिए मैं क्या करती-9
(Choot Ki Aag Ke Liye Mai Kya Karti- Part 9)
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फिर हम लेटे लेटे बात करने लगे, मैंने कहा- कल और मजा आएगा, कल सुशील भी आ जायेगा।
सुनीता- अब यह सुशील कौन है?
मैंने कहा- यहीं पास में रहता है, काफी अच्छा लड़का है और हम तीनों खेल चुके हैं।
सुनील- हाँ सुनीता जी, काफी अच्छा लड़का है और उसका लंड काफी सुंदर और बड़ा है, आपको आज से ज्यादा मजा आएगा, बहुत अच्छे से चोदन करता है।
और उसकी तारीफ करते हुए हम तीनों कब सो गए पता ही नहीं चला।
तीनों बिना कपड़ों के थे, रात को सुनील की नींद खुली तो वो सुनीता को फिर चोदने की तैयारी में था, सुनीता भी इसके लिए जैसे तैयार थी, पलंग हिलने से मेरी नींद खुली तो मैंने कहा- सुनील क्या बात है, काफी मर्दानगी आ रही है?
सुनील- क्या करूँ भाभी! आप दो दो हसीनाओं के बीच होने के बाद भी मर्दानगी जोश नहीं मारेगी तो कब मारेगी! और फिर सुनीता की सुन्दरता मुझे पागल कर रही है, मैं आपको तो फिर भी कभी भी रगड़ लूँगा पर इनको चोदने का मौका कब मिलने वाला है पता नहीं और यह कभी मेरे साथ सेक्स का हाँ भरे या नहीं?
सुनीता- क्या बात करते हैं? सुनील जी आपके साथ जो मजा आया है शायद कभी ऐसा मजा नहीं आया था और आज से मैं आपकी गुलाम हूँ, आप जब भी आदेश करेंगे, मैं आपके नीचे बिछने के लिए तैयार हूँ, बस आप चोदते रहे, कभी आपका लंड मेरे अन्दर से बाहर ना निकले, ऐसा मन करता है।
मुझे कुछ नहीं सूझा, मैं अपने हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी तो सुनीता ने मुझे इशारा करके अपने पास बुला कर मेरी चूत अपनी जुबान से रगड़ने लगी, मुझे मजा आने लगा।
इधर सुनील के धक्के तेज हो रहे थे, उसके धक्के से सुनीता की जुबान भी तेज चल रही थी और हम दोनों सुनीता और मैं साथ साथ झड़ गए। सुनील ने सुनीता की चूत से बाहर निकाल कर लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और तेज तेज प्रहार करने लगा।
थोड़ी देर में मैं फिर झड़ गई। सुनील ने फिर अपना लंड बाहर निकाल कर सुनीता की चूत में डाल दिया और उसकी सेवा करने लगा। थोड़ी देर में सुनीता की चूत में ही सुनील झड़ गया तो मैं उससे लड़ते हुए बोली- मुँह में क्यों नहीं दिया?
और मैं सुनीता की चूत चाटने लग गई। दोनों के रस का स्वाद और भी मजेदार था। मैंने थोड़ा सा रस मुँह में लेकर सुनीता को भी चखाया, सुनीता को भी मजा आ गया, बोली- वाह सुरभि! मजा आ गया! तुम्हारी वजह से मेरा जीवन धन्य हो गया! सुनील जी, थैंक्स!
सुनील- आप जैसे खूबबसूरत औरत पाकर मैं धन्य हो गया, कल सुशील मैं आप और भाभी सभी मिल कर और ज्यादा मजा करेंगे।
मैंने बीच में कहा- तुम दोनों के लिए एक और सरप्राइज है, वो कल ही पता लगेगा और इतना मजा आएगा कि बस…
दोनों आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगे और पूछने लगे तो मैंने कहा- यह तो कल ही पता चलेगा।
सुनील और सुनीता बस पूछते रहे पर मैंने नहीं बताया।
खैर रात को हम सो गए, अगले दिन तो सुनीता अकड़ गई थी, उसकी इतनी ज्यादा चुदाई पहली बार हुई थी।
शाम को सुशील का फोन आया- भाभी, मैं आ गया हूँ, क्या आदेश है मेरे लिए? क्या करूँ क्या नहीं?
मैं- अरे सुशील, आ जाओ ना! मैं कब से इन्तजार कर रही हूँ तुम्हारा!
सुशील- और रवि को..?
मैं- जरूर लेकर आओ! और तुम्हारे लिए एक तोहफा भी है, शायद तुमको अच्छा लगे, सब काम से निपट कर आना, बार बार जाने का काम मत रखना।
रात करीब आठ बजे सुशील आ गया। उस समय सुनील टीवी देख रहा था, उसने आते ही सुनील से नमस्ते किया, सुनीता मेरे साथ रसोई में थी।
वो सीधा मेरे पास आया- भाभी, मैं आ गया!
ऐसा कहता हुआ आ ही रहा था कि सुनीता को देख कर ठिठक गया और नमस्ते भाभी नमस्ते दीदी!
उसको लगा कि कोई मेरी ननद वगैरह कोई होगी।
सुशील- अच्छा भाभी, मैं यह कहने आया था कि कोई काम हो तो बोल देना, मैं आ गया हूँ, और मैं अब चलता हूँ।
मैं- अरे सुशील, कहाँ जा रहे हो? रुको! यह सुनीता है, मेरी सहेली! और तुम रवि को लेन वाले थे? क्या हुआ उसका?
सुशील- वो अब आएगा भाभी! मैं उसको फोन करूँगा तब!
खाना बन चुका था, मैंने कहा- रवि को भी बुला लो, वो भी साथ खाना खा लेगा।
सुशील ने उसको फोन लगाया, उसने कहा आता हूँ! पाँच मिनट में पहुच जाऊँगा, तुम्हारे फोन का ही इन्तजार था।
सुनील और सुनीता कुछ नहीं समझे थे, तब तक सुनील ने मुझे अंदर आने का इशारा किया, हम दोनों अंदर गए, उसने पूछा- यह कौन है? और सब क्या है?
मैंने कहा- यह भी हमारी राजदार है और तुम लोग इसको भी भोग सकते हो।
सुशील ख़ुशी से उछल पड़ा- सच भाभी?
और उसने मुझे ख़ुशी से चूम लिया। घंटी बजी, यह रवि ही था, सुशील ने दरवाजा खोला, रवि अंदर आ गया, वह इतने सब लोग देख कर घबरा गया- नमस्ते भाभी!
बोल कर एक तरफ बैठ गया। सुनील रवि को देख रहा था, वो मेरी तरफ आश्चर्य से देख रहा था। मैंने कुछ नहीं बोला।
सुशील ने परिचय कराया- यह रवि है मेरा दोस्त! और ये सुनील भैया हैं, और ये सुनीता दीदी हैं।
थोड़ी देर में ही रवि हम सबमें घुलमिल गया। रात के 9.30 बज चुके थे, टीवी चल रहा था, कुछ मजेदार देखते हैं!
माहौल को सेक्स की तरफ ले जाने के लिए मैंने सेक्सी फिल्म लगा दी, सब मजे से देखने लगे, सब गर्म होने लगे।
सुनील ने सुनीता के कबूतर दबा कर कहा- क्या हो रहा है सुनीता जी? क्या हाल है?
सुशील मेरे पास आ गया और मेरे साथ मजे लेने लगा। रवि बैठा सब देख रहा था, उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था तो वो टीवी देख रहा था।
मैंने सुशील से कहा- रवि को बुला लो, बेचारा अकेला बैठा है।
रवि मेरे पास आ गया, मैंने उसके लण्ड पर हाथ रख दिया, वो पूरी तरह से कड़क हो रहा था, मैंने कहा- वाह रवि बाबू! बिन कुछ करे इतना कड़क?
रवि बोला- क्या करूँ भाभी! सब कुछ देख देख कर मेरा हाल बुरा है, मैंने आज से पहले ये सब नहीं देखा था।
सुनील ने अब तक सुनीता को उपर से नंगा कर दिया था, उसके दूध बाहर आ चुके थे, उस पर सुशील की नजर पड़ गई, सुशील बोला- वाह क्या कबूतर हैं सुनीता जी के!
मैंने कहा- छू कर देखो और मजा आएगा।
सुशील सुनीता के पास गया अब मैं और रवि रह गए थे। सुशील सुनीता के बूब्स पर लग गया और रवि मेरे! रवि मुझ पर मरता था, वो मुझे बेतहाशा चूम रहा था और जोर जोर से मेरे बूब्स दबा रहा था, मुझे मजा आ रहा था।
सुशील और सुनील ने सुनीता के एक एक स्तन पकड़ रखा था और दोनों दबा रहे थे।
मैंने पूछा- क्यों सुनीता, कैसा लग रहा है?
सुनीता बोली- मजा आ रहा है यार! ऐसा लग रहा है कि मैं किसी अंग्रेजी फिल्म की हिरोइन हूँ।
अब सुनीता का हाथ सुशील के लिंग पर जा पहुँचा था, वो भी धीरे धीरे सुशील को नंगा कर रही थी, उसने उसका लिंग बाहर निकाल लिया और सुनील खुद ही नंगा हो गया। सुनील का ध्यान सुशील के लिंग पर गया, उसने उसके लिंग को छू लिया, बोला- सुशील, क्या मजेदार लिंग है तुम्हारा!
और आगे पीछे करने लगा। सुशील को मजा आया वो बोला- सुनील भैया, आपने रवि का नहीं देखा न इसलिए ऐसा कग रहे हो, एक बार उसका देख लोगे तो मजा आ जायेगा!
इतना कहते ही मैंने रवि की पैंट खींच दी और रवि को नंगा कर दिया। अब सबका ध्यान रवि के ऊपर गया। सुनीता सुशील-रवि दोनों का लिंग बारी बारी देख रही थी, उससे रहा नहीं गया, उसने कहा- सबके लिंग अलग अलग तरह के होते हैं, यह मुझे आज पता लगा। जब भी यह बात होती थी कि सबके साथ अलग अलग मजा आता है तो मैं नादान नहीं समझ सकती थी। अगर सुरभि तू नहीं मिलाती तो!
सुनीता ने सुनील का लिंग मुँह में ले लिया, मैंने रवि का! सुशील अकेला था तो सुनील ने उसको पास बुलाया और सुनील ने सुशील का लिंग मुँह में ले लिया। सब मजे कर रहे थे।
थोड़ी देर में रवि से नहीं रहा गया, उसने कहा- प्लीज भाभी, मुझे आपकी चुदाई करनी है, फिर जितना चाहे चूस लेना। मुझ से नहीं रहा जाता है अब और!
वो मेरे मुँह से हट कर जल्दी से मेरी चूत पर आ गया। उसका सात इंच लम्बा, पतला, एकदम सीधा लिंग था, काफी सुंदर और आकर्षक! कोई भी देख कर मुँह में लेने का मन बना ले।
उसने अंदर डालते ही बस…
कहानी अभी बाकी है।
आपके मेल के इन्तजार में
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