नई जगह, नये दोस्त-2
(Nai Jagah, Naye Dost- Part-2)
मेरी गांडू सेक्स कहानी के पहले भाग
जगह नई नये दोस्त-1
में अपने पढ़ा कि मेरी उम्र अब 27-28 साल हो चुकी थी तो अब मैं चिकना नहीं रहा था, मुझे लौंडे नहीं मिलते थे. फिर भी मेरा एक रुम पार्टनर था, उसकी गांड मारी मैंने. फिर मुझे एक और खूबसूरत जवान लड़का मिला. उससे बात हुई.
अब आगे:
उसने हल्के से मेरा हाथ दबाया, बोला- सर मैं कल आऊंगा, चलते हैं।
वह चला गया.
वह अगले दिन शाम फिर आया, बोला- मैं आपको अपनी आर्ट दिखाऊं? आज आपकी मालिश करुंगा, आप कपड़े उतार लें।
निश्चित ही वह बहुत एक्सपर्ट था, उसने मेरी मालिश की, मेरे सहायक सुमेर की भी की.
हम दोनों नहाए.
उसे मैंने सौ रुपए देना चाहे, उसने नहीं लिए, बोला- आज रहने दें, मेरी तरफ से!
दूसरे दिन वो फिर आया. आज मैं अकेला था, सुमेर फील्ड में गया था.
मैंने अपने कपड़े उतारे, मैं केवल अंडरवियर में था, मैंने उससे कहा- तुम भी कपड़े उतार लो।
उसने मुझे देखा, मुस्कुराया-अच्छा सर!
उसने अपने पैन्ट शर्ट हेंगर पर टांग दिए.
वह मेरी मालिश कर रहा था. जब जांघों की की तो सनसनाहट हुई, मेरा खड़ा हो गया. वह मेरे पेट की सीने की मालिश करने लगा पर बार बार मुस्कुराता और किसी न किसी बहाने मेरा लंड छू लेता.
फिर उसने एकदम से अंडरवियर के ऊपर से मेरा लंड मरोड़ ही दिया. मैंने उसके चूतड़ सहलाए तो उसने अपना अंडरवियर उतार दिया. मैंने उसे अपने बगल में लेटने को इशारा किया. वह तैयार था, फौरन लेट गया. उसका पूरी तरह तना मस्त लंड मुझे दिख रहा था, वह मेरे सहायक सुमेर से भी ज्यादा बड़ा मस्त लंड था.
खैर मैं अपने लंड में आदत के अनुसार थूक लगाने लगा तो वह उठा और अपने हाथ से तेल मलने लगा- सर तेल है तो थूक क्यों?
मैंने कहा- यार, तुम्हें बड़ा ध्यान रहा, मैं तो भूल गया।
तो वह हंस कर बोला- सर जाना तो मेरी ही गांड में है।
वह मेरी तरफ पीठ कर लेटा, मैंने लंड उसकी गांड पर टिकाया और पेल दिया. वह पहले से ही गांड ढीली किए लेटा था, मैं पूरा पेल कर थोड़ा रुका फिर धक्के शुरु किए. अंदर बाहर… अंदर बाहर… वह साथ देने लगा.
फिर मैंने उसे औंधा होने पेट के बल होने का इशारा किया और उसके ऊपर चढ़ बैठा. वह मस्ती से गांड उचका उचका कर मरवा रहा था, बार बार गांड ढीली टाइट ढीली टाइट कर रहा था.
मैं अपने ही चूतड़ और और कमर पर घंमड करता था, मेरी मारने वाले दोस्तों ने मेरे चूतड़ और कमर की प्रशंसा कर कर के मेरा दिमाग खराब कर दिया था. मैं सोचता था मेरे जैसे आकर्षक चूतड़ व कमर कम ही होंगे, मुझे अपने सुन्दर चेहरे आकर्षक शरीर पर घमंड था पर वह वाकयी कसरती शरीर रखता था. बहुत आकर्षक कूल्हे व कमर थी उसकी!
मैंने लंड के धक्के रोक दिए, अब वह अपनी गांड चला रहा था, चूतड़ उचका रहा था, अब मैं पूरा दम साधे था, जल्दी झड़ना नहीं चाहता था. इधर वह जल्दी जल्दी गांड चला रहा था. फिर वह रुका. अब मैंने धक्के चालू किए तो वह बोला- झड़े नहीं?
मैं धीरे धीरे धक्के लगा रहा था।
वह मुस्कुराया- सर, आप वाकयी गांड मारने के एक्सपर्ट हो! इतने में तो लोग झड़ जाते हैं!
मैंने कहा- बस थोड़ा टाइम और दे! लग तो नहीं रही? बोर तो नहीं हो रहा? वरना काम बन्द कर दूं?
वह बोला- नहीं सर, लगे रहो, मजा आ रहा है. ऐसी कलाकारी से मार रहे हैं, मैं तो अपने को ही गांड मारने मरवाने का एक्सपर्ट समझता था, आपने मेरा घमण्ड तोड़ दिया.
अब मैंने धक्के तेज कर दिए धचच फच्च ध्च्च फच्च मैं पूरे जोर से लगा था, मेरी सांस जोर से चलने लगी. वह गांड चौड़ी किए मस्ती से लेटा रहा, फिर मैं चिपक कर रह गया. मैंने उसका एक चुम्बन लिया और अलग हुआ. जब वह खड़ा होकर अंडरवियर पहनने लगा तो उसका लम्बा मोटा लटकता लंड देख कर मेरा गांडू मन लालच से भर उठा, लगा अभी वह इस मस्त लंड को मेरी गांड में डाल दे तो मजा आ जाए!
पर मैं कह नहीं पाया।
एक दिन मैं अस्पताल में देर तक रुका शाम साढ़े सात आठ बज गए. कमरे पर पहुँचा तो देखा मसाज बॉय… उसका भी नाम भूल गया हूं… चलिये काम चलाने को देवेश रखे देते हैं, फर्श पर नंगा लेटा हुआ है और उसके ऊपर सुमेर चढ़ा हुआ उसकी गांड में लंड पेले था, गांड मार रहा था.
मुझे देख कर वो उठने लगा, मैंने कहा- लगे रहो, मैं जाता हूं!
तो देवेश बोला- सर बैठें, देखें कि हम नादाँ ठीक से कर रहे हैं या नहीं!
हम सब हंसने लगे.
वे फिर चालू हो गए. थोड़ी देर में सुमेर का पानी निकल गया, वे अलग हुए, देवेश खड़ा हो गया, अपना अंडरवियर उठा कर पहनने लगा पर सुमेर ने रोक दिया- ठहरो!
और आगे बढ़ कर उसका लंड पकड़ा और चूसने लगा.
उसका फिर खड़ा हो गया, सुमेर बोला- यार, आज तुम्हें मेरी मारनी पड़ेगी! तुम रिटर्न में कुछ लेते नहीं!
देवेश बोला- दोस्ती में करवाई वरना बंगलोर में तो बहुत फीस है, मैं मांगता नहीं, यह हमारा आपका व्यव्हार है।
सुमेर- तो आज दोस्ती में मारनी पड़ेगी, इक तरफा दोस्ती नहीं चलेगी।
सुमेर ने उसका अंडरवियर उसके हाथ से छीन लिया, दूर फेंक दिया और लंड चूसने लगा. जब तन गया तो हाथ से मरोड़ रहा था. मुस्कराया- आज करके ही जाओगे!
देवेश बोला- आपकी जैसी इच्छा!
सुमेर फर्श पर औंधा लेट गया और देवेश उस पर चढ़ बैठा, अपने मूसल जैसे मोटे मस्त लंड पर जम कर तेल मला और सुमेर की गांड पर टिका दिया और धक्का दिया तो सुपारा अंदर घुस गया. अब पूछा- डाल रहा हूं, थोड़ी ढीली रखें।
और पूरा घुसा दिया.
मैं सोच रहा था कि सुमेर चिल्लाएगा थोड़ा ‘आ आ ई इ…’ करेगा पर उसने तो इतना बड़ा मस्त लम्बा मोटा लंड मस्ती से डलवा लिया, जरा भी चीं चपड़ नहीं की, ऊपर से मुस्करा और रहा था. जब लंड अंदर बाहर… अंदर बाहर… होने लगा तो वह भला आदमी एक पुराने एक्सपर्ट गांडू की तरह चूतड़ उचका उचका कर लंड के धक्कों का मजा ले रहा था.
मैंने पहली बार दो हट्टे कट्टे मसकुलर मर्दों को इस मस्ती से एक दूसरे की गांड मारते मरवाते देखा था. देवेश का लम्बा मोटा लंड सुमेर की गांड में जाता निकलता बार बार मुझे दिखाई दे रहा था और सुमेर के वे आकर्षक चूतड़ जो लय ताल से सिकुड़ फैल रहे थे, मेरा दिमाग खराब कर रहे थे, चैन छीन रहे थे.
मेरा भी लंड खड़ा हो गया. मैंने चाहा था कि वे दोनों मेरी मारें पर मैं इस तरह जोर से कभी कह नहीं पाया और मेरे ही सामने एक दूसरे की मार रहे थे, मेरी गांड बुरी तरह कुलबुला रही थी मराने को मचल रही थी।
जो मैं देवेश से न कह पाया, वो सुमेर ने कह दिया और गांड मरवा ली, एक लम्बे मोटे लंड का मजा ले लिया.
वह बहुत एक्सपर्ट था, आधा घंटे तक उसकी कुलबुलाती गांड को रगड़ता रहा, सारी गर्मी निकाल दी, खुजली मिटा दी, गांड तृप्त कर दी.
सुमेर उठा तो मुस्करा रहा था, बोला भी- यार, तुमने मजा बांध दिया… रगड़ के फेंक दी, क्या लंड है तुम्हारा! क्या चुदाई क्या झटके… तुममें बहुत दम है।
और देवेश का एक जोरदार चुम्बन ले लिया।
मैंने मसाज बॉय दिनेश का परिचय तहसील के और सारे अफसरों से करवा दिया, वह उनकी भी मालिश करने लगा, उसे काम मिला उसका परिचय बढ़ा उसके जमीन मकान के बहुत सारे मामले अफसरों से परिचय के कारण बिना दलालों के निपट गए.
उसने अपने कई साथियों के काम करवाए, उसकी आमदनी भी बढ़ी, समाज में प्रतिष्ठा भी… वह समझदार था, जो अफसर दें, ले लेता था, कोई मोलभाव मांग नहीं!
सब उससे प्रसन्न और सन्तुष्ट थे, सेवाएं बहुत अच्छी थी, वह एक्सपर्ट था, ट्रेन्ड था, कई बार तो तहसील के अफसरों की सिफरिश पर डाकबंगलें में दौरे पर आए जिले व संभाग के अफसरों की भी मालिश देवेश ने की.
एक दिन मैंने कहा- आज कल बिजनेस तो बंद है. कब जा रहे हो? यहां कैसा लग रहा है?
तो बोला- हां सर, बिजनेस बंद था, मैं सोच कर आया था कि पिता जी की सेवा करुंगा कुछ दिन आराम से… पर आपसे परिचय हो गया, आपने मेरा शहर के ऑफिसरों से परिचय कराया तो काम मिला, शहर से भी ग्राहक मिलने लगे, काम मिल जाता है, इस सबका आपको क्रेडिट है। जमीन मकान के मामले भी निपट गए, टाइम पास हो जाता है परिचय भी बढ़ा सर… मैं बंगलौर का भी काम कर रहा हूं, मैंने कहा था न कि यह मसाज वाला काम शॉर्ट टर्म का है. तो मुझे नया बिजनेस मिल गया. मैं यहाँ से नए नौजवान लड़के लड़कियों को रिक्रूट करके भेजने लगा हूं, उनको ट्रेनिंग देता हूं मसाज की तो उन्हें वहां जल्दी काम मिल जाता है. अब सप्लायर हो गया हूं तो इसका भी कमीशन है, वहां मेरी पूछ परख बढ़ गई है, उनकी कम्पनी का अब शेयरहोल्डर हूं। सब आपके कारण… मेरे लिए आप माइंड ब्लेाइंग हैं! मैंने ऐसा सोचा न था।
मैं- यह सब तुम्हारी मेहनत और एक्सपर्ट हाई वर्क क्वालिटी है, मुझे ज्यादा क्रेडिट दे रहे हो, मेरे दोस्त हो तो तुम्हारी मदद मेरा फर्ज था, मेरा भी तो काम करो।
वह- अरे सर, कौन सा?
वह चौंक गया, फिर समझ कर मुस्कराने लगा।
वह- जरूर सर!
मेरे केन्द्र में एक पार्ट टाईम स्वीपर की पोस्ट थी. उसमें कभी तो एक बाबा आते थे, कभी वे अपने नाती को भेज देते थे. सिर्फ सुबह शाम का मुश्किल से एक एक घंटे का काम था।
एक शाम बाबा का नाती आया था, सुमेर उसे पीछे का कमरा साफ कराने ले गया.
जब वो बड़ी देर तक न लौटा तो मैंने जाकर देखा वह कमरे में लड़के की पेंट नीचे खिसकाये उसे फर्श पर औंधा लिटाये उसकी गांड में अपना लंड पेले था.
लौंडा आ आ आ ई ई ई कर रहा था, हाथ पैर फेंक रहा था पर सुमेर इन सब हरकतों से निर्लिप्त उसकी गांड में दे दनादन… दे दनादन… अंदर बाहर… अंदर बाहर… लंड करने में लगा था, उसकी कमर जोर जोर से ऊपर नीचे, ऊपर नीचे हो रही थी, शायद वह पूरा पेल रहा था लड़के की!
सुमेर अपनी दोनों बांहों में लड़के को चपेटे था, लड़का फड़फड़ा रहा था पर उसकी गिरफ्त से छूट नहीं पा रहा था. आखिर सुमेर एक तंदरुस्त ताकतवर जवान था और एक मस्त विशाल लंड का मालिक था. लौंडे की कोमल चिकनी गांड झेल नहीं पा रही थी.
आखिर सुमेर का पानी छूटा, अब वह लड़के की बुरी तरह चूमा चाटी कर रहा था- अरे यार, थोड़ी तो लगती ही है! मेरा भैया! मेरा दोस्त! चल नाश्ता कर ले!
उसने जबरदस्ती उसकी जेब में दस का नोट डाल दिया- चल!
उसके चूतड़ सहलाए, उसके कई बार चुम्बन लिए, पीठ थपथपाई, सीने से लगाया.
लड़का कपडे़ नहीं पहन पा रहा था, सुमेर ने उसको पैन्ट पहनाई, बालों कपड़ों पर से धूल झाड़ी, सहारा देकर बाहर अपने कमरे तक ले गया, बिठाया, पानी पिलाया- थोड़ी देर बैठा रह, तब घर जाना।
ऐसे ही दो दिन बाद लड़का आया तो फिर सुमेर ने उसकी गांड मारी, उसको गांडू बना कर छोड़ा!
कहानी का अगला भाग: नई जगह, नये दोस्त-3
What did you think of this story??
Comments