शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-8
(Gay Kahani: Shadi Me Cousin Ke Dost Ka Lund Chusa- Part 8)
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keyboard_arrow_right बस में मिले लड़के का लंड चूसा
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अभी तक आपने मेरी गे कहानी में पढ़ा कि मैं अपनी माँ के साथ अपने घर वापिस आने के लिए बस में बैठा तो पास की सीट पर एक नव विवाहित जोड़ा बैठा था. मैंने देखा कि लड़के का लंड उसकी पैंट की चैन के पास एक साइड में किसी मोटे डंडे की तरह तनकर साइड में निकला हुआ है.
उसका खड़ा लंड देखकर मेरी हवस एक बार फिर से जग गई, मैं उसके लंड को चोरी छुपे देखने लगा, कभी खिड़की से बाहर झांकने के बहाने तो कभी बस में इधर-उधर देखने के बहाने…
बार-बार नज़र उसके खड़े लंड पर जाकर टिक रही थी.
लड़का भी काफी हैंडसम था.
हालांकि साथ में लड़की भी बैठी थी लेकिन मेरी नज़र उस लड़के के खड़े लंड पर ही बनी हुई थी.
ऐसा करते-करते लगभग 10 मिनट बीत चुके थे लेकिन मुझे हैरानी इस बात पर थी कि एक बार भी लड़की ने उस लड़के के लंड की तरफ नहीं देखा और ना ही उसे छूने की कोशिश की जबकि लड़के का लंड पूरा तनकर साइड में झटके मार रहा था.
मैं उसके लौड़े को देख ही रहा था कि अचानक उस लड़के की नज़र मुझ पर चली गई और उसे पता लग गया कि मैं उन दोनों की हरकत को देख रहा हूँ.
ऐसा होते ही उसने लड़की का हाथ अपने हाथ से हटा लिया और वो भी इधर-इधर देखने लगा जैसे कि कुछ हुआ ही न हो. और धीरे-धीरे उसका लंड भी नीचे बैठने लगा.
पांच मिनट के बाद उसका लंड नॉर्मल पॉजिशन में आ गया लेकिन एडजेस्ट ना होने की वजह से वह एक तरफ ही सोया हुआ दिख रहा था.
बस के चलने का समय 7 बजे का था, अभी 6.30 ही बजे थे, आधा घंटा और वेट करना था इसलिए सब लोग यहाँ वहाँ देखकर टाइम पास कर रहे थे, कोई अपने फोन में मूवी देख रहा था, कोई आईसक्रीम खा रहा था और कोई पानी पीने या पेशाब करने बाहर जा रहा था.
गर्मी की वजह से सब पसीने-पसीने हो रहे थे.
एकाएक वो लड़का भी उठा और अपनी सीट से बाहर निकलते हुए बस के बीच से होते हुए नीचे उतर गया. मैं उसको देख रहा था और जब वो नीचे बस की साइड से गुजर रहा था तो उसने भी मुझे देख लिया कि मैं उसको ही देख रहा हूँ. उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया और पानी वाले के पास पानी की बोतल लेने लगा.
बोतल लेकर वो वापस बस में चढ़ा और जब वो हमारी तरफ बढ़ रहा था तब भी मेरी नज़र उसके लंड की तरफ ही बनी हुई थी लेकिन अब उसके लंड की पॉजिशन का पता नहीं चल पा रहा था. वो मेरी साइड से गुजरता हुआ अपनी भारी सी गांड को अंदर की तरफ धकेलता हुआ अपनी सीट पर अंदर जाकर बैठ गया.
धीरे-धीरे बस में सवारियां भी बढ़ गई थी, लगभग आधी बस भर चुकी थी लेकिन हमारे आस-पास की सीटें अभी तक खाली ही पड़ी हुई थीं. बस के चलने में करीब 10 मिनट का समय और था. मैं और मां भी गर्मी से परेशान थे, सोच रहे थे कब तक ये बस चलेगी.
आखिरकार सात बज गए और बस चल पड़ी. इस वक्त तक सूरज भी ढल गया था, दिन की हल्की हल्की रोशनी बस में आ रही थी. बस स्टैंड के बाहर निकलकर बस की स्पीड तेज हो गई और दरवाजे बंद कर दिए गए.
अब सब लोग अपने अपने टाइमपास में बिज़ी हो गए, कोई सीट से पीठ लगाकर आंखें बंद करके आराम कर रहा था, कोई मोबाइल में चैटिंग या वीडियो देखने में मशगूल हो गया, कोई खिड़की से बाहर के नज़ारे देख रहा था तो कोई खाने-पीने की चीजों के साथ बिज़ी था.
मां को भी खिड़की के बाहर देखते देखते नींद सी आ गई, वो भी सोने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उसी विवाहित जोड़े की तरफ देखा, देखकर मेरी आंखें वहीं अटक गईं, लड़की का मुंह लड़के की तरफ घूमा हुआ था और वो दोनों सीट से थोड़ा नीचे की तरफ खिसक कर आपस में किस कर रहे थे. पूरी तरह रात भी नहीं हुई थी और दिन भी नहीं रह गया था इसलिए अभी तक बस की लाइटें भी नहीं जलीं थी और वो दोनों इसी का फायदा उठाकर रंगरेलियां मनाने में लगे थे.
मैं देख ही रहा था कि अचानक उस लड़के ने मुझे दोबारा देख लिया और उसने लड़की से कहा कि वो सीधी होकर बैठ जाए तो लड़की सीधी होकर आराम से पीठ लगाकर बैठ गई.
लड़के का हाथ लड़की के सिर के ऊपर होता हुआ सीट पर रखा हुआ था… मेरी नज़र थोड़ी़ नीचे गई तो लड़की का हाथ लड़के की जांघ पर रखा हुआ था और लड़की की उंगलियों के आगे ही उसका लंड पैंट में तना हुआ था लेकिन लड़की ने सिर्फ उसकी जांघ पर ही हाथ रखा हुआ था.
मेरी नज़र हट गई और मैं सामने देखने लगा लेकिन हवस तो मेरे अंदर भी जाग गई थी.
मैंने कुछ सेकेन्ड्स बाद देखा तो लड़की ने उसके लंड पर हाथ रखा हुआ है और लड़के की टांगें पहले की अपेक्षा थोड़ी फैल गईं थी और हवस के कारण उसके होंठ खुले हुए थे. वो आंखें बंद करके लड़की का हाथ अपने लंड पर रखवा कर आनन्द ले रहा था. लड़की भी आराम से उसके लंड को सहला रही थी… कभी उंगलियों से पकड़ लेती तो कभी पूरा हाथ रख देती थी.
वो लड़का धीरे से अपनी गांड को हरकत देता हुआ आगे पीछे हो रहा था जैसे उसके हाथ को चूत समझकर चोद रहा हो. दोनों अपनी मस्ती में मस्त थे.
मेरे अंदर सामने के नज़ारे ने तूफान भर दिया और मैं भी बेशर्मों की तरह उनके इस खेल को देखने लगा.
आगे की गे कहानी जल्दी ही अगले भाग में…
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