मेरे गांडू जीवन की कहानी-19
(Mere Gandu Jiwan Ki Kahani- Part 19)
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मेरी गांडू गे सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रात को मैं अपने यार के साथ दूसरी सुहागरात मना रहा था, जब मैं गांड मरवा रहा था तो मुझे इसके बड़े लंड से बेइन्तेहा दर्द हो रहा था.
अब आगे:
रवि बोला- साले जब तुझे इतना दर्द होता है तो चुदता ही क्यों है? क्यों गांड मरवाता है?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता, लेकिन तुमसे प्यार करता हूँ इसलिए दर्द को बर्दाश्त कर जाता हूँ.
वो बोला- देख अंश, यार जो तू सोच रहा है, मैं चाह कर भी वो तुझे नहीं दे सकता… मुझे लड़कियों में इंटरेस्ट है। और वैसे भी प्यार व्यार तो मैं किसी लड़की से भी नहीं करता! तू तो फिर भी लड़का है. मुझे ये सब प्यार व्यार रोमांस के चोंचले पसंद नहीं हैं। लेकिन मैं तेरी भावनाओं की कद्र करता हूँ इसीलिए तुझे किसी बात के लिए मना नहीं करता। और फिर तू लंड भी अच्छा चूसता है, लड़कियों के साथ सेक्स करने में सौ तरह के नखरे झेलने पड़ते हैं। मैं कॉन्डॉम के बिना नहीं करवाऊँगी, मैं मुंह में नहीं लूंगी, गांड नहीं मरावाऊँगी… मैं ऐसा नहीं करती, मैं वैसा नहीं करती और पता नहीं क्या क्या… बेवजह के नाटक मुझ से बर्दाश्त नहीं होते। लंड तो उन को भी चाहिए होता है फिर नखरा किस बात का। पर तेरे साथ करने में बहुत मजा आता है मुझे।
उस की बातें सुन कर मैं दुखी सा हो गया। मैं सोच रहा था, रवि भी मुझे इस्तेमाल कर रहा है, मुझ से सिर्फ सेक्स की आग ठंडी करवा रहा है। लेकिन मैं कहाँ जाऊं, मैं तो इससे प्यार करता हूँ ना। खैर, सेक्स के लिए ही सही, उसे मेरा साथ पसंद तो है, मेरे लिए यही बहुत है। सोच कर मैंने दिल को तसल्ली दे दी।
उस को इस बात का पता ना लगे कि मैं उस की बात सुन कर दुखी हो गया हूँ, मैंने तुरंत बात आगे बढ़ाते हुए कहा- तो आप अपनी बीवी को भी सेक्स के अलावा कुछ नहीं दोगे?
वो बोला- तब की तब देखेंगे, अभी तो मेरी एक गर्लफ्रेंड है जो मेरा काम चला देती है.
वह बोला- लेकिन तू बड़ा प्यार प्यार करता रहता है। यार लड़का और लड़की के बीच में तो प्यार तो सुना था लेकिन मुझे ये समझ नहीं आता कि तू लड़का हो कर किसी दूसरे लड़के से प्यार कैसे कर सकता है?
मैंने कहा- जब आप को प्यार के बारे में पता ही नहीं तो ये कैसे समझ पाओगे के प्यार दो लड़कों के बीच में भी हो सकता है।
वो बोला- बात तो तेरी भी ठीक है। लेकिन यार तू एक बात बता ‘जब कोई सेक्सी सी लड़की तेरे सामने आती है तो तुझे कैसा लगता है?’
मैंने कहा- उससे पहले आप एक बात बताओ।
वो बोला- हाँ पूछ?
“जब आप किसी लड़के को देखते हो तो आपके मन में क्या फीलिंग आती है?”
वो बोला- पागल है क्या… मुझे किसी लड़के को देख कर फीलिंग क्यों आएगी?
मैंने कहा- तो बस यही बात मेरे साथ भी है, मुझे किसी लड़की को देख कर कोई फीलिंग आती ही नहीं। चाहे वो दिखने में कैसी भी हो। या कोई लड़की मेरे सामने पूरी नंगी ही क्यों न खड़ी हो… मुझे कोई फर्क ही नहीं पड़ेगा।
वो बोला- अच्छा… और लड़के को देख कर क्या फीलिंग आती है?
मैंने कहा- मैं इस बात का जवाब भी ड़े दूंगा लेकिन उससे पहले आप मेरी एक बात का जवाब दो।
वो बोला- ये भी पूछ ले?
“आप के सामने जब कोई लड़की आती है तो क्या आप का लंड उस को देखते ही खड़ा हो जाता है?”
वो बोला- नहीं यार… कोई काली कलूटी या मेरी नापसंद की लड़की आएगी तो मैं उस की तरफ देखता भी नहीं।
मैंने कहा- तो मेरे साथ भी यही है, मैं भी सामने वाले हर लड़के को देख कर ये नहीं सोचता कि इसका लंड ले लूं… प्यार तो बहुत दूर की बात है।
वो बोला- तो मुझ में तूने ऐसा क्या देख लिया?
मैंने कहा- जब आप को पहली बार आकाश की शादी में देखा था तो मैं आप की सेक्सी बॉडी को देख कर आप की तरफ अट्रैक्ट हुआ था।
वो बोला- कैसे?
“आप का हैंडसम चेहरा, आप की चैस्ट, आप की बालों वाली छाती, आप के डौले, आप की थाइज़, बिखरे बालों वाला देसी हेयर स्टाइल… आप के लाल होंठ… आप की काली सेक्सी आंखें… और सबसे ज्यादा आप की स्माइल… बहुत सेक्सी लगी मुझे!”
मेरी रोमांटिक बात सुन कर वो हंस पड़ा, बोला- अच्छा रै… कति ध्यान तै देख ग्या तू तै मनै… (तू तो बिल्कुल ध्यान से देख गया मुझे)
मैंने कहा- यही तो मैं आप को समझाना चाहता हूँ कि मुझे आप जैसा कोई मिला ही नहीं आज तक… और फिर रात को जब आपने नशे में मेरे साथ सेक्स करते हुए मुझे ‘आई लव यू’ बोला, तो मुझे आपसे प्यार हो गया। और अब हालत ऐसी है कि मैं आप को देखे बिना रह ही नहीं पाता हूँ इसलिए आप से मिलने हिसार चला आया. लेकिन आप मुझे बताए बिना ही वहाँ से निकल आए?
वो बोला- पागल, मुझे नहीं पता था कि तू मुझे लेकर इतना सीरियस हो गया है। वैसे भी रात को नशे में था तो मुझे कुछ ज्यादा याद भी नहीं रहा कि क्या हुआ… लेकिन मजा बहुत आया तेरी गांड मार कर…
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप मेरे साथ हो और मैं आप को जब चाहे टच कर सकता हूँ, आप से बात कर सकता हूँ, इतना ही बहुत है मेरे लिए।
मेरी बात सुन कर वो खामोश हो गया.
मैं भी कुछ देर उस को ऐसे ही देखता रहा… वो कुछ सोच रहा था… वो मुझे ध्यान से देख रहा था और मैं उसे!
वो बोला- तू सच में मुझ से इतना प्यार करता है?
उस का ये सवाल यूं तो बहुत आसान था, लेकिन जवाब देना मेरे लिए बहुत मुश्किल था… जवाब सोचते सोचते आकाश की शादी में रवि का लंड चूसने से लेकर संदीप के हाथों बेरहमी से चुदने तक की सारी घटनाएँ पल भर में मेरे दिल और दिमाग को झिंझोड़ गई… उस तक पहुंचने के रास्ते में जो भी हुआ वो उसे बता भी तो नहीं सकता था। वो मेरी आंखों में देखता हुआ मेरे जवाब का इंतज़ार कर रहा था… और जवाब मेरी घायल गांड से चल कर टूटे हुए दिल से होता हुआ गले तक भर तो गया लेकिन निकला… आंसू बन कर!
मैं उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर अपने चेहरे से लगाता हुआ रोने लगा। उसने दूसरा हाथ मेरी कमर पर फिराते हुए मुझे अपनी छाती पर लेटा लिया, उसके सीने से निकल रही धड़कन की धक धक मुझे अपने कानों में साफ साफ सुनाई दे रही थी। वो मेरे बालों में हाथ फिरा रहा था और मेरा दर्द आंसू बन कर उस की नंगी छाती को भिगा रहा था.
मन ही मन मैंने भगवान से कहा- हे भगवान… अगले जन्म में भी मुझे गाण्डू ही बनाना और अगली बार भी इसी से मिलाना। मैं इसी के साथ खुश हूँ।
ये सोचते सोचते दिल हल्का हो रहा था और आंखें बंद।
मैं सो गया.
सुबह अचानक ही गेट पर बजी घंटी के साथ नींद टूटी… उसने हाथ मार कर मुझे उठाया और मैं तुरंत ही टी-शर्ट और लोअर पहन कर दूसरी चारपाई पर जाकर लेट गया। रवि ने भी अपनी टी-शर्ट और लोअर डाली और उठ कर बाहर दरवाजे पर गया। गेट खोल कर देखा तो कोई लड़का गेट पर खड़ा था।
लड़के ने कहा- अरै सीटू… खाड़़े मैं नहीं चालता के आज? (अखाड़़े में नहीं चल रहा क्या आज…)
वो बोला- यार, मेरा एक दोस्त आया हुआ है.
लड़के ने कहा- के होया फेर… उसनै बी गेल्याँ ले चल! (कोई बात नहीं, उस को भी साथ ले चल…)
रवि बोला- यार कल रात को ही आया है, तुम लोग जाओ मैं कल आ जाऊँगा.
लड़का बोला- चल ना यार… तेरा दोस्त भी घूम आवगा, और तेरे बिना पहलवानी का मजा भी नहीं आता.
उसकी ज़िद देखकर रवि बोला- ठीक है, तुम लोग चलो, मैं आता हूँ थोड़ी देर में…
वापस आकर रवि ने कहा- तू मुझे लंगोट में देखना चाहता था ना… ले तेरी ये ख्वाहिश भी आज पूरी कर ही देता हूँ… चल उठ हम अखाड़़े में जा रहे हैं।
मुझे पता था वो तीन बार चुदाई के बाद थका हुआ है लेकिन फिर भी केवल मेरी खातिर अखाड़े में जा रहा है.
मैंने आंखें मलते हुए चप्पलें पहन लीं… घड़ी में टाइम देखा तो सुबह के 4.30 बज चुके थे… हम ने हाथ मुंह धोया और गेट खोल कर खेतों की तरफ निकल पड़े.
हम लगभग 5 बजे तक अखाड़े के पास पहुंच गए.
सुबह का सूरज धीरे धीरे अपनी रोशनी बिखेर रहा था. रवि ने एक तरफ जा कर अपना लाल लंगोट निकाला और लोअर को नीचे करके लंगोट बांधने लगा। मैंने मुंह घुमा लिया। वो मेरी इस हरकत पर हैरान था शायद।
वो मेरे पास आ कर बोला- तू तो कह रहा था मुझे लंगोट में देखना चाहता है… और तूने मुझे देखा भी नहीं?
मैंने कहा- मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से आप पर कोई उंगली उठाए कि आप एक गाण्डू से दोस्ती रखते हो।
वो बोला- तू पागल है क्या, बेफिक्र रह… अब मुझे फर्क नहीं पड़ता इन सब बातों से!
मैंने कहा- लेकिन मुझे पड़ता है। अब मैं ऐसी कोई हरकत नहीं करुंगा जिससे आपको शर्मिन्दा होना पड़े.
वो बोला- तू टेंशन मत ले और मौज कर…
कह कर हम अखाड़े की तरफ बढ़ चले… वहाँ चार-पांच लड़के पहले से ही मौजूद थे जो काफी हट्टे कट्टे थे और सबका शरीर सिर से लेकर पैर तक मिट्टी में सना हुआ था। रवि ने मेरे सामने अपनी टी-शर्ट उतारी, उस की मजबूत छाती नंगी हो गई, उसने टी-शर्ट मुझे पकड़ा दी और उसने लोअर नीचे सरकाई तो मैं अपने आपको उसे देखे बिना रोक नहीं पाया। उस की सेक्सी थाई और उनके बीच में बंधा लंगोट और लंगोट में बंधा उसका भारी भरकम हथियार और उस हथियार के ऊपर निकल रहे उस के काले घने झाँट… मैंने एक नज़र भर उस को देखा और फिर नज़र हटा ली। उसने लोअर भी मुझे पकड़ा दी।
मेरा एक और सपना पूरा कर दिया उसने!
वो कपड़े मुझे पकड़ा कर अखाड़े की तरफ बढ़ा और सबको आवाज़ लगाई- अरै, पहलवानों अकेले अकेले लगे हुए हो।
रवि की बात आवाज़ सुनकर जैसे ही उन पहलवानों ने नज़र हमारी तरफ घुमाई… मेरे पैरों तले की ज़मीन खिसक गई.
मेरे सामने अखाड़े में मिट्टी और रेत में लथपथ शरीर के साथ संदीप वहाँ पर खड़ा हुआ था… वही संदीप जिसकी बाइक पर मैंने लिफ्ट ली थी रवि के घर तक आने के लिए और वो मुझे किसी दूसरे गांड नेवली खुर्द में ले गया था और वहां उसने एक कोठरी में शराब पीकर अपने दो दोस्तों के साथ मेरी गांड मारी थी और मुझे वहीं पर कोठरी में घायल अवस्था में सोता हुआ छोड़ कर चले गए थे।
आगे की कहानी जल्दी ही लेकर लौटूंगा. मेरी गांडू गे सेक्स कहानी पर आप अपने विचार मुझे मेल कर सकते हो.
मैं अंश बजाज
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