गांडू की महालंड से भेंट-3
(Gaandu Ki Mahalund Se Bhent- Part 3)
अब तक आपने पढ़ा..
राजा आया तो था चाचाजी से गांड मरवाने.. पर चाचाजी नहीं थे तो उसने मुझसे मरा ली।
तब तक चाचाजी आ गए और उसने चाचा जी के एक दूसरे लौंडे का इंतजाम कर दिया और अब वो मेरी गांड मारने के लिए मेरे पास आने लगा।
अब आगे..
‘हाँ.. अब मेरी बारी है.. जल्दी कपड़े उतार कर लेट जा।
मैंने अंडरवियर का नाड़ा खोला और खटिया पर औंधा गांड ऊपर करके लेट गया।
आज बहुत दिल धड़क रहा था, मुझे वह लंड चोद रहा था.. जिससे मरवा कर लौंडे इतराते हैं।
राजा का लंड मेरी गांड में भी घुसने वाला था, मैं जल्दी से औंधा लेट गया।
जब मेरे ऊपर वह नहीं चढ़ा.. तो मैंने आँखें खोल कर देखा तो वह अलमारी में कुछ ढूंढ रहा था।
पूछा- क्या देख रहे हो?
तो बोला- थोड़ा सा तेल होगा।
तब तक उसे शीशी मिल गई.. वह अब मेरे ऊपर बैठा।
मेरी गांड बहुत सेंसटिव हो गई। जिस लंड को लौंडे तरसते थे..
जो मरवा चुका था, वह मुसकरा कर शान से बोला- जिसने राजा का लंड बिना चिल्लाए ले लिया.. समझो दुनिया का बेहतरीन गांडू बन गया।
आज वही राजा का लंड मेरी गांड में घुसने को चाह रहा था, वह मेरे चूतड़ अपने दोनों हाथों से मसलने लगा।
बोला- यार.. तेरे बारे में राम प्रसाद ने बताया नहीं.. इतने माशूक माल को वह अकेले-अकेले ही लेता रहा। अच्छा हुआ तू आज मिल गया।
फिर उसने तेल से भीगी उंगली मेरी गांड में डाली.. दो-तीन बार अन्दर-बाहर की। फिर दो उंगलियां तेल में डुबो कर गांड में घुसेड़ दीं और अन्दर-बाहर करने लगा।
अब उसने पूछा- लग तो नहीं रही है?
मैंने ‘न’ में सिर हिलाया।
मैं जल्दी से जल्दी उसका लंड लेना चाहता था, जबकि वह देर कर रहा था।
फिर वह दोनों उंगलियां गांड में गोल-गोल घुमाने लगा, दुबारा तेल लगा कर फिर घुमाईं।
अब उसने लंड पर तेल चुपड़ा, उसे भी दो-तीन बार आगे-पीछे किया।
मुझे एक-एक क्षण भारी पड़ रहा था। अब उसने लंड गांड पर टिकाया और धक्का देकर अन्दर किया.. मेरी साध पूरी हुई।
उसने पूछा- दर्द तो नहीं हो रहा.. कोई तकलीफ हो तो बताना।
वह पहला गांड मारने वाला था, जो इतना ध्यान रख रहा था.. और मारने वाले तो बस लंड पेल कर जोर से शुरू हो जाते थे धक्के, दर्द हो रहा है.. तो होने दो।
उसके सवाल का जवाब मैंने अपनी गांड से नीचे से जोरदार धक्का देकर दिया। वह मुस्कुराया और बोला- मजा आ रहा है.. तुम सहयोग करोगे तो बहुत आनन्द आएगा।
हम दोनों ही मेहनत कर रहे थे, वह लंड का धक्का देता था.. मैं गांड से जोर लगाता था।
मैं निरंतर गांड ढीली कसी करता रहा.. वह मारता रहा, तब तक गांड चलाता रहा।
अगर आपने किसी मस्त लंड से गांड मराई हो.. जोरदार झटके झेले हों तो मेरे आनन्द को समझ सकते हैं।
हम दोनों ही एक-दूसरे की लय ताल में थे, आनन्द में डूबे थे।
फिर उसका पानी छूट गया, हम अलग हो गए..
पर वह चूमने लगा, बोला- बहुत अच्छा लगा.. एक तो तुम वैसे ही बहुत माशूक.. फिर इस जोरदारी से मरवाई कि मजा आ गया।
मैंने खींसें निपोर दीं।
‘अच्छा मैंने तुमसे कराई.. तो तुम्हें कैसा लगा?’
मैंने कहा- अरे मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि आपकी भी करने को मिलेगी। आपकी तो मास्टर साहब या चाचा ही ले सकते हैं। अच्छा लगा, सोचा न था.. याद रहेगी।
वह बोला- मैं भी याद रखूंगा.. फिर कभी मिलेंगे।
मैंने पूछा- अब आप कहाँ रहते हो? शहर में दिखते नहीं.. लड़के आपकी बस चर्चा करते हैं।
राजा- मैंने अब इंटर पास कर लिया है, अब मैं कानपुर में इंजीनियरी पढ़ता हूँ। एक किस्सा वहाँ का भी सुनोगे?
‘हाँ सुनाओ।’
मैं वहाँ रात को हॉस्टल के कमरे में लेटा था.. एक और लड़का मेरा रूम पार्टनर था, नींद नहीं आ रही थी.. देखा वह लड़का मुठ मार रहा था।
मैंने कहा- यहीं आ जाओ मेरे बेड पर।
वह बोला- वहाँ?
मैंने कहा- मिल कर करेंगे।
वह हाथ में लंड पकड़े आ गया और बोला- खिसको।
मैं बेड पर टांगें चौड़ाए केवल चड्डी पहने औंधा लेटा हुआ था।
मैंने कहा- बैठ जा।
वह बोला- कहाँ तेरे ऊपर?
मैंने कहा- तेरी मर्जी।
वह बैठ गया.. फिर मेरे चूतड़ सहलाने लगा.. मेरी चड्डी पकड़ने लगा।
मैंने कहा- खोल दे!
उसने कहा- डाल दूँ।
मैंने कहा- डाल दे..
वो दो-तीन धक्के देकर झड़ गया।
फिर मैंने कहा- अब मेरी बारी है।
मैंने उसे आधा घंटा रगड़ा, तब वह समझा कि गांड कैसे मारी जाती है।
अब वह मेरा दोस्त है। पर तुमने तो मेरी कस कर मारी, दिल खुश हो गया।
मैं जानता नहीं था कि नया लड़का खिलाड़ी निकलेगा.. मजा आया।
मैंने कहा- भैया थैंक्यू।
तभी राकेश चाचा से निपट कर आ गया।
राजा- चाचा ने कुछ दिया?
राकेश- हाँ सौ रुपए दिए।
राजा- चल ठीक है.. काम आएंगे। मैंने बोल दिया था। अब जब-तब चाचा से मिल लिया कर।
राकेश बात तो राजा से कर रहा था.. पर मुझे बार-बार देखे जा रहा था।
राजा- दिल आ गया क्या.. लेगा इसकी?
राकेश- राजा भैया.. अभी तो आप निपटे होगे.. वैसे छोटे भैया हैं बहुत नमकीन।
राजा मेरे से बोला- अरे यार थोड़ा अहसान और करो.. ये साला मेरा पक्का दोस्त है, इसने कई बार मेरी मारी मैंने इसकी मारी.. तो मैं तुमसे कह रहा हूँ। मेरी मार ले, पर ये हरामखोर है.. इसकी नए माल पर लार टपकती है। फिर तुम जैसा नमकीन। तू प्लीज़ इससे भी करा ले, चाहे मेरी एक बार और मार ले।
राकेश- नहीं राजा भैया, ये चाहें तो मेरी पहले मार लें।
राजा- साले.. मैं भी मारूँगा।
राकेश- राजा भैया जैसी आपकी मर्जी।
राजा मेरा चुम्मा लेने लगे। मेरा अंडरवियर फिर एक बार खोल दिया और मुझे खाट पर लिटा दिया।
राकेश का भी पैन्ट व अंडरवियर राजा ने ही उतारा।
वह ‘नहीं.. नहीं..’ करता रहा और मेरे ऊपर बैठा दिया।
राकेश ने तेल मांगा तो राजा बोला- ला लंड पर भी मैं ही लगा दूँ। फिर उसने मेरी गुलाबी चिकनी गांड को देख कर कहा- भैया इनकी तो अभी गुलाबी रखी है.. चिकनी है.. ज्यादा नहीं चुदी।
वह मेरे दोनों चूतड़ों के बड़ी देर चुम्मा लेता रहा, मेरी गांड में तेल लगाया।
राजा बोला- अन्दर तक चिकनी गांड है.. तू डाल दे।
राकेश ने अपने लंड पर खूब तेल चुपड़ा और बोले- थोड़ा बड़ा है.. फिर पहली बार है.. भैया जी भी छोटे हैं।
राकेश मेरी गांड पर अपना टिकाते हुए बोले- डाल रहा हूँ।
उसने लंड को धक्का दिया, धीरे-धीरे पूरा अन्दर किया और हल्के-हल्के धक्के देने लगे।
इस तरह बड़ी देर करते रहे फिर बोले- अब जोश आ रहा है।
राकेश ने कुछ जोर से धक्के लगाए.. ये बड़े गांड फाड़ू धक्के थे।
मैंने गांड ढीली कर ली.. टांगें चौड़ी कर लीं।
राकेश बोले- जोर-जोर से सांस लो.. बस थोड़ी देर।
पर गांड फटी जा रही थी सो मैंने दांत भींच लिए, आंखें बाहर निकल आईं, पसीना छूट गया।
यह हालत देख कर राजा बोला- अबे बस कर, धक्के इतने जोरदार नहीं.. लौंडा अभी छोटा है और नया है।
तब वह थोड़ा रूका, फिर धक्के शुरू किए.. तो मैंने मिमयाते हुए कहा- गांड अब नहीं सह पाएगी।
राकेश- बस दो-तीन और..
धीरे-धीरे जैसे-तैसे उसका पानी छूटा, तब गांड को चैन मिला।
दो-तीन दिन तक दर्द होता रहा।
उस कच्ची उम्र में कभी जिन्होंने अपनी गांड पर जबरदस्त मस्त लंडों की टक्कर झेली होगी.. महालंड से भेंट की होगी.. वे मेरी स्थिति को भली भाँति समझ गए होंगे।
अब चलता हूँ।
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