तेरा साथ है कितना प्यारा-8

(Tera Sath Hai Kitna Pyara -8)

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वो पूरा निपुण खिलाड़ी था, कोई भी जल्द बाजी नहीं दिखा रहा था, उसने फर्श पर बैठकर मेरी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लिया और मेरी दोनों मक्खन जैसी चिकनी जांघों को एक एक करके चाटने लगा।

अब मैं भी उसका साथ दे रही थी, कुछ सैकेण्ड तक जांघों को चाटने के बाद वो खड़ा हुआ और फिर मेरी टांगों को उठाकर मुझे घुमा कर पूरा बिस्तर पर लिटा दिया।

मैं आँखें बन्द किये पड़ी उसकी अगली क्रिया का इंतजार करने लगी।

पर यह क्या… उसका स्पर्श तो कहीं महसूस ही नहीं हो रहा था… कहाँ चला गया।

यह सोचकर मैंने अपनी आँखें खोली तो पाया वो तो बिल्कुल मेरे सामने ही था।
शायद मेरी आँखें खुलने का ही इंतजार कर रहा था।

आँखें खुलते ही हमारी नजरें चार हुईं, मैंने झट से दुबारा अपनी आँखें बन्द कर दी।
‘नयना…कैसा लग रहा है?’ मुकुल बोला।
मैं चुप रही आखिर बोलती भी तो क्या?

‘अगर इससे ज्यादा का मूड है तो मेरे कपड़े तो उतार दो, नहीं तो मैं समझ जाऊँगा कि तुम्हारा मूड नहीं है और आगे नहीं बढ़ूँगा।’ मुकुल फिर से बोला।

‘खुद उतार ले कमीने…’ मैंने बन्द आँखों से ही जवाब दिया।

‘नहीं जी, तुझे उतारने हैं तो बता… वरना मना कर दे…’ मुकुल बोला।

अब मैं क्या करती? मैंने हिम्मत करके अपनी आँखें खोली और मुकुल की शर्ट के बटन खोलने लगी।
इस बीच उसके हाथ लगातार मेरे कामुक गुदाज बदन को नापने में लगे थे।

मैंने शर्ट के बटन खोले तो मुकुल ने बनियान और शर्ट एक साथ अलग कर दी। अब वो दोनों टागें मेरे दोनों ओर फैलाकर मेरे ऊपर सरक गया तो मैंने देर ना करते हुए उसकी पैंट का हुक भी खोल ही दिया।

वो वहीं खड़ा हुआ और पैंट के साथ अण्डरवीयर भी अलग कर दिया, उसका तना हुआ लिंग कूद कर बाहर आ गया, उसकी नसें भी फूल कर मोटी हो रही थी, लिंग का अग्र भाग गुलाबी पड़ रहा था।

पहली बार मेरे बिल्कुल इतने करीब इस तरह तना हुआ मासूम सा लिंग महसूस हो रहा था।
उससे निकलने वाली गंध मुझे और अधिक मदहोश कर रही थी।

तभी मुकुल ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने उस माँसल आग्नेयास्त्र पर रख दिया।
उफ्फ इतना गर्म !
मैंने तो डरकर अपना हाथ ही छुड़ा लिया।

मुकुल अपने पैर पसार कर वहीं मेरे स्तनों पर बैठ गया, अब उसका वो सांवला सलोना प्रेमशस्त्र मेरे दोनों स्तनों के बीच की घाटी में जम गया। मुकुल ने दोबारा मेरा हाथ उठाकर उसके अपने लिंग पर रख दिया… और मेरे हाथ से उसको सहलाने लगा।

मैं अब समझ गई कि मुकुल मुझसे क्या चाहता है, मैंने खुद ही अपना हाथ उस पर चलाना शुरू कर दिया। अब शायद मुकुल को भी मजा आने लगा।

इसी बीच मुकुल लगातार मेरे गुलाबी होंठों को अपनी ऊँगली से सहला रहा था। कुछ देर ऐसे सहलाते रहने के बाद मुकुल उठकर कुछ आगे हुआ… और अपना लिंग मेरे होंठों पर सटा दिया।

छीईईईई… यह क्या किया कमीने ने ! मैंने उसको दूर छिटक दिया। मुकुल दोबारा कोशिश करने लगा पर जब मैंने उसको घूरा तो वो पीछे हट गया।

पता नहीं उसके मन में क्या आया कि वो मेरे ऊपर से उठकर पीछे की तरफ मुंह करके बैठ गया… और मेरी योनि की तरफ झुक गया। ओह…तो अब समझ में आया मेरी। उईईईई…माँ…ये तो फिर से मेरी योनि को चाटने लगा पर इस बार मैंने उसको नहीं रोका, उसका इस तरह चाटना मुझे सुखदाई लग रहा था।

पर उसके मन में तो कुछ और ही चल रहा था उसने पास में रखे सैडविच की प्लेट से टोमैटो सॉस का एक पाउच उठाया और उसको खोलकर मेरी योनि के चारों तरफ फैला लिया।

आहह… हायय… ये तो अब वो सॉस अपनी जीभ से चाटने लगा। मार डालेगा क्या कमीना !ऐसा अहसास पहले कभी भी नहीं हुआ।

उईईई… हम्‍म्‍म्‍म‍… उसका यूं चाटना तो मुझे पागल बनाये जा रहा था, मैं चाह रही थी कि वो लगातार ऐसे ही चाटता रहे पर वो एकदम रूक गया, मैं ऊचक-ऊचक कर अपनी योनि उसके मुंह तक पहुँचाने का कोशिश करने लगी।

उसने प्लेट से सॉस का दूसरा पाऊच उठा लिया। अब उसने इस पाऊच को खोलकर अपने लिंग पर फैला लिया। अब वो दोबारा से मेरी योनि के मुंहाने पर पहुँचा और सॉस चाटने लगा।

उसका लिंग लगातार मेरे मुंह से टकरा रहा था, सारी सॉस मेरे होंठों को छू रही थी। मैंने जीभ को हल्का सा बाहर निकालकर सॉस को चखा।

मुझे भी सॉस का स्वाद अच्छा लगने लगा, अब मैं भी पूरा स्वाद और मजा लेने के मूड में आ गई।

पता ही नहीं चला कब मेरा मुंह खुल गया… और सॉस लगा लिंग का अगला हिस्सा खुद ही मेरे मुंह में सरक गया। मैं उस पर जीभ फेर कर सॉस का स्वाद लेने लगी।

अब तो वो मेरी मक्खनी योनि को पूरा मुंह में भरकर चाटने लगा, मेरी तो सांस ही रूकने लगी, इतना मजा जीवन में कभी नहीं आया…

ऐसा… लग…रहा… था… जैसे मुकुल मुझे स्वर्ग की सैर करवा रहा हो।

मेरी योनि अन्दर से गीली गीली महसूस हो रही थी, उसके अन्दर जबरदस्त खुजली हो रही थी।
अब तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं… मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा…
मैंने दोनों हाथों से चादर को पकड़ लिया, पैर बहुत जोर-जोर से पटकने लगी, मेरे नितम्ब खुद-ब-खुद ही थिरकने लगे।
कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या होने लगा?

पर मुकुल को शायद अंदाजा था वो आराम से मेरे ऊपर से उतरकर मेरे सामने दोनों मेरी दोनों टांगों को चौड़ा करके उनके बीच में बैठ गया… बराबर में पड़ा तकिया उठाकर मेरे नितम्बों के नीचे लगाया… चादर से मेरी योनि और अपने लिंग को बिल्कुल साफ किया… फिर अपने घुटने मोड़कर लिंग आगे किया… मेरी दोनों टांगें उठाकर अपने घुटनों पर रखीं और अपना शिश्नुमुण्ड मेरी योनि के द्वार पर रख दिया।

हाय्य्य्य्य… य्य्य…मर ही गई मैं तो… वो अपने एक हाथ की दो ऊँगलियों से मेरी योनिद्वार को खोलकर शिश्नमणि अन्दर करने की कोशिश करने लगा पर मेरी योनि शायद बहुत छोटी होगी जो प्रयास करने पर भी वो कामयाब नहीं हो पा रहा था।

पता नहीं उसके दिमाग में क्या आया… उसने वहीं पड़े मेरे हैण्ड बैग को टटोला और उसमें से कोल्ड क्रीम निकाल ली… मेरी योनिद्वार पर क्रीम की ट्यूब रखकर दबा दी, क्रीम योनि के अन्दर तक चली गई, बची हुई क्रीम उसने अपने लिंग को लपेट दी ओर फिर से उसको मेरे योनिद्वार पर टिका दिया।

मुझे समझ नहीं आया कि यह क्या करना चाहता है।

वो एकदम मुझ पर झुका उसकी छाती मेरी छाती से टकराई और होंठ मेरे होंठों से… एक हाथ उसने मेरे सिर पर रखा और दूसरे से अपने लिंग को पकड़ कर ‘हुह…’ की आवाज के साथ एक जोरदार झटका मारा।

आहहह… हहह… हहह…हहह… मररररर… गईई… मैं…
उसका आधे से ज्यादा लिंग मेरी योनि में जा चुका था।

मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे।

वो मेरे होंठों को फिर से चूसने लगा, अपनी छाती से मेरे स्तनों पर दबाव बना रहा था, हौले-हौले लिंग आगे पीछे करने लगा।

मैं भी अब कुछ नियंत्रण में थी, दर्द कुछ कम हुआ तो मेरे नितम्ब भी उसकी ताल से ताल मिलाने लगे।

अब उसने मेरे होंठों को छोड़ दिया और सीधा होकर मेरे स्तनों को अपने दोनों हाथों से मर्दन करने लगा।

अचानक उसकी गति बढ़ने लगी… मुझे भी महसूस हुआ जैसे मेरी योनि में कोई तूफान आने वाला है।
तभी अचानक मेरी योनि से एक गुबार सा छूटता महसूस हुआ… और मैं वीरगति को प्राप्त हो गई।

उसकी तेज थाप अभी भी जारी थी।

अभी मैं सम्भल भी नहीं पाई थी कि मुकुल ने मुझे जोर से जकड़ लिया… उसके नितम्ब बहुत तेजी से चलने लगे और मुझे ऐसा लगा कि एक दूसरा जल सैलाब मेरे अन्दर आ गया…

बस इतना हुआ और मुकुल निढाल सा मेरे ऊपर ढह गया।

अब मुझे अपनी योनि के आसपास कुछ गिलगिला सा महसूस हुआ।

मैंने मुकुल को ऊपर से हटने का इशारा किया।

जैसे ही वो खड़ा हुआ मैंने देखा मुकुल का लिंगप्रदेश खून से सना हुआ बिल्कुल लाल था।

मेरी तो जान ही निकल गई।

मुकुल की निगाह भी तभी मेरी योनिप्रदेश पर गई सारा खून-खून दिखाई दिया।

मुकुल एकदम बोला- नयना… यह क्या है, तुम्हारी शादी तो मुझसे भी पहले हुई थी… क्या अभी तक…????
मेरी आँखें बरबस ही छलछला गई ‘हम्‍म्‍म‍‍…’ बस इतना ही निकला मेरे मुख से।

कहानी जारी रहेगी।
पाठकगण अपनी प्रतिक्रिया [email protected] पर अवश्य दें।

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